स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

April 18, 2008

सुबह



सुबह जब मेरे दरवाज़े पर दस्तक देने,
आगे बढ़ती है,

कोहरे को छांटती हुई
तो,
उसके कदमों को, दरवाजे़ से

कुछ फासले पर लगा

एक बड़ा पेड़ रोक लेता है!

सुबह कोशिश करती है

बढ़ती है

अपने अंगरक्षकों को भेजती है

उनमें से कुछ ही जीतकर

मेरे पास पहुंचते हैं,

उससे पूर्ण अहसास नहीं हो पाता

कि,
सुबह हो गई है।

और मैं,

दरवाजे पर हल्की दस्तक को¸

हवा का झोंका समझ बंद रहने देती हूं

अंधेरे में घुटती हुई
करती रहती हूं
अपने जीवन की सुबह की प्रतीक्षा

और टटोलती रहती हूं

अंधकार में,

सुबह का जीवन में अर्थ –

[written at the age of 18]--Alpana Verma

18 comments:

  1. 18 की उम्र में जीवन के सुबह को खोजने समझने की एक भावनात्मक कोशिश.
    लाजवाब!

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  2. अच्छी कविता। बधाई।

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  3. Anonymous4/18/2008

    shandar prayas badhai

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  4. सोच ही रहा था की शायद किन्ही व्यस्तायो ने आपको घेर रखा है ....बड़े दिनों बाद ये कविता आयी...वो सुबह कभी तो आयेगी......अल्पना जी आपने वो नज्म सुनी होगी ...आपकी कविता की कुछ पंक्तिया बहुत सुंदर है खास तौर से .....शुरआत बेहद लाजवाब.....

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  5. Anonymous4/18/2008

    subhah ki dastak badi bhavnase bhari hai,bahut khubsurat.

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  6. बहुत ही सुन्दर भाव हे,और टटोलती रहती हूं अंधकार में,
    सुबह का जीवन में अर्थ –
    अनुराग जी ने ठीक कहा वो पक्तिया जबरन याद आ जातई हे.. वो सुबह कभी...

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  7. बहुत बढ़िया भाव, बधाई.

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  8. नमस्ते,
    आपकी यह कविता पढ़ी. काफ़ी अच्छा लगा आपकी दूरगामी सोच को समझकर.
    वैसे आपके सुझावों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
    अभी आपसे माफ़ी माँगना चाहूँगा क्योंकि आपकी बाकी की कविताएँ नही पढ़ पा रहा हूँ.
    लेकिन भविष्य में यह ज़रूर होगा..
    अभी-अभी मैंने भी एक कविता पोस्ट की है...कृपया उसके लिए भी सुझाव दें...
    आपका आभारी,
    प्रतीक

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  9. Anonymous4/23/2008

    hi Alpana
    your poems are very nice keep it up and wish you the best

    Hussain,
    PRO,
    Kuwait

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  10. Anonymous4/23/2008

    Awesome! good work! Keep smiling and sharing. Thanks and regards,

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  11. एक बड़ा पेड़ रोक लेता है!
    सुबह कोशिश करती है
    बढ़ती है
    अपने अंगरक्षकों को भेजती है
    उनमें से कुछ ही जीतकर
    मेरे पास पहुंचते ....

    सुंदर ....बहुत दिनों बाद एक नई सोच ...... शुभकामनाएं

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  12. subah kee khoj mein ..andhkaar mein khojtee ek athara saal kee masoom ladkee....

    Bahut Sunder abhivyakti hai...
    My best wishes with u...

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  13. अंधेरे में माचिस
    तलाशता हुआ हाथ
    अंधेरे में होकर भी
    अंधेरे में नहीं होता.
    ===============
    उम्र की इस दहलीज़ पर
    ऐसी तलाश,तराश देती है
    इंसान की खोज को !
    बधाई.

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  14. पूरी रचना बहुत ही सुंदर भाव लिए हुए है.. बधाई

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  15. Anonymous5/07/2008

    achha hai

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  18. hi alpana very good morning you are v nice womengood work keep smiling thanks regards

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना