कविवर ब्लॉगर राजेंद्र स्वर्णकार जी का सन्देश मिला कि आज ब्लॉग दिवस है तो सभी ब्लॉगर अपनी एक पोस्ट अवश्य पोस्ट करें .पोस्ट लिखने का मन नहीं था लेकिन 'ब्लॉग जगत के पुराने दिन लाने के जो प्रयास किये जा रहे हैं ,उसमें अपना योगदान दिए बिना न रह सकती थी इसलिए यही आत्मालाप पोस्ट के रूप में प्रस्तुत है -
इस पिछले एक साल में इतना कुछ अनुभव किया जिसपर आराम से एक किताब लिखी जा सकती है!
बहुत बार ग्रहों -नक्षत्रों की चाल पर यूँ ही विश्वास नहीं जागने लगता ,क्योंकि इतना अनापेक्षित घटने लगता है कि अचानक एक दिन आप
अपने दिमाग की सभी खिड़कियाँ बंद करके यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं अब मैं सिर्फ अपने काम करता जाऊँगा ..क्या होगा क्या नहीं ,ऊपर वाला जाने ! और यही तो गीता का भी उपदेश है कि कर्म किये जाओ फल की इच्छा न करो ...
लेकिन इस स्थिति पर पहुँचने के लिए या इस स्थिति को समझ कर ग्रहण करने के लिए आपको कई ऐसे अनुभवों से गुज़रना पड़ता है जिनसे आप सीखते भी जाते हैं और उन सीखों को साथ -साथ जीवन में उतारते चले जाते हैं.हाँ पहली बार भगवद गीता का पूरा पाठ और पुनर्पाठ भी किया ताकि अपने प्रश्नों के उत्तर पा सकूँ लेकिन लगता है इस पुस्तक को फिर से पढ़ना होगा .कई अनुत्तरित प्रश्न अब भी हैं.
इस एक साल में मैंने यात्राएँ भी इतनी की कि लगने लगा है कि मेरे पाँव में पहिये बाँध दिए गए हैं.
एक हफ्ते बाद फिर से यात्रा की तैयारी है ! आशा है इस बार यह कुछ अच्छी खबर और अच्छे अनुभव दे कर जाएगी.
यात्राओं के अनुभव चित्र सहित अगली बार ...
तो अब ब्लॉग जगत को पुराने रूप में वापस लाने के 'ताऊ रामपुरिया जी ' के इस प्रशंसनीय प्रयास में सहयोग देते हुए 'हिंदी ब्लॉग दिवस' पर ब्लॉग -यात्रा पर निकला जाए ...राम-राम !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
जून १६ से १७
--------२०१६ ,जून महीने से २०१७ का जून महीना ...इस पिछले एक साल में इतना कुछ अनुभव किया जिसपर आराम से एक किताब लिखी जा सकती है!
बहुत बार ग्रहों -नक्षत्रों की चाल पर यूँ ही विश्वास नहीं जागने लगता ,क्योंकि इतना अनापेक्षित घटने लगता है कि अचानक एक दिन आप
अपने दिमाग की सभी खिड़कियाँ बंद करके यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं अब मैं सिर्फ अपने काम करता जाऊँगा ..क्या होगा क्या नहीं ,ऊपर वाला जाने ! और यही तो गीता का भी उपदेश है कि कर्म किये जाओ फल की इच्छा न करो ...
लेकिन इस स्थिति पर पहुँचने के लिए या इस स्थिति को समझ कर ग्रहण करने के लिए आपको कई ऐसे अनुभवों से गुज़रना पड़ता है जिनसे आप सीखते भी जाते हैं और उन सीखों को साथ -साथ जीवन में उतारते चले जाते हैं.हाँ पहली बार भगवद गीता का पूरा पाठ और पुनर्पाठ भी किया ताकि अपने प्रश्नों के उत्तर पा सकूँ लेकिन लगता है इस पुस्तक को फिर से पढ़ना होगा .कई अनुत्तरित प्रश्न अब भी हैं.
इस एक साल में मैंने यात्राएँ भी इतनी की कि लगने लगा है कि मेरे पाँव में पहिये बाँध दिए गए हैं.
एक हफ्ते बाद फिर से यात्रा की तैयारी है ! आशा है इस बार यह कुछ अच्छी खबर और अच्छे अनुभव दे कर जाएगी.
यात्राओं के अनुभव चित्र सहित अगली बार ...
तो अब ब्लॉग जगत को पुराने रूप में वापस लाने के 'ताऊ रामपुरिया जी ' के इस प्रशंसनीय प्रयास में सहयोग देते हुए 'हिंदी ब्लॉग दिवस' पर ब्लॉग -यात्रा पर निकला जाए ...राम-राम !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
सही कहा आपने .........यात्रा कहीं से शुरू हो वापसी घर पर ही होती है :)
ReplyDeleteजीवन में अक्सर ऐसे अवसर आते हैं या घटनाएं हो जाती हैं जब हम दार्शनिक से हो जाते हैं. ऐसे में हम गीता की तरफ़ देखते हैं और गीता समझने में बहुत मुश्किल है. जितने विद्वानों ने गीता की टीका लिखी है वह सब अलग अलग रास्ते लगते हैं. कोई भक्ति में कोई योग में और कोई कर्म में गीता देखता है. आचार्य रजनीश ने गीता की एक और अदभुत व्याख्या की है कि गीता का संवाद कृष्ण और अर्जुन के मध्य युद्ध भूमि में हुआ और संजय ने अपनी कामेंट्री द्वारा महाराज धृतराष्ट्र को बताया और धृतराष्ट्र द्वारा यह गीता संदेश आगे बढा.
ReplyDeleteसंजय ने अंधे महाराज धृतराष्ट्र को जो बताया वो हूबहू उसी रूप में अंधा व्यक्ति कैसे समझेगा जिसने कभी दुनिया भी नही देखी.
और शायद इसी कारण गीता जो भी पढता है वह अपने मन माफ़िक उसमे खोज लेता है. यही बात गीता को संसार का सर्व श्रेष्ठ ग्रंथ बनाती है.
ब्लाग जगत को आपका अनुपम योगदान रहा है जब भी समय मिले तब अवश्य निकालियेगा. बहुत शुभकामनाएं.
#हिंदी_ब्लागिँग में नया जोश भरने के लिये आपका सादर आभार
रामराम
०९०
वैसे तो जीवन अपने आप में अनंत यात्रा ही है ... पर कई बार पड़ाव आते बैन फिर नए पड़ाव आते हैं ...
ReplyDeleteआपकी यात्रा सफल हो ... शुभकामनाएँ ...
वाह। आज बहुत बहुत दिनों बाद हमने भी ब्लॉग की शक्ल देखी। बड़ा कमजोर हो गया है। कोशिश करेंगे खिलाने-पिलाने की उसे पुनः अपनी रौनक देने की। किन्तु व्यस्तताएं संभव है अपना जाल बिछाकर फांसे रखेंगी। खैर, देखते हैं किन्तु आज ब्लग की सैर ने पुराने दिनों का आभास कराया है। आप तो संपर्क में ही नहीं हैं सिवा इस एक ब्लॉग के। पर जैसी हों स्वस्थ रहें , प्रसन्न रहें और अपनी इन यात्राओं को कागज पर उतार कर हमें भी शब्दों के माध्यम से सैर कराएं।
ReplyDeleteसार्थक लेखन.....अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अनंत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद.. आज पोस्ट लिख टैग करे ब्लॉग को आबाद करने के लिए
ReplyDelete#हिन्दी_ब्लॉगिंग
अन्तर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स डे की शुभकामनायें .... #हिन्दी_ब्लॉगिंग
ReplyDeleteआदरणीया
ReplyDeleteआपने बहुत सुंदर और रुचिकर लिखा है
🙏 🙏 🙏
हमारे आग्रह का मान रखने के लिए आभार
मन का सच कह दिया
ReplyDeleteशुभकामनाएं
बात तो सही है... पर अब लौटे हैं तो नियमित लिखने और ब्लॉगर साथियों को पढने की कोशिश रहेगी
ReplyDeleteअथक पथिक ...
ReplyDeleteEk achhi shuruaat ki apne...
ReplyDeleteआपकी ब्लॉग यात्रा मंगलमय हो।
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