स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

January 17, 2008

गीत- ' भूल जायेंगे तुम्हें '

यह गीत मुझ से सबसे ज्यादा सुना गया है ,दो उर्दू अखबारों में प्रकाशित भी हो चुका है.
मुझे भी बेहद प्रिय है.

भूल जाएंगे तुम्हें
----------------

जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,
जब कभी सपने भी हम से रूठ जाएंगे,
भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे .

हमने अपनी उम्र का सौदा किया जिससे,
वो मिलेगा फ़िर कभी तो पूछूंगी उस से,
बिन तुम्हारे अपना क्या हम मोल पाएंगे,
भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे......

जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,

तुमने माना था हमी को प्यार के क़ाबिल,
फ़िर बने क्यों मेरे अरमानों के तुम क़ातिल,
जब कभी आँखों से आंसू सूख जाएंगे,
भूल जायेंगे तुम्हें हम भूल जायेंगे......

जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,

संग तुम्हारे कटते थे जो मेरे रात और दिन,
अब कटेगी कैसे कह दो ज़िंदगी तुम बिन,
जब कभी साँसों के बन्धन छूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.

जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,

डूबती कश्ती ने तुमको समझा था साहिल,
लेकिन तुम ने दे दिया गैरों को अपना दिल,
जब कभी धड़कन से रिश्ते छूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.

जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,

एक मुठ्ठी आसमां की चाह थी हमको ,
लेकिन तुमसे नाउम्मीदी ही मिली हमको,
जब फरिश्ते मौत के हम को सुलायेंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.

जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे

-written by Alpana Verma [2003]

14 comments:

  1. Anonymous1/17/2008

    sundar geet hai alpanaji,jab jana hi hai duniya se ek din bhula ke sab kuch,ek tujhe yaad rakhu aisa tho nahi ho sakta.

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  2. अल्पना जी बहुत सुंदर गीत है आपका,

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  3. Anonymous1/17/2008

    wah! wah! wah!bahut khuub likhti hain aap!

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  4. भावपूर्ण ... !

    आपके सतत लेखन के लिए ईश्वर से प्रार्थना

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  5. जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
    भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,

    bahut hi sundar aur laybadh virah-geet .

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  6. डूबती कश्ती ने तुमको समझा था साहिल,
    लेकिन तुम ने दे दिया गैरों को अपना दिल,
    जब कभी धड़कन से रिश्ते छूट जाएंगे,
    भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.

    जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
    भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे,

    achhe lage ye shabd aapke geet me...

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  7. आपके शब्दों ने मन को भाव विभोर कर दिया।

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  8. bahut kub. dil bhar aaya. likhte rahiye

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  9. Anonymous3/06/2008

    डूबती कश्ती ने तुमको समझा था साहिल,
    लेकिन तुम ने दे दिया गैरों को अपना दिल,
    जब कभी धड़कन से रिश्ते छूट जाएंगे,
    भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.

    Oye hoye....kya likha hai...dil bhar aaya yeh kavita padh kar. I think you shud keep writing for all those people who connect with emotions well, aaj kal kahan likhpatey hain log itne gehraiyi se. Excellent piece of work!! Keep writing for kadardaans like me :)
    Cheers -Jyoti

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  10. baht hi bhaavpoorna kavita hai.saral aur sundar.dard ka ahsas dilaati hui..dukh,shikaayat aur tanj kasti hui kavita.

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  11. एक मुठ्ठी आसमां की चाह थी हमको ,
    लेकिन तुमसे नाउम्मीदी ही मिली हमको,
    जब फरिश्ते मौत के हम को सुलायेंगे,
    भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे.

    जब कभी यादों के दर्पण टूट जाएंगे,
    भूल जाएंगे तुम्हें हम भूल जाएंगे

    hamne bhi sun liya....bahut khoob.

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  12. Anonymous3/24/2008

    bahur sunder..

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  13. Anonymous4/13/2008

    hi Alpana,
    I just heard yr Poem 'Bhool jayenge'...i must say.... beautiful khayal... beautiful andaz-e-bayan!
    Excellent...
    I am glad to know that u are from UAE.. i am here too :)
    Take care
    SERENE

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  14. Anonymous8/22/2013

    "Tootane waale di, hote hai kuchh khaas"...

    Dil naa toote to itanee sundar rachana nahi ban sakegee..

    I could not stop sending you these 4 lines..

    वो जन्म भी होगा कभी, जिस जन्म में तुझे पायेँगें
    एक पल को ही सही, हुम भी तुम्हे याद आयेँगे
    देखने की, बात करने की, बुझेगी प्यास हो
    तुझे याद करते टूट जायें, ज़िन्दगी की साँस हो

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना