होली की शुभकामनाओं के साथ दो दिन पहले जब यह कविता प्रकाशित की थी तब तकनीकी कारणों से गीत पोस्ट नहीं कर पाई.रश्मि जी ने इस पोस्ट में एक गीत की कमी बताया इस लिए इसी पोस्ट में जोड़ कर प्रस्तुत कर रही हूँ.कल ही मुम्बई से अरविंद जी ने इस का ट्रैक बना कर भेजा है.आज रिकॉर्ड किया है.
जिन साथियों ने इस गीत का अनुरोध किया था.इस सुन्दर गीत से परिचय कराने हेतु उनका भी आभार.
आशा है यह गीत आप सभी को पसंद आयेगा.फिल्म अनुपमा[१९६६]का यह मूल गीत लता जी ने गाया है.
संगीत हेमंत दा का और लिखा है कैफी आजमी साहब ने.
कुछ दिल ने कहा [फिल्म-अनुपमा]
[यह मूल गीत नहीं है.]
Play or download mp3 Here
updated post on March 10,2009.
जिन साथियों ने इस गीत का अनुरोध किया था.इस सुन्दर गीत से परिचय कराने हेतु उनका भी आभार.
आशा है यह गीत आप सभी को पसंद आयेगा.फिल्म अनुपमा[१९६६]का यह मूल गीत लता जी ने गाया है.
संगीत हेमंत दा का और लिखा है कैफी आजमी साहब ने.
कुछ दिल ने कहा [फिल्म-अनुपमा]
[यह मूल गीत नहीं है.]
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updated post on March 10,2009.
होली का त्यौहार नज़दीक आ रहा है.इसी अवसर पर प्रस्तुत है एक रंग बिरंगी कविता और होली की
ढेर सारी शुभकामनाएँ-:
रंगों की फुहार ------------- बहे बसंती बयार ,आया होली का त्यौहार, हरसू छाई बहार ,उडे रंगों की पतंग. गौरी करके सिंगार ,मांगे प्रीतम का प्यार, कोई करे मनुहार ,और कोई करे तंग. पिचकारी की कतार, हुई रंगों की बोछार, नाचे गाएं बार बार,बाजे ढोल और मृदंग. गावे कवित्त और फाग,बस चढ़ रहा खुमार, गले भंग लो उतार,थोड़ा कर लो हुडदंग! भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार, करो सब को शुमार, खेलो होली के रंग. -अल्पना वर्मा |
बेहतरीन होली गीत..आपको भी होली की बहुत शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteकोरा दंभ
ReplyDeleteजीवन निरालम्ब
अंध -स्पर्धा
शर्म बेपर्दा
बेबूझ अज्ञान
सहयात्री से अंजान
भ्रांत -अवधारणा
एकाकी विचारना
पाँवों का भटकाव
जिन्दगी का ठहराव
-----------------------
इन सब की जलाओ होली
फिर दिल से मनाओ होली
एक बेहतरीन और सुंदर होली का गीत
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
होली का हुड़दंग मचा है, गाँव-गली, घर-द्वारों में,
ReplyDeleteठण्डाई और भंग घुट रही, आंगन और चौबारों में।
प्रेम-गीत और ढोल नगाड़े, साज सुरीले बजते हैं,
रंग-बिरंगी पिचकारी की, चहल-पहल बाजारों में।
राधा-रानी, कृष्ण-कन्हैया, हँसी-ठिठोली करते है,
गोरी की चोली भीगी है, फागुन-फाग, फुहारों में।
होली का हुड़दंग मचा है, गाँव-गली, घर-द्वारों में,
ReplyDeleteठण्डाई और भंग घुट रही, आंगन और चौबारों में।
प्रेम-गीत और ढोल नगाड़े, साज सुरीले बजते हैं,
रंग-बिरंगी पिचकारी की, चहल-पहल बाजारों में।
राधा-रानी, कृष्ण-कन्हैया, हँसी-ठिठोली करते है,
गोरी की चोली भीगी है, फागुन-फाग, फुहारों में।
... sundar rachanaa!!!!!
ReplyDeleteबरसे रंग जीवन मे खुशियों के आपके,
ReplyDeleteहर रात हो दिवाली और दिन हो होली समान्।
होली की रंग-बिरंगी बधाईयां। होली है…………………………………………………………॥
गावे कवित्त और फाग,बस चढ़ रहा खुमार,
ReplyDeleteगले भंग लो उतार,थोड़ा कर लो हुडदंग!
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
करो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
waah bahut sundar,allad mann rangon mein bhig liya.holi bahut mubarak ho aapko bhi.
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
ReplyDeleteकरो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
हर दिल में उमंग ,हर दिल पर चढा फाग का रंग .:) बहुत सुन्दर होली मुबारक
गौरी करके सिंगार ,मांगे प्रीतम का प्यार,
ReplyDeleteकोई करे मनुहार ,और कोई करे तंग.
होली बहुत बहुत मुबारक
Regards
सुन्दर। हम तो सुनने की भी आशा कर रहे थे पर उसका कोई प्वाइण्ट दिख नहीं रहा पोस्ट पर।
ReplyDeleteहोली पर एक बेहतरीन रचना।
ReplyDeleteभीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
करो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
बहुत ही उम्दा।
वाह जी क्या बात चारों तरफ होली के रंग़। हम भी सोच रहे है कि इस बार होली मना ही लें।
वाह प्रेमरंग पगी कविता -आप भी खेले होली रंगों के साथ अपनों के साथ ! रंगभरी कामनाएं !
ReplyDeleteपिचकारी की कतार, हुई रंगों की बोछार,
ReplyDeleteनाचे गाएं बार बार,बाजे ढोल और मृदंग।
बहुत बढ़िया ।
वाह अल्पना जी वाह बहोत ही खुबसूरत रंगों में रंगी सुन्दर अल्फाजों से सजी ये कविता ... आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से ढेरो रंगीन बधाइयां ....
ReplyDeleteआभार
अर्श
खरबूजे को देख-देख कर, रंग बदला खरबूजे ने।
ReplyDeleteलिखना-पढ़ना खीख लिया है, अब नन्हे चूजे ने।।
प्रतिभा की है धनी अल्पना, सुन्दर रंग भरने होंगे।
टिप्पणी में अपने विचार, कुछ विस्तृत करने होंगे।।
होली का मौसम तो एक माह पहले से ही मन मस्तिष्क पर हावी हो जाता है। सुन्दर रचना, बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर, होली के रंगो मे रंगी आप की यह कविता, काश आप की मधुर आवाज मे सुननए को मिलती तो होली के रंगो मे भांग का नशा भी शामिल हो जाता, यानि सोने पर सुहागा.
ReplyDeleteधन्यवाद इस सुंदर कविता के लिये.
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी भीगी भीगी बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
अल्पना जी
ReplyDeleteसुंदर कविता होली की मस्ती भरे सुंदर रंग, आपकी तो रचना भी सुंदर रंग संजोए है
आपका कविता पाठ सुंदर रहा होगा, मैने मिस किया
आपको और आपके परिवार को होली की बधाई और मुबारकबाद
होली रंगों में रंगी कविता । बहुत सुन्दर
ReplyDeleteरंगों की फुहार
ReplyDelete-------------
बहे बसंती बयार ,आया होली का त्यौहार,
हरसू छाई बहार ,उडे रंगों की पतंग.
गौरी करके सिंगार ,मांगे प्रीतम का प्यार,
कोई करे मनुहार ,और कोई करे तंग.
पिचकारी की कतार, हुई रंगों की बोछार,
नाचे गाएं बार बार,बाजे ढोल और मृदंग.
गावे कवित्त और फाग,बस चढ़ रहा खुमार,
गले भंग लो उतार,थोड़ा कर लो हुडदंग!
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
करो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
-अल्पना वर्मा
alpana koi ek stanza nahin mujhe to poori hi kavita bha gai aur rangon se khoobsoorti aur parwan chadh gai. bahut khoob likha hai aapne. holi ki shubhkaamnaon sahi dheron badhai.
Holi Mubarak ho.
ReplyDelete___
महिला दिवस पर युवा ब्लॉग पर प्रकाशित आलेख पढें और अपनी राय दें- "२१वी सदी में स्त्री समाज के बदलते सरोकार" ! महिला दिवस की शुभकामनाओं सहित...... !!
बहुत ही सुन्दर चित्रण इस होली के शुभ अवसर पर...
ReplyDeleteआपको होली की बहुत शुभकामनाएं...
अगर आप मुझे यह बता सकें की आप गाने रिकॉर्ड किस सॉफ्टवेर से करती हैं तो अच्छा लगेगा...
मेरे रिकॉर्डिंग में शोर अभी भी खलल डाल रहा है...
होली की शुभकामनाऐं..
ReplyDeleteसुन्दर कविता.. आप बहुमुखी प्रतिभा की धनी है.. आपके द्वारा गाये गाने भी बहुत अच्छे है.. बधाई
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
ReplyDeleteकरो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
भीजे शब्द का उपयोग नया है, जो आल्हादायक मानसिक अवस्था का परिचायक है.
मैं राज जी से सहमत हूं कि ये गीत काश आप या तो गा कर सिर्फ़ तरन्नुम में या पढ कर सुनाती.
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
ReplyDeleteकरो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
भीजे शब्द का उपयोग नया है, जो आल्हादायक मानसिक अवस्था का परिचायक है.
मैं राज जी से सहमत हूं कि ये गीत काश आप या तो गा कर सिर्फ़ तरन्नुम में या पढ कर सुनाती.
Holi par aap ka yah geet pasand aaya.
ReplyDeleteHoli ki agrim shubhkamnayen.
अनेक रंगों में रंगी फागुनी कविता .सभी परिवार वालो को होली के रंग मुबारक
ReplyDeleteहोली की आपकओ भी अल्पना जी रंगीन बधाई....मैंने तो सोचा था कि अपने अब के पोस्त आप कोई होली गीत सुनायेंगी
ReplyDeleteरंगों का ये त्यौहार
ReplyDeleteआपको भी मुबारक,
एक बहुत ही खुबसूरत और रंगबिरंगी रचना के लिये हार्दिक बधाई...
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
ReplyDeleteकरो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
एक साहित्यिक होली गीत. बहुत शुभकामनाएं. पाठको की दिली ख्वाहिस पर इसे आवाज दिये जाने के हम भी हिमायती हैं. जब भी आपको समय मिले . इस गीत को स्वर अवश्य देवे. ऐसे शब्दों की रचानाएं कम ही पढने को मिलती हैं.
होली बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
अल्पना जी ,
ReplyDeleteतथा सभी हिन्दी ब्लोग जगत के साथियोँ को
होली पर्व पर रँगभरी शुभकामनाएँ
bahut sundr
ReplyDeleteआदरणीया अल्पना जी
ReplyDeleteअभिवन्दन
"रंगों की फुहार " एक मनभावन प्रस्तुति है आपकी
ख़ासतौर पर निम्न पंक्ति कुच्छ हट कर लगी :-
गोरी करके सिंगार, माँगे प्रीतम का प्यार.
- विजय
गौरी करके सिंगार ,मांगे प्रीतम का प्यार,
ReplyDeleteकोई करे मनुहार ,और कोई करे तंग.
.......
ek geet kee kami rah gai......
holi aayi re kanhaai rang chhalke suna de jara baansuri........
holi kee shubhkamnayen
आदरणीय अल्पना जी ,
ReplyDeleteरंगों की फुहार आपने वहां से छोडी और यहाँ लखनऊ में हम रंग से सराबोर हुए ...
आपको महिला दिवस और होली की शुभकामनायें.
पूनम
Alpana ji
ReplyDeleteWonderful poem.
Plz keep writing.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
समयचक्र: रंगीन चिठ्ठी चर्चा : सिर्फ होली के सन्दर्भ में तरह तरह की रंगीन गुलाल से भरपूर चिठ्ठे
ReplyDeletesundar rachana
ReplyDeletesundar rachana mousam ke mijaaj ki tarah
ReplyDeletesundar rachana mousam ki tarah
ReplyDeleteहोली के सभी रंग मौजूद है आपकी इस सुंदर कविता में.. आपको और आपके परिवार को होली की ढेरों शुभकामनाएं..
ReplyDeleteSunder holi ki panktiyan....Aapko bhi holi ki dher sari mubaarakvaad
ReplyDeleteहोली का बहुत प्यारा गीत । होली की शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteAlpna ji,
ReplyDeleteHOLI KI DHERON SHUBHKAMNAYEN....!!
वाह होली-
ReplyDeleteमन को मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग
आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके...
हिंदी ब्लोगेर्स को होली की शुभकामनाएं और साथ में होली और हास्य
धन्यवाद.
सुन्दर भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगी रंग बिरंगी भावों की यह अनुपम प्रस्तुति
होली के इस शुभ अवसर पर आपको भी हमारी हार्दिक शुभकामनाये.
अल्पना जी होली की ढेरो मुबारकबाद ... और शुभकामनाएं... बहोत ही सुन्दर अपने मखमली आवज़ में एक बारगी फिर में मंतामुग्ध कर दिया है आपने फिर से .... बहोत बहोत बधाईयाँ आपको... मगर तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है.... के क्या कहने पता नहीं कितनी बार उसे सुन चूका हूँ.... फिर से कायल हो गया हूँ आपका....
ReplyDeleteअर्श
बहुत बढिया...
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत मुबारकबाद...
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
ReplyDeleteकरो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
वाह वा अल्पना जी...आप का गया गीत और ये कविता दोनों बेजोड़....
होली की शुभ कामनाएं.
नीरज
Bahut Khoob !!
ReplyDelete______________________________________
होली के शुभ अवसर पर,
उल्लास और उमंग से,
हो आपका दिन रंगीन ...
होली मुबारक !
'शब्द सृजन की ओर' पर पढें- ''भारतीय संस्कृति में होली के विभिन्न रंग''
आपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई और शुभकामनायें.
ReplyDeleteधन्यवाद
आपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई और शुभकामनायें.
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह !
ReplyDeleteकविता के सुन्दर शब्दरंग मनोभूमि पर उतर आह्लाद के रंग बिखेर गए....
बहुत ही सुन्दर इस कविता के लिए बधाई...
आपको सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये.
छौक्कर परिवार की तरफ से आप और आपके परिवार को रंगो से भरी होली मुबारक। हम तो अब जा रहे गुंजिया बनवाने, गाना रात को सुनेगे। बस आपको होली की शुभकामनाए देने आऐ थे।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गाया गया है है यह गीत. अनुपमा फ़िल्म के सभी गीत मेरे पसंदीदा हैं. एक अलग ही अंदाज मे और ताजगी के साथ भाव विभोर कर गया यह गीत. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteहोली पर्व की आपको परिवार सहित घणी रामराम.
Alpana ji
ReplyDeleteAapka geet Dubai aane par sunungaa........
Aapko aur aapke pariwaar ko holi ki shubh kaamnaayen
ab hui n baat......aisi bhi baaten hoti hain....
ReplyDeleteअति सुंदर... हमारी तरफ़ से फ़िर से ....
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
bahut sundar, holi ki shubhkamnaayen.
ReplyDeleteआपके और आपके पुरे परिवार को होली की बधाई और शुभकामनायें.
ReplyDeleteहोली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाओं सहित!!!
प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर
aapko bhi holi ki bahut bahut shubhkaamnaayein,,,
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत शुभ कामनाएं....
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteआपको होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहाय बड़े देर में नंबर लगा. बोरी भर भर कर शुभकामनायें.
ReplyDeletebelated Holi wishes...it was a nice experience to go through your blog... which typing tool are you using for typing in Hindi..?
ReplyDeleterecently i was searching for the same and found ..."quillpad"...heard that it has an option of Rich Text Editor and also provides 9 Indian Languages..r u using the same...?
let me know your opinion about the same...
www.quillpad.in
Keep writing...
Jai Ho...
इस शानदार होली गीत के लिए बधाई।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाऍं।
होली मुबारक....
ReplyDelete...aisi bhi baateiN hoti haiN...
ReplyDeletejee haaN !!
aaj hi sunaa...aaj hi padhaa...
so aaj HOLI ho gayi....
aawaaz aur alfaaz dono ka jaadu
jagaane par badhaaaaeeee. . . .
---MUFLIS---
गावे कवित्त और फाग,बस चढ़ रहा खुमार,
ReplyDeleteगले भंग लो उतार,थोड़ा कर लो हुडदंग!
सुन्दर रचना, पूर्णतः होली को समर्पित.
होली पर हमारी भी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
होली पर आप को और आपके परिवार को हार्दिक बधाईयां. साथ ही संपूर्ण ब्लोग परिवार को भी....
ReplyDeleteप्रस्तुत गीत बेहद सुरील है, और आपने भी मन से गाया है. सुरों पर पकड बेहतर है, और एक बेहतरीन ट्रेक की वजह से गीत और श्रव्य हो गया है. आपको और जादुगर श्री अरविंद को बधाईयां.
तेरी बिंदिया और फ़ना के गीत भी सुन कर अच्छा लगा.(गायक के गले में सुर का राज है)
मेहफ़िले सुर यूं ही चलती रहे, एक गीत बनता रहे , दूसरा सुनते रहें..
पिचकारी की कतार, हुई रंगों की बोछार,
ReplyDeleteनाचे गाएं बार बार,बाजे ढोल और मृदंग.
और
गले भंग लो उतार,थोड़ा कर लो हुडदंग!
और
भीजे रंगों में तन, मन में प्रेम की फुहार,
करो सब को शुमार, खेलो होली के रंग.
और अंततः
फा गुन -चैत के इस मौसम में , भंग छोड़ खेलो सब रंग
सुंदर सुंदर अति सुंदर...
ReplyDelete~जयंत