हर दिन तलाशती हूँ जीवन -परिभाषा के शब्द , मेरा शब्द कोष अधूरा है या तलाशना नही आता ? वह परिभाषा जो तुमने ही तो बतलायी थी मुझे. |
टूट कर जुड़ती रही नीर भरी गगरी, रिसता रहता है खारा पानी , फिर भी छलका जाते हो 'तुम ' आते -जाते! [अल्पना वर्मा द्वारा लिखित] |
बहुत ही सुन्दर हैं दोनों त्रिवेणियाँ
ReplyDelete---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
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ReplyDelete"हर दिन तलाशती हूँ जीवन -परिभाषा के शब्द ,
ReplyDeleteमेरा शब्द कोष अधूरा है या तलाशना नही आता ?
" जीवन परिभाषा तलाशना शायद उतना आसान ही नही जितना हम समझते हैं....क्यूंकि रोज ही तो परिभाषा कुछ बदल सी जाती है.....और शब्द कभी मौन हो जातें है और जो बोलते हैं वो भी पूर्ण रूप से वाक्यों में ढल नही पाते और हम समझ नही पाते.....दोनों त्रिवेणी बहुत गहरे भाव समेटे है..."
regards
टूट कर जुड़ती रही नीर भरी गगरी,
ReplyDeleteरिसता रहता है खारा पानी ,
फिर भी छलका जाते हो 'तुम ' आते -जाते!
वाह जी बेहतरीन त्रिवेणी हैं अल्पना जी बहुत अच्छा लगा पढकर
गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनाएं
दोनों ही बहुत सुंदर लगी ..पहली कोशिश ही कामयाब है ..खासकर परिभाषा बहुत पसंद आई
ReplyDeleteहर दिन तलाशती हूँ जीवन -परिभाषा के शब्द ,
ReplyDeleteमेरा शब्द कोष अधूरा है या तलाशना नही आता ?
सुंदर रचना अल्पनाजी, एक सुंदर और सफल प्रयास
धन्यवाद
wah!
ReplyDeleteShayad isey hi kehte hain Gagar mein Sagar bharna.
हर दिन तलाशती हूँ जीवन -परिभाषा के शब्द ,
मेरा शब्द कोष अधूरा है या तलाशना नही आता ?
वह परिभाषा जो तुमने ही तो बतलायी थी मुझे
itna gehra, bahut shaandaar buna hai aapne.
manuj mehta
अल्पना जी हमें तो त्रिवेणी का क ख ग भी नही पता। वैसे तो जी हमें ये दोनो बहुत अच्छी लगी। और पहले वाली तो सच दिल को छू गई। एक हाथ में इतने हुनर, अगले हुनर का इंतजार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना. जीवन की परिभाषा... शायद पकड मे नही आ पाती. जीवन प्रतिपल बदलता जाता है. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत शुभकामनाए.
रामराम.
सोनों ही बेहतरीन रहीं..दूसरी वाला लाजबाब!! बधाई, और लिखिये.
ReplyDeleteटूट कर जुड़ती रही नीर भरी गगरी,
ReplyDeleteरिसता रहता है खारा पानी ,
फिर भी छलका जाते हो 'तुम ' आते -जाते!
आप का लेखन के साथ नए नए प्रयोग करना अच्छा लगता है.............कुछ जानने को मिलता है.
वैसे तो दोनों ही सुंदर हैं, पर मुझे ये ज्यादा अच्छी लगी
bahut sunder rachanayen
ReplyDeleteबहुत ही बढिया प्रयास.........
ReplyDeleteदोनों त्रिवेणियों का अपना रंग है
dono triveni lajawaab,khas karke chalka jaate ho tum aate jaate,atisundar.
ReplyDeleteकाश कि मैं भी साहित्य की
ReplyDeleteइन जटिलताओं को समझ पाता !
कभी प्रयास नहीं किया !
बस शब्दों में छुपे
अर्थों और भावों को
समझने की कोशिश करता हूँ !
उस लिहाज से जीवन और संबंधों को
रेखांकित करती
उत्कृष्ट पंक्तियाँ हैं !
गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं
दूसरी त्रिवेणी अच्छी है...बेहद नजदीक ..आपको मेल करूँगा .....कुछ ...बाँटने के लिए
ReplyDeleteअल्पना जी दूसरी त्रिवेणी तो जैसे चुरा लिया आपने ... मतलब के मैं तो चोरी हो गया इतनी गज़ब की लिखी है आपने इसे .. ऐसा भाव तो पुरी कविता में नही होती जो आपने चन्द अल्फाज़ में मुक्कमल किया है बहोत ही बढ़िया बेहद उम्दा बहोत दिनों बाद आपको पढ़ने को मिला ,सुनने को कब मिलगा ?
