पिछले कई सालों से शायद २००७ के बाद से उस नामी-गिरामी हस्ती के बारे में कहीं कोई खबर सुनायी नहीं दी तो लगा कि एक आवाज़ मैं भी दे कर देखूं , शायद कोई जवाब मिले .
''जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ।
सपनों में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।'
जी हाँ ,मैं इस कविता के रचयिता को ही याद कर रही हूँ जिनकी कलम ने 'जीवन की ढलने लगी है सांझ' कह कर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाही है.
मेरे प्रिय नेता इतिहास पुरुष श्री अटल बिहारी वाजपयी जी ...जो न केवल ओजस्वी व्यक्तित्व के मालिक रहे हैं बल्कि उनके कई भाषण तो शेर की दहाड़ सदृश लगा करते थे.
एक कुशल राजनेता और साथ ही एक कोमल हृदय कवि जो जन-जन का प्रिय रहा है .उनकी कविताएँ उनके स्वर में सुनना असीम आनंद का अनुभव देता है.
सुना है कि वे बहुत अस्वस्थ हैं इसलिए सब के सामने नहीं आते.
जो अपने प्रधानमंत्री काल में अपने आस-पास के सुरक्षा घेरे को देख कर कहते थे कि यह सब क्या है ,मुझे आप ने जनता से दूर कर दिया ,उनसे पास जा कर मिल नहीं सकते ,कर्फ्यू जैसी स्थिति बन जाती है जब भी कहीं से आते जाते हैं ,उन्हीं अटल जी को आज अस्वस्थता और उम्र की गहरी होती लकीरों ने उन्हें हम से दूर नेपथ्य में रहने को मजबूर दिया है .
उन्हीं की कविता 'ऊँचाई' का एक अंश है -
'जो जितना ऊँचा,
उतना एकाकी होता है,
हर भार को स्वयं ढोता है,
चेहरे पर मुस्कानें चिपका,
मन ही मन रोता है।
ज़रूरी यह है कि
ऊँचाई के साथ विस्तार भी हो,
जिससे मनुष्य,
ठूँठ सा खड़ा न रहे,
औरों से घुले-मिले,
किसी को साथ ले,
किसी के संग चले। ''
उनकी लिखी हर -एक कविता बहुत अच्छी है.उनके बारे में जानकारी अंतर्जाल पर उपलब्ध है इसलिए मैं यहाँ नहीं दे रही .
वैसे भी ऐसा कौन सा ऐसा भारतीय होगा जो उन्हें न जानता हो!
एक सशक्त व्यक्तित्व जिसे न केवल उनकी अपनी पार्टी के लोग बल्कि विरोधी पार्टी के लोग भी पसंद करते हैं .
भारत के राजनैतिक इतिहास में हमेशा याद किया जाना वाला नाम ,अपनी पार्टी का मुख्य चेहरा जो रहे हैं वे अटल जी ही हैं .
उनका जन्मदिन २५ दिसम्बर को है उस दिन वे ८९ वर्ष के हो जायेंगे .
ईश्वर से उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते हुए उनकी एक कविता यहाँ दे रही हूँ और एक कोलाज जो उनके कुछ चित्रों से बनाया है .
मैं न चुप हूँ न गाता हूँ
सवेरा है मगर पूरब दिशा में
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पाँव
ओझल गाँव
जड़ता है न गतिमयता
स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
समय की सदर साँसों ने
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,
बिखरे नीड़,
विहँसे चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूँ।
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
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अटल जी के स्वर में उनकी कविता 'भारत' सुनिये --:
एक साक्षात्कार में स्वर सम्राज्ञी लता जी ने उनके गीतों को स्वर देने के बारे में पूछे सवालों के उत्तर में कहा था कि -
'मैं वाजपेयी जी को महान कवि मानती हूं और वाजपेयी जी मेरी संगीत साधना की तारीफ करते रहे हैं।
वाजपेयी जी की कविताओं के बारे में उन्होंने कहा कि उनमें भावनाओं का उदेक है।
यह पूछे जाने पर कि वाजपेयी की कविताओं को स्वर देना कैसा लगा , उन्होंने बताया कि उनकी कविताओं से गुजरना जिंदगी की ऊंची-नीची तलहटियों से गुजरने जैसा अनुभव था .
मैं खुश हूं कि वाजपेयी जी की कविताओं को अपनी सधी हुई आवाज देने में सफल रही। वाजपेयी जी राजनेता , कवि और इंसान सभी रूपों में वाकई महान हैं। मैं हमेशा से ही उनकी प्रशंसक रही हूँ.
लता जी के स्वर में अटल जी की कविता 'क्या खोया क्या पाया जग में' -
भारत का गौरव श्री अटल बिहारी वाजपयी जी आप सदा स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों . हमारी प्रार्थना और शुभकामनाएँ हैं.
अटल जी मेरे प्रिय नेता हैं। उनकी रचना बहुत ही प्राणवान लगती है ।इसे पढ़वाने के लिए आपका आभार। मेरे पोस्ट पर आकर मेरा उत्साहवर्धन के लिए आपको विशेष धन्यवाद।
ReplyDeleteवाजपेयी अकेले राजनीतिज्ञ हैं जिन्हे बस सुनने के लिए मैं कभी गया था...
ReplyDeleteवक्त किसी के लिये नहीं ठहरता।
ReplyDeleteनिश्चय ही विशाल व्यक्तित्व की साँझ लालिमा के गाढ़े रंग लिये होगी।
ReplyDeleteMera comment dikh nahi raha ?
ReplyDelete@Prakash ji,Aap ka koi comment nahin mila.Spam folder bhi check kar liya hai.
ReplyDeleteabhaar.
श्री अटल बिहारी वाजपयी जी ने अपना सर्वस्व भारतीयता को समर्पित किया है,वाजपेयी जी हमेशा एक प्रखर वक्ता के रूप में जाने गए हैं,….राजनीति के अपने लम्बे जीवन में अपने स्वच्छ चरित्र,नेतृत्व करने की क्षमता एवं दूरदर्शिता की वजह से जो अमिट छवि बनाई है वह हमेशा एक प्रतिमान रहेगी.
ReplyDeleteअभी अटल जी अस्वस्थ हैं,उनके इस जन्मदिन पर मैं इश्वर से उनके दीर्घायु होने की कामना करता हूँ….
Bahut sundar post hai .
Aabhar
kavitayen achchhi lagin..
ReplyDeleteअटल जी हर रूप में एक इतिहास पुरूष हैं, आजकल तो अखबार में भी उनके बारे में कुछ नही आता. पिछले दिनों टीवी पर ही देखा था कि वो अब किसी को पहचान नही पाते..वगैरह जैसी खबरें थी.
ReplyDeleteबडी खिन्नता होती है जब ईश्वर एक ऐसी सख्शियत को इस तरह मजबूर कर दे.
रामराम.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-12-2012) के चर्चा मंच-1102 (महिला पर प्रभुत्व कायम) पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
अटल जी सदैव हमारे आदर्श रहेंगे..
ReplyDeleteatal jee to mere bhee sarbadhik priy neta hai..sach me jis achhe neta ko dekhne ka mauka mila wo atal jee hee hai...aaj unse jude tamam baaton kee jaankaari mili..bahad achha laga..hamari bhee dua aapki dua ke sath shamil hai ..atal jee jald se jald swasth hon...sadar badhayee aur apne blog par amantran ke sath
ReplyDeleteभारत रत्न सही माने में अटल जी ही हैं ... ओर कोई भी नेता मेरी समझ में उनकी बराबरी पर नहीं है ... सच्चे, सीधे, सरल, कवि का जनम दिन आने वाला है ... बहुत बहुत शुभकामनाएं इस ओजस्वी कवि को ... नायक को ...
ReplyDeleteकितना अच्छा लगा कि कवि मना अटल को आपने याद किया!
ReplyDeleteराजनीति ने उनसे बहुत कुछ छीना भी ....मगर ताज्जुब है फिर भी उनकी
काव्य शक्ति बरकरार रही -वे मूलतः एक कवि ही हैं!
उनके शेष जीवन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं! -जीवेम शरदः शतं !
उनकी कविता भारत सुनी और , लता जी के स्वर में उनका एक भावपूर्ण गीत और जीवन -चित्रावली देखी :अटल जी के इस ह्रदयग्राही संगीत पूरित व्यक्ति चित्र के संयोजन पर आपको हार्दिक साधुवाद!
ReplyDeleteउनकी कविता भारत सुनी और , लता जी के स्वर में उनका एक भावपूर्ण गीत और जीवन -चित्रावली देखी :अटल जी के इस ह्रदयग्राही संगीत पूरित व्यक्ति चित्र के संयोजन पर आपको हार्दिक साधुवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति ... अटल जी की कविताओं से परिचय अच्छा लगा ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
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