यू.ऐ.ई का प्राकृतिक दृष्टि से सबसे खूबसूरत शहर अलेन जिसका इतिहास पांच हज़ार साल पुराना बताया जाता है.पुरातत्व के महत्वकी वजह से ही नहीं बल्कि यहाँ की जलवायु ,हरियाली ,पानी के प्राकृतिक झरनों और गरम पानी के चिकित्सकीय गुणों वाले प्राकृतिक सोते के कारण भी इस स्थान को खासा महत्व और प्रसिद्धि मिली हुई है.
इस शहर में रहते हुए हमें १३ साल हो चुके हैं. मगर आज भी ऐसा लगता है जैसे कल परसों ही यहाँ आये थे.यहाँ रहने वाला हर प्रवासी यह जानता है कि यह उसका स्थाई निवास नहीं है.हमेशा एक अनिश्चितता में ही रहते हैं.आज हम यह कह नहीं सकते कि कल हम यहाँ रहेंगे या नहीं।
फिर भी इसी अनिश्चितता में सभी समय गुज़ार रहे हैं और केरल प्रदेश और हैदराबाद आदि के कई ऐसे परिवार तो ऐसे भी हैं जिनका सारा कुनबा ही यहाँ है.
यहाँ के एक नियम के अनुसार चाहे किसी प्रवासी ने यहीं जनम लिया और पला बढा हो ..फ़िर भी उसे यहाँ की नागरिकता नहीं मिलती. बेटे की उम्र १८ होते ही उसको पिता के वीसा पर रहने का अधिकार खत्म हो जाता है.हाँ ,अगर वह स्कूल में पढ़ रहा है तब विशेष परिस्थितियों में उसका वीसा बढाया जाता है अन्यथा उसे अपने मूल देश ही वापस जाना होता है. अन्य रास्ते ये हैं कि किसी कॉलेज से वीसा लेना होगा या किसी व्यवसाय में कर्मचारी का जॉब वीसा लेना पड़ेगा. बेटी के लिए स्थितियां फरक हैं..अविवाहिता पुत्री अपने पिता या माता के वीसा पर कितने भी समय के लिए उनके साथ रह सकती है.मगर , उसके विवाह होने पर उस का यह वीसा रद्द हो जाता है.फिर उसे अपने पति या खुद के वीसा पर रहने की अनुमति लेनी होती है.
खैर, बहुत सी और भी बातें हैं जिनके कारण यहाँ रहते हुए अपने भविष्य को लेकर मन में अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है..मगर फिर भी देखीये साल पर साल गुज़र रहा ही है!
अब आप कहेंगे कि वापस क्यूँ नहीं आ जाते?तो यह उतना आसान भी नहीं है..क्योंकि जब भी छुट्टियों में भारत जाते हैं तब यही विकल्प तलाशते हैं कि वहाँ जा कर क्या और कैसे करें..लेकिन कभी कोई बात जमती ही नहीं. खैर,अब तोयह पराया देश भी अपना सा ही लगता है..
मैं तो उन्हें देख कर अब आश्चर्य नहीं करती जो यहाँ ३०-३५ साल से रह रहे हैं.क्योंकि अब खुद को भी मालूम हो गया है कि वक़्त यहाँ कैसे तेज़ी से गुज़र जाता है .
हम जब यहाँ आये थे..तब किसी को भी जानते नहीं थे, अब बहुतों को हम जानते हैं और बहुत से लोग हमें! तब के 'अलेन' में और आज १३ साल बाद के अलेन में बहुत फरक आ गया है.तब यहाँ रात ९ बजे ही दुकाने बंद होने लगती थीं..मगर आज कई सुपरमार्केट २४ घंटे खुलती हैं.तब यहाँ की आबादी कोई २ लाख भी नहीं थी.अब यहाँ की आबादी लगभग ४ लाख है.वो बातें फिर कभी...
चलते चलते ...यहाँ आने के बाद कोई चार साल बाद मैं भारतीय समाज केंद्र से जुडी और फिर जब भी अवसर मिला केंद्र के लिए काम किया. दो बार महिला फोरम में विशेष पद भी संभाले . इसी २४ अक्टूबर को भारतीय समाज केंद्र की तरफ से मेरी सेवाओं के लिए मुझे विशेष सम्मान दिया गया.
इसी अवसर की तस्वीरें-
बच्चों के इम्तिहान चल रहे हैं,हर तरफ परीक्षाओं का माहोल है.इसके चलते ब्लॉग्गिंग में आना जाना बहुत कम हो गया है.जल्दी ही दोबारा मिलती हूँ।
Comment form par Seedha pahunchne ke liye Yahan click kareeye.
..".केरल प्रदेश और हैदराबाद आदि के कई ऐसे परिवार to aise भी हैं जिनका अब तो सारा कुनबा ही यहाँ है.यहाँ के एक नियम के अनुसार चाहे किसी pravasi ने यहीं जनम लिया और पला बढा हो ..उसे यहाँ की नागरिकता नहीं मिलती. बेटे की उम्र १८ होते ही उसको पिता के वीसा पर रहने का अधिकार खत्म हो जाता है.हाँ गर वह स्कूल में पढ़ रहा है तब विशेष परिस्थितियों में उसका वीसा बढाया जाता है अन्यथा उसे अपने मूल देश ही वापस जाना होता है. "
ReplyDeleteइनकी असलियत उजागर करने हेतु आपका शुक्रिया ! अपने देश में तो ये वेसा भी नहीं देते अगर बच्चे ने वहीं जन्म लिया हो तो भी, लेकिन किसी और देश में आज घुस गए तो कल उस पर हक़ जताना शुरू कर देते है !
अल्पना जी काश इस खूबसूरत शहर के फोटो भी साथ में दिखा देतीं तो सोने में सुहागा हो जाता...फिर भी इस जानकारी के लिए शुक्रिया...
ReplyDeleteनीरज
@ नीरज जी,एक अलग पोस्ट सिर्फ अलेन शहर की ताज़ी तस्वीरों के साथ जल्दी प्रस्तुत करूंगी.
ReplyDeleteआभार.
achhi jaankari di aapne aur sabse pahale to sammanit hone ke liye bahut bahut badhaayee aapko... tasviren jarur lagayen aur haan ...kuchh geet bhi /.... badhaayee
ReplyDeletearsh
अच्छी पोस्ट - रोजमर्रा से निकली हुई। ब्लॉगिंग की यही तो खासियत है। चट मन में आया, पट से लिखा और ठेल दिया।
ReplyDeleteआप तो भाग्यशाली हैं कि दो दो देशों से अपनापन है। एक समय ऐसा आएगा जब हर व्यक्ति विश्व नागरिक होगा।
__________________
पोस्ट में कई शब्द रोमन लिपि में हैं। ऐसा जानबूझ कर किया है या टूल में कुछ गड़बड़ी है ?
shahar ajnabi sa saath chalta hai
ReplyDeletebina pahchaan dharti ka ek tukda deta hai
waqt apni jagah beet jata hai
khyaalon kee bangi de jata hai.......
bahut achha laga padhkar, un anubhutiyon ko jana, jo apne desh se door hain
aur haan samman ke liye badhaayi aur shubhkamnayen
ReplyDeleteBAhut achchi jaankari di aapne....... aur saaman ke liye aapko bahut bahut badhai........ Momento wali fotograf bahut achchi aur sundar hai.....
ReplyDeleteMy best wishes is always with you..... May god always bless u .... with more respect.... regard n rise....
Thanking u for sharing this article.........
Regards,
MAhfooz.........
सम्मान के लिए बहुत बहुत बधाई अल्पना जी ..दूर देश की कई बाते यूँ जानते हैं अब यह भी ब्लोगिंग का फायदा है ..वहां के बारे में चित्र के साथ लिखती रहे ...अलेन के बारे में बहुत कुछ जानने की इच्छा बढ़ गयी है ..शुक्रिया और एक बार फिर से बधाई ..
ReplyDeleteएक भारत है, कोई भी आ कर नागरिक बन जाता है ..चलिए ..अच्छा लगा आपके वर्तमान "घर" बारे में जानकर.
ReplyDeleteआपके कार्यों के लिये आपका सम्मानित होना बहुत सुखद लगा. बहुत बधाई आपको.
ReplyDeleteअलेन के बारे में बहुत सी जानकारियां पहली बार मिली. नागरिकता से जुडे मुद्दे के बारे मे जानकर दुख और आश्चर्य हुआ.
कुल मिलाकर आपकी यह पोस्ट बहुत आत्मिय लगी. ऐसे ही अपने अनुभव बांटती रहें. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
अल्पना जी!
ReplyDeleteसम्मान के लिए आपको बहत-बहुत बधाई!
खूबसूरत शहर अलेन के बारे में जानकर अच्छा लगा!
alpanaji hardik badhai sweekae kare.
ReplyDeleteयह जानकर अच्छा लगा कि आपकी सेवाओं के लिए आपको सम्मान मिला। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteयह जानकर अच्छा लगा कि आपकी सेवाओं के लिए आपको सम्मान मिला। शुभकामनाएं।
ReplyDeletehar desh ke apne niym hote hai .in sbke bavjood aap apne logo se judkar
ReplyDeletevaha kary kar rhi hai aur logo ko apna bna rhi hai ye kya kam hai?
vsudhev kutumbkam isi ko to khege na ?
apko smman milne ki bahut bahut badhai aur shubhkamnaye .
IS SAMMAN KE LIYE BAHOOT BAHOOT BADHAAI ...... AAPKI POST PADH KAR LAG रहा है की आपने अपने दिल का NAHI ..... SABHI PRAVAASIYON KE दिल का HAAL LIKH DIYA है ....... DEKHTE DEKHTE SAMAY KAISE BEET JAATA है PATA ही NAHI CHALTA .........
ReplyDeletealpana ji , achchi jaankari di, dhanyawaad, sochta tha ye padhne ke baad neeche koi rachna ya geet hoga, lekin .......nirasha.....han aapka chitra samman lete hue........bahut bahut badhaai. agli post ki prateeksha.
ReplyDeleteअल्पना जी ,दीपक जहाँ भी प्रदीप्त हो जाय वही भू भाग आलोकित हो जाता है -यह हमारी बदनसीबी है की हमने बहुत से योग्य लोगों को वतन से दूर कर रखा है -मगर फिर सोचता हूँ यह कितना संकीर्ण चिंतन है -मनुष्य का आविर्भाव मानवता के लिए हुआ है वह कहीं भी रहे इस मन्त्र को याद रखे और विश्व कितना सिकुड़ता जा रहा है न ? और नेट पर तो सारी भौगोलिक सीमायें मिट गयीं है ! हम सब कितने करीब तो हैं !
ReplyDeleteअयं निजः परोवेति गणना लघु चेतसाम
उदार चरितानाम तू वसुधैव कुटुम्बकम
यह मेरा है यह तेरा है यह संकीर्ण मन वाले कहते हैं
उदार /उदात्त के लिए यह पूरा संसार ही एक परिवार है
यही है मानवता(हिताय ) चिंतन ..सो जहाँ भी रहें उदात्त बन कर रहें !
आप वस्तुतः vaisee hain bhee !
सम्मान के लिए बधाई. यही त्रासदी है खाड़ी-देशों की...जब तक अपने नाम का रेज़ीडेंस वीज़ा नहीं तो यूं ही चलता है...मेरे एक पारिवारिक मित्र हैं जिन्होंने ताउम्र खाड़ी-देशों में रहते हुए भी, इसी के चलते, बेटे को कालेज भारत से कराया, बेटा अब भारत ही में पत्रकार है पर मां-बाप से मिलने तभी जा पाता है जब-जब वीज़ा का जुगाड़ बनता है..
ReplyDeleteअलेन शहर की तस्वीरों का हमें भी इंतजार है..
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग
अच्छा लगा ऐसी जानकारिया जान कर भला लगता है .पुरूस्कार प्राप्ति की खबर कोई हैरानी वाली नहीं रही..आपके पास कई मैडल ओर पड़े होगे
ReplyDeleteवाह ...अल्पना जी इस विशेष सम्मान की बहुत बहुत बधाई ......सफ़ेद साडी में बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं आप .....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर, आप को बहुत बहुत बधाई,भी चित्र बहुत अच्छे ओर सुंदर लगे.
ReplyDeleteधन्यवाद
सम्मान की शुभकामनाए
ReplyDeleteप्रवास की क्सक भी है आलेख मे
आपको सम्मान मिलता देख मुझे बहुत ख़ुशी हुई. आप आगे भी अच्छे सम्मानों की हकदार बनेंगी ऐसा मेरा विश्वास है.
ReplyDeleteनागरिकता और वीसा सम्बन्धी आपकी पोस्ट ने ज्ञानवर्धन किया है.
aapko mila samman bahut achcha laga aapko bahut bahut badhai
ReplyDeleteये सच है जहाँ आप काफी दिन से रहने लगते है तो आपको उस जगह से लगाव हो जाता है। नागरिकता के बारें जानकारी अच्छी थी। पुरस्कार की बात पर तो मुँह मीठा होना चाहिए। और नीरज जी की बात पर भी गौर किया जाए।
ReplyDeleteये सुनकर सचमुच बड़ा अजीब लगा, ये वीसा के कायदे-कानून यहाँ के। कितना विचित्र होगा ये अनिश्चितता का आलम...?
ReplyDeleteसम्मान के लिये दिल से बधाई!
सबसे पहले आपको इस सन्मान के लिये बधाईयां. एक गृहिणी होते हुए भी आपका समाज के प्रति जवाबदेही, और सृजन का अपना स्वयं का स्थान निर्मित करना वाकई सराहनीय है, और दूसरों के लिये सबक. यूंहि सफ़लता के सोपान चढते जायें.
ReplyDeleteआपके निवासी देश के कानूनों के बारें में नई जानकारीयां मिली. जानकर इस बात पर दिल में ठेस पहुंची, कि हम अपने बेटे के बडे होने पर खुशियां मनाने की बजाय परेशानी में पड जाते हैं.
अक्सर कई प्रवासी भारतीय , हर बार भारत आते ही यहां बसने की संभावनायें ज़रूर धूढते है, क्योंकि अनिश्चितता की तलवार लटकने की पीडा आप ही मेहसूस कर सकते हैं.
चित्रों की राह देख रहें है हम.
पढ़ते समय विचित्र सी भावनाएं घेर रही थी
ReplyDeleteफिर सोचता हूँ कि इसे ही इंसान का जीवट कहा जा जाता है.
यही खासियत है,हम भारतीयों की. जमीन का कोई भी टुकडा हो उसे हम अपनी पहचान दे देते हैं...वो कहते हैं,ना...जहाँ पर सवेरा हो बसेरा वहीँ है....सम्मान के लिए बधाई...घर गृहस्थी की जिम्मेवारियों के साथ ये मैडल तो.. icing on cake hai
ReplyDeleteहमें बहुत ख़ुशी होगी अगर आप फिर से भारत वापस आयेंगी...
ReplyDeleteमीत
भारतीय समाज केन्द्र द्वारा सम्मानित किये जाने पर मेरी और जाकिर की ओर से बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete------------------
और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।
हाँ शायद समय हमारे अनुसार चल पता तो कितना अच्छा होता................
ReplyDeleteआपने जो कुछ भी कहा बताया बहुत अच्छा लगा आप इस मुकाम तक पहुंची उसके लिए जितना कहीं कम है शुभकामनाय
माफ़ी चाहूंगा स्वास्थ्य ठीक ना रहने के कारण काफी समय से आपसे अलग रहा
अक्षय-मन "मन दर्पण" से
अलेन में अपनी अल्पना
ReplyDeleteआपका आत्मविश्वास भरा आलेख पढ़कर अक्ष्छा लगाा। हमारी ऐषणा किन विपरीत परिस्थियों में भी अपनी अस्मिता को संवार लेती है यह आपकी भावनाओं से लगा।
आपने अपनी सृजनात्मकता से और अपनी क्रियाशीलता से भी अजनबियत में जो सकारात्मकता घोली है वह स्तफत्य और श्लाघ्य है। जाने कितने लोग होगे पूरे विश्व में जो अपनी जमीन छोड़कर कर्ࢩाव्य भाव से विदेशों की सराय में जैसे रह रहे हैं मगर ऐसी ही स्थितियां फिर अपनों की सुधियों में पलत है।
आप जीती जागती दो दो स्क्रहीन वाला लैपटाप हो गई है अर्शिया जी ने ठीक पहेली बनाई आप पर ..उस दरीचे की तस्वीरें भेजती रहेंकृ
आपको अपनी सक्रियता के लिए सम्मान पर ढेर सारी बधाई।
आप प्रवास में हो कर भी
ReplyDeleteभारतीय हैं ...शुद्ध भारतीय
आपको नमन
और ....
आपको मिले सम्मान के लिए हार्दिक बधाई
इतनी अच्छी और नयी जानकारियां देतीं हैं आप, कि मन खुश हो जाता है. आपको सम्मान मिला ,बहुत-बहुत बधाई.
