‘गीत गाता आ रहा हूँ,तुम नए विश्वास भरना,
साल २०१० की विदाई भी अब नज़दीक है यह साल भी कुछ दिनों के बाद इतिहास का एक हिस्सा बन जायेगा.बीतते साल का हिसाब किताब देखूं तो लगता है इस साल में मैंने अपेक्षाकृत बहुत कुछ घटते देखा है शायद इसी ‘देखने ‘ को अनुभव पाना कहा जाता है.
कहते हैं कि हर किसी को ‘वक़्त'से डरना चाहिए ‘ऐसा लोग क्यों कहते हैं कुछ हद्द तक यह भी समझ में आया..और सच कहूँ तो पहले ही जब हम सब अनिश्चतता से घिरे रहते हैं और ऐसे में इस का बदलता बिगड़ता रूप आस पास देखने को मिले तब इस 'वक़्त 'से भी डर लगने लगता है.
इसी वक़्त की बदलती करवट के साथ इस साल बहुतों का बदलता भाग्य ,इस पल में और उस पल में उनकी स्थिति में गहरा अंतर ..यह सब अपनी आँखों के सामने देखना और उनको महसूस करना जीवन के अब तक मिले अनुभवों में एक बड़ा महत्वपूर्ण अनुभव जोड़ गया है.
पिछले दिनों प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’[धरमवीर भारती जी का लिखित] पढ़ा जो दिलो दिमाग़ पर अजीब सी शून्यता छोड़ गया..शायद उसका अंत मुझे स्वीकार्य नहीं हुआ.. उस से उबरने में ही ८-९ दिन लगे थे और उसके बाद कोई दूसरा उपन्यास हाथ में लेने की हिम्मत नहीं हुई.
उस पर जब हाल ही में फिल्म 'गुज़ारिश' देखी ..कई दिनों तक एक सन्नाटा सा ज़हन में छाया रहा .उस फिल्म का भी कुछ ऐसा असर हुआ कि अब यही लगने लगा है कि ज़िंदगी बहत छोटी है और इसे पूरी तरह जीना चाहिए.
आने वाले साल २०११ में इस वक़्त का बदलता रंग -रूप और स्वभाव हरेक के लिए खूबसूरत हो,खुशनुमा हो.आने वाला हर पल एक नयी खुशखबर ले कर ही आये इन्हीं शुभकामनाओं के साथ जाते हुए लम्हों को हम भी खुशी खुशी विदा करें.
नयी सोच,नए विचार,नयी योजनायें,नए वादे,नए संकल्प लिए नए वर्ष का स्वागत करें.बीतते हुए इस वर्ष में रह गए अधूरे कार्य नए वर्ष में पूरे हों,हर ओर खुशियाँ हों,देश खूब प्रगति करे.विश्व में शान्ति बहाल हो.
इस प्रार्थना गीत के साथ इस पोस्ट का समापन करती हूँ , एक ही साईट पर पोस्ट लिखने तक इस गीत के उन्नीस हज़ार चार सौ पचपन डाउनलोड हो चुके हैं.
डाउनलोड mp3 / download or Play Mp3
[यह मूल गीत नहीं है मेरी आवाज़ में film-ankush के गीत का कवर संस्करण है]
गर्व से मैं सर उठाऊं ,तुम नया इतिहास रचना.’कुछ ऐसे ही गुनगुनाता हर बरस नया साल आता है और जाते जाते अनगिनत कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें देता चला जाता है.
साल २०१० की विदाई भी अब नज़दीक है यह साल भी कुछ दिनों के बाद इतिहास का एक हिस्सा बन जायेगा.बीतते साल का हिसाब किताब देखूं तो लगता है इस साल में मैंने अपेक्षाकृत बहुत कुछ घटते देखा है शायद इसी ‘देखने ‘ को अनुभव पाना कहा जाता है.
कहते हैं कि हर किसी को ‘वक़्त'से डरना चाहिए ‘ऐसा लोग क्यों कहते हैं कुछ हद्द तक यह भी समझ में आया..और सच कहूँ तो पहले ही जब हम सब अनिश्चतता से घिरे रहते हैं और ऐसे में इस का बदलता बिगड़ता रूप आस पास देखने को मिले तब इस 'वक़्त 'से भी डर लगने लगता है.
इसी वक़्त की बदलती करवट के साथ इस साल बहुतों का बदलता भाग्य ,इस पल में और उस पल में उनकी स्थिति में गहरा अंतर ..यह सब अपनी आँखों के सामने देखना और उनको महसूस करना जीवन के अब तक मिले अनुभवों में एक बड़ा महत्वपूर्ण अनुभव जोड़ गया है.
अजब सा अजब अजब सी कशमकश ,अजब सी उलझन है , अजब सी बैचैनी , अजब सी लाचारी भी, अजब अजब से न जाने कितने अनुभव हैं, अजब से मौसम के अजब से हालात हैं , अजब मुखोटों में अजब से चेहरे छुपे , अजब सवालों के अजब जवाब मिले , अजब सी आवाज़ें और अजब ख़ामोशी है, अजब सी हलचल कहीं ,तो कहीं अजब बेहोशी है अजब सी राहों में भटक रहे हैं मेरे ख्याल अजब से धागे हैं जिन में उलझ रहा है मेरा मन, अजब है यह भी कि अजब सी बात है ये .. अजब सा अब यह सारा जहान सच में ‘अजब सा’ लगता है. ...............................**अल्पना वर्मा ***.............................. |
पिछले दिनों प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’[धरमवीर भारती जी का लिखित] पढ़ा जो दिलो दिमाग़ पर अजीब सी शून्यता छोड़ गया..शायद उसका अंत मुझे स्वीकार्य नहीं हुआ.. उस से उबरने में ही ८-९ दिन लगे थे और उसके बाद कोई दूसरा उपन्यास हाथ में लेने की हिम्मत नहीं हुई.
उस पर जब हाल ही में फिल्म 'गुज़ारिश' देखी ..कई दिनों तक एक सन्नाटा सा ज़हन में छाया रहा .उस फिल्म का भी कुछ ऐसा असर हुआ कि अब यही लगने लगा है कि ज़िंदगी बहत छोटी है और इसे पूरी तरह जीना चाहिए.
किसे मालूम है कि अगले क्षण ने हमारे लिए क्या और कैसी योजना बना कर रखी है?
समय चक्र
मैं अपने समय चक्र का एक हिस्सा हूँ , तुम अपने समय चक्र का एक हिस्सा हो, कब तक, कौन ,कहाँ तक चल पाता है ? ये तो बस वक़्त के दफ्तर* में दर्ज़ होता है. वक़्त का पहिया जहाँ जब भी रुकता है, ये जिस्म वहीँ उसी पल में सर्द होता है. --------------***अल्पना वर्मा **---------------- [दफ्तर का अर्थ —बही-खाता/रजिस्टर] |
अक्सर अपने आस पास होने वाली कुछ अच्छी -बुरी खबरें दिलो दिमाग पर बहुत गहरा असर छोड़ जाती हैं और यक़ीनन कुछ सीखें भी दे जाती हैं….सीखें ….’जीवन को समझने की’,सीखें ..’खुद को जानने की’ ,सीखें.. ‘दुनिया में व्यवहार की..’...........
आने वाले साल २०११ में इस वक़्त का बदलता रंग -रूप और स्वभाव हरेक के लिए खूबसूरत हो,खुशनुमा हो.आने वाला हर पल एक नयी खुशखबर ले कर ही आये इन्हीं शुभकामनाओं के साथ जाते हुए लम्हों को हम भी खुशी खुशी विदा करें.
नयी सोच,नए विचार,नयी योजनायें,नए वादे,नए संकल्प लिए नए वर्ष का स्वागत करें.बीतते हुए इस वर्ष में रह गए अधूरे कार्य नए वर्ष में पूरे हों,हर ओर खुशियाँ हों,देश खूब प्रगति करे.विश्व में शान्ति बहाल हो.
''आप और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.''
इस प्रार्थना गीत के साथ इस पोस्ट का समापन करती हूँ , एक ही साईट पर पोस्ट लिखने तक इस गीत के उन्नीस हज़ार चार सौ पचपन डाउनलोड हो चुके हैं.
