--१--
धूप में चलते हुए,
इस ख़ुश्क ज़मीन पर
क़दम ठिठके
ज़रा छाँव मिली
लगा किसी दरख्त के नीचे आ पहुंची हूँ.
मगर नहीं ,
यह तो बादल का एक टुकड़ा है जो
ज़रा बरसा और पानी बन कर बह गया,
धूप अब और तेज़ लगने लगी है मुझको !
----अल्पना -----
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'वन्दे भारत मिशन' के तहत स्वदेश वापसी Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...
June 7, 2013
खुद को छलते रहना..
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