ReplyDeletesamman ke liye badhai, बच्चों ko exams ke liye best of luck.
ReplyDeleteदेर से आयी हूँ बहुत अच्छी पोस्ट धन्यवाद्
ReplyDeleteइस सम्मान के लिए हमारी ओर से भी बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete--------
बहुत घातक है प्रेमचन्द्र का मंत्र।
हिन्दी ब्लॉगर्स अवार्ड-नॉमिनेशन खुला है।
अल्पना जी इस विशेष सम्मान की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeletesamman ke liye aapko dhero badhai saath hi itni khoobsarat jaankari dene ke liye shukriya .
ReplyDeleteSach kaha aapne...itna aasan nahi hai basera badalna..jabtak ki koi bahut badi kathinai na ho kisi doosre jagah jakar basna bada hi kathin lagta hai....baat sirf vaas ki nahi,jahan ham rahte hain wahan sukh dukh me saath nibhate jo riste bante faile pasarte hain,unse katkar fir se naya sambandh banana bada hi kathin kaam lagta hai,isliye sthanantaran saral nahi lagta...fir rojgaar kee samasya to hai hi...
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteachha laga jaankar u.a.e ke baare mein..
ReplyDeletepar desh ki mitti to desh mein hi milegi..
baaki aapke gaane aur post dono hi kam ho gaye hain..
agli post ka intezaar rahega..
aabhaar..
वाह.. वाह.. बधाई... अल्पना जी..........
ReplyDeleteaapke maadhyam se jo jaankaari di jaati he, vah behad mayane rakhti he, khaas kar mujh jese ghummakdo ke liye...
ReplyDeleteaapka samman blog jagat ka samman he...yah aapke liye aour adhik jimmedaari ki aour ishara kartaa he, aap kaamyaab ho, shubhkamnaye
अल्पना जी ,
ReplyDeleteयह तो प्रकृति का नियम है। मनुष्य कहीं भी रहे उसे ही अपना घर मानना ही पड़ता है। और यही उसके लिये ठीक भी है।शुरू में नयी जगह नये लोग्……ऐडजेस्ट करना मुश्किल लगता है पर धीरे धीरे आदमी उसी में रम जाता है।
आप अपने लेखों के माध्यम से इतनी रोचक जानकारियां यू ए ई की देती रहती हैं ।पढ़ कर अच्छा लगता है।
शुभकामनाओं के साथ।
हेमन्त कुमार
zeevan me kahan kuch nischit hai? Har din nayi chunotiyan lekar ata hai..
ReplyDeleteSamman ke liye bahut bahut badhai.
bahut harddik badhayiya.....
ReplyDeleteअब आप कहेंगे कि वापस क्यूँ नहीं आ जाते?तो यह उतना आसान भी नहीं है..क्योंकि जब भी छुट्टियों में भारत जाते हैं तब यही विकल्प तलाशते हैं कि वहाँ जा कर क्या और कैसे करें..लेकिन कभी कोई बात जमती ही नहीं. खैर,अब तोयह पराया देश भी अपना सा ही लगता है..
ReplyDeleteमैं तो उन्हें देख कर अब आश्चर्य नहीं करती जो यहाँ ३०-३५ साल से रह रहे हैं.क्योंकि अब खुद को भी मालूम हो गया है कि वक़्त यहाँ कैसे तेज़ी से गुज़र जाता है .
Aaj ka samay hi aisa ho gaya hai, Jeene ka liye kashkash, bhagambhag. Sach mein pardesh ke baare jo suna tha aaj aapke madhyam se jana aap-beeti, Na jaane kitne hi log pradesh mein apna dard dabai apni jeevika chala rahe honge apne desh chhodhkar....
Sammanit hone ke liye bahut bahut badhai...
ReplyDeleteachchi jankari di aapne.
or han blog par jarra nawazi ka bahut shukriya.
... बधाईयां !!!!!!
ReplyDeleteआपको सम्मानित किया गया हमे खुशी भी है और हम गौरवान्वित भी है
ReplyDeleteAap sabhi kee badhaayeeOn aur shubhkamanOn ke liye tahe dil se Abhaar.
ReplyDeleteapki baaten kafi jancari de gayin .
ReplyDeletepaanch saal sudan men rah chuki hoon isliye abudabi se bhi apnapan lag raha hai.