आज फेसबुक पर एक स्टेटस लगाया..
'बेशक विवाह के बाद स्त्रियों का आधा जीवन चूल्हा चौके में बीतता है ..कई बार उनका भी मन करता होगा न कि उन्हें भी मनुहार के साथ कोई अपना गरम -गरम फुल्के बना कर खिलाए ! जैसे कभी माँ या दीदी खिलाया करतीं थीं.' |
क्या कुछ गलत लिखा था??:)
नहीं न? बल्कि फेस्बुकिया कई सखी -सहेलियों ने इसे सराहा और कहा यह उनके मन की ही बात कही गयी है.. एक सखी स्वर्ण कांता ने अपनी वाल पर भी अनुमति के साथ लगा लिया.यह कहते हुए कि ''अल्पना जी, आपका स्टेटस मन को इतना भा गया कि इसे अपने वॉल पर लगा रही हूं... इस विचार और इच्छा का जितना प्रचार प्रसार हो हम स्त्रियों को फायदा होगा.."