वास्तविक जीवन में यूँ तो हर रिश्ते की अपनी एक पहचान होती है उनकी एक नज़ाकत होती है ,अधिकार और अपेक्षाओं से लदे भी होते हैं .एक कहावत भी है 'जो पास है वह ख़ास है'.
यथार्थ से जुड़े और जोड़ने वाले इन रिश्तों से परे होते हैं -कुछ और भी सम्बन्ध !
जो होते हैं कुछ खट्टे , कुछ मीठे,कुछ सच्चे ,कुछ झूटे!
यूँ तो इन में अक्सर सतही लगाव होता है..जो नज़र से दूर होतेही ख़तम हो जाता है.
इन के कई पहलू हो सकते हैं...सब के अपने अलग अलग विचार और राय होंगी इस विषय में .
एक पहलू मैं यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ-
यथार्थ से जुड़े और जोड़ने वाले इन रिश्तों से परे होते हैं -कुछ और भी सम्बन्ध !
जो होते हैं कुछ खट्टे , कुछ मीठे,कुछ सच्चे ,कुछ झूटे!
यूँ तो इन में अक्सर सतही लगाव होता है..जो नज़र से दूर होतेही ख़तम हो जाता है.
इन के कई पहलू हो सकते हैं...सब के अपने अलग अलग विचार और राय होंगी इस विषय में .
एक पहलू मैं यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ-
आभासी रिश्ते --------------- कांच की दीवार के परे , कुंजीपटल की कुंजीयों से बने, माउस की एक क्लिक से जुड़े- मुट्ठियाँ भींच कर रखो तो मुड़ जाते हैं, खुली हथेलियों में भी कहाँ रह पाते हैं, मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं. कैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं! देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले , भावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं, अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक , टूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं. ये रिश्ते ..आभासी रिश्ते! -लिखित द्वारा-अल्पना वर्मा- --------------------------------------- [चित्र-साभार-देव प्रकाश चौधरी ] |
आज का गीत - मूल गीत गीता दत्त का गाया फिल्म-बाज़ी से है. जिसे आज अपने स्वर में प्रस्तुत कर रही हूँ- गीत के बोल बहुत खूबसूरत हैं -'क्या ख़ाक वो जीना है जो अपने ही लिए हो.... अगर प्लेयर काम नहीं कर रहा तो यहाँ पर भी सुन सकते हैं. |
मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
ReplyDeleteकैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
BILKUL SAHI KAHA HAI AAPANE KI KUCHH RISHTE MAN KE STAR PAR HOTE HAI OUR RUH TAK PAHUNCHATE HAI .........WAAH WAAH ..........BAHUT KHUB......
देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले ,
ReplyDeleteभावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं,
अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
टूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं.
ये रिश्ते ..आभासी रिश्ते!
bahut khoob alpana ji, alpkaaleen ya kahen chhui-mui rishton ko sahi naam diya hai , "aabhaasi rishtey"
geet sunta hun, umda hi hoga hamesha ki tarah.
5 min. pahle maine bhi ek geet post kiya hai , samay mile to padhen.
मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
ReplyDeleteकैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
बहुत सुंदर बन पड़ा है.
आभासी रिश्तों पर बहुत सुंदर रचना की है .. और गीत तो सुन ही रही हूं .. बहुत सुंदर गाया .. सचमुच आनंद आ गया !!
ReplyDelete"अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
ReplyDeleteटूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं."
इनमें अपेक्षायें नहीं इसलिये ही तो यह नाजुक हैं । अजीब-सी तस्वीर है इनकी । अतृप्ति की कशिश है इनमें । सब कुछ निःशेष होने के बाद भी महसूसियत का रोमानीपन है इनमें । आपने सही कहा -
"मुट्ठियाँ भींच कर रखो तो मुड़ जाते हैं,
खुली हथेलियों में भी कहाँ रह पाते हैं,"
मधुर स्वर में खूबूसूरत गीत । सम्पूर्ण प्रविष्टि । आभार ।
लेखनी प्रभावित करती है.
ReplyDeleteआपकी रचना मुझे बहुत पसंद आई....भाव और सोच बहुत खूब हैं ....आपकी आवाज़ में गाना सुना बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता हम सब लोग को छूने वाली....! गीत भी पसंदीदा
ReplyDeleteपीर कही ना जाय आभासी जगत की -यादगार अभिव्यक्ति ! शुक्रिया ! गीत के लिए एक और शुक्रिया !
ReplyDeleteमन के रिश्तों की बहुत ही खुबसूरत कविता है...
ReplyDeleteरिश्ते तो दरअसल होते ही मन के हैं...क्यों कि तन के रिश्ते तो बने बनाए मिलते हैं हमें विरासत में और मन के रिश्ते आदमी खुद सृजता है......खुद
चुनता है....
"मुट्ठियाँ भींच कर रखो तो मुड़ जाते हैं,
ReplyDeleteखुली हथेलियों में भी कहाँ रह पाते हैं,"
वाह...वाह...!
अल्पना जी!
कितनी खूबसूरती से आपने अपने शेरों में
मनोभावों को प्रस्तुत कर दिया।
बधाई!
उम्दा रहा आपका गाया
ReplyDeleteमुक्त आवाज़
और मन से गाया गीत अल्पना जी !
और , कविता भी भावपूर्ण लगी
स्नेह सहीत,
- लावण्या
कविता तो कमाल की कही है आपने.. इसके भाव अपने आप में परिपूर्ण है मन को झकझोरने के लिए... मगर क्या करूँ आपकी गाई गीत नहीं सुन पा रहा हूँ कोई तकनीक परेशानी है शायद... फिर लौटता हूँ... बधाई और आभार...
ReplyDeleteअर्श
अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
ReplyDeleteटूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं.
-बेहद भावपूर्ण कोमल रचना. गीत भी उतना ही सुन्दर.
मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
ReplyDeleteकैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
भावपूर्ण सुन्दर रचना
अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
ReplyDeleteटूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं.
ये रिश्ते ..आभासी रिश्ते!
आभासी जगत का सुन्दर रेखांकन. बधाई अल्पना जी.
"अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
ReplyDeleteटूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं"
आभासी जगत के रिश्तों को कितने भावपूर्ण तरीके से शब्दों में समेटा है आपने!! बेहतरीन्!!
गीत भी मनभावन्!!
आभार्!
laga........... man padh liya , bahut sundar rachna :)
ReplyDeleteअपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
ReplyDeleteटूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं.
बहुत सटीक अभिव्यक्ति. गीत बहुत खूबसूरत और शानदार आवाज, कर्णप्रिय गीत. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
yah kavita bahut hi saral hai,par kaafi gudh bhawnayen hain aur aapki aawaaz.......mashaallah
ReplyDeleteएक तो,
ReplyDeleteअन्तरजाल,
और उसके,
रिश्तो को,
जाल्।
कुछ भी समझ
नही पाता हूं,
बस उलझता ही
जाता हूं,उलझता ही
जाता हूं।
Woww!!! Superbb!!This 1 is Ur Best Recording i heard Ever Really Great !
ReplyDeleteमन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
ReplyDeleteकैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक,
टूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं.
बहुत ही सुंदर लिखा है आपने लगता है
बेहतरीन शब्दों का जादू सा !
एक सत्य यह भी कि रिश्तों से ही जीवन है... बिना रिश्तों के जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल !
पहले जब हम संसाधनहीन थे तो दूर रहकर भी दिलों से बहुत पास हुआ करते थे ,आज सब कुछ है फिर भी कितने अकेले हैं.
दुनिया सिमटकर छोटी हो गयी है, पर हम रिश्तों से दूर हो गए हैं ! शायद वास्तविक रिश्तों को निभा पाना, आभासी रिश्तों की अपेक्षा ज्यादा दुरुह हो गया है।
आज के दौर में लगता है हर एक का पीछा सा कर रहा है ये गाना - 'एक अकेला इस शहर में ....."
जिंदगी में लोग अकेलापन ज्यादा महसूस कर रहे हैं ! दर्द और शिकायतों को बांटने वाले नजर नहीं आते ! फेसबुक में मित्र मंडली की संख्या बढाता आदमी रिश्तों को खोजता है, लेकिन घर में रह रहे भाई-बहन, मां-बाप से बात नहीं होती !
एक अनाम रिश्ते को नाम देने की पुरजोर कोशिश होती है ! लेकिन स्थापित रिश्तों की किसी को परवाह नहीं है। ऐसे माहौल या दौर में किसी व्यक्ति का दर्द बांटने आखिर कौन आयेगा । इस ब्लैक एंड व्हाईट जिंदगी में कौन रंगों को बिखेरेगा !
