अनिश्चितता मतलब ‘
कुछ भी निश्चित नहीं ‘...
अपनी जड़ों से कट कर पौधा भी समय लेता है नयी ज़मीं पकड़ने में .
इंसान में अपनी मिटटी से दूर हो कर भविष्य के प्रति जो अनिश्चितता पैदा हो जाती है उसका निदान हर किसी को आसानी से नहीं मिलता.
खाड़ी देशों में आये प्रवासी जानते हैं कि आज हम यहाँ हैं तो कल मालूम नहीं यहाँ हैं भी या नहीं..
किसी से पूछेंगे तो कोई भी इस भय को स्वीकारेगा नहीं लेकिन अधिकांश के लिए सच यही है.
कि वे भविष्य को लेकर कहीं न कहीं आशंकित हैं ..
इसी अनिश्चितता का परिणाम है कि ज्योतिषों और पंडितों की शरण में अब हम ज्यादा जाने लगे हैं.
३ साल पहले मद्रास से '
नाडी शास्त्र '
वाले एक पंडित जी का यहाँ आना हुआ.
सब जगह आग की तरह ख़बर फ़ैल गयी ..
यह भी आश्चर्य की बात है कि मात्र अंगूठे की छाप से पत्र ढूंढते और अगर मिल गया तो वह आप के पिता माता ,
पति/
पत्नी का नाम तक बता देते हैं.
जन्म का समय /
नक्षत्र तक.
दावा यही होता है कि वह केवल पढ़ते हैं अपनी तरफ से कुछ अंदाज़ा या गणना नहीं करते.
हमने भी इस का अनुभव लिया ..
अपने मरण तक भविष्य सुनकर ख़ुशी भी हुई /
परेशान भी हुए ,
उपाय भी लगे हाथ उनसे करवा लिए .
क्योंकि उनका प्रभाव ही सभी पर इतना पड़ गया था.
तीन साल बाद उन का दोबारा'
विसिट पर आना हुआ..
मगर इस बार सब उनसे नाराज़..
अधिकाँश मामलों में अभी तक कुछ भी तो सही नहीं निकला था!
हाल ही में फिर से दुबई से मेरी सहेली नेफोन किया बताया कि शिवदास नामक एक व्यक्ति गुंटूर आंध्रप्रदेश सेआयेहुएहैं .
वे जेनेटिक इंजिनियर हैं ..गोल्डमेडलिस्ट ,बड़ी कंपनी में कार्यरत थे,अब उन्हें देवी की सिद्धि मिल गयी है और वे आपसे बातकर के आपका भविष्य
बतादेतेहैं..
सुनकर हंसी भीआई..अब नाडीशास्त्रवाले पंडितजी से जो अनुभव मिला तो किसी पर यकीन नहीं आता..मैंने कहा मुझे भविष्य नहीं मालूम करना ..जो होना है वो तो होगा ही..दो ही बातें हो सकती हैं या अच्छी या बुरी.
वो पहली बार दुबई आये थे उनकी भी खूब चाँदी हुई,बहुत लोग उनसे मिले.
अनिश्चितता किस हद्द तक घेरे है और एक उदाहरण हाल ही में यहाँ एक छोटा सा इंडिया मेला लगा था वहाँ भी एक स्टाल में एक ज्योतिष जी को बिठाया गया था ..
मानो या न मानो ,
सब से अधिक भीड़ वहीँ दिखी.
ईमानदारी से कहूँ तो शायद अब भी हम सब को तलाश है किसी अच्छे ज्योतिषी की !
कारण यही है कि लगभग सभी अनिश्चित हैं अपने कल के लिए!
जैसे न घर के रह गए हैं न घाट के!
इसी अनिश्चितता का दूसरा पहलू .........
जो भी खाड़ी देशों में आता है उसका उद्देश्य और आगे जाना होता है ,
वापस भारत अपनी मर्ज़ी से बिरले ही जाते हैं ....
प्रश्न यह किस देश में जाएँ? जहाँ सही ठहराव मिले?
बेहतर विकल्प भी.
यहाँ कोई लन्दन कोई ऑस्ट्रेलिया तो कोई अमेरिका ,
न्यूजीलैंड या कनाडा जाने के लिए कागज़ भरता है .
हम भी इस अनिश्चितता सेअछूते नहीं हैं .
हमने भी कनाडा के लिए वीसा apply
किया था ..[
अब खुशकिस्मती या बुरीकिस्मत ]
वीसा मिल गया,
२००८ में वहाँ गए ..
कोई दोस्त नहीं ,रिश्तेदार नहीं ...
अनजाने मुल्कमें .
अंतर्जाल ने बहुत सहारा दिया .
लेपटोप साथ रहा .
नेट पर सभी जानकारी मिलती रही .
ऑनलाइन बुकिंग घर की ,
टूर की ..
सबकुछ ...
जाकर घूमकर आगए .....
और परिवार को वहाँ की Permanent Residency भी मिल गयी
है.........
अब इसे बनाये रखने के लिए वहाँ के रहिवासी कानून के अनुसार पांचसाल में 730
दिनरहनाज़रूरीहै!
२ सालगुज़रगए ..
पेंडुलम की तरह अब फिर झूलने लगेहैं कि जाएँ या न जाएँ?
कभी -कभी जीवन में निर्णय लेने कितने कठीन हो जाते हैं अब समझ आ रहा है.
कनाडा जाने का अर्थहै सबकुछ फिर से शुरू करना......
वहाँ के हालात यहाँ से बहुत अलग हैं.
मौसम की बात करें या फिर सुख -सुविधाओं की ...
वहाँ गए थे जो भी अपनी भाषा या कहिये कि एशिया का मिला उससे पूछताछ करते रहे.
मिली जुली प्रतिक्रियाएं मिलीं मगर अधिकतर वहाँ के निवासी यही कहते कि बच्चों के लिए केनाडा आ रहे हो तो मत आओ.
अब अगर जाते नहीं तो ''पी आर ''
कैंसल हो जायेगा..
जिन मित्रों को वीसा नहीं मिल पाया वो जाने के पक्ष में कहते हैं और
हमारे वहाँ शिफ्ट न होने को बहुत बड़ा ग़लत निर्णय बता रहे हैं.
जिन्हें हमारी तरह residency
मिलचुकी है और हमारी तरह यहीं हैं ,
वे गोलमोल जवाब देतेहैं.
कहते हैं भारत तो अपना ही है कभी भी वापस चले जाना .
अब चले ही जाओ !
भारत जाते हैं तो सब को देख कर ऐसा लगता है ...
किसी के पास समय नहीं है,
सब की अपनी दुनिया बस चुकी है,
बहुत आगे निकल गए हैं परन्तु हम आज भी वक़्त के पुराने काँटों में रुके हुए हैं!
'
देश'
छुट्टियों में जाते हैं तो पहले कुछ दिन तक अडोस पड़ोस के लोग पूछते हैं '
कब आये?'
कितने दिन हो?
इंडिया वापस नहीं आना क्या?
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१०-
१५ दिन गुज़रते ही उन्हीं लोगों का सवाल होता है '
कब की वापसी है?
कनाडा कब जा रहे हो?
इंडिया आकर जाओगे या वहीँ दुबई से चले जाओगे ?
जिस का दिल न हो ..
उसे भी लगेगा जैसे अब तो जाना ही पड़ेगा...
क्योंकि अब सच में ही लगने लगा है कि 'एन आर आई' का अर्थ है--
Not Required Indians !
बड़ी उलझन है......
जाएँ तो कहाँ जाएँ और भागें भी तो कब तक और कहाँ तक?
इन सब बातों को भूल कर सुनाती हूँ एक गीत जो हर बेटी के लिए उनकी माँ गाती होंगी.
'
मेरे घर आई एक नन्हीं परी,
चांदनी के हसीन रथ पे सवार '
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