[yah clip--AVI. mode[blogger] में है-जो जल्दी देखी जा सकेगी]
प्रस्तुत है-मेरा एक नया प्रयोग.......मैंने सभी तकनीकी बारीकियाँ 'गूगल सर्च इंजन 'से और विण्डो XP की हेल्प से सीखी हैं.- इस वीडियो को बनाने में मुझे ७ घंटे लगे-दो बार पूरा बनाने करने के बाद भी ठीक नहीं लगी और अब जा कर यह तैयार हुई है--मेरी कविता 'भूल जायेंगे'को इस विडियो द्वारा प्रर्दशित करने का प्रयास किया है.कृपया बताएं कैसी लगी?
भूल जाएंगे
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जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,
जब कभी सपने भी हम से रूठ जाएंगे,
भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे .
1-हमने अपनी उम्र का सौदा किया जिससे,
वो मिलेगा फ़िर कभी तो पूछूंगी उस से,
बिन तुम्हारे अपना क्या हम मोल पाएंगे,भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे......
2-तुमने माना था हमी को प्यार के क़ाबिल,
फ़िर बने क्यों मेरे अरमानों के तुम क़ातिल,
जब कभी आँखों से आंसू सूख जाएंगे,भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे......
3-संग तुम्हारे कटते थे जो मेरे रात और दिन,
अब कटेगी कैसे कह दो ज़िंदगी तुम बिन,
जब कभी साँसों के बन्धन छूट जाएंगे,भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.
4-डूबती कश्ती ने तुमको समझा था साहिल,
लेकिन तुम ने दे दिया गैरों को अपना दिल,
जब कभी धड़कन से रिश्ते छूट जाएंगे,भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.
5-एक मुठ्ठी आसमां की चाह थी हमको ,
लेकिन तुमसे नाउम्मीदी ही मिली हमको,
जब फरिश्ते मौत के हम को सुलायेंगे,भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.
जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे---
-written by Alpana Verma [in 2003]
[आज[26th june] एक बहुत ही अच्छी बात हुई.....मेरी कविता 'भूल जाएंगे' को यहाँ ब्लॉग पर सुन कर मुम्बई से एक सज्जन Mr.अरविन्द शर्मन जी [जिनका अपना संगीत स्टूडियो है-इस से ज्यादा उन के बारे में मैं नहीं जानती ] ने कविता'भूल जाएंगे' के लिए संगीत बना कर भेजा है, जिस से मेरा यह प्रिय गीत संगीत पा कर और निखर सकेगा.
मैं अरविन्द जी को अपने ब्लॉग के माध्यम से धन्यवाद कहना चाहती हूँ.[posting this message on june 26th,2008]
44 comments:
कविता तो बहुत सुंदर है पर अभी ठीक से सुन नही पा रही इसको पीसी में कुछ प्रॉब्लम है ..खूब मेहनत की है आपने :)
सुन्दर
आपके परिश्रम की सराहना करते हुए, आपकी गायकी, चित्रों का चायना और ये प्रस्तुति सभी हिन्दी ब्लोगींग के लिए नई दिशाएं बनाने में योगदान दे रहे हैं - बधाई अल्पना जी ..You are almost there in being a "Producer + Director of moton pictures !! Well done !!
Rgds,
L
वाकई बहुत मेहनत की है आपने अल्पना जी.. इसके लिए कई और सॉफ्टवेर भी है जो मेहनत कम कर सकते है..
आपकी क्रियेटिविटी कमाल है.. आवाज़ के साथ ये वीडियो बहुत बढ़िया बन पड़ा है.. आपके प्रयोग के लिए बधाई
बहुत सुंदर !
वाकई काबिले तारीफ है...अभी आवाज में कही खराश सुनाई देती है पर अगले प्रयास में वो भी दूर हो जायेंगी...आपकी कविता बहुत अच्छी है..... हैरान हूँ की आपने इतना धैर्य रखा ...
बहुत बढिया अल्पना जी..
सच में आप तो छा गई..
अगर मैं होता तो 1-2 घंटे में ही सब छोड़ देता.. :)
ek dam successful saath ghanton ki mehnat ehssas ban ke nikhar aayi hai,its simply superb marvolous.
बेहतरीन काम किया जी,अति सुंदर
आलोक सिंह "साहिल"
बहुत बढ़िया प्रयास... हिन्दी चिट्ठाकारी में इस तरह के नये नये प्रयोग होते रहना चाहिये।
बधाई ।
॥दस्तक॥
तकनीकी दस्तक
गीतों की महफिल
wah kya baat hai kamaal hai ji
aapki aawaj aur aapke sur saath hi itni bhavuk panktiyan
mere ghar ka pura vatavarn shant hokar jaise aapko hi sun raha tha
aapse sikhungi ki ye lagan kaise laayi jaati hai
आपकी कविता में गुस्सा झलक रहा है पर स्वर में माधुर्य प्रकट हो रहा है पर हमें रुकरुककर आवाज सुनाई दे रही है। बहरहाल आपकी आवाज के साथ सुनते हुए कुछ पंक्तियां लिखने का मन कर रहा है। आपकी कविता हृदयस्पर्शी है।
दीपक भारतदीप
...................................
आसान है कहना किसी से कि
हम तुम्हें भूल जायेंगे
जितनी कोशिश करेंगे भूलने की
वह अधिक याद आयेंगे
दिल की ख्वाहिश करते हैं पूरी
वह भुला भी दिये जाते हैं
अपनी आखं भले ही बंद कर लो
अरमानों के कातिल
सभी जगह नजर आयेंगे
मिल जाता है किनारा तो
साहिल और नाव छोड़ जाते हैं
बीच दरिया में छोड़ कर चला गया
जो शख्स, उसके घाव भला कब मिट पाते हैं
जब उठेगा यादों का तूफान वह
फिर हरे नजर होते नजर आयेंगे
उम्मीदों के आसमान की एक मुट्ठी न दे सकें
ऐसे लोगों को भला क्यों याद करना
बेहतर है करें न कोशिश उन्हें भूलने की
तलाश करें वफा की
अपनों से हटकर गैरों मे तलाश
जब न होगी आशा तो
न होंगे निराश
भूल सकते हैं तभी बेवफाओं को
जब वह याद नहीं आयेंगे
.............................
bahut khoob, badhai ho, waise is treah ke video ke kai prayog hindi blogs me pehle bhi ho chuke hain. Lekin kavita ke saath ye pehla hai.
lovely effort.
ब्लॉग जगत में
अपने मधुर स्वर में
सुंदर विचारों की
एक अल्पना सजा दी है.
इसे एक प्यारा प्रयोग
कहना चाहिए
मानना चाहिए
कह रहे हैं
मान रहे हैं.
पर हम इसे नहीं
कभी भी भूल पायेंगे
अवश्य ही इसे
इतिहास में दर्ज करायेंगे.
- अविनाश वाचस्पति
बहुत बढ़िया और सफल प्रयास रहा. गीत के बोल बहुत उम्दा हैं. आगे भी इस प्रयास को बढ़ाया जाये, शुभकामनायें
बहुत मेहनत की भई आपने....
अच्छी प्रस्तुति....बधाई
बहुत खूब! मेहनत सफ़ल हुयी।
बहुत खूब! मेहनत सफ़ल हुयी।
बहुत खूब! मेहनत सफ़ल हुयी।
बहुत खूब! मेहनत सफ़ल हुयी।
कल तो मैं ठीक से समझ न पाया था,
आज फिर से सुना, बहुत खूब !
आप सभी ने अपना समय दिया और मेरे इस प्रयोग को सराहा..आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद .
सच में बहुत अच्छा लगा कि मेरा परिश्रम कुछ तो सफल हुआ.
--आभार सहित--
अल्पना
वाह,वाह, वाह। सुंदरतम प्रयास। चिट्ठाजगत को एक नई राह। बधाई।
video aur gaana mil kar to dard ki gehrai badh gayi...
bahot khub...
वाह अल्पना जी मजा आ गया ये तो सोने पे सुहागा वाली बात हो गई है बाकी बहुत बहुत बधाई को आपको इस स्वर्णिम उपलब्धि के लिए
Alpanaji, bhut sundar aapki aawaj me aapke lavj, apki bhav.bhut sundar ati uttam.
kavita to bahut sundar hai...lekin main sun nahi pa rahi hoon.shaayad speed problem..
जब फरिश्ते मौत के हम को सुलायेंगे,भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.