ReplyDeleteआभार
अर्श
यह तो बड़ी सुन्दर काव्य विधा है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी ये त्रिवेणियां।
नई विधा से परिचित करवाने और उस विधा में सुन्दर लिखने के लिए
ReplyDeleteबधाई.
सफल अभिव्यक्ति.
ओ जी कमाल कर गए तुसी !
ReplyDeleteसुँदर प्रयास है आशा है आगे भी आपका लिखा, शीघ्र ,
ReplyDeleteयूँ ही पढने को मिलता रहेगा ..
बहुत स्नेह के साथ,
- लावण्या
बहुत सुंदर काव्य रचना ....
ReplyDeleteअनिल कान्त
मेरा अपना जहान
दोनों त्रिवेणियाँ एक से बढ कर एक भाई हम किस त्रिवेणी की तारीफ़ करे किस की नही.... हमे तो दोनो मै ही उदासी लगी, वेसे हमे त्रिवेणियो की इतनी समझ भी नही.कही कुछ गलत कह दिया तो माफ़ करना
ReplyDeleteधन्यवाद
itni gahri cheezon pe apan to kuchh kah hi nahin paate.........bas dub kar rah jaate hain...aur phir baahar bhi nahin aate......alpana ji ab hamen baahar to nikaalo...!!(mujhe nahin pata ki main jo aise khilandre-se comments kartaa hun....vo kitne uchit hain yaa anuchit....bas man men jo aa jata hai....udel deta hoon....sochta hi nahin ki saamne wala kya sochega....mere man men to sadaa yahi bhaav rahate hain...ki sabhi mere dost hain....khuda kee tarah........!!
ReplyDeleteBahut badiya
ReplyDeleteबहुत अच्छा परिभाषित किया अपनी संवेदनाओं को !
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद ! किसी को अपना हम-ख्याल देखना अच्छा अच्छा सा लगता है !
.....ब्लॉग पर आते रहिएगा !
आप सभी को धन्यवाद..कि आप को त्रिवेणियाँ पसंद आयीं..
ReplyDelete@राज जी माफ़ी की कोई बात नहीं क्यूँ कि आप तो सही समझे हैं--ये दोनों उदासियाँ लिए हुए हैं..
@राजीव जी -आप जो जैसे लिखें आप की बात समझ आ गई -आप को त्रिवेनियाँ बहुत पसंद आईं-जान कर अच्छा लगा.आप ने एक बार कहा था कि किसी भी ब्लॉगर की रचनाओं में विविधता होनी चाहिये ,बस वही प्रयास है.
@सुशील जी ,दिगंबर जी--त्रिवेणी लिखने की प्रेरणा डॉ.अनुराग जी की त्रिवेणियाँ है.उन की पढ़ते रहते हैं और कल गुलज़ार साहब की भी पढीं तो लगा क्यूँ न इस विधा में लिखा जाए.सच बहुत कम शब्दों में कह सकते हैं कई बातें.
और हाइकु जैसी कड़ी शर्तें भी नहीं हैं.
@प्रकाश जी आप तो सही भाव समझ गए हैं.आप तो साहित्य का अच्छा ज्ञान रखते हैं.फिर यह जटिल कहाँ रही?
पहली बार ही लिखी है
ReplyDeleteऔर लिखेंगी तो शायद और बेहतर बन सकेंगी त्रिवेणिया.
Woh jo kuch bhi jo anayaas likha jaata hai, khoobsurat hota hai, aapki kavita bhi aisi hi thi. Badhai.
ReplyDeleteलाजवाब. क्या कल्पना है. बहुत ही अच्छा लगा. आभार
ReplyDeleteटूट कर जुड़ती रही नीर भरी गगरी,......
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना बधाई
सुंदर रचना.
ReplyDeleteहर दिन तलाशती हूँ जीवन -परिभाषा के शब्द ,
ReplyDeleteमेरा शब्द कोष अधूरा है या तलाशना नही आता ?
वह परिभाषा जो तुमने ही तो बतलायी थी मुझे.
जीवन जो एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसे सुलझाना शायद साधारण मानव के बस की बात नहीं है। और जो इस पहेली को सुलझा ले फिर वो मानव साधारण नहीं।
www.merichopal.blogspot.com
आपकी दोनों त्रिवेणियाँ,बहुत अच्छी लगी !!!!!!
ReplyDeleteआप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
ReplyDeleteजय हिंद जय भारत
Wah...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
हम जीवन की परिभाषा तलाशने के प्रयास में ही जीते हैं
ReplyDeleteसटीक
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस के पुनीत पर्व के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामना और बधाई .
महादेवी याद हो आयीं सहसा -नीर भरी दुःख की बदली ......!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
ReplyDeletehttp://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाए |
ReplyDeleteइश्वर हम सभी को अपने कर्तव्यों का पालन कराने की शक्ति प्रदान करे .....
आप का स्वागत है.'.यूँ तो वतन से दूर हूँ लेकिन इस की मिट्टी मुझे हमेशा अपनी ओर खींचे रहती है..................भगवान् करे कि आखिरी साँस तक ये मिटटी आपको खींचती ही रहे..................!!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteAlpana ji I've read your Kavita's and impressed with your creativity... you're a great writer and should keep on writing like that... I like to say keep writing on various aspects of life and bring the beauty or ugliness of anything... keep sharing as well.
ReplyDeleteaapki dono rachnaon men amoortan ke karan kai kai paath ho sakte hai, saath hi main ye bhi kahoonga ki is tarah amoort abhivyaktiyan kai bar shabdon ko vyarth hi kho bhi deti hai.
ReplyDeleteआप को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteअल्पनाजी
ReplyDeleteआप को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
ब्लॉग पे टिप्पणी कर हौसला बढ़ाने का तहे दिल से शुक्रिया.
धन्यवाद
सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
ReplyDelete-----------------------------------
60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!
Alpna ji ,triveni bhot acchi likhti hain aap.......
ReplyDeleteआप को bhi गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
मेरा शब्द कोष अधूरा है या तलाशना नही आता
ReplyDeleteआपको तो त्रिवेणी में भी जाने की ज़रूरत नहीं है मैडम,
ये एक ही लाइन काफ़ी है ......और इनके साथ साथ बहुत बधाई उस सीढी पर बैठी लड़की की तस्वीर के लिए ...जो बहुत कुछ कह रही है.............कैमरे की एक क्लिक और चार लाइनों का बड़ा कमाल ...
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteफोटू बदल लिया अच्छा फोटो है पहचान में नहीं आए
ReplyDeleteअल्पना जी,
ReplyDeleteआपको गणतंत्र दिवस की शुभकामना,
आदाब अर्ज हैं,
कोई न तलाश पाया हैं जीवन की परिभाषा,
जो चला जानने,
वो ख़ुद बन गया एक परिभाषा,
क्या खूब लिखा लेकिन सबसे अच्छा हैं आपके ब्लॉग का शीर्षक,
व्योम के उस पार, बहुत बहुत बढ़िया,
दिलीप गौड़
गांधीधाम
त्रिवेणी पर तो हमारे साथियों ने ही इतना कह दिया है कि कुछ कहने को बचा नहीं लेकिन आपकी आवाज में गीत सुन रहीं हूं। कर्णप्रिय है। आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा।
ReplyDeletebahut hi khoobsoorat rachana. triveni pahali baar padi man ko chho gayee. gantantra divas ki bahut bahut badhai.
ReplyDeleteaap mere blog par aaye bahut achha laga. aap ye avajahi regular banaye rakhen.
bouth he aacha post hai ji
ReplyDeleteshayari,jokes,recipes,sms,lyrics and much more so visit
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behtareen, ati uttam, GAGAR MEN SAAGAR. BADHAAI.
ReplyDeleteआज आपका ब्लॉग देखा... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है की आपके शब्दों को ऐसी ही ही नित-नई ऊर्जा, शक्ति और गहरे अर्थ मिलें जिससे वे जन सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का समर्थ माध्यम बन सकें....
ReplyDeleteकभी फुर्सत में मेरे ब्लॉग पर पधारें;-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
Ati Sundar...!!
ReplyDeleteगाँधी जी की पुण्य-तिथि पर मेरी कविता "हे राम" का "शब्द सृजन की ओर" पर अवलोकन करें !आपके दो शब्द मुझे शक्ति देंगे !!!
टूट कर जुड़ती रही नीर भरी गगरी,
ReplyDeleteरिसता रहता है खारा पानी ,
फिर भी छलका जाते हो 'तुम ' आते -जाते!
bahut hi sundar