स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

April 23, 2013

प्रश्न!

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न यहाँ कौरव थे , न शतरंज की बिसात 
कातर  स्वर और पुकार 
क्यों कान्हा तुमने सुना नहीं?
देह उघडी,
हुई रूह छलनी ,
और  शर्मसार मानवता .
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................................................अल्पना ...............................................






23 comments:

  1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज मंगलवार (23-04-2013) के मंगलवारीय चर्चा --(1223)"धरा दिवस" (मयंक का कोना) पर भी होगी!
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  2. वर्तमान में जो घटित हुआ है वह सहज अभिव्यक्त हुआ है। छोटी कविता के भीतर तार-तार कपडों की स्त्री की अवस्था देख कान्हा क्यों अवतरित नहीं हो रहे कहने पर भी कान्हा आने की संभावनाएं धुसर है या कहे नहीं है। हां अगर नारी के मन में आ जाएं तो दुर्गा जरूर बचाने के लिए आ सकती है।

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  3. अनुभूति की बढ़िया प्रस्तुति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को, अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post बे-शरम दरिंदें !
    latest post सजा कैसा हो ?

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  4. भावपूर्ण प्रस्तुति..आभार

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  5. सच में शर्मसार है इंसानियत, मानवता ओर पुरुष समाज ... हद होती है वहशीपन की भी ...

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  6. मार्मिक।
    कौन कब कौरव बन जाये , क्या पता !

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  7. emotional and real truth in this poem .

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  8. भावनाओं कॊ बहुत ही मार्मिकता से प्रकट किया है, जो आपकी भावनाएं हैं वही हर भारतीय की भावनाएं हैं. अत्यंत दुखद घटनाएं हर जगह रोज घट रही हैं. कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नही है, आखिर कब तक सहा जायेगा?

    रामराम.

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  9. न जाने कितने टुकड़ों में फैली दानवता।

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  10. मार्मिक प्रस्तुति !!

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  11. कान्हा तो नहीं आये..मगर दांव पर आखिर किसने लगाया????

    :-(

    अनु

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  12. Anonymous4/25/2013

    kalyug .. jungle ka qanoon .. bhediye .. haiwaniyet ..andhera .. shikaar ..masoomiyet.. laachari .. aatmhattya ...

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  13. छोटी लेकिन तीखी सटीक बात
    वर्तमान का घिनोना सच

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों

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  14. एक चिरन्तन दारुण कथा है यह! :-(

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  15. umda prastuti ..vartmaan bhartiya parivesh ko chitrit karti ...kanhaa nhi ayenge ..ab khud striyo ko hi apni atmrakhsa ka upay karna hoga

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  16. kam shabdo me aap ne bhuta kuch kah diya hai.
    vinnie

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना