स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

April 6, 2008

जाने क्यूँ


जाने क्यूँ [एक गीत ]
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जाने क्यूँ मैं अनजान डगर जाती हूँ,
मिल के अनजान लम्हों से बहल जाती हूँ.

टूट कर जुड़ता नहीं ,माना के नाज़ुक दिल है,
गिरने लगती हूँ मगर ख़ुद ही संभल जाती हूँ.

ज़िंदगी से नहीं शिकवा न गिला अब कोई,
सुनसान राहों से बेखौफ गुज़र जाती हूँ.

गैर के हाथों उनके नाम की मेहँदी है रची,
जान कर ,अपनी तमन्ना में खलल पाती हूँ.

है खबर वक्त का निशाना मैं हूँ ,फ़िर भी-
उनके हाथों मिटने को मचल जाती हूँ.
--अल्पना वर्मा

16 comments:

  1. Anonymous4/06/2008

    aap ko padhaa achcha lagaa
    aap ko http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/
    ka invite bejaha haen
    ek prayaas mahila blogers ko saath daekhnae ka

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  2. Anonymous4/06/2008

    agar invite naa mila ho to spam mae avshya check kare

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  3. Anonymous4/06/2008

    wah bahut khub,anjan lamhe bhi apnese anjan safar bhi apnasa lagta hai jab dil ko kisi se pyar ho,very beautiful wordings.

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  4. है खबर वक्त का निशाना मैं हूँ ,फ़िर भी-
    उनके हाथों मिटने को मचल जाती हूँ.

    बहुत खूब

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  5. है खबर वक्त का निशाना मैं हूँ ,फ़िर भी-
    उनके हाथों मिटने को मचल जाती हूँ.

    सुभान अल्लाह ..बेहद खूबसूरत शेर......

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  6. बहुत खूब लिखती हैं आप...

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  7. बोफ़्फ़ाईन साब !
    उम्दा!

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  8. bahut aachhe aplana ji.. bahut hi sundar rachna..

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  9. टूट कर जुड़ता नहीं ,माना के नाज़ुक दिल है,
    गिरने लगती हूँ मगर ख़ुद ही संभल जाती हूँ.
    टूट कर जुड़ता नहीं ,माना के नाज़ुक दिल है,
    गिरने लगती हूँ मगर ख़ुद ही संभल जाती हूँ.
    अल्पना जी
    आप को आज पढ़ा..आप के पास भाव और शब्द दोनों खूब हैं.आप बहुत दिल से लिखती हैं. इश्वर आप को हमेशा खुश रखे.
    नीरज

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  10. अल्पना जी पहली बार आया हू आप के ब्लोग पर बहुत अच्छा लगा,आप की कविताये बहुत ही सुन्दर लगी, धीरे धीरे पढेगे,ओर यह दो लाइने बहुत ही अच्छी लगी
    है खबर वक्त का निशाना मैं हूँ ,फ़िर भी-
    उनके हाथों मिटने को मचल जाती हूँ.
    आप का धन्यवाद

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  11. आप सब गुनिजानो की टिप्पणियां पढ़ कर उत्साह बढ़ गया है.ब्लॉग की दुनिया इतनी सहयोगी है यह अब पता चल रहा है.सच में ,दिल से आप सभी का आभार प्रकट करती हूँ.
    सादर
    -अल्पना

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  12. Anonymous4/12/2008

    Alpana ji
    I just happened to visit ur blog and hear ur poems.You have put ur heart in poems and the composition is also outstanding...congratulations..keep it up.
    Why dont u sing some songs and upload them. I am sure u can do justice to those as well..with regards

    Dr Sridhar Saxena

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  13. ज़िंदगी से नहीं शिकवा न गिला अब कोई,
    सुनसान राहों से बेखौफ गुज़र जाती हूँ.

    very nice !!

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  14. अल्पना जी
    नमस्कार
    महेंद्र मिश्रा जी के ब्लॉग पर आपका लिंक देख कर मैंने आपकी साहित्य साधना को देखा /पढा / सुना . बहुत अच्छा लगा.
    मई भी जबलपुर म.प. का एक कवि हूँ. आप मेरा ब्लॉग www.hindisahityasangam.blogspot.com देख कर अपना साहित्य सहचर मान सकती हैं.
    आज मैंने आपकी रचना जाने क्यूं पढ़ी ...>
    गैर के हाथों उनके नाम की मेहँदी है रची,
    जान कर ,अपनी तमन्ना में खलल पाती हूँ.

    है खबर वक्त का निशाना मैं हूँ ,फ़िर भी-
    उनके हाथों मिटने को मचल जाती हूँ.
    इस रचना में एन अनजानी सी कसक और प्रेम से समर्पण का भावः देख कर ऐसा लगा की रचना छोटी जरूर है लेकिन संवेदनाएं गहरीं हैं.
    इस रचना के लिए बधाई स्वीकार करे

    आपका
    डा. विजय तिवारी "किसलय"
    जबलपुर, मध्य प्रदेश

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना