स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

October 25, 2011

'शुभ दीपावली '



दीप तुल्य बन जाएँ हम , हो ज्योति का विस्तार ,
हर आँगन आलोकित हो और खुशियाँ मिलें अपार.
--अल्पना वर्मा
आजकल ब्लॉग न लिख पाने के अनेकों कारण हैं जिनमें कभी समय की कमी ,कभी विचारों की, तो कभी उत्साह की, तो कभी इच्छा की कमी ही प्रमुख है.
और यही कारण ब्लॉग न पढ़ पाने [/टिप्पणियाँ न लिख पाने ]के भी हैं ....
फ़िर भी एक जुड़ाव सा तो है जो ब्लॉगजगत से जोड़े रखता है ...

July 26, 2011

मन की गिरह


मन की गिरह

मन की गिरह में बाँध कर तेरी यादें ,
अब अपने रस्ते चल दी हूँ मैं ,
खुलेगी नहीं ये किसी भी ठोकर से,
यूँ पत्थर सी बन गयी हूँ मैं ,

जब कभी बहती हवा थम जायेगी,
जब कभी झूमती नदी रुक जाएगी ,
जब कभी वेवक्त सांझ गहराएगी,
जब कभी खिली चाँदनी धुन्धलाएगी ,

जब कभी अजनबी सदा बुलाएगी ,
जब कभी ख़ामोशी भी डराएगी,

जब कभी चाहना स्वप्न बोयेगी
जब कभी बेवजह आँख रोएगी ,
जब कभी थक जाऊँगी चलते -चलते ,
और कोई चिराग बुझेगा जलते - जलते

तब ही किसी दरख्त की छाँव तले ,
तेरी मौजूदगी का आभास किये,
खोल दूंगी इस गिरह को मैं ,
आँखों में भर कर तेरी यादों को ,
अपनी रूह में जज़्ब कर लूंगी मैं,
फ़िर जब भी रुकेंगी साँसे,
मुझे अलग ये हो न पाएंगी,
रहेंगी साथ सदा
और जायेंगी संग, उस जहाँ में भी....
हाँ, रहेंगी साथ सदा उस जहाँ में भी....

--------------अल्पना वर्मा ---------------

July 20, 2011

आखिरी मुशायरा

मार्च २००९  में मुशायरा और कवि सम्मलेन करवाया गया था. २०१० में मंत्रालय  की अनुमति नहीं मिली.
इस साल मार्च , २०११ में अनवर अफ़ाकी साहब यहाँ -वहाँ खूब भाग दौड कर रहे थे कि किसी तरह इस साल अनुमति मिल जाये .मैंने दिगंबर नासवा जी को भी निमंत्रण भेजा था कि वे भी भाग लें परंतु उन्हें उस तारीख को शहर से बाहर जाना था.

अलेन में मुशायरा और कवि सम्मलेन करवाने की शुरुआत ग्यारह साल पहले इंडियन सोशल सेण्टर में अब्दुल सत्तार शेफ़्ता जी ने की थी. मुझे भी इस मंच पर पहला अवसर देने का श्रेय उन्हीं को जाता है.शेफ़्ता साहब पिछले कुछ सालों से अबू धाबी शिफ्ट हो गए थे .

July 5, 2011

बरखा और बाँवरी

सावन की पड़ी फुहार तो बाँवरी बिरहन का मन उस से क्या बोल उठा? सुनिए -:

June 30, 2011

एक खूबसूरत इबादतगाह

संयुक्त अरब एमिरात की राजधानी अबू धाबी में स्थित शेख ज़ायेद मस्जिद दुनिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक है.यहाँ का झाड फानूस गिनिस वर्ड रिकॉर्ड में सबसे बड़ा फानूस होने का सम्मान पा चुका है.
इसे भीतर से देखने के लिए जाति -देश-धर्म आदि का कोई बंधन नहीं है .न ही कोई प्रवेश शुल्क और न ही फोटोग्राफी पर प्रतिबन्ध.
 इस इबादतगाह की खूबसूरती सभी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.भवन के भीतर का सौंदर्य तो बेहद मनमोहक है. हम शाम के वक्त यहाँ पहुंचे थे तब शाम की नमाज़ का समय था इसलिए हम तब तक बरामदे ओर वहाँ के खम्बों ओर फव्वारों का आनंद लेते रहे.उसके बाद मस्जिद का भीतरी भाग देखा और वहाँ की खूबसूरती को इन तस्वीरों में क़ैद किया.
चित्रों  पर क्लिक कर के उन्हें उनके मूल आकार में देखेंगे तब वास्तविक सुंदरता दिखाई देगी.

June 25, 2011

एक कविता और एक गीत


जून का तपता महीना..स्कूलों के बंद होने और गर्मी की दो महीने की छुट्टियाँ शुरू होने में अभी और एक हफ्ता बाकी है.भारत में शुरू हुई बरसात का फिलहाल यहाँ तो कोई असर नहीं दिख रहा है .

दुकानों में /शोपिंग मॉल ....हर जगह सेल लगी है ..जुलाई-अगस्त में अपने -अपने देश छुटियाँ जाने वाले खरीदारी में / पैकिंग में व्यस्त हैं.

अलेन में कृत्रिम नदी [नहर कहना ज्यादा सही होगा] और झरना बनाने की तैयारी ज़ोरों शोरों पर है .हमारे घर के सामने थोड़ी दूरी पर एक छोटी पहाड़ी को काटा जा रहा है शायद वह उस ओर से भी बह कर निकलेगी .इस नहर में पानी कहाँ से लाया जायेगा ,पूछने पर मालूम हुआ कि यह सारा पानी शहर का इस्तमाल किया हुआ पानी होगा जो केमिकल ट्रीटमेंट के बाद छोड़ा जायेगा.आश्चर्य हुआ कि क्या इतना पानी इस्तमाल होता है चार लाख की आबादी वाले इस शहर में कि इक बड़ी नहर को बनाया जा सके!

June 18, 2011

‘आम’ जो हमेशा ख़ास है !



जब भी  गर्मियाँ आती हैं तो याद आते हैं वे दिन  …

स्कूल के दिनों में गर्मी की छुट्टियाँ मई और जून में पड़ा करती थीं ..जुलाई में स्कूल खुला करते थे.
छुट्टियाँ शुरू क्या होती थीं उससे पहले ही छुट्टियों के प्लान बनने शुरू हो जाते थे .अगर दादी गाँव में होती तो मैं कुछ दिनों के लिए ही सही अपने गाँव उन के पास जाना पसंद किया करती थी. अगर पापा के पास छोड़ कर आने को समय न होता तो अकेली जाने को तैयार रहती..

April 30, 2011

'ये गुलों का रंगीं शहर है '



यह तस्वीर गिनिस रिकॉर्ड साईट से  साभार ली है
'ये गुलों का रंगीं शहर है '..जी हाँ, जिस शहर में मैं रहती हूँ उसी शहर  'अलैन ' को एमिरात का 'बागों का शहर' /'फूलों का शहर' सालों से कहा जाता है.
अब तो यहाँ इस नाम को सार्थक करता  है यहाँ बना फूलों का एक ऐसा अनूठा बाग़ जिस का नाम  गिनिस बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज़ हो गया है.

२० मार्च ,२०१० में गिनिस बुक ऑफ रिकार्ड में  दर्ज़ यह सबसे अधिक झूलते फूलों का बाग़ घोषित  किया गया  और इस साल भी इसने यह  रिकॉर्ड को बनाये रखा है.
2,968 झूलते  गमलों में खिलते फूलों का दुनिया का यह एकमात्र बाग़ घोषित किया गया.
सोमवार  28 फरवरी  2011 को इसकी ओपनिंग सेरेमनी थी और उसके बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था.

January 13, 2011

'छाई इंद्रधनुष सी हिंदी '



विश्व हिंदी  दिवस
हिंदी भाषा के बारे में श्री रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु जी के अनुसार-
भारत को समझना तो जानिए इसको
दुनिया भर में पा रही विस्तार है हिंदी।।

सब दिलों को जोड़ने का काम कर रही
देश का स्वाभिमान है आधार है हिंदी।।

 हिंदी हमारी मातृभाषा है ,यह भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है.यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है.