विश्व हिंदी दिवस
हिंदी भाषा के बारे में श्री रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु जी के अनुसार-
हिंदी हमारी मातृभाषा है ,यह भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है.यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है.
विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करने तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है.
हिंदी भाषा के बारे में श्री रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु जी के अनुसार-
भारत को समझना तो जानिए इसको
दुनिया भर में पा रही विस्तार है हिंदी।।
सब दिलों को जोड़ने का काम कर रही
देश का स्वाभिमान है आधार है हिंदी।।
हिंदी हमारी मातृभाषा है ,यह भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है.यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है.
विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करने तथा हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है.
अंग्रजी के बढ़ते प्रभुत्त्व के बावजूद इसमें कोई शक नहीं कि आज भी हिंदी हमारे भारत देश की पहचान है.
संयुक्त अरब एमिरात में इस वर्ष अबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास में विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में जनवरी १२ को एमिरात के भारतीय स्कूलों के छात्रों के बीच वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया.
मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल किया गया .
जहाँ एमिरात के चुने हुए होनहार छात्रों ने अपने विचार प्रस्तुत किये.
कनिष्ठ और वरिष्ठ वर्ग में चुने हुए कुल ८० छात्रों ने भाग लिया.
एमिरात में रहने वाले हिंदी के जाने माने लेखक कृष्ण बिहारी जी [जिनकी सैकड़ों रचनाएँ हिंदुस्तान के प्रमुख समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं .कई कहानी संग्रह ,उपन्यास,कविता संग्रह,नाटक,संस्मरण आदि छप चुके हैं.]ने इस अवसर पर सभी को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा और हिंदी दिवस के महत्व को बताया और साथ ही अपने प्रेरक शब्दों से सभी प्रतिभागियों का मनोबल बढ़ाया 'जय हिंदी' के नारों से सभागार में एक अद्भुत वातावरण बन गया.उसी वातावरण में कार्यक्रम पूरे उत्साह और उमंग के साथ चला.
कार्यक्रम के अंत में माननीया अनुजा जी ने सभी विजेताओं को पुरस्कार बांटे.
भारतीय सांस्कृतिक कार्यकर्मों की निदेशक अनुजा चक्रवर्ती जी के नेतृत्व में दूतावास द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा.
आयोजक मंडल को शुभकामनाएँ और निमंत्रण के लिए आभार.
जय हिंदी- जय हिंदुस्तान
देखीये उस समारोह की कुछ झलकियाँ –:
जय हिंदी- जय हिंदुस्तान...
ReplyDeleteआदरणीया आल्पना जी,
ReplyDeleteU A E में हिन्दी भाषा के प्रसार और प्रचार में इस तरह के आयोजन महती भूमिका निभा सकते हैं.
ये जान कर बहुत अच्छा लगा की आप इस वाद विवाद के निर्णायकों में से एक थीं.
हार्दिक बधाई स्वीकारें.
सादर
अच्छे कृत्य के बारे में जानकर अच्छा लगा...
ReplyDeleteहिन्दी का उत्थान, वाह रे वाह आयोजन।
ReplyDeleteसंविधान के जाल में हिरनी सी लाचार,
ReplyDeleteकिसी अँधेरी नीति की हिंदी हुई शिकार
(भारत के सन्दर्भ में)
"राम"
जय हिंदी- जय हिंदुस्तान..
ReplyDeleteहिंदी हमारी मातृभाषा है हिंदी भाषा को नमन और आपको बधाई अच्छे कार्य के लिए ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर लेख, ओर अति सुंदर विचार ओर सुंदर चित्र, धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा हिंदी की लोकप्रियता देखकर |बहुत बहुत आभार इस जानकारी के लिए |
ReplyDeleteजय भारत |हिंदी भाषा कीजय|
शानदार रपट. तस्वीरों ने तो पोस्ट की शोभा दोगुनी कर दी, बाहर रह के अपनी भाषा की सेवा करना अनुकरणीय है.
