कविताई की सीमाओं में न बंधते हुए..कुछ शब्दों को बाँधने की कोशिश रहती है..कई बार किन्हीं पंक्तियों को कोई रूप मिल जाता है--कई बार यूँ ही मुठ्ठी में बंधी रह जाती हैं..देखें यूँ ही चलते-चलते क्या लिखा है....
रात के आने से,
उसकी तन्हाईयों से डर लगता है..
भीगती हैं पलकें,
ख़ुद के बह जाने का डर लगता है..
जिसको देखा भी नहीं,दिल ने उसको चाहा है...
क्यूँ क़दमों के बहक जाने का डर लगता है?
वो मिले या ना मिले ,मगर--
...ख़ुद के खो जाने का डर लगता है!
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समय मिले तो एक गीत भी सुनियेगा -
-ये मूल गीत नहीं है न ही तुलना करियेगा-क्यूँ कि बस यूँ ही गुनगुना रही हूँ -आप को सुना रही हूँ...:)
'तेरा -मेरा प्यार अमर फिर क्यूँ ....'मुझे बहुत पसंद है --आशा है आप को भी पसन्द आएगा.
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ग़ज़ल में सुन्दर क्राफ़्ट नज़र आता है आपकी.
ReplyDeleteमीटर की थोड़ी सी कसावट से ये एक उम्दा ग़ज़ल बन सकती है.
बधाई.
करेओके पे बहोत ही सुंदर काम किया है आपने अल्पना जी ,वह मज़ा आगया ,इसे ग़लत न ले मगर कहीं कहीं मात्र में कमजोरी मिली इसलिए कह दिया ... अगर काराओके पे आपने ये काम किया है ...
ReplyDeleteबहोत सुंदर मज़ा आ गया ..
बहोत बधाई...
तेरे आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है ..
ReplyDeleteये तो काफी मशहूर गीत है काफी सुना हुआ .....
ऊपर का सुर थोड़ा कमजोर लगा बाकि तो उम्दा ,मजा आगया बहोत सुंदर .... आपके ब्लॉग पे पहली बार आना हुआ बहोत मजा आया .. आपको बधाई देने केलिए मेरे पास शब्द नही है ......
@Sanjay ji shukriya aap ke comment ka--main koshish karti hun ki in panktiyon se ghazal bana sakun--mere to khyal mein nahin aaya-ki aisa ho sakta hai--
ReplyDelete@--arsh ji' aap pahli baar mere blog par aaye swagat hai--main gaane sirf shaukiya gati hun--abhi kuchh samay se shuru kiya hai--karaoke -mixing-recording sab net se sikhi hai--isliye studio recording ya playback wali koi quality nazar nahin aayegi--:D--
headphone ke mic se recording ki hai ideal jo nahin honi chaheeye--lekin-aur haan sur--to mere haath kabhi aatey hain kabhi nahin--:)--
-teri aankhon ke siwa--ek bahut mushkil gaana hai[madan mohan ji ki composition]-is liye high notes mein jarur gadbad hui ho sakti hai--Aap ne apna waqt diya bahut achcha laga---aagey bhi aatey raheeye-'thodey besure-kuchh sureeley geet lekar aayungi--:)
-encourament ke liye shukriya :)
good one alpanaa
ReplyDeleteआप लिखती अच्छा हैं और गाती भी अच्छा हैं. वधाई.
ReplyDeleteछोटी कविता लेकिन अच्छी,वैसे आप गाती भी अच्छी हैं.
ReplyDeleteकवित सुन्दर है। मुझे विनोबा के प्रवचन याद दिलाती है। महाभार्रत जीतने तो जिन दैवी गुणोँ की सेना बनायी जाती है उनमेँ सबसे आगे है अभय और सबसे पीछे कवर करने को है - अभिमान का अभाव!
ReplyDeleteआपके निमित्त याद आया! धन्यवाद।
' ख़ुद के खो जाने का डर लगता है '- बहुत अच्छे !
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉग टिप्स में एक आप्शन है अपने ब्लॉग पे ताला लगायें (टैक्स्ट चोरी रोकें ) इसमे आप्शन आएगा ऐड गजेट उसको आपको लेआउट में ..... कॉपी पेस्ट करनी परेगी बहोत आसन है जरुर करें..
ReplyDeleteअर्श
ख्यालात अच्छे हैं. आत्मविश्वास बढाएं .
ReplyDeleteबहुत ही खुब सुरत, कविता के साथ साथ आप का गीत भी पसंद आया
ReplyDeleteधन्यवाद
अल्पना जी,
ReplyDeleteआपकी आवाज बहुत मधुर है. कविता तो अच्छी है ही. गीत सुनकर आनंद आ गया.
wo mile ya na mile khud ke kho jane ka dar lagta hai,waah bahut khubsuraat
ReplyDeleteaur aawaz ka jadu aur romani sa purana geet to subhan allah.bahut khub
Dil ko chu gayi...
ReplyDeleteguptasandhya.blogspot.com
सच रात को तो खो जाने का डर होता ही है....नदी में बह जाने का डर तो होता ही है.......आदमी की भीड़ में खो जाने का डर........
ReplyDeleteजीवन के सच को साथॆक तरीके से अिभव्यक्त िकया है । अच्छा िलखा है आपने ।
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
ख़ुद के खो जाने का डर लगता है
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव है! गायन भी प्रभावशाली है!
भीगती हैं पलकें,
ReplyDeleteख़ुद के बह जाने का डर लगता है..
" these are very touching and mind blowing thoughts , nicely expressed, loved hearing song too.."
Regards
ख़ुद के खो जाने का डर लगता है!...
ReplyDeleteअंतिम पंक्ति वास्तव में अंतिम नही लगती.. बहुत गहराई लिए हुए है.. गीत अभी सुन नही पाऊँगा.. सुन कर टिप्पणी करेंगे..
ye jawab hai--
ReplyDeleteउसकी तनहाइयों से क्यूँ डरते हो
खूबसूरत पलकें क्यूँ भिगोते हो
वो समंदर है , कोई भंवर तो नहीं
फिर भी बह जाने से क्यूँ डरते हो.
ये तो एहसास है खूबसूरत सा ..
ख़ुद के खो जाने से क्यूँ डरते हो.
.. bahut si galtiyan hogi muje chand band ke niyam nahin samajh mein aate..
कई बार शब्दों को किसी विधा के नियम में बांधना जैसे उनके भीतर के भावो को धुंधला करने जैसा है.....आपने तो कागजो पर मन का कहा लिखा है....
ReplyDeletekhoobsoorat
ReplyDeletewah bahut khub..........ab to mujhe bhi dub jane ka dar satane laga hai................
ReplyDeletevery nice poem n blog
ReplyDeleteअल्पना जी,
ReplyDeleteआपके कविता दिल को छूने वाली है.
कंप्यूटर में स्पीकर नहीं होने के कारन गजल नहीं सुन सका...
सचमुच कभी-कभी शनै:-शनै: यूँ भी लगने लगता है, बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteवो मिले या ना मिले ,मगर--
ReplyDelete...ख़ुद के खो जाने का डर लगता है!
सही कहा है आपने. कभी-कभी ऐसा भी होता है. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.
aapka blog padha or ye kehte hue atishyoktii nahii hogii kii aapka blog mujhe abhi tak hindi madhyam se likhne waalon me sabse behtarin laga hai ........likhte rahiye or badhaiyaan aapko behtarin tarike se apne bhaavon ko sabdh dene k liye .......
ReplyDeleteअच्छी है रचना
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिये बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteसुंदर भाव व्यक्त किए हैं आपने कविता में ! आपकी पोस्ट की तिपनिया पढ़ते २ आपका गायन भी सूना , बहुत मधुर और कर्णप्रिय स्वर ! बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी आवाज़ में पता नही ये गीत मुझे क्यूँ बहोत अच्छा लगाने लगा है जब भी ऑनलाइन होता हूँ बस सुनाने लगता हूँ ,जबकि मैं ऊपर अपना कमेन्ट लिख चुका हूँ इसमे खामिओं के बारे में ,फ़िर भी मुझे आपकी आवाज़ में एक ग़ज़ब की कशिश मिलती है और हाँ सही कहूँ तो एक सुकून सा मिलता है ...
ReplyDeleteअल्पना जी आका ढेरो एहसानमंद हूँ मैं इस गीत के लिए ......
मेरा जीना मेरे मर इन्ही पलकों के टेल वह क्या बात है ......
आपको बहोत बधाई
जी जरुर चाहूँगा ,आप मुझे जरुर से वो ई-मेल कर कर दे . आपसे एक बात और जानना चाहूँगा के आप ये कैसे प्रेपरे करती है और इसे कैसे रिकॉर्डिंग करती है कृपया बताएं
ReplyDeleteअत्यधिक भाव प्रधान रचना
ReplyDeletebouth he aacha post kiyaa nice work
ReplyDeleteShyari Is Here Visit Jauru Karo Ji
http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/
Etc...........
aaj ,pahli baar aapke blog par pahuncha.
ReplyDeletepad kar bada sakun mila .
specially ye wali nazm - khud ke kho jaane ka dar lagta hai ..
nazmon mein kahaniya hai ..
dil ki baaton ki jubaniya hai ...
ab regular visit karung aur padunga .
agar fursat mile to mera bhi ek blog hai ,kabhi nazar daal dijiyenga .
mujhe poori umeed hai ki aapko meri nazmein pasand aayengi .
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com