स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

July 7, 2013

चित्र और त्रिवेणी

कभी -कभी कुछ चित्रों को देखकर अभिव्यक्ति शब्द बुनने लगती है,ऐसे ही कुछ शब्द त्रिवेणी बनकर इन चित्रों के लिए उभर आए हैं। ये चित्र श्री सुब्रमनियम जी के बाग़ के हैं उन्हीं के द्वारा खींचे हुए हैं, मैंने इनके पिक्सल कम करके यहाँ लगाए हैं। इनके मूल आकार उनके फेसबुक अल्बम में देख सकते हैं।

-१-
रात के  आँसू पत्तों पर चमकते  मोती ,
सुबह होते ही ओस फ़ना हो जाती है,

झूठ है कि सूरज सबको जीवन देता है।
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..............................................................................................

-२-
इन्द्रधनुष बिखेरता रहा  रंग अपने,
आसमां  नीला ,पत्ते हरे  और  श्वेत पुष्प बिन आस ,

सुनो ! सफ़ेद में सब रंग शुमार होते हैं।
------अल्पना ------------
..............................................................................................

-३-
गुफ्तगू करता ,फ़ूल  खिलता- मुस्कुराता है,
हवा चली ,झूल गयी  डाल और उड़ गया भंवरा,

एक  भंवरे का मकसद तो पराग पाना भर है। 
-------अल्पना ---------
..............................................................................................


31 comments:

  1. बहुत खूब! क्या बात है~!

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  2. सुन्दर फूल। और अत्यंत सुन्दर त्रिवेणियाँ।

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  3. वाह, शब्द और चित्र का सशक्त संयोजन..

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  4. शब्द और चित्र दोनों ही एक दूसरे के पूरक .....झूठ कि सूरज सबको जीवन देता है ...बेहतरीन त्रिवेणी ।

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  5. सूरज का सौतेलापन, सफेद फूल की उदारता, फूल से भंवरे का विश्‍वासघात........प्‍यार से उकेरा गया सब कुछ।

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  6. It is so beautiful ,really written well . Keep writing .

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  7. बहुत बढ़िया

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  8. चित्र को देखकर भाव का पैदा होना एक नैसर्गिक प्रतिभा है.

    तीनों ही त्रिवेणी अपने आप में अद्वितीय हैं. बहुत ही खूबसूरत भाव और वो भी सटीकता के साथ, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  9. वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब भावपूर्ण प्रस्तुति,,

    RECENT POST: गुजारिश,

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  10. बहुत सुंदर रचना
    तीनों एक से बढ़कर एक


    (जी वैसे आप बहुत दिनों बाद दिखाई दीं )

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  11. बढ़िया वर्णन और चित्रण ..

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  12. रात के आँसू पत्तों पर चमकते मोती ,
    सुबह होते ही ओस फ़ना हो जाती है,

    झूठ है कि सूरज सबको जीवन देता है।
    -
    -

    तीनों ही त्रिवेणी अर्थपूर्ण और बहुत लाजवाब हैं
    सुन्दर सृजन

    बधाई / आभार

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  13. ब्लॉग पर आइए....घर के पीछे या आगे ..किसी गांव के मोड़ पर..या किसी मंदिर के प्रांगन में...या शहर के किसी पार्क में....गली के किसी नुक्कड़ पर...मन्नतों के धागे से बंधे पीपल के पत्तों पर ठहरी हुई बूंदों मिलेंगी और देश की खूशबू आपको देगी...

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  14. झूठ कि सूरज सबको जीवन देता है ...शब्द और चित्र दोनों ही एक दूसरे को मात देरहे हैं ..खुबसूरत प्रस्तुति..

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  15. बहुत खूब ... भँवरे का मकसद तो पराग ही है ... जैसे सूरज का मतलब ऊर्जा देना है फिर चाहे आंसू रहे या ओस उड़ जाए ...
    सभी त्रिवेनियाँ कमाल का अर्थ समेटे ...

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  16. त्रिवेणी में डुबकी लगाना अच्छा लगा
    प्रकृति के ये रूप बड़े निराले होते हैं
    साभार

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  17. बहुत बढ़िया

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  18. बहुत खूब बन पड़ी चित्र और उसकी अभिव्यक्ति ...

    क्या भंवरे का परागपान, फूलों के रस कि सार्थकता

    सिद्ध करने का कारण नहीं बन जाती है ?

    आभार---

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    1. @नहीं Einstein जी .मैं नहीं मानती.स्वार्थ पूर्ति के लिए किसी का उपयोग उसके गुण की सार्थकता हुई क्या?
      आप का कथन तो कुछ ऐसा ही हुआ जैसे कि किसी रूपसी के शोषण को आप उसके रूप की सार्थकता कह दें.

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    2. माफ़ करें अल्पना जी मेरा ये अर्थ तो कदापि नहीं था।
      मेरा आशय ये था कि जब मधुमक्खियाँ फूलों का रस पान
      करती है तो उस रस को स्वादिष्ट मधु के रूप में हमें प्रदान
      करती है । क्या मधुमक्खियाँ फूलों का शोषण करती है ?
      क्या फूलों के रस का मधु में परिवर्तित हो जाना उसके सार्थकता
      को सिद्ध नहीं करती है ? यदि आपके पास समय हो तो मेरे विचारों
      की दुनियाँ में आपका स्वागत है @ http://einsteinkunwar.blogspot.in/2009/04/blog-post_8201.html

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  19. आदरणीया सादर अभिवादन
    एक चित्र सैकड़ों संभावनाओं कों व्यक्त करता हैं |
    उम्दा लेखन |
    मनभावन संयोजन |

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  20. आदरणीया
    अति सुंदर शब्द संयोजन,
    मनभावन चित्र
    डॉ अजय

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  21. निसंदेह साधुवाद योग्य लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई

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  22. Anonymous7/25/2013

    बहुत सुंदर रचना

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  23. Anonymous7/25/2013

    बहुत बढ़िया

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  24. सुन्दर अति सुन्दर...
    :-)

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  25. behatreen abhivyakti...

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  26. very nice 'triveni'...........please keep writing & bless readers like me with your fantastic writing work

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना