स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

January 11, 2010

'फसाना-ए-शब-ए-ग़म'


'फसाना-ए-शब-ए-ग़म'
----------------------
जुर्म   -ए-तमन्ना की सज़ा

यूँ मिला करती है मुझे ,

खिंचती हैं रंगे पलकों की,

जब दर्द कफस में अंगड़ाईयाँ लेता है,

सर्द आहों में दम तोड़ती हैं उम्मीदें,

नक्श ज़हन में उभरने लगते हैं,

परत दर परत उघड़ती हैं सब यादें,

होने लगती है...

मेरे सब्र की आज़माईश!

बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
पर पशेमान से
सुबक़ते हैं
और
आँखों में ही सो जाते हैं!

मशवरे देती है सबा..
की यूँ बेज़ार ना हो,
आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
अब तो चैन आएगा!
--------------

[लिखित -अल्पना वर्मा],[चित्र साभार-श्री देव प्रकाश जी]
कुछ उर्दू शब्दों के अर्थ
फसाना=कहानी, शब=रात,कफस=पिंजरा,पशेमान=शर्मिंदा ,सबा=हवा,कज़ा=मौत



एक ग़ज़ल
--------



फिल्म-शगुन,गीत -साहिर लुधियानवी,संगीतकार -ख़ैयाम,
मूल गायिका -जगजीत कौर,picturised on Nivedita
'तुम अपना रंजोग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो,
तुम्हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो'
[कवर वर्षन- स्वर--अल्पना]
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64 comments:

  1. खूबसूरत कविता और अंदाजे बया ,सुमधुर गीत भी -शुक्रिया ! कुछ उर्दू शब्दों की हिन्दी भी दे दें तो बहुतों का भला हो जायेगा ! मुझे ही कुछ शब्दों को लेकर अक्सर अर्थ का अनर्थ जैसा भ्रम हो जाता है और कविता की सहज प्रवाहमयी समझ बाधित हो जाती है .

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  2. मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,

    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!


    -आह!! वाह...बहुत सुन्दर और अन्त में जो गज़ल लगा दी...क्या कहने!!

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  3. आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!
    " चैन मिले न मिले और मिले भी तो कजा की आगोश में , बेहतरीन इन पंक्तियों में एक कशिश है...कई बार पढ़ते रहे...."

    regards

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  4. ""सर्द आहों में दम तोड़ती हैं उम्मीदें,
    नक्श ज़हन में उभरने लगते हैं,
    परत दर परत उघड़ती हैं सब यादें,
    होने लगती है...
    मेरे सब्र की आज़माईश!
    बह जाएँ अश्क
    तो कुछ सुकून मिले,""
    गहन भावों से घनीभूत लाइनें ,बेहद उम्दा,बेहद खूबसूरत.

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  5. Bahut hi sundar rachna. Padkar accha laga.

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  6. मुझे दोनों बहुत अच्छे लगे आपकी लेखनी और आपकी आवाज.

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  7. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!


    सुंदरतम रचना, उर्दू शब्दों के मायने लगा कर इसका अर्थ सभी के लिये समझना आसान होगया है जिससे रचना की खूबसूरती और बढ गई है.

    गीत बेहद कर्णप्रिय और मधुर है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  8. सुंदर अभिव्यक्ति के साथ ...बहुत सुंदर रचना....

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  9. खिंचती हैं रंगे पलकों की,
    जब दर्द कफस में अंगड़ाईयाँ लेता है,

    वाह! बेहतरीन

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  10. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  11. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं...

    उमड़ते हुवे जज्बातों की बेहतरीन दास्तान ........... लफ़्ज़ों को हगरे एहसास में पिरोया है आपने ....... सच है शब-ए-गम में अश्क बह नही पाते और जब दर्द की इंतेहा हो जाती है कज़ा के बाद ही चैन आता है ........... बहुत ही बेहतरीन नज़म ......
    आपकी गायी हुई ग़ज़ल भी कमाल की है ......

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  12. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!
    मेम बहुत सुंदर लिखा है...
    यह गीत मुझे बहुत पसंद है...
    क्या आप बता सकती हैं जिस पर यह फिल्माया गया है वह कलाकार कौन है...
    मीत

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  13. अल्पना जी
    रचना तो निसंदेह अच्छी है
    लेकिन आपकी आवाज़ तो बहुत अच्छी है
    शुक्रिया कुबूल करें

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  14. मेम यह लिंक चेक कीजिये

    http://www.archive.org/details/TumApnaRanjoGhamByAlpana


    मीत

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  15. मेम एक बात और आपकी आवाज में तो यह गीत मैंने डाउनलोड कर लिया क्या आप मुझे इसका वास्तविक एम् पी३ (जगजीत कौर की आवाज वाला) भेज सकती हैं...
    अगर हाँ तो भेज दीजिये न...

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  16. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!
    .......kya baat hai !
    tum apna ranzo gum apni pareshani mujhe de do

    ReplyDelete
  17. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!
    .......kya baat hai !
    tum apna ranzo gum apni pareshani mujhe de do

    ReplyDelete
  18. मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,
    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!
    बहुत खूब. और आपकी आवाज़ में ये गज़ल, सुभानल्लाह.

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  19. BAS......WAAH....WAAH....AUR WAAH....

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  20. @Arvind ji,urdu Shbdon ke arth de diye gaye hain.
    Shukriya is sujhhav ke liye.
    ...........................
    @Meet,aap ne jo jaankari chahi hai us ke saath Song details update kar diya hai.
    -Archive site ka link hi is player code mein lagaya hai.:)
    Abhaar.

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  21. बहुत बढ़िया प्रस्तुती एक एक शब्द एक एक पंक्ति मुखर हो उठी है आपकी कलम का साथ पा कर

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  22. bahut sunder rachna alpna ji behatrin barambar badhayi maaf karna english me likhna pad raha hai jald hi hindi me chalu hote hi apne pyare blogjagat me wapas lautunga aap sabhi ka aashirwad aur pyar ki darkar

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  23. mujhe esa lagtaa he ki- मेरे सब्र की आज़माईश!
    yahi to vo mool tatv he jisake kaaran itani behatreen rachna banaai gai.yaa yah bhi kah saktaa hoo, isi ek baat ne marm ki peedaa ko darshayaa he. bahut khoob rachna he.

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  24. परत दर परत उघड़ती हैं सब यादें,

    होने लगती है...

    मेरे सब्र की आज़माईश!....बेहद बेहतरीन लिखा है ..एहसासों को लफ़्ज़ों का जामा पहना दिया है ...

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  25. शीर्षक के अनुसार गम की "रात " का जिक्र नही आ पाया है और आपकी आखिरी चार लाइनों पर बहुत पुराना शेर याद आया ""यू तो घबराके वो कह देते है कि मर जायेंगे /मर कर भी चैन न पाया तो कहां जायेगे ? ""उक्त शेर मे जो भी कहा गया हो ,मगर हवा के माध्यम से आपने जो संदेश देना चाहा है ,हकीकत यही है कि मौत की आगोश मे ही चैन मिलता है ।

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  26. @ Respected Brij Sir,
    ग़म के स्याह अंधेरो में डूबे व्यक्ति के लिए दिन भी 'ना ख़तम होने वाली रात 'ही है..यही सोच कर यह शीर्षक रखा था..
    एक और शीर्षक सोचा था...'राह-ए -फ़ना की ओर'..फिर यह 'फसाना-ए-शब-ए-ग़म'
    ज़्यादा सटीक लगा..

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  27. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    वाह वाह...अब ऐसी कमाल की रचना के लिए सिवा वाह वाह के और क्या कहूँ ...और आपने तुम अपना रंजो गम सुना कर मन विभोर कर दिया...
    नीरज

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  28. रचना बेहद खुबसूरत बेहद ....और निचे आकर और मजा आगया
    आपकी खुबसूरत आवाज़ में आपको सुनना ... तुम अपना ...

    बधाई कुबुलें...

    अर्श

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  29. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,
    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!

    YADON KE ZAKHM JISKE PAS HAIN WO YAHI TO KAHEGA , BAHUT SHAANDAAR ABHIVYAKTI HAI ALPANA JI, GEET SUNTA HUN. BADHAAI.

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  30. बाद मुद्दत के आपकी एंट्री बहुत अद्भुत हुई है. गीत मेरी पसंद का है और हमेशा रहेगा. आप जो लिखती हैं वो सबसे हट के होता है, कहिये किस बात की तारीफ की जाये ?

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  31. जब दर्द कफस में अंगड़ाईयाँ लेता है,
    सर्द आहों में दम तोड़ती हैं उम्मीदें,
    नक्श ज़हन में उभरने लगते हैं,
    परत दर परत उघड़ती हैं सब यादें,


    ओये होए ......!!

    अल्पना जी इस बार तो गज़ब ढाया है ......!!

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  32. आपकी यह रचना बहुत अच्‍छी लगी । पहले तो समझ मे न आया । पर नीचे लिखे अर्थ के होने से समझ में आ गया । आपका आभार एवं शुभकामनाएं ।

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  33. एक बहुत सुंदर रचना जो अपने में अनेक भाव समेटे हुए है । रचना हेतु बधाई ।

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  34. बहुत बढिया लगी ये रचना......साथ में उर्दू शब्दों के दिए अर्थ के कारण भाव अच्छे से समझ में आ गए...
    गीत भी बेहद कर्णप्रिय लगा.......
    आभार्!

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  35. वाकई में इस बार की गज़ल बडी गहराई लिये हुए है.

    बस यही कहा जा सकता है कि सब्र ही एक मात्र रास्ता है.

    आपका गीत हमेशा की तरह बढियां रहा. इन अलग सी आवाज़ों पर आपकी आवाज़ सूट भी करती है. अब भावों का भी प्रादुर्भाव हो गया है, जो गज़ल की रूह को छू ले जाती है.

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  36. अल्पना जी, आदाब.
    जब दर्द कफस में अंगड़ाईयाँ लेता है,
    सर्द आहों में दम तोड़ती हैं उम्मीदें,
    खूबसूरत नज्म की यादगार पंक्ति है..
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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  37. बेहद दिलकश नज़्म..अपने साथ बहाती से ले जाती है किसी अनजान किनारे पर..जुर्मे-तमन्ना की यह नाउम्मीदी ही सबसे बड़ी सज़ा होती है..और अश्कों का थक कर आँखों मे ही सो जाना....क्या कहूँ!!!!!

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  38. अल्पना जी, ताऊ रामपुरिया की पहेलियों पर आपके द्वारा प्रदत्त सारगर्भित जानकारियों से प्रभावित होकर आपका भारत दर्शन ब्लोग देखा और यकीन मनिये नेट पर समय बिताना सफ़ल हो गया। घर बैठे-बैठे अपने देश की जानकारी इतने रोचक ढंग से प्राप्त हुई कि सच में अभिभूत हूं। कभी-कभी लगता है कि कुछ लोग असाधारण रूप से प्रतिभासंपन्न हैं और आप उनमें से एक हैं। आप बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। कामना है आप इसी ऊर्जा से अपना काम करती रहें।

    ReplyDelete
  39. बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद

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  40. कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।

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  41. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!
    बहुत बढिया लगी ये रचना.

    ReplyDelete
  42. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    अति सुन्दर !

    ReplyDelete
  43. आपके स्वरों में कुछ बात है।
    और हाँ. इतनी क्लिष्ट उर्दू, आजकल सीख रही हैं क्या?
    --------
    अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
    ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।

    ReplyDelete
  44. आपके ब्लोग पर आकर दो दो चीजें मिल जाती है एक बढिया सुन्दर रचना और एक प्यारा गीत आपकी आवाज में। और आपकी पोस्ट लगते ही दोडे चले आते है वैसे आजकल देरी हो रही है। हमेशा की तरह आज की पोस्ट भी पसंद आई।
    बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    बहुत खूब। वैसे ये सच है कि रोने से सुकून तो मिलता ही।

    ReplyDelete
  45. jab bhi dil pareshaan hota hai... kya kahun kambakht aankh humesha nam hota hai... rona to achhi baat hai... mann ki aur tan ki dono gandgi bahar nikal jati hai... adbhutaas rachna...

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  46. Bahut hi sundar rachna . Shubhkamnay

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  47. बस खामोश कर दिया आपने.

    अश्क पशेमाँ है
    बह जाए तो कुछ सुकून मिले,
    सुबक़ते हैं पर
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,
    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!

    ReplyDelete
  48. "तुम अपना रंजोग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो,.."

    क्या खूब संगीतमय स्वर बाँधा है...

    - सुलभ

    ReplyDelete
  49. बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,
    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!


    arse baad is mood me najar aayi......albatta is mood me kuch aor der rahe to behtar ho.....

    ReplyDelete
  50. bahut sundar alpna ji.....

    ReplyDelete
  51. बहुत बढ़िया प्रस्तुती एक एक शब्द एक एक पंक्ति मुखर हो उठी है आपकी कलम का साथ पा कर

    ReplyDelete
  52. aapki pur-kashish aawaaz mei
    bahut hi khoobsurat geet sun`ne ko milaa....its one of my favourites..
    thanks .
    nazm mei mn ke khayaalaat
    khud ubhar rahe haiN..
    padhne se sukoon miltaa hai.

    ReplyDelete
  53. किसे बहुत सुन्दर कहें आपकी रचना या यह ग़ज़ल!
    शुक्रिया अल्पना जी...
    तुम अपना रंजोग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो,
    तुम्‍हें ग़म की क़सम इस दिल की वीरानी मुझे दे दो'

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  54. होने लगती है...

    मेरे सब्र की आज़माईश!

    बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और
    आँखों में ही सो जाते हैं!

    bahut khoobsurat nazm

    ReplyDelete
  55. ख्‍यालों का बहुत ही खूबसूरत प्रवाह देखने को मि‍ला, बेहतर रचना के लि‍ये बधाई स्‍वीकारें।

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  56. गज़ब की कशिश लिए बेहतरीन नज़्म .......और जगजीत कौर की आवाज़ को हूबहू ढाल दिया आपने अपने गाने में .

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  57. मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,

    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!
    waah kya baat hai ,is baar andaaj kuchh naye hi hai ,kafi pasand aayi dono cheeje .

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  58. विलंब से आ रहा हूँ मैम.....इस खूबसूरत नज़्म से वंचित ही रह जाता

    "बह जाएँ अश्क तो कुछ सुकून मिले,
    पर पशेमान से सुबक़ते हैं
    और आँखों में ही सो जाते हैं"

    ...बहुत सुंदर पंक्तियाँ!

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  59. मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,
    ये तो आशा से भरपूर है पर
    कज़ा के आगोश में चैन आ भी जाये तो क्या । चैन तो अभी चाहिये Right now in cash !

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  60. मशवरे देती है सबा..
    की यूँ बेज़ार ना हो,
    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!
    Aah ! Kis qadar dard samete hue hai yah rachana!

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  61. Anonymous1/26/2010

    बहुत देर से आया लेकिन शुक्र है आ गया और 'फसाना-ए-शब-ए-ग़म' को पढ़ लिया
    "जब दर्द कफस में अंगड़ाईयाँ लेता है,
    सर्द आहों में दम तोड़ती हैं उम्मीदें,"
    ...
    आगोश में तुझको ,कज़ा के ही
    अब तो चैन आएगा!
    किस की तारीफ़ करू किसको छोडू? वाह वाह - लाजवाब.

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  62. बहुत सुन्दर ।

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  63. बस इतना कहूंगा कि पढ़ने के बाद भीतर कुछ हलचल हुई है।

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना