खामोशी
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'अंजलि भर
खामोशी समेटती हूँ,
बिखरा देती हूँ चारों और ,
क्यूँ कि -
इस भीड़ में,
जी नहीं लगता
तुम बिन...
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'अंजलि भर
खामोशी समेटती हूँ,
बिखरा देती हूँ चारों और ,
क्यूँ कि -
इस भीड़ में,
जी नहीं लगता
तुम बिन...
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बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteअल्पना जी
ReplyDeleteआपकी छोटी कविता ने बहुत प्रभावित किया। ऐसे में मुझे भी कुछ पंक्तियां लिखने का मन चाहा सो लिख डालीं।
दीपक भारतदीप
............................................
जुबान कभी नहीं बोलती
तब खामोशी बहुत कुछ कह जाती है
शब्दों का दिल से बाहर आना
बेकार लगता है
तब आखें दर्द दिखा जातीं है
जब लोग भीड़ में चिल्ला रहे हों
अकेले में भी अपनी जुबान से इठला रहे हों
तब खामोशी से दोस्ती कर लो
वही दर्द का इलाज हो जाती है
bhut sundar rachana.badhai ho. likhati rhe.
ReplyDeleteis bhid mein ji lagta tum bin,wah bahut khubsurat ehsaas.
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteswet, short poem ..good expressions ..liked them a lot alpana jee ..
ReplyDeleteआप सभी का तहे दिल से शुक्रिया की आप ने कविता पढ़ी और अपनी कीमती टिप्पणी दी..
ReplyDeleteदीपक जी आप को मेरी इस छोटी सी कविता से कविता लिखने की प्रेरणा मिली जान कर खुशी हुई.और आप की तुंरत लिखी कविता भी सुंदर भावों को व्यक्त कर रही है..'तब आँखें दर्द दिखा जाती हैं'--बहुत खूब!
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इस मुख़्तसर सी नज़्म
ReplyDeleteमें भावनाओं का वितान
निज होकर भी
सबसे बतियाता सा
अपना होकर भी
बहुत कह जाता सा
बहुत सुंदर कुछ लफ्जों में दिल को छू जाने वाली रचना है यह ..
ReplyDeleteछोटी पर गहरे भाव लिए है आपकी कविता।
ReplyDeleteअल्पना जी
ReplyDeleteकोई इतने कम लफ्जों में कैसे इतनी गहरी बात कह जाता ये आप से सीखे. बेहत संतुलित शब्दों के चयन से आप मन की पीड़ा को जिस तरह से अभिव्यक्त कर गयीं हैं वो कबीले तारीफ है. बहुत बहुत बधाई.
नीरज
alpna jee,
ReplyDeleteyadi khaamoshee itnaa kuchh keh gayee to jab lab khulenge to kitnaa kahar dhaayenge , iskaa to andaazaa lagana mushkil hai, likhte rahein.
ये खामोशी तो
ReplyDeleteबहुत कुछ बोल रही है.
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सुंदर प्रस्तुति.
डा.चन्द्रकुमार जैन
kam shabdon mein sundar kavita...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति..
ReplyDeleteअब तक आपकी लिखी हुई बेहतरीन रचनायों में से एक.....लाजवाब .....बेहतरीन........
ReplyDeletekam lafzo mein kissa tamam...bahot khub...
ReplyDeleteमैंने तो सोचा कि अंजलि भर पानी लेने वाली होंगी आप........क्योकि खामोशी तो अंजलि में समाती नही....वो तो हममे से निकलती है ....और दूर-दिगंत तक फ़ैल जाती है.....अंजलि का सवाल ही कहाँ...आपकी अंजलि तो बहुत बड़ी है....आपकी कविता के भावों की भांति.....सच....
ReplyDelete..lafz bahut hi khoobsurat haiN, lekin unheiN byaan karne ka andaaz aur bhi zyada khoobsurat hai.. itne km alfaaz meiN aapne mn ki itni baRhi baat keh di... mubaarakbaad qubool farmaaeiN . ---MUFLIS---
ReplyDeleteवाह ..बहुत खूब
ReplyDeleteBAHUT SUNDER ...
ReplyDeleteवाह..बहुत बहुत सुन्दर!!!!
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