३० अगस्त हमारे बच्चों के स्कूल खुल गए.दूसरे सत्र की पढ़ाई शुरू हो गयी.
सरकारी स्कूलों में ईद तक की छुट्टी है ही..लोग जो छुट्टी गए थे वापस आ गए हैं ,फिर से पुरानी चहल पहल और रौनक लौट आई..
गरमी का वही बुरा हाल है..तापमान दो दिन पहले भी ५० से ऊपर था.
स्वाईन फ्लू के बारे में स्कूल में बताया जा रहा है..फॉर्म भरवाए जा रहे हैं..शौपिंग माल आदि जगहों पर इस विषय में जानकरी देने के लिए काउंटर खुले हैं.बस इस से अधिक हमें इस विषय में जानकरी नहीं है..रामादान जिसे भारत में रमजान कहते हैं वह पाक महिना शुरू हो चुका है चूँकि यह इस्लामिक देश है तो यहाँ रमजान की रौनक अलग ही देखने को मिलती है..यह पूरा महीना बहुत ही अलग होता है..रात में भी दुकाने ,रेस्तरां आदि खुले रहते हैं..सुबह ४ बजे तक दुकाओं में आवा जाही देखी जा सकती है.दिन के समय सभी रेस्तरां बंद होते हैं.ऑफिस और स्कूल के समय में १-२ घंटे कम कर दिए जाते हैं.[यह समय कटोती हर संस्था के ऊपर निर्भर है]कई जगह शामियाने लगे दिखेंगे जहाँ इफ्तार /दवातें [रोजा खोलने के बाद शाम का खाना] मुफ्त दिए जाते हैं.इन दिनों बाज़ार में खरीदारी पूरे जोरों पर रहती है.यहाँ की मार्केट में भीड़ देख कर लगता ही नहीं की स्वाईन फ्लू से किसी को कोई भय है या बाज़ार की मंदी [recession ] का कोई असर किसी पर है!
हर मॉल और दुकाने अपने हिसाब से सजायी गयी हैं यहाँ दो तस्वीरें हैं जो अलएन मॉल के भीतर की हैं.[Click pictures to enlarge]
तस्वीर को बड़ा कर के देखेंगे तो देख सकते हैं कि सूरज के साइड में दुनिया की सब से बड़ी इमारत 'बुर्ज दुबई' और साथ में दुबई की सारी बड़ी इमारतें नज़र आयेंगी. |
'आस-एक गीत' ढूंढ पाओ.. 1-है जुदा नींद मेरी रातों की तनहा दिन हैं, ढूंढ पाओ ... 2-वो है इक संगदिल ये जानकर भी चाहा है, 3-ऐ हवाओं जो कहो आज तुमको जाँ दे दूँ, बाद मुद्दत के ये पैगाम उनका आया है.. ठहरो दो पल को ज़रा हम भी उन्हें ख़त लिख दें... --------------अल्पना वर्मा ----------------- अपने लिखे इस गीत को अपनी आवाज़ में पेश करने की एक कोशिश की है- |
अब सुनाती हूँ मेरी आवाज़ में -गीत-'मेरा दिल ये पुकारे आजा'..फिल्म-नागिन [१९५४] से.इस गीत का काराओके ट्रैक मूल ट्रैक से थोडा अलग है. Download/play Mp3 [ग़ज़ल 'वो इश्क जो हमसे' को साइड बार में लगा दिया है.] |
आपके शहर का जीवंत नज़ारा बहुत अच्छा लगा। आपके हमारे शहर में जो चीज़ें फ़िलहाल कॉमन है- वह है स्वाइन फ्लू की सावधानी और मौसम। तस्वीरें अच्छी लगीं। 'आस-एक गीत' के बोल जितने प्यारे हैं, आवाज़ भी उतनी ही मधुर। और पोस्ट के आख़िर में पेश हुई ग़ज़ल तो शाम को फ़ुरसत में एक बार फिर सुनी जाएगी। अभी व्यस्तता के चलते पूरी नहीं सुन पाया।
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग.
आपके शहर का जीवंत नज़ारा बहुत अच्छा लगा। आपके हमारे शहर में जो चीज़ें फ़िलहाल कॉमन है- वह है स्वाइन फ्लू की सावधानी और मौसम। तस्वीरें अच्छी लगीं। 'आस-एक गीत' के बोल जितने प्यारे हैं, आवाज़ भी उतनी ही मधुर। और पोस्ट के आख़िर में पेश हुई ग़ज़ल तो शाम को फ़ुरसत में एक बार फिर सुनी जाएगी। अभी व्यस्तता के चलते पूरी नहीं सुन पाया।
ReplyDeleteहैपी ब्लॉगिंग.
वाह....।
ReplyDeleteबहुत मधुर स्वर है आपका।
गीत बहुत अच्छा लगा।
बधाई!
वो है इक संगदिल ये जानकर भी चाहा है,
ReplyDeleteक्यों न हो शिक़वा गिला ,ये तो हक़ हमारा है,
ग़र वो समझें मुझे अपना तो इक ख़त लिख दें
waah ji waah,kya karen dil ka mamla jo dehera,sangdil se bhi mohobbat hai usko.sunder.
aur aaj doguni gift di hai,geet aur gazal madhurim aawaz mein,lajaeab.
garmi bahut hai 50 deg bahut jyada hai,yaha hum barsaat se pareshan ho gaye ab.
सीधे सादे शब्दों में दिल की भाषा को जुबान दे दी है , वाह , सुनने में भी आनन्द आया
ReplyDeleteगजल पहली बार सुनी है ....लगता है अभी कई खजानो के मोती बाकी है
ReplyDeleteवाह वाह वाह अल्पना जी! अहा ! जैसा सुन्दर गीत वैसी ही मिठास आपकी आवाज़ में। आज हमारे जन्मदिन पर आपने बड़ा जी ख़ुश कर दिया जी। बहुत बहुत बधाई इस प्यारे से गीत के लिए और साथ में आभार भी।
ReplyDelete2-वो है इक संगदिल ये जानकर भी चाहा है,
ReplyDeleteक्यों न हो शिक़वा गिला ,ये तो हक़ हमारा है,
ग़र वो समझें मुझे अपना तो इक ख़त लिख दें
ढूंढ पाओ ..
वाह..अति सुन्दर अभिव्यक्ति
है जुदा नींद मेरी रातों की तनहा दिन हैं,
ReplyDeleteऐसा कुछ हाल मेरा कहना के उनके बिन है.
जो यही उनका भी हो हाल तो इक ख़त लिख दें...
मन को गुदगुदा गया ये मनमोहक गीत
regards
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, ओर बहुत सुंदर कविता आप का धन्यवाद
ReplyDeleteखूबसूरत गीत पढवाने और सुनवाने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. रमजान का विवरण पढ कर मज़ा भी आया और कई जानकारियां भी मिलीं. ५० डिग्री तापमान पढकर ज़रूर लगा जैसे हम किसी ठन्डे मुल्क में हों.
ReplyDeleteबहुत बढिया जानकारी दी आपने वहां के रमजान के बारे में. ५० के उपर का तापमान, स्वाईन फ़्ल्यु का डर होने के बावजूद भी पुरी रौनक बरकरार है, यह जानकर बडा अच्छा लगा.
ReplyDeleteदोनों ही गीत/गजल बहुत ही सुंदर और कर्णप्रिय बन पडे हैं. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
ढूंढ पाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
ReplyDeleteनहीं मुमकिन अगर मिलना तो इक ख़त लिख दें,
geet aur aawaaz dono ne mantramugdh kiya hai
कविता अच्छी है एक अलग अन्दाज में । अभी सिर्फ़ पढी है ! सुनना बाकी है ।
ReplyDeleteअल्पना जी .......... आपके द्बारा लिए चित्रों को गल्फ न्यूज़ में भी पसंद किया ये बधाई की बात है ......
ReplyDeleteइस लाजवाब रचना ने बीते समय की, पुराने घर की, गुजरी हुयी तनहाइयों की याद करा दी ......... फिर उनके पैगाम आने की ख़ुशी का एहसास भी सिमटे हुए है आपकी रचना ....... इस सब के अलग आपकी आवाज़ का जादू भी कमाल कर रहा है ........
बहुत दिनों बाद आपका ब्लॉग महका है और कमाल का महका है ..........
बहुत सुन्दर लग रही हैं रमजान की तस्वीरें।
ReplyDeleteइस्लाम में इण्ट्रा-रिलीजन भाईचारा प्रचुर है; पर विश्वबन्धुत्व के प्रति उसमें पर्याप्त स्पेस और सहिष्णुता है - इस पर मन शंकित रहता है। और इसी कारण उचाट भी।
वो है इक संगदिल ये जानकर भी चाहा है,
ReplyDeleteक्यों न हो शिक़वा गिला ,ये तो हक़ हमारा है,
बहुत गहरे तक असर करती है.
बाद मुद्दत के ये पैगाम उनका आया है..
ReplyDeleteमुझको समझा है मेरे प्यार को अपनाया है..
मुड़ के जाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
ठहरो दो पल
बहुत खूब लिखा है आपने अल्पना चित्र भी वहां के बहुत अच्छे लगे ...गीत अभी सुन नहीं पायी अच्छा ही होगा सुन कर फिर आते हैं यहाँ
अल्पना अभी अभी आपका गीत सुना बहुत ही बढ़िया ..
ReplyDeleteगीत के भावों ने मन को छू लिया। इस रूमानी गीत के लिए आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अल्पना जी ,
ReplyDeleteनमस्कार,
आप के इस सचित्र वर्णन से हम अपने आप को भी वहाँ उपस्थित महसूस करते हैं।इन सभी जानकारियों के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद,आशा है आप ये सिलसिला जारी रखेंगी।आप के गीतोख के बारे में बस इतना ही कहूँगा कि आप के कई गीत तो मेरे मोबाइल में भी हैं जिसे मैं अक्सर सुनता हूँ,इस गीत को डाउनलोड कर के बाद में सुकून से सुनूंगा।आप का यह संगीतमय प्रयास बहुत ही सराहनीय है और इसके लिये आपको विशेष धन्यवाद.......
अल्पना जी ,
ReplyDeleteनमस्कार,
आप के इस सचित्र वर्णन से हम अपने आप को भी वहाँ उपस्थित महसूस करते हैं।इन सभी जानकारियों के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद,आशा है आप ये सिलसिला जारी रखेंगी।आप के गीतो के बारे में बस इतना ही कहूँगा कि आप के कई गीत तो मेरे मोबाइल में भी हैं जिसे मैं अक्सर सुनता हूँ,इस गीत को डाउनलोड कर के बाद में सुकून से सुनूंगा।आप का यह संगीतमय प्रयास बहुत ही सराहनीय है और इसके लिये आपको विशेष धन्यवाद.......
अतिसुन्दर .......
ReplyDeleteवाह !! वाह !! वाह !!
ReplyDeleteसीधे सच्चे कोमल भावों को आपने जो शब्द और स्वर दिए हैं......पचास डिग्री तापमान में लगता है ठंडी फुहारें पड़ रही हैं...वाह !!
बहुत बहुत सुन्दर...
surili manmohak awaz men manbhavan geet, alpana ji dheron badhai sweekaren.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteभावनाओं के इन्द्रधनुषी कोलाज !
ReplyDeleteभावपूर्ण सुन्दर रचना
ReplyDeleteमनमोहक सुन्दर चित्र
कर्णप्रिय सुन्दर गायन
सार्थक सुन्दर पोस्ट
आकर्षक सुन्दर ब्लॉग
ग्रेड - * * * * *
अल्पना जी खूबसूरत गीत को मधुर स्वर में सुनवाने से मज़ा और बढ़ गया !
ReplyDeleteऐसे ही प्रयास करतें रहें और तस्वीरे सुन्दर लगीं - ख़ास कर के आकाश और सूर्य की
पसंद कर चाप जाने की बधाई -
- अच्छा कार्य जारी रखें
- लावण्या
बहुत बढ़िया लिखा है ....