क्या बात है जी। रूह तक पहुंची आपकी आवाज़ और कविता। अरे यार आप तो टू-इन-वन हो। गाती भी हो। लिखती भी हो। आपने जो गाने के बाद धन्यवाद कहा हमें उससे एतराज़ है। क्योंकि वो तो हमारा अधिकार है। हम कहेंगे आपको धन्यवाद। बहुत ख़ूब। भगवान करे आप ऐसा गाएं ऐसा लिखें की हम पढ़ते रहें और सुनते रहें।
आपका गीत बहुत ही प्यारा है, उसपर वीडियो ने उसमें चार चाँद लगा दिये हैं।
adbhut..likhtee rahen....
ati sundar
आपका नया प्रयोग अद्भुत है
बहुत सुंदर,आपकी मेहनत पूरी तरह सफल रही,बधाई..
आपका ये प्रयत्न ब्लॉग की दुनिया में अभिनव प्रयास है,कविता को नए कलेवर में देखने सुनने का अवसर प्रदान करने के लिए आप को अभिनन्दन -बहुत अच्छा लिखते है आप लिखते रहिये-----अभिन्न
अल्पं जी .. !
जब कभी यादों के दर्पण ...
............
वर्षों से विडियो और संपादन करते हुए मेरे अनुभव से मैं यह कह रहा हूँ कि स्वर ... गीत ... और द्र्श्यों के सहारे सारी भावनाओं को बहुत ही सधे हुए तरीके से प्रस्तुत करके आपने कहीं से भी ऐसा नहीं लगने दिया कि यह किसी 'नोवाईस' का काम है . कानो में हेडसेट और सम्पूर्ण विडियो को बफर करने के बाद इस प्रस्तुति को अंतर्मन से सुनते हुए अनुभव करना एक सुखद क्षण है .... अगली बार प्रयास करें की कुछ स्टिल और कुछ स्वयम की शूट की हुए विडियो के साथ प्रस्तुत करें आपको और भी प्रसन्नता होगी.
अभिनव .. उत्तम ... आपके प्रयास को नमन
great !!!!!!!
aapaki aavaaj bahut achchhi lagi.....
video download karake apani mammi aur didi ko bhi dikhaa diyaa .....
logo ne bahut taareef ki hai ..
agar bombey vaale saahab kaa sangeet ho to use bhi laaiye......
Great work, Great Poem.
Hello
महाराणा प्रताप पर कन्हेया लाल सेठिया की कालजई रचना " पाथल और पीथल"
| अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावादो ले भाग्यो | सुनने के लिए http://www.rajputworld.blogspot.com
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Thanks
Ratan singh
www.rajputworld.co.in
आप कवियत्री है अत: आप को सुचना देना आवश्यक लगा
धन्यवाद
यह तो एक बडा ही अच्छा प्रयास था.एकदम professional Output!!
आपका दूसरा ब्लोग दिखाई नही दिया. बंद कर दिया है क्या?
bahut hi achcha aur safal prayaas raha aapka..kaafi dinon baad aapka blog dekha...
waise aapne yah kiya kaise..matlab video/audio/blog..mujhe to samajh mein hi nahin aa raha hai..
agar thoda prakash daalengi to hum bhi aapse kuch seekh jaaenge...dhanywaad
aabhaar,
Pratik
Jab friste maut ke ham ko sulayenge
bhul jayege tumhe ham bhul jayege....
Jab kabhi yaadon ke darpan toot jayege,......
Bhut garhri savedana hai aap ki kavita me aur bahut gahare me basi basi hai yah kavita aaaapke antarman me jo bahana chahati thi ek jharane ki tarah jo geet ban kar gujana chahti thi es neele gagn me, aur us gahri chahat ka hi paridam tha ki aapne dhiraj rakha 7
ghanton ko aur aap usme bahut ya mai kahunga puri safal rahi hai...
http://dev-poetry.blogspot.com/
वाह वाह अल्पना जी
अब मुझे वाकई अफ़सोस हो रहा है और पहले ब्लॉगजगत में न आने का और आपके ब्लॉग पर पहले ना आने का .
इतनी सुंदर प्रस्तुति और भाव लगा की जैसे कोई सिनेमा की क्लिप देख रहे हों ;
दो लाइनें भेज रहा हूँ ;
जब कहीं यादों के दर्पण छूट जायेंगे
तुम बताओ क्या तुम्हे हम भूल पाएंगे
जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,
जब कभी सपने भी हम से रूठ जाएंगे,
भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे .
Aaj bhi ye geet man ko chhu raha hai...
ek sach sa lagta hai... maano abhi kal ki hi baat hai...
lekin iss dauraan kaafi sapne ruth gaye.....
aapke iss geet ko sabhi like karte hain...
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