ReplyDeletealpanaji namaskar bahut sundar post saath hi bahut sundar jankari aabhar
ReplyDeletealpanaji namaskar bahut sundar post saath hi bahut sundar jankari aabhar
ReplyDeleteसक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......सादर
ReplyDeleteसफल आयोजन की बधाई.
ReplyDeleteआपको बधाई इस अच्छे कार्य के लिए ...
ReplyDeleteधन्यवाद
हिन्दी उत्थान को समर्पित,शानदार आयोजन।
ReplyDeleteआपका योगदान भी प्रशंसनीय है।
लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
ReplyDeleteहिंदी भाषा जन जन की भाषा ....हर एक के मन को भाने वाली भाषा ..और उस पर आपका यह भव्य शानदार आयोजन ..किस तरह से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करूँ ..बहुत हर्षित हुआ मन ..रोचक पोस्ट को पढ़कर और समारोह की झलकियाँ देखकर ..आपका बहुत बहुत आभार "अल्पना" जी इस महत्वपूर्ण समारोह से रुबरु करवाने के लिए ...
ReplyDeleteहम्म...लोकेश बाबू को पुरूस्कार वितरण के लिए वहां होना चाहिये था, भले ही कन्नडभाषी हैं तो भी क्या हुआ :)
ReplyDeleteहिंदी के प्रसार में आपके प्रयास को बधाई..
ReplyDelete@काजल जी ,हमने भी उन्हें उस दिन वहाँ कहीं देखा नहीं.कुछ कारण रहा होगा.
ReplyDeleteहम ने कारण जानने का प्रयास भी नहीं किया क्योंकि अनुजा जी तो थी ही वहाँ ..
मुझे कभी कभी यह लगता है कि विदेशों में हिन्दी को लेकर जितना उत्साह है और इसके विकास पर कार्य हो रहे हैं, उतने भारत में नहीं हो रहे। होते हैं किंतु यहां हिन्दी को लेकर खुल जाते हैं मठ और फिर छनती हैं राजनीति..।
ReplyDeleteसुखद लगता है कि आप भी उनमें से एक हैं जो हिन्दी की ध्वजा को ऊंचा उठाये हुए पूरे विश्व को हिन्दी के प्रति उत्साहित कर रही हैं। मेरी ओर से शुभकामनायें
जय हो हिंदी की ......हिंदी ऐसे ही पैर पसारती रहे........... सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteनये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?
hindi par hum sabhi ko garv hai,makar sankranti ki aapko bahut badhai.sadar mehek.
ReplyDeleteविदेशों में हिन्दी के प्रसार हेतु प्रयासों का वर्णन पढ़ कर संतोष हुआ और खुशी भी कि आपका इसमें सक्रीय योगदान रहा तथा आपको वांछित सम्मान प्राप्त हुआ.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रिपोर्ट है...हिन्दी हमारी आन-बान-शान है.
ReplyDeletekash ye hindi jan jan tak faile..lekin ye sach hai nahi...viswa me teesra sthan islye hain kyonki hamara uttar bharat hi itna bada hai ki aadhe Europe jaisa hai...:)
ReplyDeletefir bhi koi nahi.......kabhi to wo mukkamal sthan milega..!!
bahut achchhi report...photos bhi achchhe hai..........!
हिंदी के प्रति आपका अगाध प्रेम और समर्पण वन्दनीय है
ReplyDeleteअच्छा है.....बात सिर्फ हिंदी के विस्तार के अलावा...हिंदी के उन क्षेत्रो तक पहुचने की भी है .जो वाकई इस भाषा ओर संस्क्रति के गौरवशाली अतीत को पकड़ने की कोशिश करते है ...आप जैसे लोग जब तक विदेशो में रहेगे हिंदी भाषा को विस्तार मिलता रहेगा
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई......जय हिन्द
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट लेखन का नमूना
लेखन के आकाश में आपकी एक अनोखी पहचान है ..
सराहनीय प्रस्तुति.तस्वीरों ने तो मजा दुगना ही कर दिया. इस अच्छे प्रयास के लिए मेरी तरफ से भी बधाई स्वीकारें
ReplyDeletekarykram kii vistrit report aur itane chitra dekh kar man utphull ho gaya .. hindi ki chaap door door tak hai .. aapko is prastuti ke liye badhaayi..
ReplyDeleteइस सुन्दर चित्रमय रिपोर्ट के लिए आभार ... आपकी गरिमापूर्ण उपस्थिति प्रभावित कर रही है!
ReplyDeleteजय हिन्दी
ReplyDeleteसुन्दर रिपोर्ट
वाह...सराहनीय !!!
ReplyDeleteहिन्दी भाषा के समृद्धि में परोक्ष अपरोक्ष सहभागिता निभा ही हम मातृ ऋण का कुछ अंश चुका पाएंगे..
ये तो बहुत ही अच्छी खबर है ... अभी १६ जनवरी को मैं भी हिंदी के एक ऐसे ही कार्यक्रम में जज बना था ... डी.पी.एस. शारजाह में ....
ReplyDeleteउन्होंने ने भी अंतर-विद्यालय प्रतियोगिता आयोजित की थी ... उसी दोरान पूर्णिमा जी से भी मिलना हुवा ... वो भी अपने स्तर पर हिंदी के प्रसार के लिए कार्य करती रहती हैं ....
अगर संभव हुवा तो एक जगह मिल कर कुछ बात चीत करते हैं और जो भी संभव है .... करने की कोशिश करते हैं ...
संयुक्त अरब एमिरात में इस वर्ष अबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास में विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में जनवरी १२ को एमिरात के भारतीय स्कूलों के छात्रों के बीच वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया.
ReplyDeleteमेरा सौभाग्य रहा कि मुझे इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल किया गया .
वाह ....!!
अल्पना जी बेहद ख़ुशी होती है आपको यूँ सफलता की सीढियां चढ़ते देख .....
आप तो ब्लॉग जगत की शान हैं .....
hindi kee is sahabhaagini ko hamara namaskaar.....
ReplyDeleteबढ़िया रपट है । अच्छा लगा कि हिन्दी के विकास के लिए इतने लोग प्रयत्नशील हैं
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ReplyDeleteअल्पना जी, हिन्दी के प्रति आपका प्रेम प्रशंसनीय है। विदेश में रह कर आप, कृष्ण बिहारी जी जिस समर्पित भाव से हिन्दी की श्रीवृद्धि कर रहे हैं वह स्तुत्य है। आपका स्वर बहुत मधुर है। यूं ही गाती गुनगुनाती रहिए और यूं ही लिखती रहिए। मॉडल विवेक बाबाजी के दर्दनाक अंत के बारे में पढ़ कर मुझे भी बहुत दुख हुआ। आधुनिकता अथवा डिप्रेशन किसी भी हाल में किसी को भी यह रास्ता नहीं अपनाना चाहिए।
ReplyDeletemera deen-imaan hai hindi. geeta, grahnth kuraan hai hindi.
ReplyDeletebahut-2 badhai ho alpna ji.
padhkar,jankar bahut khushi hui.
ReplyDeleteसुन लो भैया, दे दो तान
ReplyDeleteहिन्दी-हिन्दू-हिंदुस्तान..
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ReplyDeleteजय हिन्दी, जय हिन्दुस्तान।
ReplyDelete---------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
hame to naaz hai tum par ,bahar rahkar bhi desh ki garima banaye huye ho ,tarif karoon main kiski ,har cheej laazwaab hai .bahar gayi rahi 3-4 din pahle lauti aur tumhe tasvir ke saath paya achchha laga .vande matram .jai hind ,is parv ki badhai .
ReplyDeleteआप सब को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर आपको शुभकामना
ReplyDeleteबेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट दुबारा पढ़कर कुछ नयी बातें सीखने को मिली ...आपके इस प्रयास के लिए आपको तहे दिल से शुभकामनायें
ReplyDeleteआदरणीया अल्पना जी
ReplyDeleteनमस्कार !
