1-रंग होली के
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हर और बिखर गए होली के रंग ,
ऐसे ही संवर गए फागुन के ढंग.
भँवरे भी रंग रहे कलियों के अंग,
हो रहे बदनाम कर के हुडदंग.
भर के पिचकारी,लो हाथ में गुलाल,
गौरी तुम खेलो मनमितवा के संग.
अब के बीतेगा सखी,फागुन भी फीका,
है परेशां दिल और ख्यालों में जंग.
बिरहन के फाग ,सुन बोली चकोरी,
मिलना जल्दी चाँद ! करना न तंग.
गहरे हैं नेह रंग, झूमे हर टोली,
गाए 'अल्प' फाग,बाजे ढोल और चंग.
-अल्पना वर्मा 'अल्प'
2-फिर आई होली
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बरस बाद देखो, फिर होली आई,
सतरंगी घटा, घिर घिर के छाई।
छलक-छलक जाएं बदरा से रंग,
मस्ताने डोल रहे करते हुडदंग।
वो देखो मस्त हुए, पी कर के भंग,
सखियाँ भी छोडे़ नहीं, करती हैं तंग।
रंग उड़े चहुँदिशा, सूखे और गीले,
हरे,जामनी,लाल,गुलाबी,नीले,पीले।
टोलियाँ नाचें गाएं, मिल के सब संग,
खूब ज़ोर आज बजाएं, ढोलक मृदंग।
धरती ने ओढ़ लीनी, पीली चुनरिया,
पवन बसंती जाए, कौन सी डगरिया।
मीठी व प्यार भरी,गुझिया तो खाओ,
याद रहे बरसों तक,ऐसी होली मनाओ।
-अल्पना वर्मा
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भँवरे भी रंग रहे कलियों के अंग,
ReplyDeleteहो रहे बदनाम कर के हुडदंग,:):)bahut sundar,holi ki mubarak baat swikar karein
बिरहन के फाग ,सुन बोली चकोरी,
मिलना जल्दी चाँद ! करना न तंग.
chand hai ke samjh ta hi nahi,is bar bhi saath nahi,apni holi akele hi manegi.
badhayee aap ko bhi---
ReplyDeletesundar rachna hai.
Again a work of art by you my dear friend ... I love the way you carve those words and express urself.
ReplyDeleteWish you a very happy holi.
Take Care
Aditya
Hi Alpana,
ReplyDeleteA Very Nice Wave of Thought. Very appropriate timing too.
Reminded me of so many such lovely poems we used to read in magazines some time back . Wonder if the "hud-dung" is still the same.
Also wonder how many know the rhythmic beat of "Chung" on the nights proceeding Holi.
Thanks for sharing and look forward to more from my "favourite" Poet :P
Be Smiling
ek rang hamari aor se bhi ...holi shubh ho aapko.
ReplyDeleteसाधुवाद...।
ReplyDeleteबढ़िया है..
ReplyDeleteहोली की ढेर सारी शुभकामनाएँ.
Ab ke holi hum bhi aaye kehne tujhko - Happy holi.
ReplyDeleteAchhi kavitayen hain holi ki
wah wah kya baat hey....happy holi to u
ReplyDelete"धरती ने ओढ़ लीनी, पीली चुनरिया,
ReplyDeleteपवन बसंती जाए, कौन सी डगरिया।
....
अब के बीतेगा सखी,फागुन भी फीका,
है परेशां दिल और ख्यालों में जंग."
बढिया, आपके लिए भी होलीकी रंगारंग शुभकामना !
होली की शुभकामनाएं
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
gr8... perfect!
ReplyDeleteआप के ब्लाग में कुछ बात है..क्या आप मंच पर भी पढ़ती हैं.. तो कभी बुलाऊँ..
ReplyDeleteवो देखो मस्त हुए, पी कर के भंग,
ReplyDeleteसखियाँ भी छोडे़ नहीं, करती हैं तंग।
बहुत खुब आप की हर रचना अपने आप मे एक अनोखी हे बहुत सुन्दर,धन्यवाद