स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India
'वन्दे भारत मिशन' के तहत स्वदेश वापसी Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...
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bahut gehre bhav kehti sundar kavita,thode shabdon mein bahut kuch keh gayi,badhai
ReplyDeleteचन्द लफ्जों में समां लिया आपने सागर, धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है अल्पना आपने .थोड़े से लफ्जों में गहरी बात कह दी है ..
ReplyDeleteमन के समंदर में उठती लहरें
ReplyDeleteकई नाम है जो नाव की तरह
लहराते निकल जाते हैं
जिसका किनारा आ गया
वह साथ छोड़कर चला गया
वह लहरें भी रूप बदल देती
जिनके साथ वह खेल जाते हैं
एक लहर आती, एक नाव ले आती
उसके रुखसत होने के पहले ही
दूसरी उठती नजर आती
हर किसी का मन है समंदर
सबकी अलग अलग कहानी हैं
कुछ लहरों के साथ ही बहते
तो कुछ दृष्टा बनकर
लहर और नाव का खेल देखते जाते हैं
मन के समंदर में तैरते हैं बस नाम
हाथ में तो सबके किरकिरी नजर आती है
...................................
आपकी इस कविता पर मुझे कुछ इस तरह शब्द सूझे। बहुत बढिया कविता है आपकी
दीपक भारतदीप
अद्भुत!
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
बधाई.
अद्भुत!
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
बधाई.
hi i never had a doubt on you and you are amazing...but write something romantic.
ReplyDeleteबधाई.
ReplyDeleteभावनाओं से भरे जज्बात। बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता है। बधाई।
ReplyDeletealpana jee,
ReplyDeletesaadar abhivaadan. samundar jitnee gahree baat keh daalee aapnee wo bhee mahaj chand panktiyon mein.
अल्पना जी,
ReplyDeleteसुन्दर और गहरी क्षणिका है।
***राजीव रंजन प्रसाद
अच्छा ख़याल और कहन है आपकी.
ReplyDeleteहिन्दी मुक्त छंद की यह बात नज़्म का लुत्फ़
दे रही है.
आप सभी को मेरा बहुत बहुत शुक्रिया....आप का हर शब्द आगे लिखते रहने का उत्साह देता है...अल्पना
ReplyDeleteसहज संवेदना की
ReplyDeleteअलग-सी रचना.
बधाई.
बहुत सुंदर लिखा है, लिखते रहिये. बधाई.
ReplyDeleteऔर रह गयी किरकिरी हाथों में,
ReplyDeleteजो आंखों में चुभती है तो.....
बना जाती है समन्दर मुझ को !
ये अपने आप मे एक खूबसूरत रचना है....
गाना .....लिखना ओर दोनों चीजे बखूबी करना ...आप मे वाकई कुछ ख़ास हुनर है.....एक शिकयत रहती है आपसे ..आप कविता कम लिखती है.....
छोटी और सुंदर रचना।
ReplyDeleteanuraag ji ...haan ye sach hai maine abhi dhyan diya ki kavitayen kam post ki hain--agli baar se is baat ka dhyan rakhungi..
ReplyDeleteaap sabhi ne is kavita ko saraha is ke liye ek baar phir se dhnywaad :)
phenominal work .. absolutely astounding .. it really deserve a standing ovation .. loved the way you said : phisal gaya woh sookhee ret kee tarha .. amazing
ReplyDeleteOnly for you dear Alpz ..
ReplyDeletehttp://expressions-adityaz-world.blogspot.com/2008/06/main.html
bahut badhiya abhivyakti . badhai
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThank you for ur encouraging words Alpz .. But I am really looking forward for your view on my take on 'Madhushalaa' and other poems posted there .. please take time to read and post ur comments there
ReplyDeleteAlso I did some tweaking to the same poem .. please revisit it as well
बहुत खूब। आपने थोडे से शब्दों में अपनी बात जिस खूबसूरती से बयाँ की है, वह बहुत सुन्दर है। इस प्यारी सी कविता के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteret ka kya hai bikhar jayegee.
ReplyDeleteati sundar
सरोकार पर आपकी टिप्पणी देखकर आपके ब्लाग तक आया. बहुत मर्मस्पर्शी व भावपूर्ण कविताएं लिख रही हैं आप. क्या आपने यह भी पाया है कि पंक्तियों की आपस की लम्बाई, छंद और मात्राओं में कुछ सुधार की गुंजाइश है, जिससे वे और बेहतर बन सके?
ReplyDeleteसादर
Rajesh ji ,vigyan vishya padhe aur padhayee hain --hindi sahitya aur niyamo ki jaankari itni nahin ki kavitaon ko niyam anusaaar likh sakun--
ReplyDeleteaap batayeeye kahan correction kiya ja sakta hai main seekhne ko tayyar hun..bas bhaavon ko kagaz par yum hi utaar dete hain...aap ne is pahlu par dhyan diya --achcha laga
dhnywaad
alpna jee
ReplyDeletenamaskaar
yoon hui samandar main
padh kar achchhi lagi
bhaav bahut achchhe hain
badhai
aapka
Dr.vijay tiwari"kislay"
http://www.hindisahityasangam.blogspot.com/