पेश हैं कुछ शेर ..साथ लिखे हैं तो ग़ज़ल जैसी लग रही है....अब जैसे हैं वैसे के वैसे उनके कुदरती रूप में 'आप के सामने हैं.
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'रात ग़मे तन्हाई की'
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ग़मे तन्हाई की रात बहुत गहरी है, बन के ओस मेरे आँसू बिखर जाते हैं. दिल की चौखट पर कभी तो कोई आए, ये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं. लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी, तेरे आने से ये पल यूँ सँवर जाते हैं. बादलों से भी बिछड़ गया है कोई, वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं. तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी, इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
--लिखित द्वारा -अल्पना वर्मा २०/१०/२००९
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...आज का गीत...
'चंदा ओ चंदा किसने चुराई तेरी मेरी निंदिया'
फ़िल्म-'लाखों में एक '-[लता जी का version]मेरे स्वर में सुनिए.. संगीत-राहुलदेव बर्मन ,गीत-आनंद बक्षी. यहाँ क्लिक कर के भी प्ले कर सकते हैं |
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दिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ReplyDeleteये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
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क्या खूब शेर निकाले हैं...आनन्द आ गया..और फिर ये चुनिंदा गीत, ओह्ह!!
दिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ReplyDeleteये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
वैसे तो हर पंक्तियाँ लाजवाब है मगर इसकी मारक क्षमता बस न पूँछिये !
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
ये बड़ा अच्छा है।
बेहद खूबसूरत नज़्म..बहुत अच्छा लगा..धन्यवाद
ReplyDelete
ReplyDeleteआसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
आज आप ने बेखौफ टाइप का भावुक बना दिया।
अल्पना जी,
ReplyDeleteचंदा ओ चंदा...मेरा भी पसंदीदा गाना है...ऐसे ही दो गाने और हैं जो शायद आपको भी पसंद हो...और अगर आपने सुने न हो तो सुनिएगा ज़रूर...चांद के पास जो सितारा है, वो सितारा हसीन लगता है (स्वीकार किया मैंने) और पुकारो, मुझे फिर पुकारो (बुनियाद)...
जय हिंद...
अच्छे तो हैं शेर ।
ReplyDeleteतेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
बहुत खूब। अच्छे भाव की पंक्तियाँ।
बारिश चाहे लाख हों याद नहीं धुल पाय।
याद करें उस याद को साहस बढ़ता जाय।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
पंक्तियां कहीं से अपनी सी लगीं कि शायद अपनी ही कहानी कह दी हो।
बधाई आपको, इस संवेदनशील रचना के लिये।
चंदा ओ चंदा तो मेरा फेवरेट है.. आपकी आवाज़ में सुनना और भी अच्छा लगा..
ReplyDeleteलम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
waah behad khubsurat,dil azeez sher.aur dilkash geet.behtarin.
लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
"बेहद खुबसूरत शेर...बस मन को भा गये.."
regards
अल्पना जी ,
ReplyDeleteहर बार की तरह इस बार भी आपने बेहतरीन गजल पेश की है .हर शेर उम्दा हैं .
पूनम
'रात ग़मे तन्हाई की' पूरी ही सर्वोत्कृष्ट और सुंदर है. डायरी ए नोट करने का लोभ संवरण नही कर पाया और नीचे आपका और आपके ब्लाग का नाम भी लिख दिया है, जिससे भविष्य मे खुद के नाम से ना ठेली जासके.
ReplyDeleteगीत बहुत ही सुमधुर.
कुल मिलाकर आज की पोस्ट यानि गीत और गजल लाजवाब. शुभकामनाएं.
रामराम.
bas ekaadh sher ko kamtar kahaa ja sakat hai, baaki laajavaab sher kahe hain alpna jee aapne. dher saari badhaai.
ReplyDelete- vijay
बेहतरीन,सभी शेर एक से बढकर एक हैं।
ReplyDeleteदिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ReplyDeleteये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
तेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
अल्पना जी एक एक शेर लाजवाब है बधाई और गीत तो क्या कहने शुभकामनायें
लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.....
bilkul sahi kaha aapne.... yeh lines dil ko chhoo gayin....
aur geet suna ..... bahut achcha laga......
ग़मे तन्हाई की रात बहुत गहरी है,
ReplyDeleteबन के ओस मेरे आंसू बिखर जाते हैं.
दिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
एकदम खरी बात
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
सच कहा जुदाई के आंसू ही होते हैं जो कभी दर्द और कभी अनायास निकल आते हैं बादलों का सीना चीर कर .......
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
सुभान अल्ला ........ कमल का शेर है ... किसी के एहसास से भी कितना फर्क पड़ता है .......... रास्ते आसान हो जाते हैं .......
बहुत खूबसूरत शेर हैं सब ............ कमाल का लिखा है ........... और आपकी आवाज़ में गाया गीत ....... सुन रहा हूँ और बस गुनगुना रहा हूँ साथ में ............
