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महिलाओं की सामाजिक स्थिति भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में लगभग एक सी है .
भारत में जहाँ देवी की पूजा होती है वहाँ इस स्थिति को बेहतर होना चाहिए लेकिन नहीं है.
देश के संविधान में भी यूँ तो महिला और पुरुष को बराबर का हक़ दिए जाने की बात कही है .
महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा और अपराधों के आंकड़ों की बात करें तो ये थाने के दफ्तरों में दर्ज केसों के आधार पर बनाए जाते हैं . हमारे आस-पास ही शहर में /गाँव में न जाने कितने ऐसे मामले होते हैं जो दर्ज़ ही नहीं होते या पीड़िता पुलिस स्टेशन या किसी स्वयंसेवी संस्था तक पहुँच ही नहीं पाती .
जो पहुँच सकती हैं या पहुँचती हैं , उन में से कई के मामले दर्ज़ नहीं किये जाते ,मामूली सलाह दे कर रफा -दफा कर दिए जाते हैं ,उस के कई कारण हैं /दवाब हैं जिनके कारण पुलिस ऐसा करती होगी.
इसलिए हम यहाँ आंकड़ों की बात नहीं करेंगे.यकीनन ये उस संख्या से कहीं अधिक ही होंगे.
समाज में स्त्रियों की इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है ?
स्वयं समाज! क्योंकि एक औरत पर जब उसके घरवाले /पति/ समाज यहां तक कि खाप पंचायते जुल्म ढाती हैं और यही समाज मूक दर्शक बना रहता है .
स्वयं समाज! क्योंकि एक औरत पर जब उसके घरवाले /पति/ समाज यहां तक कि खाप पंचायते जुल्म ढाती हैं और यही समाज मूक दर्शक बना रहता है .
इसलिए जब तक समाज नहीं जागेगा तब तक औरत पर जुल्म होते रहेंगे.
दूसरा स्वयं औरत को भी अपना हक़ पहचानना है और अपने पर होने वाले अपराधों के विरोध में खड़ा होना है.उनकी चुप्पी अपराधियों का मनोबल बढाती है.
स्त्रियों पर होने वाले मुख्य अपराध तीन तरह के हैं -
दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाना ,यौन शोषण और बलात्कार .
इन तीनो ही तरह के मामलों में देरी होने पर साक्ष्य मिट जाते हैं या मिटा दिए जाते हैं इसलिए समय पर जांच की बहुत बड़ी भूमिका रहती है .
इसीलिए ऐसे मामलों में पीड़िता को न्याय दिलाने हेतु फास्ट ट्रेक कोर्ट की स्थापना होनी चाहिए.
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अगर आप के पास भी बलात्कार सम्बन्धित क़ानूनों में परिवर्तन हेतु कोई सुझाव है तो अपने सुझाव न्यायमूर्ति श्री वर्मा जी को ई -मेल करें या फैक्स से भेजें:
ई मेल: justice.verma @ nic.in
फैक्स: 011- 23092675
अंतिम तिथि -०५-०१-२०१३
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आज पीड़िताओं के हित में, उनके परिवारों के हित में, समस्त स्त्री जाति और स्वयं के हित में,सभी के साथ मैं भी अपनी आवाज़ सरकार तक पहुँचाना चाहती हूँ कि
ऐसे जघन्य बलात्कारों के विरुद्ध जिनमें कि अपराध स्वयंसिद्ध है पूरे देश में फास्ट ट्रैक न्यायपीठों की स्थापना जल्द से जल्द की जाए.
जो जनहित याचिका गिरिजेश राव जी द्वारा तैयार की गई है, यहाँ देखी जा सकती है ,जिसे मैं भी अपना समर्थन देती हूँ .
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जिस तरह से बालू हाथ से सरक जाता है ठीक देखते ही देखते वर्ष -2012 का एक छोटा सा सफर भी गुजर गया, पड़ाव आया, चला गया । चलिए, अब दूसरे सफर पर चलते हैं । दूसरा सफर शुरू करते हुए भी निगाहें बार-बार पीछे की ओर मुड़ती हैं, गुजरे पड़ाव की ओर। पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे कतई यह नहीं लगता कि गुजरा साल उसके पहले गुजर कर खत्म हो गए सालों से कहीं अलग था। 2011 भी 2010 की तरह था और 2009 भी 2008 की तरह । लेकिन फिर भी यह यकीन करने को जी चाहता है और मुझे यह यकीन है कि 2013 जरूर कुछ नई सौगातें, उम्मीदें और सपने लेकर आएगा ।
ReplyDeleteआपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। धन्यवाद ।
फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना होनी ही चाहिए,,,
ReplyDeleteनए साल 2013 की हार्दिक शुभकामनाएँ|
पोस्ट पर आने के लिए,शुक्रिया,फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,,,,
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recent post - किस्मत हिन्दुस्तान की,
न्याय प्रक्रिया में त्वरित न्याय सबसे उचित कदम होगा. सार्थक चिंतन.
ReplyDeleteनूतन वर्षाभिनंदन मंगलकामनाओं के साथ.
आस तो बंधी है आज के युवा को देख, कि कभी तो सुबह होगी ...
ReplyDeleteमंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
ReplyDeleteआस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
ReplyDeleteयों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ कि नव वर्ष की खिशियाँ मानाने का दिल नहीं किया .
ReplyDeleteगहन सोच विचार की ज़रुरत है। विचारणीय लेख।
एक स्वस्थ, सुरक्षित और सम्पन्न नव वर्ष के लिए शुभकामनायें।
वर्ष 2013 आपको सपरिवार शुभ एवं मंगलमय हो ।शासन,धन,ऐश्वर्य,बुद्धि मे शुद्ध-भाव फैलावे---विजय राजबली माथुर
ReplyDeleteBAHUT सही लेख ............
ReplyDeleteमन भी साथ हैं गिरिजेश जी के ...
ReplyDeleteडट के सामना करना होगा ऐसी मानसिकता से ...
ठोस कानूनी प्रावधान सारे देश में हों तब बात बनेगी
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