ReplyDeleteसुन्दर फोटो को देख कर वहाँ का कुछ अंदाजा लग गया। वैसे आजकल खत कौन लिखता है पर ये खत वाला गीत बहुत ही पसंद आया।
ReplyDeleteढूंढ पाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
नहीं मुमकिन अगर मिलना तो इक ख़त लिख दें,
बहुत बेहतरीन। भावों को बहुत ही सुन्दर शब्दों से कह दिया। अफसोस की गीत आज नही सुन पाऐगे जी।
tasveeren bahut hi khoobsoorat hain.....
ReplyDelete1-है जुदा नींद मेरी रातों की तनहा दिन हैं,
ऐसा कुछ हाल मेरा कहना के उनके बिन है.
जो यही उनका भी हो हाल तो इक ख़त लिख दें...
ढूंढ पाओ ...
bahut hi touchy lines hain.....
Regards....
अल्पना जी, हम तो अभी तक आपको लेखिका, कवियत्री और गायिका के रूप में ही देखते थे लेकिन आपके द्वारा लिए गए इन चित्रों को देखकर तो मानना पडेगा कि आपको तो फोटोग्राफी में भी दक्षता हासिल है..... सूर्यास्त वाली तस्वीर तो लाजवाब है!
ReplyDeleteगीत और गजल भी बेहद कर्णप्रिय्!! एक निवेदन है कि यदि हो सके तो कभी कोई भजन इत्यादि भी आपकी मधुर आवाज में सुनने को मिल सके!!
शुभकामनाऎँ......
"है जुदा नींद मेरी रातों की तनहा दिन हैं,
ReplyDeleteऐसा कुछ हाल मेरा कहना के उनके बिन है".
आपकी लिखी इन पंक्तियों ने प्रभावित किया । सहजता की बानगी दिख रही है आपकी पूरी रचना में ।
चित्र तो बेहद खूबसूरत हैं । आभार ।
आपकी आवाज़ में इतना मधुर गीत सुनना सुखकारी है. पोस्ट में विलायत के मौसम की महक भी बखूबी घुली हुई है. वैसे आपके यहाँ जो भी सुनता हूँ उसमे ये गीत अब तक का सबसे प्रिय गीत लग रहा है.
ReplyDeleteभावनाओं का इन्द्रधनुष उग आया हो जैसे।
ReplyDelete{ Treasurer-S, T }
Sunset aur Mall ke tasveeren aapke ankhon se dekhen ,mera ahobhagya hai.....apke blog se parichay hua,bahut accha laga....thank you for visiting my blog and leaving such kind words.
ReplyDeleteवाह !!
ReplyDeleteक्या खूब !!
आनंद आ गया !!
सूर्यास्त का चित्र बहुत ही मनोहारी है, और artistic value लिये हुए है.आपके चतुर्मुखी प्रतिभा का एक और पहलू... लाजवाब.
ReplyDeleteशायद यह चित्र अल मख्तूम पुल के आस पास से लिया हुआ है?
बडे दिनों बाद आपका गीत सुना. काफ़ी सुरीला और रवानी भरा गीत गाया है, और मधुरता लिये हुए है. इस बार देर से आया यह गीत. कृपया अगले गीत में देरी नहीं करें.
गीत भी बडा भावुक है.संवेदना का इज़हार भी मौलिक है.
ढूंढ पाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
ReplyDeleteनहीं मुमकिन अगर मिलना तो इक ख़त लिख दें, ...kitni masoom si khwahish hai...very emotional...milna mumkin nahi to bus ek khat likhde....i hv no words...really nice.....baat muddat ke jo unki yaad aayee dil me thhahri bhi nahi dil se juda bhi na huee...
गीत बहुत ही सुन्दर है
ReplyDeleteसीधी सरल सपाट
दिल से दिल की बात
आयेगी जरूर चिट्ठी तेरे नाम की
बधाई
आपका गीत मन को छूने वाला है ..........आवाज और भी पुरकशिश ,..........साथ में आपने अपने शहर की जिन हरारतों को कलम
ReplyDeleteकी नोक से उकेरा है वह अनुपम है ........बधाई
बाद मुद्दत के ये पैगाम उनका आया है..
ReplyDeleteमुझको समझा है मेरे प्यार को अपनाया है..
मुड़ के जाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
ठहरो दो पल ..
ठहरो दो पल को ज़रा हम भी उन्हें ख़त लिख दें...
ऐ हवाओं...
touch my heart...
meet
दुनिया आपको एक अच्छी कवियत्री मानती है, पर मेरी दृष्टि में आप उससे भी अच्छी गायिका हैं। इस प्रतिभा को मांजती रहें, आगे बहुत सम्भावनाएं हैं।
ReplyDeleteवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
शहर, माल, स्कूल का जिवंत चित्रमय वर्णन दिल को छो गया
ReplyDeleteआपके गीत तो बेहतरीन होते ही हैं.
निम्न पंक्तियाँ दिल को छो गई.............
ढूंढ पाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
नहीं मुमकिन अगर मिलना तो इक ख़त लिख दें,
आकी मधुर, दिलकश आवाज़ ने तो इस गीत में चार चाँद ही लगा दिए.
बधाई ही बधाई.........................
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
जल्द ही पढने को मिलेगी आपको मन के ऊपर एक रचना...
ReplyDeleteऔर जानकर बेहद ख़ुशी हुयी की मेरी रचनाओं का किसी को तो इंतज़ार है...
मीत
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ReplyDeleteC.M. is waiting for the - 'चैम्पियन'
प्रत्येक बुधवार
सुबह 9.00 बजे C.M. Quiz
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क्रियेटिव मंच
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मुझे रमज़ान के दिनो यानि रातों का यह दृष्य बहुत हांट करता है यहाँ भी मै कभी कभी रमज़ान मे रात को उन मोहाल्लों मे निकल जाता हूँ जहाँ खाने की दुकाने सजी होती हैं । यह जीवंत विवरण पढकर अच्छा लगा । और गीत के बारे मे क्या कहूँ इस मेटेलिक आवाज़ का तो मै दीवाना हो गया हूँ । आज शाम से ही आपकी शागीर्दी मे एकलव्य बना हुआ हूँ और लगभग सफल हो गया हूँ कल आपको पहला क्लिप भेजूंगा । लेकिन आपका गीत तो .. अब यह जो भी बिखरा बिखरा है उसे एक जगह इकठ्ठा कर ही लीजिये -आपका शरद कोकास
ReplyDeletevaah........!![yah ek shabd bhi kyaa kisi vaahya se kam hai....???]
ReplyDeleteढूंढ पाओ ऐ हवाओं तो कहना उनसे ,
ReplyDeleteनहीं मुमकिन अगर मिलना तो इक ख़त लिख दें,
very well alpna ji nice and sorry for late
your wellcome at my blog
कविता मैंने पढ़ तो ली थी लेकिन सुनी अब । गीत भी। बहुत अच्छा लगा आपकी आवाज में ये गीत सुनना! शुक्रिया।
ReplyDeleteगीत के बहाने प्रेम की अनुभूतियों का साक्षात्कार हो गया।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
aapke shahar ki garmi 50 se upar he, aour is garmi me aapaka geet ynha hame sookun de rahaa he/ bahut khubsoorat bol he,
ReplyDeleteवो है इक संगदिल ये जानकर भी चाहा है,
क्यों न हो शिक़वा गिला ,ये तो हक़ हमारा है,
aapki koshish mujhe hamesha abhyast jaan padti he..kyoki aapki aavaz bhi geeto ki tarah surili he/
सुन्दर गीत .....बहुत अच्छा लगा आपकी आवाज में ये गीत सुनना
ReplyDeleteलेट आना भी सफल रहा बहुत सुन्दर आवाज़ है आपकी आवाज़ के जादू मे गुम हैं और तस्वीरों का आनन्द ले रही हूँ बहुत सुन्दर बधाई
ReplyDeleteक्यों न हो शिक़वा गिला ,ये तो हक़ हमारा है,
ReplyDeleteग़र वो समझें मुझे अपना तो इक ख़त लिख दें...
सीधे दिल से मालूम पड़ते हैं.
आप जरा इधर भी तशरीफ़ लाये... (यादों का इंद्रजाल)
शुक्रिया!!