शेर पढ़ कर तो आनंद आ गया
ReplyDeleteदिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ReplyDeleteये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
बहुत बहुत सुन्दर लगी हर पंक्ति यह विशेष रूप से पसंद आई गाना तो मुझे भी बहुत पसंद है यह आपकी आवाज़ में और भी अधिक भाया शुक्रिया
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
वाह किस कदर प्यारा लिखा है...
सच कहा यही तो है डायरेक्ट दिल से....
सुंदर....
मीत
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
ये वाला अच्छा लगा.....इस गीत से एक गीत याद आ गया जो मेरे फेवरेट में से एक है .चंदा रे चंदा रे...कभी तो जमीन पे आ बैठेगे बाते करेगे
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
..अच्छी गजल लिखी है आपने चांद तो वैसे भी सभी शायरों और कवियों की पहली पसंद है और उससे बेहतर कोई रोमानी अलंकार है ही नहीं
अल्पना जी!
ReplyDeleteगज़ल में सजे सभी मुक्त शेर इतने अच्छे हैं कि यदि तारीफ न करूँगा तो खुद की नजर में बे-ईमान हो जाऊँगा।
बहुत-बहुत बधाई!
नतमस्तक है हम !
ReplyDeleteSingamaraja reading your blog
ReplyDeleteलम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
बहुत सुन्दर. और चंदा ओ चंदा......लगभग रोज़ गुनगुनाती हूं इस गीत को. साधुवाद.
ये तो मुझे गीत लगता है
ReplyDeleteभावपूर्ण भी है
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं
बहुत सुंदर शेर, एक से बढ कर एक .
धन्यवाद
लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
khoob kaha hai!
bahut hi badhiyaa.......teri aur meri ek kahani .....geet bhi dil ko chhu gaya
ReplyDelete"आसमान से भी बिछड़ गया है कोई / वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं" ये मिस्रे बहुत पसंद आये...
ReplyDeleteआपकी आवाज सुनने की कोशिश कर रहा हूँ।
wah
ReplyDeleteतेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
poori rachna dil ko chhooti hui , rishta kayam hai isliye bekhauf hun wah. bahut khoob. geet sunta hun , hamesha ki tarah badhia hi hoga. advance men badhai sweekaren.
Alpanaji
ReplyDeletekya khub likha hai. Koi shabd hi nahi tariph ke kabil
Alpanaji
ReplyDeletekya khub likha hai. Koi shabd hi nahi tariph ke kabil
जितनी सुन्दर गजल...उतना ही सुमधुर गीत भी ।
ReplyDeleteबहुत ही बढिया..
आभार्!!
बहुत बढिया गजल है।धन्यवाद।
ReplyDeleteआसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
खयाल बेहतरीन है.
आपकी सृजनशीलता में विविधता है, जैसे ये शेर. मगर इसके पीछे के एहसासात बडे ही दिल को छू लेने वाले हैं.यहां आकर रश्क होता है, कि काश हम भी कुछ शेर लिख पाते.
वैसे सबसे पहला शेर - (टूटा फ़ूटा,बिना मीटर के))
दिल मे ज़ज़बात की कमी है अभी,
वर्ना हम भी अब तक शायर होते....
चंदा ओ चंदा गीत की रवानी और मीठी मधुरता आपके स्वर में परिलक्षित होती है.
ReplyDeleteबडा ही रिफ़्रेशिंग तरीके से आपने इसे गाया है. अपने पुराने गीत सुनेंगे, और अब सुनेंगे तो आपको आपके सिंगिंग में मेलोडी में इज़ाफ़ा सुनाई देगा.
बढिया ट्रेक है, जिसनें भी प्रभावित किया है. मिल सकेगा?
एक से एक बेहतरीन शेर।
ReplyDeleteदिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
ये दो शेर कुछ ज्यादा ही पसंद आए जी। गाना तो फिलहाल सुन नही पाऐगे पर बाद में जरुर सुनेने। और हाँ ये पोस्ट में बाक्स कैसे बनाती है आप जरा हमें सीखा दीजिए।
शेर तो अच्छे हैं ही गीत भी सदाबहार young (हिंदी समानार्थी नहीं सूझ रहा है)गीत है.
ReplyDeleteआसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
अल्पनाजी
आसमान के दर्द को खूब पहचाना .बहुत अच्छे शेर है \गीत भी बहुत अच्छा गाया है |मैंने पहले भी फरमाइश कि थी एक गाने कि |अब दूसरी फरमाइश है |
मुझे पता नही है ये गीत कोनसी फिल्म का है ?गीत के बोल है
कजरे बदरवा रे ,मर्जी तेरी है क्या जालिमा
ऐसे न बरस जुल्मी
कहना दू किसी को मै बालमा
कजरे बदरवा रे ...........
आभार
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया.
ReplyDelete@खुशदीप जी याद मुझे ये दोनों गीत याद हैं.
@वंदना जी ,आप इसे रोज़ गुनगुनाती हैं..कभी हमें भी सुनाएँ प्लीज़ :)...
@दिलीप जी ट्रेक मेल कर दिया है.
@सुशील जी,आप को टेबल बनाने का कोड भेज दिया है.
@काजल जी..वैसे 'सदाबहार 'काफी है..:) सदाबहार जवाँ गीत भी कह सकते हैं.