बस साल भर मदर डे, फादर डे, velentaayin डे, फ्रैंडशिप डे, .... के एसएमएस से मैसेज भेजते रहो !
अब प्रीत की रीत है बदल गई,
रिश्तों की भाषा हुई नई,
पहले सी बातें नही रही,
जब सब कुछ कह देता था मौन
इस वाचाल हुए युग मे,
चुप की भाषा को समझे कौन!!
गीतादत्त जी के इस सदाबहार बेहतरीन गाने के साथ आपने भरपूर इन्साफ किया है ! जैसा कि मैं पहले भी कह चूका हूँ आपकी आवाज गीता दत्त जी के गाने के साथ गजब की मैच करती है ! इस गाने को अगर संभव हो तो वीडियो मिक्स कीजिये !
बहुत ही स्मरणीय पोस्ट !
आभार एवं शुभ कामनाएं
प्रतिक्रिया लम्बी हो गयी हो तो कृपया कांट-छाँट कर छोटा कर लीजियेगा !
सधन्यवाद !!
wah! kya baaaaat hai.
ReplyDeletegr8 singing.
-Vandana Gupta
मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
ReplyDeleteकैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
VAKAI MEIN KUCH RISHTE AISE HOTE HAIN TO ROOH SE ROOH MEIN UTAR JAATE HAIN .... UNKO SAMAJHNA MUSHKIL HOTA HAI ... AISE ROSHTON KA MAHATV HAR KISI KE JEEVAN MEIN HOTA HAI ... BAS UNKA KOI NAAM NAHI HOTA .... BAHOOT HI SUNDAR RACHNA HAI ....
AAPKA GEET BHI HAMESHA KI TARAH LAJAWAAB ,,,, SHUKRIYA
नए तेवर लिए आये नई तहजीब के रिश्ते
ReplyDeleteनई खुसबू से हैं भरपू.. नई तंजीम के रिश्ते
ये क्या कम है कि ये दीवार केवल काँच की ही है
कमजकम देख सकते है हमारे कांच के रिश्ते
धन्यवाद
तकनीकी समस्या के कारन आपको परेशां होना पड़ा
इसके लिए खेद है
किन्तु इस विषय में क्या करना होगा यह मुझेज ज्ञात नहीं
अच्छा विषय उठाया है
टूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं.
ReplyDeleteये रिश्ते ..आभासी रिश्ते!
निशब्द हूँ...
मीत
देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले ,
ReplyDeleteभावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं,
बहुत खूब अल्पना जी बहुत सुंदर
देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले ,
ReplyDeleteभावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं,
बहुत सही कहा है आपने इस रचना में अल्पना ..
बढ़िया अंदाज उम्दा .अल्पना जी बहुत सुंदर आभार
ReplyDelete♥♥♥♥♥♥
रामप्यारीजी से एक्सक्लुजीव बातचीत
Mumbai Tiger
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
वाह आपने ने भी रिश्ते नातों पर अपनी कलम चला दी। पसंद आई आपकी रचना और उसके भाव।
ReplyDeleteमन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
कैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
सच्ची बात कह दी। गीत का अपना एक अलग ही आनंद होता है। सुनकर अच्छा लगा। आपके ब्लोग पर आने का यही फायदा होता है कि बेहतरीन रचना और प्यारा गाना सुनने को मिलता है।
बहुत खूब.. रिश्तों का पहलू असरदार रहा.. आज का गीत मनभावन..हैपी ब्लॉगिंग
ReplyDeleteअल्पनाजी, पिछली बार इस बात पर मन अटक गया था, कि यह वर्च्युअल वर्ल्ड या आभासी दुनिया एक मायाजाल ही तो है.
ReplyDeleteमगर उस पर आगे जा कर आपने ये बेहद भावपूर्ण कविता लिख दी, जो मेरी समझ से इस विषय पर सबसे पहली और मौलिक रचना है.
