सुबह जब मेरे दरवाज़े पर दस्तक देने,
आगे बढ़ती है,
कोहरे को छांटती हुई
तो,
उसके कदमों को, दरवाजे़ से
कुछ फासले पर लगा
एक बड़ा पेड़ रोक लेता है!
सुबह कोशिश करती है
बढ़ती है
अपने अंगरक्षकों को भेजती है
उनमें से कुछ ही जीतकर
मेरे पास पहुंचते हैं,
उससे पूर्ण अहसास नहीं हो पाता
कि,
सुबह हो गई है।
और मैं,
दरवाजे पर हल्की दस्तक को¸
हवा का झोंका समझ बंद रहने देती हूं
अंधेरे में घुटती हुई
करती रहती हूं
अपने जीवन की सुबह की प्रतीक्षा
और टटोलती रहती हूं
अंधकार में,
सुबह का जीवन में अर्थ –
[written at the age of 18]--Alpana Verma
18 की उम्र में जीवन के सुबह को खोजने समझने की एक भावनात्मक कोशिश.
ReplyDeleteलाजवाब!
अच्छी कविता। बधाई।
ReplyDeleteshandar prayas badhai
ReplyDeleteसोच ही रहा था की शायद किन्ही व्यस्तायो ने आपको घेर रखा है ....बड़े दिनों बाद ये कविता आयी...वो सुबह कभी तो आयेगी......अल्पना जी आपने वो नज्म सुनी होगी ...आपकी कविता की कुछ पंक्तिया बहुत सुंदर है खास तौर से .....शुरआत बेहद लाजवाब.....
ReplyDeletesubhah ki dastak badi bhavnase bhari hai,bahut khubsurat.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव हे,और टटोलती रहती हूं अंधकार में,
ReplyDeleteसुबह का जीवन में अर्थ –
अनुराग जी ने ठीक कहा वो पक्तिया जबरन याद आ जातई हे.. वो सुबह कभी...
बहुत बढ़िया भाव, बधाई.
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह कविता पढ़ी. काफ़ी अच्छा लगा आपकी दूरगामी सोच को समझकर.
वैसे आपके सुझावों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अभी आपसे माफ़ी माँगना चाहूँगा क्योंकि आपकी बाकी की कविताएँ नही पढ़ पा रहा हूँ.
लेकिन भविष्य में यह ज़रूर होगा..
अभी-अभी मैंने भी एक कविता पोस्ट की है...कृपया उसके लिए भी सुझाव दें...
आपका आभारी,
प्रतीक
hi Alpana
ReplyDeleteyour poems are very nice keep it up and wish you the best
Hussain,
PRO,
Kuwait
Awesome! good work! Keep smiling and sharing. Thanks and regards,
ReplyDeleteएक बड़ा पेड़ रोक लेता है!
ReplyDeleteसुबह कोशिश करती है
बढ़ती है
अपने अंगरक्षकों को भेजती है
उनमें से कुछ ही जीतकर
मेरे पास पहुंचते ....
सुंदर ....बहुत दिनों बाद एक नई सोच ...... शुभकामनाएं
subah kee khoj mein ..andhkaar mein khojtee ek athara saal kee masoom ladkee....
ReplyDeleteBahut Sunder abhivyakti hai...
My best wishes with u...
अंधेरे में माचिस
ReplyDeleteतलाशता हुआ हाथ
अंधेरे में होकर भी
अंधेरे में नहीं होता.
===============
उम्र की इस दहलीज़ पर
ऐसी तलाश,तराश देती है
इंसान की खोज को !
बधाई.
पूरी रचना बहुत ही सुंदर भाव लिए हुए है.. बधाई
ReplyDeleteachha hai
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hi alpana very good morning you are v nice womengood work keep smiling thanks regards
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