@शोभना जी,आप का सुझाया गीत याद है.अच्छे से अभ्यास कर के सुनती हूँ जल्दी ही.
कजरे बदरवा रे...फिल्म पति पत्नी का है लता जी का ही गया हुआ.बेहद खूबसूरत संगीत..नंदा -संजीव कुमार अभिनीत फिल्म-मैं अवश्य ही प्रयास करूंगी .
abhaar
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
bahut achhee rachnaa hai
ye sher saath liye ja rahaa hooN
din bhar gun.gunaane ke liye
वाह... वाह.. अच्छी कविता के लिये साधुवाद स्वीकारें...
ReplyDeleteदिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ReplyDeleteये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
behad khubsoorat hain har sher..
aur rawaani ke kya kahne..
Chand ochanda mujhe bahut pasand hai...aapko suna to gaaane ki lalak yun jaagi hai man mein kiya bataun...sochti hun ek baar main bhi gaa hi dun..shayd ek do din mein...daal bhi dun..
bahut accha gaaya aaapne..itna accha to nahi gaa paaungi fir bhi koshish karne mein kya jaata hai...
aapki post para aana sukhd lagta hai...SIGHT AND SOUND ka alam hota hai..
dhanyawaad..
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब अल्पना जी,
ये सितारे भी तो...
ReplyDeleteअल्पना जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है. हर शब्द जैसे आपकी इन पंक्तियों के लिए ही बना हो. आपकी कमाल की लेखनी यूं ही चलती रहे.
बहुत खूब अल्पना जी...बेहद खूबसूरत नज़्म..कमाल की लेखनी ...बहुत अच्छा लगा..आभार !!
ReplyDeleteआसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
बहुत खूब.
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
Bahutjaandar gajal ke liye badhai sweekaren.
सुन्दर रचना. चंदा ओ चंदा मधुर लगी. आभार.
ReplyDeleteतेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
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बहुत खूब अल्पना जी...बहुत सुंदर शेर !!
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteतेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
-----दर्द का एक झरना है जो अंदर ही अंदर झर रहा है...और जो गूंगे का गुड़ नही रह गया है । शेर के डलों में ढलकर लोगों तक पहुंच रहा है। बेहतरीन सोच.....मुबारकें
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteतेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
-----दर्द का एक झरना है जो अंदर ही अंदर झर रहा है...और जो गूंगे का गुड़ नही रह गया है । शेर के डलों में ढलकर लोगों तक पहुंच रहा है। बेहतरीन सोच.....मुबारकें
लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
वाह.....अल्पना जी ...बहुत खूब ....!!
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
और ये तो कयामत ढा रहा है ......आल राउंडर हैं आप तो ....!!
हाँ ये C. M Quize trofi jitane की भी हार्दिक bdhai ...!!
तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
ReplyDeleteइसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
WAAH ! WAAH ! WAAH ! Kya baat kahi aapne...Waah !
Bhaavbhari bhut hi sundar rachna...
Aapke kalam aur kanth dono ko hi mata saraswati ka aashirwaad prapt hai....
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
अल्पना जी ,
बहुत अच्छी संवेदनात्मक रचना--पढ़कर आनन्द आया।
हेमन्त
व्यस्तता के चलते अरसे बाद आया .वैसी ही गीत ग़ज़ल स्वर की महफ़िल.
ReplyDeleteग़ज़ल कहिये या कुछ और .भावनाएं तो मन को छूती ही हैं .
बधाई .
Bhut badhiya.
ReplyDeleteगजल वाकई सुन्दर बन पडी है। लेकिन गजल से ज्यादा अच्छी लगी वह बात जो आपने गजल के सम्बंध में कही है। यानी की कुदरती रूप में। यह ईमानदार अभिव्यक्ति बहुत कम देखने को मिलतीहै।
ReplyDelete--------
स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।
bahut sunder vichar aur takkar letee abhivyaktee .badee sunder rachana . Badhai
ReplyDeleteगमे तनहाई का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है आपने।
ReplyDelete------------------
हाजिर है एक आसान सी पक्षी पहेली।
भारतीय न्यूक्लिय प्रोग्राम के जनक डा0 भाभा।
# दिल की चोखट पर कभी तो कोई आए,
ReplyDeleteये सितारे भी मुख्तलिफ डगर जाते हैं.
# आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
# तेरी यादों से रिश्ते कायम हैं अभी,
इसलिए हर राह से बेखौफ गुज़र जाते हैं।
बहुत खूब और बेहतरीन शेर हैं.
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
ReplyDeleteवरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
waakai bahut hi sundar aur mundar rachanaa hai,
लम्हों में कट जाएगी ज़िन्दगी मेरी,
ReplyDeleteतेरे आने से ये पल यूँ संवर जाते हैं.
आसमान से भी बिछड़ गया है कोई,
वरना क्यूँ ये बेमौसम बरस जाते हैं.
आशा से आकाश टंगा है
श्वांस तंतु कब टूटे...
_गुप्त जी की इस मंत्रणा मे बहुत से प्रतीक्षुओं की राहत छुपी है
हम ही प्रतीक्षा में हैं इधर भी आएं..
bahut sundar!!!
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