स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

April 11, 2023

'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा'

 


‘महापंडित’,हिंदी यात्रा सहित्य के पितामह' राहुल सांकृत्यायन' उर्फ 'केदारनाथ पाण्डेय'(9 अप्रैल 1893 – 14 अप्रैल 1963) कृत 'घुमक्कड़ शास्त्र 'पुस्तक में एक निबंध 'अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा' शीर्षक से है,में से कुछ पंक्तियाँ /लेखक के विचार उनके जन्म दिवस 9 April के अवसर पर -:
**संसार में यदि कोई अनादि सनातन धर्म है,तो वह घुमक्कड़ धर्म है। धर्म भी छोटी बात है,उसे घुमक्कड़ के साथ लगाना “महिमा घटो समुद्र की,रावण बसा पड़ोस” वाली बात होगी।
**घुमक्कड़ी के लिए चिंताहीन होना आवश्यक है,और चिंताहीन होने के लिए घुमक्कड़ी भी आवश्यक है। दोनों का अन्योनाश्रय होना दूषण नहीं भूषण है।'
**यदि कोई तरुण-तरुणी घुमक्कड़ धर्म की दीक्षा लेता है - यह मैं अवश्य कहूँगा, कि यह दीक्षा वही ले सकता है, जिसमें बहुत भारी मात्रा में हर तरह का साहस है - तो उसे किसी की बात नहीं सुननी चाहिए, न माता के आँसू बहने की परवाह करनी चाहिए, न पिता के भय और उदास होने की, न भूल से विवाह लाई अपनी पत्नीन के रोने-धोने की फिक्र करनी चाहिए और न किसी तरुणी को अभागे पति के कलपने की। बस शंकराचार्य के शब्दों में यही समझना चाहिए - निस्त्रैगुण्ये पथि विचरतः को विधिः को निषेधः।।
.. अर्थात 'विचरने वाले महापुरुष के लिये क्या विधि और क्या निषेध है ? 'और मेरे गुरु कपोतराज के बचन को अपना पथप्रदर्शक बनाना चाहिए -
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ ?
**कोई-कोई महिलाएँ पूछती हैं- क्या स्त्रियाँ भी घुमक्कड़ी कर सकती हैं.. स्त्रियाँ इसमें उतना ही अधिकार रखती हैं, जितना पुरुष। यदि वह जन्म सफल करके व्यक्ति और समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं, तो उन्हें भी दोनों हाथों इस धर्म को स्वीकार करना चाहिए। घुमक्कड़ी-धर्म छुड़ाने के लिए ही पुरुष ने बहुत से बंधन नारी के रास्ते में लगाये हैं।
( ***घुमक्कड़ी का अर्थ -पर्यटन,यायावरी या देशाटन है )
लेख में दिया शेर 'ख़्वाजा मीर दर्द' का लिखा है ।

February 27, 2023

विश्व पुस्तक मेला 2023 ,प्रगति मैदान ,दिल्ली

 इन दिनों विश्व पुस्तक मेला 2023 ,प्रगति मैदान ,दिल्ली में 25 फ़रवरी से 5 मार्च 2023 तक आयोजित किया जा रहा है । संयोग से रविवार 26 को ही जाने का अवसर मिला। प्रगति मैदान द्वार संख्या 4 से प्रवेश और यहीं से निकास भी था । मैंने टिकट paytm से ऑनलाइन  बुक कर लिया था । शाम पौने चार पहुँची तब ऑनलाइन टिकट बिक्री बंद हो चुकी थी । visitors की संख्या बहुत अधिक होने के कारण कुछ समय प्रवेश भी नियंत्रित किया जा रहा था। 

बहुत ही अच्छी तरह आयोजित इस मेले में मुझे भीड़ की ही समस्या लगी। पहला हॉल 5 है उसके बाद 4 और 3 जिनमें विदेशी प्रकाशक अधिक थे। हॉल संख्या 2 में हिन्दी प्रकाशकों की भरमार थी। 2 हॉल विज़िट करने के बाद ही लगा अब वापस चला जाए। भीड़ के कारण न ढंग से कोई पुस्तक देख पा रहे थे और न ही वहाँ चल रहे वार्ता आदि को सुन पा रहे थे। 

फिर भी यहाँ वहाँ के  फ़ोटो खींच लिए । पहली बार किसी विश्व  पुस्तक मेले में गई थी । दिल्ली के traffic के कारण वहाँ तक आने-जाने में 3 घंटे लगे। परंतु वहाँ के वातावरण को देखकर एक घंटे से भी कम समय में वापसी का मन बना लिया। पुस्तकें ऑनलाइन पाने की सुविधा और किन्डल पर पढ़ने का आराम बेहतर विकल्प लगा। 

हाँ, किसी रचनाकार से मिलने/सुनने /देखने की बात हो तो वह अवसर अलग ही होता परंतु ऐसा कुछ नहीं था । कुल मिलाकर पुस्तक मेले का अनुभव ओके-ओके था! 😄

तस्वीरें देखिए ,आज के समय में यह भीड़ अगर सच में पाठकों की है तो सुखद आश्चर्य ही है। 










































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