आभासी रिश्ते भी अधिकतर संवेदनशील होते हैं, मानवी रिश्तों की तरह, क्योंकि उन्हे बनाते तो हम ही मानव हैं. हालांकि इसके साथ भी वैसे ही Pride & Prejidice जुडे होते हैं, और प्रेम तथा स्नेह भी.(इसकी मात्रा अधिक है). इस प्रेम और स्नेह का आधार है वसुध्यैव कुटुम्बकम का फ़लसफ़ा, और् आप जैसे साफ़, स्वच्छ मन के मालिक लोग, जो हर समय मदत के लिये तत्पर रहते है. धन्यवाद.
आप क्या सोचते हैं?
आपका गाना नहीं सुन पा रहा हूं , क्यों कि मेरे दोनो लेप्टोप ठीक होने गये हैं. ऒफ़िस के पीसी पर अभी स्पीकर नही जुडे हैं. फ़िर से आऊंगा.
देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले ,
ReplyDeleteभावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं,
सच्ची बात...ये आभासी रिश्ते कितने मजबूत हैं ये कमाल की बात है...
खूबसूरत रचना...बधाई.
नीरज
"अपेक्षाओं से बहुत दूर , मगर, हैं नाज़ुक ,
ReplyDeleteटूट कर गिरे तो बस ,बिखर कर रह जाते हैं."
जो बात है वो कह दिया.
अब मै क्या कहूं मेने तो इन सभी रिशतो को रिश्ते हुये देखा है, बस आप की कविता ने फ़िर से जख्म ताजे कर दिये, गीत बहुत सुंदर लगा.
ReplyDeleteधन्यवाद
Dil ko chhuti bhavpurna rachna !!
ReplyDeletealpnaji
ReplyDeleteacha laga
aapne arth tantra mein bikharte ja rehe ristoo aur manushya mein panapne wale haiwan ko nahi ubharker uske man mein ab bhi bachi ristoo ki chah ko ukerahai aur nayi taknik ke sahare ban rehe ristey ke bare bataya hai......vakai rachna samsamyik v bahut achi ban padi hai....badhai
ये रिश्ते आभासी रिश्ते....
ReplyDeleteआपकी सशक्त लेखनी ने इस बेमिसाल रचना के जरिये हम तमाम ब्लौगरों के मन की बात कह दी....अहा!
हैट्स-आफ!
मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
ReplyDeleteकैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
koee smaa ho koee desh ho man ke roshte kabhi nahi tootte....
देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले ,
ReplyDeleteभावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं,
मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
कैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
क्या सच्ची बात कही है लगता है ये सारा जैसे एक ही परिवार हो सब के मन की बात कह दी आपने । और आपकी आवाज़ का जादू पूरी तरह हम पर छल गया है बधाई
sach hi to likh diyaa aapne/ sach jab bhi kavita me hota he to gahre utar jaataa he/
ReplyDeleteमन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
कैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!
rishte..maheen dhaage ki tarah hote he jinhe maanjhanaa hota he..jo jitanaa adhik maanjhta he usake jeevan ki patang aakaash me jyada der tak udati he/bahrhaal, sundar bhaav/
Alpana Didi
ReplyDeletehamne aapka vidio dekha aur gana suna. aapne bahut sundar gaaya hai. aapka doosra wala blog -bharat darshan bhi dekha.
ab ham bharat ko aapke blog se hi samajhane ki kosish karege.
संवेदनाओं की धरा पर पनपे रिश्तों को चूँकि हम अपने हिसाब से आकर दे सकते हैं,इसलिए वे ह्रदय से इतने निकट हुआ करते हैं...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ढंग से भाव को आपने शब्दों में बाँधा है...और आपकी गायकी,वह तो बस सिद्ध है......
गहरी बातें, गहरे भाव, गहरी सोंच से भरी है आपकी यह सुन्दर रचना.
ReplyDeleteहार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त.
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
जाने क्यों आपकी सर्वश्रेष्ट पोस्टो में इसे रखना चाहूँगा .कविता से पहले लिखे गये शब्द ....मुझे इस पूरी पोस्ट की आत्मा सी लगी...ओर बहुत दूर तक ले गये ..आप ऐसी पोस्ट क्यों नहीं लिखती ????
ReplyDeleteबेहद उत्कृष्ट रचना !
ReplyDeleteअक्सर ये आभासी रिश्ते भी ऐसा कुछ कर जाते हैं जो अत्यंत करीब के रिश्ते भी नहीं कर पाते !