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[यह मूल गीत नहीं है मेरी आवाज़ में film-ankush के गीत का कवर संस्करण है]
अल्पना जी,
ReplyDeleteप्रथम कविता अजब में तो आपने गज़ब ही ढा दिया।
वक़्त का पहिया जहाँ जब भी रुकता है,
ये जिस्म वहीँ उसी पल में सर्द होता है.
सत्य अभिव्यक्ति!!
आप और आपके समस्त परिवार को भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.''
और नव-संकल्प की भी जो आपने निर्धारित किये होंगे।
आपको भी नूतन वर्ष की बहोत ढेर सारी शुभकामनाएँ
ReplyDeleteपोस्ट की तारीफ करना मेरे लिए तो मुश्किल सा है, क्योकि मेरे ख्याल से कुछ लेखों की तारीफ हर किसी के बस में नहीं होती ...........
पर इतना कहूँगा कि सुन्दर .......अति सुन्दर
प्रणाम
आदरणीया अल्पना जी
ReplyDeleteनमस्कार !
नव वर्ष की पूर्व वेला को समर्पित आलेखवक़्त कब किस का हुआ? पढ़ कर मन गहन विचारों की ओर उन्मुख हो गया … । वर्ष भर का पाना - खोना , मिलना - छूटना … … … भावों के एक सागर में गोते लगाते हुए आत्ममंथन की प्रक्रिया आपके हर पाठक से साक्षात होगी …
अजब सा अजब रचना भी अज़ब है … बहुत सुंदर !
इतनी शक्ति हमें देना दाता , मन का विश्वास कमजोर हो ना … जितना प्रेरक गीत है , आपने उतनी ही निष्ठा और तल्लीनता से गाया है … सुन कर आत्मा को संतुष्टि मिली । आभार !
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ज़िंदगी बहत छोटी है और इसे पूरी तरह जीना चाहिए. एकदन सही बात कही है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteएक आत्मचेतना कलाकार
Happy new year to u too.
ReplyDeletethanks
ReplyDeletehappy new year
नया इतिहास रचना.......
ReplyDeletewaah !
आपका आलेख और कवितायेँ प्रेरणास्पद हैं और यथार्थ का चित्रण करती हैं.आपकी आवाज़ में गाया गया गीत अच्छा लगा.
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार हम तीनों की तरफ से नव वर्ष की शुभ कामनाएं.
आभार सहित -
विजय माथुर
श्रीमती पूनम माथुर
यशवन्त माथुर
मैं सहमत हूं कि कभी-कभी कुछ रचनाएं इतना प्रभावित करती हैं कि उनकी ख़ुमारी कई-कई दिन तक बनी रहती हैं. यह एक अलग ही अनुभव होता है जो मन को शायद शिथिलता की सीमा तक, बहुत शांत कर देता है...
ReplyDeleteनये वर्ष में सब गजब ही गजब हो आपके लिये।
ReplyDeleteअजब ने काफी गज़ब किया ....और पल में सर्द होना ...दोनों रचनाएँ अपनी छाप छोडती हैं ...
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें
जिन्दगी जीने के लिये ही है वाकई..
ReplyDeleteक्रिसमस और नए वर्ष की बहुत शुभकामनायें -वर्ष २०११ आपके लिए सुख समृद्धि और शांति की अनुपम सौगात लाये !
ReplyDelete7/10
ReplyDeleteआपने एक ही पोस्ट में एक साथ बहुत कुछ समेटने का प्रयास किया है ...
आपकी बात..रचना..गुनाहों का देवता..फ़िल्म गुजारिश ..यह सब काकटेल बनकर मन पर गहरा असर छोड़ रहे हैं ...
बहुत सुन्दर
वाह क्या बात कही आप ने कविता मे बहुत सुंदर, आप की दोनो रचनाओ से सहमत हे..... नये साल की शुभकामनाऎ!!!!!! नये साल शुरु होते ही या अगले दिन देता हूं,या बाद मै कभी भी? उस से पहले कभी नही.. कोई वहम नही लेकिन यह मेरी आदत हे, जन्म दिन हो या कोई त्योहार....... धन्यवाद
ReplyDeleteवाह क्या बात है.
ReplyDeleteक्रिसमस और नए वर्ष वर्ष की ढेरों शुभकामनायें .
दिल को छू गया यह आलेख. सुंदर प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteअल्पना जी, दोनों ही कविताये. बहुत ही सुंदर तथा सोंचने को मजबूर करती हुई.. सच गुजारिश फिल्म देख जिंदगी के मतलब समझ में आ जाता है. हर पल को जीभर क़र जी लेना चाहिए. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ... नव वर्ष की मुबारकबाद आपको भी.
ReplyDeleteफर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
आदरणीय अल्पना वर्मा जी
ReplyDeleteकितना संजीदगी से पहचाना है आपने वक़्त को ...एक अलग अंदाज में पेश की गयी इस पोस्ट ने बहुत प्रभावित कर दिया ....आपका बहुत - बहुत शुक्रिया
yah rachna mujhe mail karen 31st dec ke liye ... rasprabha@gmail.com per blog link ke saath
ReplyDeleteकितनी अजीब सी बात है कि 'गुजारिश' मैंने इसीलिये नहीं देखी कि इस समय अकेली हूँ, कहीं डिप्रेशन ना हो जाए, जैसा कि ऐसी फ़िल्में देखकर या उपन्यास पढ़कर अक्सर होता है मेरे साथ.
ReplyDeleteआपकी दोनों कविताएँ मुझे बहुत अच्छी लगीं... नववर्ष की शुभकामनाएँ !
सदियों से ये अजिबो-ग़रीब खेल खेला जा रहा है उपर वाले के द्वारा, कुछ के लिये ये अजब है कुछ के लिये ये ग़ज़ब है, बहरहाल आपको अच्छी रचना के लिये बधाई।
ReplyDeleteनमस्ते अल्पना जी,
ReplyDeleteआज काफी दिनों बाद आपने कुछ पोस्ट किया है..
"समय चक्र" बहुत सुन्दर कृति लगी मुझे..
नए साले में आपके ब्लॉग पर और पोस्ट देखने की इच्छा है..
आभार
"एक लम्हां" मेरे ब्लॉग पर ज़रूर पढियेगा..
कब तक, कौन ,कहाँ तक चल पाता है ?
ReplyDeleteये तो बस वक़्त के दफ्तर* में दर्ज़ होता है.
बहुत सटीक प्रस्तुति..दोनों रचनाएँ बहुत सुन्दर..नव वर्ष की शुभ कामनायें
अंदाज-ए-बयाँ कुछ और है … आपको सपरिवार नूतन वर्ष की शुभ कामनाएं ।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुती.
ReplyDeleteसुन्दर रचनायें!
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति!!!
behad khoobsurat likhi hain aap.
ReplyDeleteतुम नया इतिहास रचना......
ReplyDeleteसब कुछ इसी में समाहित कर दिया आपनें.
आपको भी नूतन दशक की बहुत सारी मंगल कामनाएं.
बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteयह काफी खूबसूरत पोस्ट है. अजब तो अजब ही रहा. आभार
ReplyDeleteअजब सच में कुछ गज़ब ही है ...
ReplyDeleteसमय कब किसका हुआ है ...खुद समय का भी कहाँ ...वह भी बीता हुआ पल हो जाता है ..
नए वर्ष की आपको भी बहुत शुभकामनयें ..
अल्पना जी बहुत अच्छा लगा आपकी पोस्ट पढ़कर ,सच हैं जीवन बहुत कुछ सिखा देता हैं ,जीवन से बढ़ा गुरु कोई नही होता ,आपका आने वाला साल खुशियों से भरा होगा ,आपको बहुत सारा प्यार तरक्की और खुशियाँ मिलेंगी ,यही सदिच्छा एयर शुभकामना ,मेरा पसंदिता गीत सुनाने के लिए तहे दिल से धन्यवाद
ReplyDeleteवीणा साधिका
अल्पना जी बहुत अच्छा लगा आपकी पोस्ट पढ़कर ,सच हैं जीवन बहुत कुछ सिखा देता हैं ,जीवन से बढ़ा गुरु कोई नही होता ,आपका आने वाला साल खुशियों से भरा होगा ,आपको बहुत सारा प्यार तरक्की और खुशियाँ मिलेंगी ,यही सदिच्छा एयर शुभकामना ,मेरा पसंदिता गीत सुनाने के लिए तहे दिल से धन्यवाद
ReplyDeleteवीणा साधिका
ज़िन्दगी बहुत छोटी सी है और इसको भरपूर जीना चाहिए बहुत खूब कहा अल्पना आपने बेहतरीन पोस्ट
ReplyDeleteअजब मुखोटों में अजब से चेहरे छुपे ,
अजब सवालों के अजब जवाब मिले
बहुत पसंद आया यह
वाह अल्पना जी, कमाल की पोस्ट है.
ReplyDeleteएक दुआ-
अम्न हो नये साल हर दिन चैन हो आराम हो
शाम जाते साल की सब रंज-ओ-गम की शाम हो
आपने देखें हैं जो सपने वो पूरे हों सभी
आपका हर आरज़ू हर चाहतों पर नाम हो
गुजारिश आपको अच्छी लगी...जानकर बड़ा अच्छा लगा,वर्ना इसे तो फ्लाप ठहरा दिया गया...
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर पोस्ट ने मन हरा कर दिया है और उसपर आपने जो लाजवाब भजन सुनाया...वाह वाह वाह..
आपको भी सपरिवार नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं...
sach me alpana jee aapke ajab-gajab ke chakkar me puri kavita khatm ho gayee...aur dimag me locha ho gaya...:)
ReplyDeletebahut khub!
nav-varsh ki bahut bahut subhkamnaon ke saath...........:)
सुन्दर रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
सुंदर रचना । नववर्ष की शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteअजब अजब से न जाने कितने अनुभव हैं,
ReplyDeleteअजब से मौसम के अजब से हालात हैं ,
waah ekdam ajab si sundar rachana,magar sach kahun mein in do panktion se gujri hun shayad gujre sal mein.hum yaha sab thik hai,aur aasha karti hun aap bhi swasth rahe.naya saal aap sab ko bhi bahut mubarak ho alpanaji.aap jaise khubsurat doston ki khubsurat yaadien bhi tho hai saath.flim gujarish dekhne ke baad mann mein bahut ajib hulchul huyi thi,sahi nabz pakdi hai.
waah... maja aa gaya
ReplyDeletebahut achchi post hai
ReplyDeleteअल्पना जी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर।
अजब सी दास्तान है इस छोटी सी जिंदगी की. समझ रहा हूँ और सहेज रहा हूँ.
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाये!!
गर्व से मैं सर उठाऊं ,तुम नया इतिहास रचना.’
ReplyDeleteइतिहास की तो हमें आपसे ही उम्मीदें हैं अल्पना जी .....
क्योंकि ....
अजब सी राहों में भटक रहे हैं आपके ख्याल
अजब से धागे हैं जिन में उलझ रहा है आपका मन...
तो बधाई आपको ....
नववर्ष की शुभकामनाएं ......!!
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये...
ReplyDeleteआप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeletealpana tumahari bahut yaad aati rahi ,teen mahine se blog par nahi aai aur tumhari khabar bhi nahi lagi kuchh ,tumhare gaane bhi bahut mis ki ,abhi sabko badhai de aau phir tumse aur charcha karoongi .happy new year,aane wala naya saal tumahara bhi khoobsurat ho .rachnaye bahut sundar hai tumhari tarah .
ReplyDeleteहां अल्पना जी, गुनाहों का देवता पढने के बाद कई दिनों तक मैने भी कुछ नहीं पढा था...same feelings..
ReplyDeleteनये वर्ष की अनन्त-असीम शुभकामनाएं.
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ......स्वीकार करें ..
ReplyDeleteआशा है नव वर्ष आपके जीवन में खूब सारी खुशियाँ लेकर आएगा ....बहुत - बहुत शुभकामना
मंगलमय नववर्ष और सुख-समृद्धिमय जीवन के लिए आपको और आपके परिवार को अनेक शुभकामनायें !
ReplyDeleteHappy new Year 2011 to you and all of your family.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट काबिले तारीफ है....गीत तो और भी खूबसूरत है....नए साल की हार्दिक बधाई
ReplyDeletebade dino baad yahaa par aa payaa. aapkaa bhi post shayad lambe arase baad aayaa hai.
ReplyDeleteaap ko aur sabhee bloggers sathiyo ko naye saal kee shubhkamanaye.
kavitaa laajawaab hai, aur geet to kya kahe, badhiya hai.
ReplyDeleteसुंदर रचना....नए साल की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteaap bahut sundar likhti hain
ReplyDeletehar baat ko bahut ache se explain karti hain.
kavita bhi bahut achi lagi.
aapko naye saal ki hardik badhayi
happy new year
nav varsh ki shubhkamnayen
ReplyDeleteगुज़रे हुवे वक़्त का दस्तावेज़ है आपकी पोस्ट .... बदलता है वक़्त ये तो सचाई है जीवन की और सभी को झेलनी पढ़ती है ... बहुत कुछ कभी कभी जेहन में गहरे उतर जाता है और जकड लेता है मन मस्तिष्क को .... गुजारिश देखना कुछ ऐसी की अनुभूति है ... जो आया है अपने अपने हिस्से की धूप देख कर ही जाएगा ... दोनों कवितायें बहुत गहरी और कहती हुयी हैं ...
ReplyDeleteआपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो ...
वक़्त का पहिया जहाँ जब भी रुकता है,
ReplyDeleteये जिस्म वहीँ उसी पल में सर्द होता है.
बहुत गहरी अभिव्यक्ति!!
आप और आपके परिवार को भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.''
वाकई बहुत ही अजब की कविता है..मज़ा आ गया पढ़ के..साधुवाद..
ReplyDeleteवक्त यूँ ही चलता रहेगा। बहुत सुन्दर पोस्ट है। इतनी शक्ति हमे देना दाता---0- बस यही तो चाहिये, वर्ना सुख दुख तो जीवन का हिस्सा हैं। नये साल की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteथोडा भर-भर-सा गया हूँ....इतना सारा सब कुछ पढ़कर....अब उससे उबरूं तो कुछ लिखूं....अभी कुछ महसूस कर रहा हूँ मैं.....उसे महसूस करने दो....!!!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteगीत गाता आ रहा हूँ,तुम नए विश्वास भरना,
ReplyDeleteगर्व से मैं सर उठाऊं ,तुम नया इतिहास रचना.
काफी प्रेरक पंक्ति है. न केवल आपका ब्लाग वरन सभी रचनाएँ , गीत अद्भुत हैं. अति सुन्दर. यहाँ आकर मन को ख़ुशी भी मिली, शांति भी. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
कुछ बातें होती ही ऐसी हैं की मन पर गहरे प्रभाव छोड़ जाती जाती हैं. छोटी सी जिंदगी बहुत कुछ सीखा जाती है बस सीखने की कोशिश हौसला और हिम्मत चाहिए.बहुत अच्छी प्रस्तुति। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeletebahut khoobsurat ehsaas likhen hain aap ne.likhte rahiye
ReplyDeletebahut achhi kavitayen.....
ReplyDeletehappy new year...
भावपूर्ण कविता,मधुर गीत ,विचारों से सहमत,समय चक्र में सभी हैं .
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है.
अल्पना जी आज पता नहीं कैसे घूमते-घूमते आपके ब्लॉग पर आना हुआ. आकर जैसे निहाल ही हो गया. दिल से आपके ब्लॉग का चक्कर काट कर आया हूँ. कविता का तो ज्यादा शौक नहीं है लेकिन गीत सुनकर बेहद प्रसन्नता हुई.
ReplyDeleteअल्पनाजी
ReplyDeleteबहुत देर से आपके ब्लाग पर आई हूँ
अजब का प्रयोग बहुत ही खूबसूरती के साथ किया है आपने |
और यह प्रार्थना अगर जीवन में उतार ले तो क्या बात है बहुत ही मीठा गया है आपने |
"गुनाहों के देवता "पढने के बाद यही हल होता है मई तो कितनी बार पढ़ चुकी हूँ और हर बार नये अर्थ मिलते है |
गुजारिश फिल्म वास्तव में जिन्दादिली से जीने और इस प्रार्थना का संदेश देती हुई सुन्दर फिल्म है |
अगर आपने "प्रथम प्रतिश्रुति "और "सुवर्णलता" उपन्यास जो की आशापूर्णाजी द्वारा लिखित ज्ञानपीठ प्रकाशन से है अगर पढ़े है तो क्रप्या बताये कैसे लगे? और अगर नहीं पढ़े है तो जरुर पढियेगा |
शुभकामनाये |
अल्पना जी, लाख टके की बात कह दी आपने। वक्त सचमुच उसी का होता है, जो उसकी कीमत को समझता है।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
---------
पति को वश में करने का उपाय।
हा...हा....हा....हा....हा....दसवीं कक्षा के जमाने में पढ़ा था गुनाहों के देवता को.....एक सांस में उसे पढने के लिए समय ना मिलने के कारण बीमारी का बहाना कर छत पर जा-जाकर पढ़ा करता उसे....कई-कई बार पढ़ा.....और कई-कई बार रोया......और एक बार तो मैं फफक-फफक कर रोया था.....ऐसा था इस उपन्यास का रस...आज सोचता हूँ तो......हा....हा....हा....हा.....हर चीज़ का एक वक्त होता....कहते हैं की मुहब्बत का कोई वक्त नहीं होता.....मगर होता है जनाब होता है मुहब्बत का भी वक्त....जब वो आपके भीतर उफान मार रही होती है.....मगर आपके पास कोई नहीं होता....आब खुद में मुहब्बत से भरे होते हैं.....और बस इंतज़ार कर रहे होते हैं की कोई मिल जाए.....और जब कोई मिल जाता है तो आपके भीतर की सारी मुहब्बत उस पर उड़ेल दी जाती है.....मगर वक्त इंतज़ार भी तो नहीं करता आपका या किसी और का....सरपट दौड़ता जाता है ....देखते-न-देखते आपके कानों के आस-पास के कोने सफ़ेद हो जाते हैं.....आपके बच्चे तब उस उम्र के हो चुके होते हैं....जब आपने पढ़ी थी गुनाहों का देवता या फिर कोई और किताब....और आप रोया करते थे....जब आप किसी के लिए तड़पा करते थे....दिल का वो दर्द अब आपको याद ही नहीं आता....मुब्बत एक मज़ाक लगा करती है .....शायद इसीलिए आज आप अपने दिन भूल चुके होते हैं .....शायद...इसीलिए अपने बच्चों को ऐसी बातों पर डांटा करते हैं...लेकिन सच बाताऊं दोस्तों....अगर वक्त मिल जाए.....और आप अपने काम-काज को तिलांजलि दे सकें....या कुछ देर के लिए भूल कर ही सही...मुहब्बत को पा सकते हैं....मुहब्बत से सब कुछ संवार सकते हैं.....हाँ सच मेरे दोस्तों....सच.....सच्ची.....सच्च.....कसम से....!!!
ReplyDeleteअजब है सच यह मुहब्बत
रहती है दिल में कशमकश...!!
अजब है यह छोटा सा दिल
हर शै भागता-दौड़ता-सा हुआ...!!
अजब है हमारे भीतर की बात
हमसे छुटकारा पाने को व्यग्र....!!
अजब से हो जाया करते हैं हम
जब कोई मिल जाता है अपना-सा..!!
और अपनों के बीच ही रहते हुए
हम हो जाते बेगाने सबके लिए...!!
अजब-सा लगता है हमारा चेहरा
कोई और ही झांकता है उसमें से...!!
तो मुहब्बत से भरे हुए हम सब
इतनी दुश्मनायी में क्यूँ रहते हैं...!!
गर इश्क आदमी का फन है "गाफिल"
इसमें इतने आततायी क्यूँ बसा करते हैं...!!
हा...हा....हा....हा....हा....दसवीं कक्षा के जमाने में पढ़ा था गुनाहों के देवता को.....एक सांस में उसे पढने के लिए समय ना मिलने के कारण बीमारी का बहाना कर छत पर जा-जाकर पढ़ा करता उसे....कई-कई बार पढ़ा.....और कई-कई बार रोया......और एक बार तो मैं फफक-फफक कर रोया था.....ऐसा था इस उपन्यास का रस...आज सोचता हूँ तो......हा....हा....हा....हा.....हर चीज़ का एक वक्त होता....कहते हैं की मुहब्बत का कोई वक्त नहीं होता.....मगर होता है जनाब होता है मुहब्बत का भी वक्त....जब वो आपके भीतर उफान मार रही होती है.....मगर आपके पास कोई नहीं होता....आब खुद में मुहब्बत से भरे होते हैं.....और बस इंतज़ार कर रहे होते हैं की कोई मिल जाए.....और जब कोई मिल जाता है तो आपके भीतर की सारी मुहब्बत उस पर उड़ेल दी जाती है.....मगर वक्त इंतज़ार भी तो नहीं करता आपका या किसी और का....सरपट दौड़ता जाता है ....देखते-न-देखते आपके कानों के आस-पास के कोने सफ़ेद हो जाते हैं.....आपके बच्चे तब उस उम्र के हो चुके होते हैं....जब आपने पढ़ी थी गुनाहों का देवता या फिर कोई और किताब....और आप रोया करते थे....जब आप किसी के लिए तड़पा करते थे....दिल का वो दर्द अब आपको याद ही नहीं आता....मुब्बत एक मज़ाक लगा करती है .....शायद इसीलिए आज आप अपने दिन भूल चुके होते हैं .....शायद...इसीलिए अपने बच्चों को ऐसी बातों पर डांटा करते हैं...लेकिन सच बाताऊं दोस्तों....अगर वक्त मिल जाए.....और आप अपने काम-काज को तिलांजलि दे सकें....या कुछ देर के लिए भूल कर ही सही...मुहब्बत को पा सकते हैं....मुहब्बत से सब कुछ संवार सकते हैं.....हाँ सच मेरे दोस्तों....सच.....सच्ची.....सच्च.....कसम से....!!!
ReplyDeleteअजब है सच यह मुहब्बत
रहती है दिल में कशमकश...!!
अजब है यह छोटा सा दिल
हर शै भागता-दौड़ता-सा हुआ...!!
अजब है हमारे भीतर की बात
हमसे छुटकारा पाने को व्यग्र....!!
अजब से हो जाया करते हैं हम
जब कोई मिल जाता है अपना-सा..!!
और अपनों के बीच ही रहते हुए
हम हो जाते बेगाने सबके लिए...!!
अजब-सा लगता है हमारा चेहरा
कोई और ही झांकता है उसमें से...!!
तो मुहब्बत से भरे हुए हम सब
इतनी दुश्मनायी में क्यूँ रहते हैं...!!
गर इश्क आदमी का फन है "गाफिल"
इसमें इतने आततायी क्यूँ बसा करते हैं...!!
seekhne ko bht kuchh..
ReplyDeleteseekhne ko bht kuchh..
ReplyDelete'गुनाहों का देवता' लीक से हटकर उपन्यास है। इसका अंत विचलित अवश्य ही करता है पाठकों को।
ReplyDeleteलीक से हट कर बनी या सृजित रचनाएँ या तो पटरी से उतर जाती हैं या फिर आसमान की बुलंदियों को छूती हैं। उन्हें मध्यम मार्ग पसंद
नहीं होता।
जब तक cmindia की नई क्विज़ प्रस्तुत हो, इस पुरानी क्विज़ को हल करें। http://rythmsoprano.blogspot.com/2011/01/blog-post_3129.html
ReplyDeleteकविता दोनों बेहद अच्छी हैं .समय चक्र खास पसंद आई.
ReplyDeleteअजब सी आवाज़ें और अजब ख़ामोशी है,
ReplyDeleteअजब सी हलचल कहीं ,तो कहीं अजब बेहोशी है
अल्पना जी नमस्कार बहुत सुन्दर रचनाएँ उपरी पंक्ति बहुत अच्छी लगी सुन्दर छवियाँ खुद ही बहुत कुछ बोल जाती हैं बधाई और शुभ कामनाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
अजब सी आवाज़ें और अजब ख़ामोशी है,
ReplyDeleteअजब सी हलचल कहीं ,तो कहीं अजब बेहोशी है
अल्पना जी नमस्कार बहुत सुन्दर रचनाएँ उपरी पंक्ति बहुत अच्छी लगी सुन्दर छवियाँ खुद ही बहुत कुछ बोल जाती हैं बधाई और शुभ कामनाएं
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५