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February 1, 2022

मेरा जीवन:तुमको अर्पण - डॉ. निरुपमा सिंह

प्रस्तुत है एक मर्मस्पर्शी कविता जिसे निरुपमा जी ने लिखा है ।सरल ,सहज शब्दों में सशक्त अभिव्यक्ति उनकी रचना की पहचान है।

 गत वर्ष जिस प्रकार एक नन्हे से वायरस से ना जाने कितने जीवन छीन लिए ,उस समय जिस विकराल रूप में यह हमारे समक्ष आ खड़ा हुआ था ,हर किसी का हृदय पल -पल अनजाने भय से आशंकित रहने लगा था। 

उस काल के प्रहार से ,हर ओर के हाहाकार से आहत  मन की अभिव्यक्ति को शब्द दिए हैं कवयित्री  ने इस कविता में -:


 
मेरा जीवन:तुमको अर्पण
 
-डॉ. निरुपमा सिंह 

 
मैं एक नन्हा-सा बीज,
जो माँग रहा था बस,
इस धरा पर अपने हिस्से का कुछ अंश।
हा,मनुष्य! तूने छीना मुझसे मेरा प्रांगण।
प्रकृति के सब उपादानों को तूने समझा बस अपना धन,
इस धरती ने दिया हमें जल, भोजन और जीवन,
स्वार्थी बनकर करते रहे, तुम बस इस धरती का दोहन,
प्रतिदान कुछ तो देना है,अत: प्राणवायु ही मेरा अर्पण
हा, मनुष्य! तूने स्वयं ही नष्ट किए सब अपने जीवन साधन।
मेरे पुरखों ने सदियों से किया तुम्हारा पालन-पोषण,
निस्वार्थ भाव से किया अपना सब कुछ तुम्हें समर्पण।
यह काल का है विकराल प्रहार,
जिन वृक्षों को तुमने काटकर बनाए आकर्षण भवन,
आज उन्हीं में बंद पड़े तुम माँग रहे अपना जीवन,
कैसे  भूल गए तुम मेरा निश्चल प्रेम और यह अर्पण।
जिस प्राणवायु को मैं यूँ देता रहा हर-पल,
आज उसी का कतरा-कतरा ढूँढ रहे तुम होकर विकल।
हा, मनुष्य! अब बस बंद कर यह कातर क्रंदन,
जो बोया था वो काटा है,यही सीख देता है भगवन!
मुझे चाहिए मेरी धरती, मेरा प्रांगण
हा, मनुष्य! कृत्रिम वस्तु पर जो करता था इतना घमंड
न दे सका वह आज किसी को एक नया जीवन।  
मैं जो थोड़ी से धरती लेकर, देता तुमको शुद्ध पवन,
पुनः करो यह मंथन, पुनः करो यह चिंतन।
मेरा जीवन-तुमको अर्पण ।


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11 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-02-2022) को चर्चा मंच       "बढ़ा धरा का ताप"   (चर्चा अंक-4329)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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  2. बहुत बढ़िया

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  3. सादर नमन और धन्यवाद!!

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  4. बहुत ही खूबसूरत संदेश देती हुई बेहतरीन रचना!
    पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ है पढ़कर बहुत अच्छा लगा

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  5. जीवन संदर्भ को परिभाषित करती सुंदर रचना ।

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  6. मन को स्पर्श करती है रचना ...
    बहुत ही भावपूर्ण ... जीवन की कई पक्ष खोल दिए ...

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  7. सुन्दर रचना

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  8. उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद😊🙏🙏

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना