एमिरात में तापमान ५० से ऊपर पहुँच गया है.कल के अखबार में हमारे शहर में ५१ डिग्री तापमान बताया गया है।
घर के बाहर निकल कर ज़रा देर को आप छाया में ही खड़े हो जाए तो पहने हुए कपड़े तक एकदम गरम हो जाते हैं।
रात ९ बजे भी फर्श गरम रहता है और नल का पानी गुनगुना।
ए.सी.१८ [न्यूनतम] डिग्री पर रखे हुए हैं फिर भी कमरे ठंडे नहीं हो रहे.न जाने आगे -आगे कैसा हाल हो?
Picture by Mr.Jatinder Singh |
बुधवार से यहाँ रमदान [रमजान] शुरू हो गया है।
इस रविवार से स्कूल भी बंद हो गए हैं। अच्छा है इस बार छुट्टियों में रमदान का महीना पड़ा है।
उपवास करने वाले स्कूली बच्चे घर के भीतर तो रहेंगे,वैसे भी यह महीना तो एक त्योहार सा ही होता है। ऑफिस के दो घंटे कम हो जाते हैं तो कामकाजी घर पर अधिक समय दे सकते हैं।
आजकल सड़कें खाली हैं,बाज़ार में भी पहले जैसी गहमा -गहमी नहीं है।
आस -पास अधिक सन्नाटा है क्योंकि अधिकतर बच्चों वाले परिवार छुट्टियों में अपने मुल्क चले गए हैं।
सारा दिन रेस्टौरेंट ,खाने-पीने की जगह बंद होती हैं। रात को मार्केट में सुबह ३ बजे तक चहल पहल दिखाई देती है। मुझे तो यह महीना बहुत अच्छा लगता है । वही रात की रौनक और दिन की ख़ामोशी एक महीने के लिए लौट आयी है।
शाम को उपवास खोलने से पहले मुस्लिम घरों में खाने-पीने की चीज़ों का आदान-प्रदान होता है। बच्चे प्लेट/डिब्बे एक दूसरे के घर ले जाते हुए दिखते हैं।
जगह-जगह शामियाने लगे होते हैं जहाँ पूरे महीने शाम का खाना मुफ्त दिया जाता है।
पैलेस के बाहर लगी लंबी लाईनें जिनमें नियत समय पर केसेरोल लिए लोग बैठे रहते हैं।
पेट्रोल पम्प पर अगर आप इफ़्तार से पहले या उसी समय पहुँचते हैं तो खजूर और पानी का पैकेट मिलता है। सारा महीना लोग ईद के लिए इतनी खरीदारी करते दिखते हैं कि सुबह तक दुकानों में भीड़भाड़ दिखाई देती हैं। वही रात की रौनक और दिन की ख़ामोशी एक महीने के लिए लौट आयी है। चेरिटी का सब से अधिक काम भी इन्हीं दिनों में होता है।
उपवास के इस समय बढ़ता तापमान सभी के लिए अवश्य एक चुनौती है।
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बाहर रखा मेरा मनीप्लांट का पौधा छाया में रखे भी कितना झुलस गया है । दो दिन से भीतर रखा फिर भी पहले जैसा हरा नहीं हो रहा !
एक कबूतर पिछले ढाई साल से रोज़ हमारे घर के इस छज्जे पर इसी जगह बैठा करता था । पूरे इलाके में यही एक अकेला सफ़ेद कबूतर था। एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ कि मैंने इसे यहाँ बैठा न देखा हो लेकिन अब तीन दिन हुए वो यहाँ कहीं दिखाई नहीं दे रहा । डर है कि कहीं इस जलती गरमी ने उसके प्राण न ले लिये हों! :(
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चलते -चलते ,अच्छी खबर यह है कि आग उगलते सूर्य की ऊर्जा का पूरा उपयोग करने के लिए एमिरात के शहर अबूधाबी में बिजली बनाने हेतु ६०० मिलियन डॉलर की लागत से दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट लगाया जा रहा है जो २०२० तक काम करना शुरू कर देगा ।
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (11-07-2013) को चर्चा - 1303 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ये सोलर इनर्जी का प्लांट हर जगह लगना चाहिये जहां संभव हो।
ReplyDeleteरमजान मुबारक हो!
51 डिग्री सुन कर ही कलेजा मुह को आ रहा है. कबूतरों को तो गर्मी पसंद होगी. लगता है उसे कोई साथी मिल गया.
ReplyDeleteइतना ज्यादा तापमान , वाकई मुश्किल होता होता व्रतियों के लिए !
ReplyDeleteबहुत कुछ नया भी जाना इस लेख के माध्यम से !
इतने अधिक तापमान पर दिन कैसे कटता होगा, कल्पना करने में ही पसीने आ जाते हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअब तो मनीप्लांट बारिश में खूब बढेगा ...
हमारी बिल्डिंग में तो कबूतरों की खूब आवाजाही रहती है ..छोटे बच्चे तो उन्हें देखने के लिए जब तक अपनी दौड़ लगवा लेते हैं
बारिशें कहाँ होती हैं यहाँ कविता जी..गर्मी ही कम हो जाए बस.
Deleteइतना अधिक तापमान वाकई कितना परेशान करता होगा यह सोचकर ही कलेजा मुंह को आता है. फ़िर भी आपके वहां बिजली की समस्या नही होगी तो एसी से थोडा बहुत तो आराम मिलता ही होगा.
ReplyDeleteवैसे 51 डिग्री में एसी भी क्या खाक काम करेगा? हमारे यहां तो 44 डिग्री के ऊपर तापमान होते ही एसी भी जयराम जी की बोल देता है.
रामराम.
@सही कहा ..घर के भीतर रहें तो कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन रसोई में सब के यहाँ ए सी नहीं होता खाने का काम तो करना ही पड़ता है...और दूसरे जैसे ही घर से बाहर निकले बस..अपने पिछले किये पाप-पुण्य सब याद आ जाते हैं.१०० किलोमीटर चलना पड़े तो लगता है भट्टी में से गुज़र रहे हों.ए सी हाँफ जाता है बेचारा!
Deleteरमजान का यह खाने पीने की चीजों का बिना किसी भेदभाव किये जाने वाला कंसेप्ट एक बढिया उदाहरण है. हमारे यहां दिपावली पर तो सिर्फ़ ढोंग ही होता है या किसी अफ़सर वगैरह से काम निकालने के लिये सहुलियत से रिश्वत दी जाने का बहाना है.
ReplyDeleteरामराम.
कबूतर की चिंता मत किजीये वो लौट आयेगा. कहते हैं कि कबूतर अपनी जगह नही छोडता. राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में पारा 50 डिग्री तक पहूंचता है पर कबूतर वहां यथावत मौजूद हैं.
ReplyDeleteहो सकता है सफ़ेद कबूतर किसी घनी छाया वाली जगह पर चला गया होगा.
एक ही पोस्ट में आपने इतनी सारी जानकारी दे दी है कि वहां का संपूर्ण हालचाल मालूम पड गया है. शुभकामनाएं.
रामराम.
..लगता नहीं कहीं और गया होगा.खैर..प्रतीक्षा रहेगी
Deleteगर्मी की मार तो जबर्दत है आजकल ... इन्सान तो फिर भी ए सी का सहारा ले लेता है बेचारे मूक पंछियों की शामत आ जाती है ...
ReplyDeleteकबूरत लौट आएगा जल्दी ही ...
कबूतर को लगती गरमी पर आपकी चिन्ता और किचेन में खाना बनाते हुए आपको लगती गरमी पर ब्लॉगरों की चिन्ता विचारणीय है। आशा करता हूँ कि शीघ्र तापमान कम हो और आप राहत पाएं।
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको जल्द आपका माहौल ठंडा हो ..
ReplyDelete:)
चिन्ता विचारणीय
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
अत्यधिक गर्मी हो या सर्दी -- दोनों परेशान करते हैं। फिर भी हमें तो सर्दी ज्यादा अच्छी लगती है , कम से कम कपडे पहन कर बचाव तो हो जाता है।
ReplyDelete51 डिग्री तापमान .... गजब ही गर्मी पड़ती होगी .... रमदान के विषय में अच्छी जानकारी दी है .... बढ़िया जानकारी युक्त पोस्ट
ReplyDeleteसर्दी हो या गर्मी कुछ भी अति अच्छी नही होती है..
ReplyDeletebahut achchi vastu sthiti se parichay karaya .........kabootar akela hi baithta tha na ....sathi ke sath ud gya hoga ......akelapn kisi jeev ko pasand nahi .
ReplyDeleteagr aisa hai to koi baat nahin .
Deleteरोचक है आपकी ये प्रस्तुति।।
ReplyDeleteबाप रे! बहरहाल रमजान मुबारक !
ReplyDeleteज्यादा सर्दी और गर्मी दोनों कष्ट दायक होते है,उस पर ५१ डिग्री पारा
ReplyDeleteबापरे,,,,
बाप रे 50dg........
ReplyDeleteहमारा शहर तो रिमझिम फुहार से भीगा हुआ है.
मगर फ़िक्र न करें...मौसम बदलते रहते हैं...
आपका कबूतर लौट आये ये दुआ है मेरी....
अनु
भाग कर भारत आ जाइए :-)
ReplyDeleteIn Dubai also its almost 52... बहुत गमेी है :( ...
ReplyDelete@Himanshu ,Actually Media mei agar 51 bataya gya hai to 3 plus kar den..wahi sahi temperature hota hai..:)..Dubai mei al ain se Km rahti hai..haan wahan humidity maarti hai.
Deletewakayee is baar UAE mei sab ka garami se bura haal hai.
यहाँ तो गर्मी कम है पर मीडिया बताता है की लोग अंदर से उबल रहे है ,पता नहीं कौन सी गर्मी है ..........अछि प्रस्तुति।।
ReplyDeleteयहाँ मुंबई में लगातार बारिश हो रही है दो दिनों से
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़कर थोड़ी गर्मी का एहसास हुआ :-)
४५ - ४६ डिग्री तक तो चलता है मगर ५० से ऊपर बहुत है
रमजान में तो माहौल वाकई खुशनुमा रहता है
कामना करता हूँ कि कबूतर लौट आए जल्दी
साभार!
अति किसी भी चीज की ठीक नहीँ, फिर भी प्रकृति की बात तो माननी ही पड़ेगी । बहुत सुन्दर प्रस्तुति । बधाई
ReplyDeletekhuda kare para aur gir jaye jisse rozedaron ko taqlif na ho.
ReplyDeleteपढना बहुत आनंद दायक अनुभव रहा
ReplyDeleteरमदान का सुरूचिपूर्ण वर्णन!! भीषण गर्मी में उष्माभरा अहसास
ReplyDeleteआपने ठीक ही लिखा है। सब जगह Temprature बदलता रहता है। मैं पिछले दो महीने से लन्दन में हूँ।
ReplyDeleteआप को सुन कर हैरानगी होगी कि ऐसे ठन्डे देश में भी हर घर में पंखे चलते दिखाई देते हैं।
पर अभी यहाँ यदा कदा बारिश मौसम बदलती रहती है।
पर जब भारत से ई-मेल आता है तो पता चलता है कि वहाँ कितनी सख्त गर्मी पड़ रही है।
यह सब देख कर पता चलता है प्रकृति भी मानव व्दारा की गयी उथल पुथल से तंग आगयी है।
आप ने अच्छा लिखा है।
विन्नी,
good one
ReplyDeletesundar prastuti
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