किस कहानी का सुरीला आगाज़ हो तुम ?
उड़ चला है मन मेरा न जाने कहाँ ,
क्या कोई परवाज़ हो तुम?
भेदना चाहूँ तो भी खुलता ही नहीं ,
सदियों से दफ़न गहरा
कैसा अजब राज़ हो तुम?
छू जाता है ,बिन आहट
मेरी रूह को अक्सर,
मीठा सा अहसास हो तुम!
-अल्पना वर्मा
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बढिया रचना है।
ReplyDeleteछू जाता है ,बिन आहट
मेरी रूह को अक्सर,
मीठा सा अहसास हो तुम!
xhu jata hai aahat sa,mitha ahsas ho tum sundar
ReplyDeleteudasiya lagta hai priya hai aapko.
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