आशा है , सपरिवार स्वस्थ - सानन्द हैं ।
पूरे ब्लॉग जगत भर में आपकी कहीं उपस्थिति आजकल नज़र न आने के कारण आपकी बहुत याद आने पर यहां दुबारा आया तो , अपनी टिप्पणी ही नहीं दिखने पर स्मृति पर जोर डाला … लिखा तो था , नेट की समस्या के चलते शायद तब मेरा कमेंट पब्लिश नहीं हुआ था … बाद में , मैं विस्मृत हो गया शायद । … ख़ैर !
जानकारी बढ़ाने वाली उपयोगी पोस्ट के लिए पुनः बधाई !
हीरजी ने सच ही कहा है - आप तो ब्लॉग जगत की शान हैं…! बहुत बहुत शुभकामनाएं !
नई पोस्ट की प्रतीक्षा है …
गणतंत्र दिवस सहित आने वाले पर्वों- त्यौंहारों की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
हमें हिंदी भाषा पे नाज़ है|
ReplyDeleteMadhav's Magic Blog
नमस्कार..
ReplyDeleteआज काफी समय उपरांत पुनः उपस्थित हुआ और यह मेरा सौभाग्य की मुझे मेरी मात्रभाषा पर यह लेख पढने को मिला...
यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ की विदेशों मैं भारत से भी ज्यादा हिंदी भाषा के प्रति समर्पण की भावना है... इस परिपेक्ष मैं मुझे हिंदी पर लिखी एक कविता का स्मरण हो आया...
"आओ हम सब मिलकर के..
"हिंदी" को सफल बनायें हम...
भारत के हर जन-जन तक...
"हिंदी" को पहुंचाएं हम....
आपका धन्यवाद की आपने हमें इस आयोजन मैं अपने साथ शामिल होने का अवसर दिया...
दीपक...
आपके माध्यम से हिन्दी के वैश्विक प्रचार-प्रसार सम्बन्धी गतिविधियों से हम परिचय प्राप्त करते हैं।आपका यह कार्य बहुत ही सराहनीय है।
ReplyDeleteआपसे एक निवेदन:-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
आपके प्रयास को बधाई.शुभकामनाएं.
ReplyDeletebahut bahut badhayaee Mam'.
ReplyDeleteहिंदी पर आपकी विशेष प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteHame aapar garv hai,
ReplyDeletesabse pahle janakri purn post ke liye bahut-2 badhai.
हिंदी के लिए आपकी लगन और प्रयास सराहनीय हैं. कृपया इस गति को बनाये रखिये क्योंकि कल हिंदी को सँभालने के लिए आप जैसे विदेश में रह रही प्रतिभाओं की बहुत ज़रूरत होगी.
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विश्व हिंदी दिवस के समारोह के सफल आयोजन पर बधाई । आप अरब देशों में भी अपनी भाषा के विकास के लिये कार्यरत हैं जान कर अच्छा लगा । समारोह की तस्वीरों से प्रसंग साकार हो गया ।
ReplyDeletejai hind. jai hindi
ReplyDeleteहिन्दी के संवर्द्धन हेतु आपका कार्य प्रशंसनीय एवम् अनुकरणीय है।
ReplyDeleteaap ke zazbe ko salam
ReplyDeletekafi sundar aur sarahniy.
shukriya comment aur disha nirdesh ki khatir.
apna email address zaroor mail karen
mafsarpathan@gmail.com
जानकारी-भरा सम्पूर्ण आलेख
ReplyDeleteसुन्दर चित्रावली
जय हिंदी जय हिंद .
