बरसात..अहा...यह शब्द ज़हन में आते ही याद आते हैं ...'काले मेघ और बरसती बूंदें'!..अरसा हुए था इन्हें देखे हुए..बस ,कल ये मुराद भी कोई डेढ़ साल बाद पूरी हुई....आसमान काले बादलों से ढका ..दिन के ३ बजे हल्का अँधेरा देख कर मन किया बाहर निकलूँ और खूब भीगूँ!और तभी रिमझिम बरसात भी शुरू हो गई ...बस भीगना तो लाज़मी था ही ...घर के आस -पास देखा ...कई बच्चे और बड़े भी जानबूझ कर बरसात में भीगने को बाहर खड़े थे ..छाता हाथ में मेरे था लेकिन मैं ने तो खोला ही नहीं ..ऐसे हलकी बूंदों में भीगना कितना अच्छा लगता है!
सच !कितना सुहाना था कल मौसम ,....अब तक ऐ.सी के बिना गुज़ारा नहीं था अब लग रहा था जैसे हम रेगिस्तान में नहीं किसी बर्फीले पहाड़ी इलाके में आ गए हैं..
पहाड ,हरियाली,धुले- धुले पेड़-पौधे ,भीगा-भीगा मौसम ,सीली -सीली हवा,और पहाड़ों पर धुंध सी छायी हुई !
[यह तो मालूम ही होगा न आप को कि अलेन में पहाड बहुत हैं.]
हम सभी घर से फटाफट निकले बाहर बारिश में भीगी सड़कों ,पेड़-पौधों को देखने...भीगी हुई मिट्टी की सौंधी खुश्बू लेने..
मौसम इतना खूबसूरत भी हो जाएगा इस खुश्क इलाके में ,कभी लगता न था..
एमिरातवासियों के लिए ऐसे नज़ारे दुर्लभ ही हैं इसलिए हमारी ऐसी प्रतिक्रिया /excitement संभव है .:)
यूँ तो कभी -कभार बूंदें पड़ी भी तो हलकी फुलकी..ऐसा मौसम एक लंबे अरसे बाद हमने देखा ..जो देर तक ठहरा ..
मानो एमिरात का राष्ट्रीय दिवस को हम सभी के साथ मनाने आया हो!
एमिरात का ४१ वाँ नेशनल दिवस २ तारीख को है..जिसे धूमधाम से मनाने की तैयारी देश के हर कोने में है..जगह -जगह बिजली की झिलमिलाती रोशनी है ...सभी सड़कों पर लगे पेड़ों को रोशनी में लपेट दिया गया है .इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज और रंग -बिरंगी रोशनी की झालरें हैं .
एमिरात में रहने वाले सभी लोग यह दिन बहुत ही उल्लास और उत्साह के साथ मनाते हैं.सोमवार तक राष्ट्रीय अवकाश है! पिछले दो दिनों से इस सुहाने मौसम ने जैसे एमिरात में रहने वालों को छुट्टियों का तोहफा दे दिया ,हलकी सी ठंड शुरू हो गई जिसे 'गुलाबी ठंड 'कहें तो अतिशयोक्ति न होगी!
आसमान की बदलती सूरत की कुछ तस्वीरें ली थीं,पोस्ट के साथ लगायी हैं .
सभी को एमिरात में बरसात के ये २-३ दिन और यू.ऐ.ई का ४१ वाँ राष्ट्रीय दिवस मुबारक हो.
badhiya description...
ReplyDelete्जब नज़ारा दुर्लभ हो तो ऐसी प्रतिक्रिया जायज़ है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteदो दिनों से नेट नहीं चल रहा था। इसलिए कहीं कमेंट करने भी नहीं जा सका। आज नेट की स्पीड ठीक आ गई और रविवार के लिए चर्चा भी शैड्यूल हो गई।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (2-12-2012) के चर्चा मंच-1060 (प्रथा की व्यथा) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
Wao
ReplyDeleteThat is a wonderful write up...rain in alain is a wonderful feeling....
ReplyDeleteजब जब आकाश में काले बादल घिरते हैं, रिमझिम फुहार गिरती है तो सिर्फ बाहर का ही नहीं, अपने अन्दर का मौसम भी बदल जाता है। सच तो यह है कि यह नज़ारा आज भी उतना ही आनन्दित और रोमांचित कर देता है जितना कभी बचपन में कर देता था। बहुत यथार्थ-परक वर्णन।
ReplyDeleteप्रकृति को बहुत करीब से महसूस करती हैं आप!
ReplyDeleteवाह! क्या खूब सीन हैं।
ReplyDeleteयू.ए.ई. का राष्ट्रीय दिवस मुबारक हो।
वाह क्या खूब सीन हैं।
ReplyDeleteयू.ए.ई. का राष्ट्रीय दिवस मुबारक हो।
पहली बारिश... और मिट्टी की सोंधी सोंधी महक...~उसकी बात ही निराली है...!
ReplyDeleteफोटो भी सुंदर हैं..! :)
Happy 41st UAE National Day !!!:)
पहली बारिश सदा ही मनभावन होती है।
ReplyDeleteये मौसम और ये जश्न मुबारक
ReplyDeleteपूरी पोस्ट पढ़ कर आनंद आ गया |बिलकुल ललित निबन्ध सरीखा |हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ हमारे इस ब्लॉग पर www.sunaharikalamse.blogspot.com
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteकुछ चीज़ें कभी-कभी मिले तो ज़िन्दगी का आनंद मिलता है!
ReplyDeleteआपको भी ४१वां राष्ट्रीय दिवस मुबारक हो..
सुंदर फ़ोटोज और शब्दों के माध्यम से मन और वातावरण को अभिव्यक्त करना थोडा दुरूह होता है, लेकिन आपको इसमें महारत हासिल है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आपकी प्रस्तुति का भाव पक्ष बेहद उम्दा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeletehttp://apna-antarjaal.blogspot.in
अमीरात की इस वर्षा का आनंद तो हमने भी खूब लिया ... मौसम में अब ठंडक आ गयी है ... दुबई को फूलों से सजा दिया है ...
ReplyDeleteअपने बहुत खूबसूरती से कैद किया है विभिन्न पहलुओं को एमिरात के ...
सुन्दर चित्रण...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteमुबारक सभी व्योम वासियों को समाँ ये सुहाना ,स्थापना दिवस संयुक्त अरब अमीरात का ,सपनों की सौगात का .
ReplyDeleteबरसे मेघ... अहा !
नमस्कार
आदरणीया अल्पना जी !
पोस्ट पढ़ते हुए और चित्र देखते हुए कंपकंपी छूट रही है ...
:)
यहां कड़ाके की ठंड जो शुरू हो चुकी है
पता नहीं चल रहा कि यह पोस्ट कब की है ... अब वहां मौसम बदल गया होगा शायद !
तो नई पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी...
नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार