पेश हैं कुछ शेर ..साथ लिखे हैं तो ग़ज़ल जैसी लग रही है....अब जैसे हैं वैसे के वैसे उनके कुदरती रूप में 'आप के सामने हैं.
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'रात ग़मे तन्हाई की'
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ग़मे तन्हाई की रात बहुत गहरी है, बन के ओस मेरे आँसू बिखर जाते हैं. दिल की चौखट पर कभी तो कोई आए, ये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं. लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी, तेरे आने से ये पल यूँ सँवर जाते हैं. बादलों से भी बिछड़ गया है कोई, वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं. तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी, इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
--लिखित द्वारा -अल्पना वर्मा २०/१०/२००९
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...आज का गीत...
'चंदा ओ चंदा किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया'
फ़िल्म-'लाखों में एक '-[लता जी का version]मेरे स्वर में सुनिए.. संगीत-राहुलदेव बर्मन ,गीत-आनंद बक्षी. यहाँ क्लिक कर के भी प्ले कर सकते हैं |
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