आप अच्छा काम कर रहीं हैं. बधाई स्वीकारें. अवनीश सिंह चौहान
ReplyDeletealpana di
ReplyDeletesarv pratham xhma chahte hue aapko hardik badhai deti hun.
xhma isliye mang rahi hun ki idhar swasthy theek na hone ke karan kisiblog par nahi ja pa rahi hun.
atah aapke bhi blog par bahut dino baad aai hun .
sach yah ham sabhi ke liye garv ki baat hai ki hamaari hidi bhashha ka vistaar videsho me bhi teji se badh raha hai .
aapne to is awsar ka bharpur aanad liya,chaliye hamne yahan se baithe -baithe hi us behtreen najaare ko dil se mahsus kiya .
iske liye aap ko badhai ---
poonam
एक भाषा का औचित्य यही है की वो संपर्क स्थापित करने में सछम हो. || जो भाषा बदलते समय के अनुसार अपने को ढलेगी वही जिंदा रहेगी .
ReplyDeleteआबूधाबी समारोह का बहुत बढ़िया रिपोर्ट प्रस्तुत किया है आपने.
ReplyDeleteदेश का स्वाभिमान है आधार है हिंदी।। ये बात सब समझ ले तो हमारी प्रगति बहुत तेजी से होगी.
alpna ji kush likhiye. lamba gap ho gaya apka likha parh kar rooh ko sakoon milta hai.
ReplyDeleteshukriya
mahila divas ki dhero badhai is mitr ki or se .
ReplyDeleteshubhkamnaye
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteआदरणीया अल्पना जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत समय हो चुका है … आपकी रचनाओं के लिए तरस रहे हैं :)
कोई ताज़ा गीत ही सुनने के लिए लगादें , वैसे जब-जब आपकी नई रचना की प्यास लिए आया हूं , तब-तब आपके गाए कुछ चिर युवा मधुर गीतों से भरपूर तृप्त हो'कर ही लौटा हूं
अब ख़ज़ा्ना टटोलूंगा आपके ब्लॉग पर आपके सुरीले नग़मों का …
…और आप स्वीकार करें तीन दिन पहले आ'कर गए
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
@विजय जी और राजेंद्र जी ,ख्याल बेतरतीब हैं और व्यस्तता के घेरे हैं .प्रयास रहेगा कि जल्दी ही कुछ लिखूं.
ReplyDeleteआभार और शुक्रिया कि आप को मेरी अगली पोस्ट का इंतज़ार है.
अल्पना जी विश्व हिंदी दिवस आप लोगों ने अबूधाबी में इतने धूमधाम से मनाया बहुत ही सुखद आश्चर्य लगा । आप सब आयोजन कर्ताओं को बधाई ।
ReplyDeleteविदेश में रहकर अपने देश अपनी भाषा से आपका प्रेम सराहनीय है
ReplyDelete--देवेंद्र गौतम
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteअभिवादन दोस्ती
ReplyDeleteहुत बहुत बधाई......जय हिन्द
http://yusdinu.blogspot.com
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
ReplyDeleteरंग-पर्व पर हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआपको होली की रंगारंग शुभकामनाये!!
ReplyDeletethankyou so much for your visit to my blog
ReplyDeleteविडंबना यह है कि एक तरफ हम दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई शुरू होते देख रहे हैं तो दूसरी तरफ भारत में ही उसकी उपेक्षा होते।
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteगृहस्थी है ,बहुत सारे काम रहते है,उलझने भी आजाती है कभी कभी वरना साहित्यकार अपनी कृति, रचना से पाठकों को क्यों वंचित करेगा? ईश्वर से प्रार्थना आप सपरिवार स्वस्थ्य और सानंद हों ।
ReplyDelete"Hindi bhaashaa sabki aashaa "-achchhaa lagaa .
ReplyDeleteek shair :
"kitne shahri ho gaye logon ke zazbaat ,
Hindi bhi karne lagi ,amgrezi me baat ."
veerubhai .
ये सब जन के अच्छा लगा |
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में भी आयें-
मेरी कविता:राष्ट्रभाषा हिंदी
बहुत सुन्दर लेख और सुन्दर चित्र
ReplyDeleteआभार,
विन्नी