ब्लॉग जगत में बेशुमार लिखा जा रहा है
लेकिन मेरा मानना है कि ऐसी ही मौलिक और ह्रदयस्पर्शी रचनाओं से ब्लॉग जगत समृद्ध होगा और उसे नयी उंचाईयों पर ले जाएगा !
आपका आभार व शुभकामनाएं
क्रियेटिव मंच
कहीं न कहीं आभासी जगत के रिश्तों में एक 'मिथक' सा तत्त्व पाया जाता है जो सशरीर मिलने पर टूट जाता है। मुझे तो लगता है कि आभासी रिश्ते आभासी ही रहें तो अच्छा हो।
ReplyDeleteशुरूआत में कंप्यूटरी कविता !
ReplyDeleteabhasi rishte nam se hi rishto ki khushbu ka ahsas ho gya jhan apekshaye na ho to rishto me apnapan kaisa ?ak tippni ki apeksha to rhti hi hai ,tbhi to aur jud skte hai .
ReplyDeleteman se .
bahut bhavpurn rachna .geet abhi sun nhi pa rhi hoo.
abhar
Dr.Anurag ki baat se sahmat hoon.
ReplyDeleteमाउस की एक क्लिक से जुड़े आभासी रिश्ते .. मै पिछले दिनो लगातार इस बारे में सोच रहा हूँ .. आपने तो इन्हे शब्द भी दे दिये ..इस विषय पर यह सचमुच पहली कविता है । लेकिन यह सिर्फ आभास नहीं है .. । आपकी आवाज़ भी सुन ली तस्वीर भी देख ली ,आपके लिखे शब्द भी पढ़ लिये .. अब लगता है आपसे भेंट भी हो जायेगी .. आमीन ।
ReplyDeleteएक बहुत ही सार्थक और सजीव रचना
ReplyDeleteसब के मन की बात ,,,सभी के लिए....
आपकी लेखनी को नमन . .
गीत ठीक से नहीं सुन पा रहा हूँ
कभी गीता दत्त जी का वो गीत भी सुनवाईये ...
"मेरा सुन्दर सपना बीत गया........"
फिल्म - भाई-भाई (शायद)
और सुरैया जी का एक गीत ...
"जब तुम ही नहीं अपने ,,दुनिया ही......"
फिल्म - परवाना ??!!
---मुफलिस---
देह से नहीं ,बस मन से बाँधने वाले ,
ReplyDeleteभावों का अथाह सागर कभी दे जाते हैं,
अल्पना जी,
बहुत सुन्दर भावों को शब्दों में बांधा है आपने---।
पूनम
कासिद बनकर आया है बादल,
ReplyDeleteकुछ पुराने रिश्ते साथ लाया है ;
आसमान से आज कई यादें बरसेंगी ..........
bahut khoob likha hai aapne....aabhasi rishte....
ReplyDeleteआज आपकी ये "आभासी रिश्ते" रचना पढ़ी अच्छी लगी
ReplyDelete"मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
कैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!"
ये रिश्ते होते ही ऐसे हैं, जो समझ नहीं आते,
इन को समझना भी मुश्किल है, कयोंकि ये मन से बनते हैं,
ये रिश्ते जो इन्सान समझ नहीं पाता,
परन्तु इन रिश्तों के बिना जिंदगी भी अधूरी ही होती है,
जिस को समझ आ जाये उस के लिए,
ये उस खुदा, उस भगवान् का अनमोल तोहफा है ||
आज आपकी ये "आभासी रिश्ते" रचना पढ़ी अच्छी लगी
ReplyDelete"मन से बनते हैं ,कभी रूह में उतर जाते हैं.
कैसे रिश्ते हैं ये ? जो समझ नहीं आते हैं!"
ये रिश्ते होते ही ऐसे हैं, जो समझ नहीं आते,
इन को समझना भी मुश्किल है, कयोंकि ये मन से बनते हैं,
ये रिश्ते जो इन्सान समझ नहीं पाता,
परन्तु इन रिश्तों के बिना जिंदगी भी अधूरी ही होती है,
जिस को समझ आ जाये उस के लिए,
ये उस खुदा, उस भगवान् का अनमोल तोहफा है ||
रिश्तों का संसार बडा ही अनोखा होता है।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने धन्यवाद।
आभासी को आभासी बनाये रखना भी एक कला है!
ReplyDelete