कल कृष्ण जन्माष्टमी खूब धूमधाम से मनाई गई। कान्हा के नाम कुछ हायकू मैंने लिखे हैं ,जिन्हें मैं यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ ---
१-कृष्ण-लीला
बाँवरा कान्हा
करे अठखेलियाँ बलिहारी मैं. |
२-भक्ति
कृष्णमय हो
भवसागर तरना जीवन तप |
३-पाती
पाती राधा की
कान्हा के नाम मिली
गोपियाँ जले
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४-दही-हांडी
टोलियाँ सजी
तोड़ने को मटकी
हर्षाये जन
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५-मुक्ति-मार्ग
हरी का नाम
जप सुबह-शाम
मिलेगी मुक्ति .
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६-वंशी
कान्हा की प्यारी
अधरों से छूटे ना
राधा की सौत
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७-पुकार
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सारगर्भित ,सुन्दर …… गोविन्द की जय बोलो गोपाल की जय.………।
ReplyDeleteरो रहा नभ कराह रही धरती कान्हा आ जाओ ...........शब्दार्थ में डूब कर पढ़ा हाइकू दर्शन से ज्यादा लगे।
ReplyDeleteलाजवाब हाइकू ... वो भी इतने कम शब्दों में
ReplyDeleteसंजय भास्कर
शबों की मुस्कराहट
हाइकू, लगता है जेन से प्रभावित विधा है, जो भी अनावश्यक है, उसे हटा दिया जाता है, तब कहीं जाकर अर्थ निखर आता है।
ReplyDeleteलाजवाब हाइकू सुन्दर
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः8
कृष्ण जन्माष्टमी को अच्छा कवर किया आपने
ReplyDelete" हमें निहारो । कहॉ हो नटवर । हमें भी तारो ।" प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाइकु।
ReplyDeleteसारे कतरे खूबसूरत हैं जी
ReplyDeleteसार गर्भित हाइकु
ReplyDeletelatest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
जनमाष्टमी के शुभावसर पर पूरे कृष्ण को ही समेट लिया है आपने इन हाइकूज में, जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteरामराम.
कृष्ण की लीला
ReplyDeleteसमेटी हाइकु में
मन तृप्त है ....
बहुत सुंदर
बूँद भी,
ReplyDeleteसागर भी तुम्हीं
अथाह,असीम !
♥ जय श्री कृष्ण ♥
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♥ जय श्री कृष्ण ♥
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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रो रहा नभ
कराह रही धरती
कृष्णा आ जाओ !
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा...
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा...
आदरणीया अल्पना जी
आनंद आ गया आपके ताज़ा हाइकु पढ़ कर
वाह ! वाऽह…! वाऽहऽऽ…!
बहुत सुंदर हाइकु रचे हैं आपने...
साधुवाद
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मंगलकामनाओं सहित...
राजेन्द्र स्वर्णकार
madhusudan ke liye jo tumne ladiyaan sajai hai wo adbhut hai ,ye to man ka shringaar kar use khoobsurat banati ,mere kanha se bada guru koi hua hi nahi wo hum sabhi ko avashya sahi disha dikhayenge ,par iske liye hame bhi sahi maarg ka chayan karna hoga .
ReplyDeletetumse baate karna achchha lagta hai fursat me na aane karan bataungi.tum gaati bahut sundar ho ek bhajan likhkar bhej rahi hoon shayad tumhe bhi pasand aaye pyari sakhi
नैन हीन को राह दिखाओ प्रभु
ReplyDeleteपग पग ठोकर खाऊँ गिर जाऊं मैं
नैनहीन को राह दिखाओ प्रभु।
तुम्हारी नगरियाँ की कठिन डगरियाँ
चलत चलत गिर जाऊं मैं
नैनहीन को राह दिखाओ प्रभु।
चहूँ ओर मेरे घोर अँधेरा
भूल न जाऊं द्वार तेरा
एक बार प्रभु हाथ पकड़ लो
मन का दीप जलाऊं मैं प्रभु ,
नैन हीनको राह दिखाओ प्रभु।
@Jyoti,Bahut hii sundar bhajan likha hai.
ReplyDeletebahut achchha lgaa tumhen yahan dekhkar.
sadaa khush raho.
आदरणीया अल्पना जी ..आपका ब्लॉग बिबिध्ताओं से भरा है ..कभी सुरीले गीत, कभी दिलकश मंजर , कभी प्रकृति की अनोखी छठा , कभी देश काल से जुड़े गंभीर मुद्दों पर व्यापक चिंता तो कभी नन्हे नटखट कान्हा का जीवन अपने शानदार हायकू से ..हार्दिक बधाई .कृष्णा जन्मास्त्मी की ढेरों शुभकामनाएं
ReplyDeleteआदरणीया अल्पना जी ..आपका ब्लॉग बिबिध्ताओं से भरा है ..कभी सुरीले गीत, कभी दिलकश मंजर , कभी प्रकृति की अनोखी छठा , कभी देश काल से जुड़े गंभीर मुद्दों पर व्यापक चिंता तो कभी नन्हे नटखट कान्हा का जीवन अपने शानदार हायकू से ..हार्दिक बधाई .कृष्णा जन्मास्त्मी की ढेरों शुभकामनाएं
ReplyDeleteLiked small poems written so beautifully !
ReplyDeleteअल्पना क्या अंतिम हायकू की अंतिम पंक्ति में कृष्णा के बजाय कृष्ण हो सकता है ?
ReplyDelete@अरविन्द जी ,
ReplyDeleteवांछित परिवर्तन कर दिया है.
आभार.