स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

June 30, 2011

एक खूबसूरत इबादतगाह

संयुक्त अरब एमिरात की राजधानी अबू धाबी में स्थित शेख ज़ायेद मस्जिद दुनिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक है.यहाँ का झाड फानूस गिनिस वर्ड रिकॉर्ड में सबसे बड़ा फानूस होने का सम्मान पा चुका है.
इसे भीतर से देखने के लिए जाति -देश-धर्म आदि का कोई बंधन नहीं है .न ही कोई प्रवेश शुल्क और न ही फोटोग्राफी पर प्रतिबन्ध.
 इस इबादतगाह की खूबसूरती सभी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.भवन के भीतर का सौंदर्य तो बेहद मनमोहक है. हम शाम के वक्त यहाँ पहुंचे थे तब शाम की नमाज़ का समय था इसलिए हम तब तक बरामदे ओर वहाँ के खम्बों ओर फव्वारों का आनंद लेते रहे.उसके बाद मस्जिद का भीतरी भाग देखा और वहाँ की खूबसूरती को इन तस्वीरों में क़ैद किया.
चित्रों  पर क्लिक कर के उन्हें उनके मूल आकार में देखेंगे तब वास्तविक सुंदरता दिखाई देगी.

June 25, 2011

एक कविता और एक गीत


जून का तपता महीना..स्कूलों के बंद होने और गर्मी की दो महीने की छुट्टियाँ शुरू होने में अभी और एक हफ्ता बाकी है.भारत में शुरू हुई बरसात का फिलहाल यहाँ तो कोई असर नहीं दिख रहा है .

दुकानों में /शोपिंग मॉल ....हर जगह सेल लगी है ..जुलाई-अगस्त में अपने -अपने देश छुटियाँ जाने वाले खरीदारी में / पैकिंग में व्यस्त हैं.

अलेन में कृत्रिम नदी [नहर कहना ज्यादा सही होगा] और झरना बनाने की तैयारी ज़ोरों शोरों पर है .हमारे घर के सामने थोड़ी दूरी पर एक छोटी पहाड़ी को काटा जा रहा है शायद वह उस ओर से भी बह कर निकलेगी .इस नहर में पानी कहाँ से लाया जायेगा ,पूछने पर मालूम हुआ कि यह सारा पानी शहर का इस्तमाल किया हुआ पानी होगा जो केमिकल ट्रीटमेंट के बाद छोड़ा जायेगा.आश्चर्य हुआ कि क्या इतना पानी इस्तमाल होता है चार लाख की आबादी वाले इस शहर में कि इक बड़ी नहर को बनाया जा सके!

June 18, 2011

‘आम’ जो हमेशा ख़ास है !



जब भी  गर्मियाँ आती हैं तो याद आते हैं वे दिन  …

स्कूल के दिनों में गर्मी की छुट्टियाँ मई और जून में पड़ा करती थीं ..जुलाई में स्कूल खुला करते थे.
छुट्टियाँ शुरू क्या होती थीं उससे पहले ही छुट्टियों के प्लान बनने शुरू हो जाते थे .अगर दादी गाँव में होती तो मैं कुछ दिनों के लिए ही सही अपने गाँव उन के पास जाना पसंद किया करती थी. अगर पापा के पास छोड़ कर आने को समय न होता तो अकेली जाने को तैयार रहती..