स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India
'वन्दे भारत मिशन' के तहत स्वदेश वापसी Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज मंगलवार (16-04-2013) के मंगलवारीय चर्चा ---(1216) ये धरोहर प्यार की बेदाम है (मयंक का कोना) पर भी होगी!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
थाप की तरह करते बात..शब्द
ReplyDeleteZindagi ki dhup chhanv mein na jne kitbi hi baar hm shbd pirone ki shuraat to krte h pr kch shabdon baad hi us adhoori shbdon ki maala ko ase hi chod dete h aur ek "ajnmi kavita" reh jati h kahin gum panno mein....
ReplyDeleteचाह से शून्य के मध्य कितने पड़ाव ,
ReplyDeleteनैनों को जीवन भर का काम !!
शब्दों को पिरो करके,रचना हो तैयार
ReplyDeleteगुण अवगुण सब भूल के ,मीत से होत प्यार
'मैया का चोला'[लखबीर सिंह लख्खा]
ReplyDeleteगहन अनुभूति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
शुभकामनायें
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
अर्थ होते बुए भी बिन-अर्थ ही हैं ये सब ...
ReplyDeleteये आजन्मी नहीं रोज़ रोज़ की कविता है ...
बहुत ही सुन्दर रचना,आभार.
ReplyDelete"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"
Bahot achhe comments aaye hain .. In bikhre motiyon ko ek rangeen dhage mein tarteeb se piroya jaye to kitni khubsurat mala ban jayegi .. ye ajanmi nazm sochne ki dawat deti hai .. regards
ReplyDeleteSA Feroz
so sweet specially the unborn poem and picture as well .
ReplyDeleteचिरन्तन प्रतीक्षा!
ReplyDeleteधुंध स्वप्न
ReplyDeleteशून्य नैन !
शुभकामनायें आपको ...
सुंदर शब्दों की उत्कृष्ट रचना,आभार,
ReplyDeleteRECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
इस रचना का तो एक एक शब्द ही अपने आप में संपूर्ण कविता है. बहुत ही सुंदर शब्दों को संयोजित किया आपने, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
चाह से शून्यता (जो विशाल है) की ओर बढती जिन्दगी ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
आभार !
इस छोर से उस छोर।
ReplyDeletewow.. jaise sabkuch samet liya.. :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteएक बेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteकम शब्दों में सुन्दर प्रस्तुति है ।
अवनीश
संक्षेप में बहुत कुछ कहा ....सुंदर |
ReplyDeleteनींद से उठी हो जैसे उदासी
ReplyDeleteहमारे जैसे मूढ़ के लिए तो यह महाकाव्य है
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह......
ReplyDeleteसम्पूर्ण कविता....
अनु
वाह, कितने कम शब्दों में कितनी बडी बात।
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