स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

July 2, 2021

चक्रव्यूह

 


चक्रव्यूह

 बाह्य रुदन ,भीतर पीड़ा, अव्यवस्था की शमशीर सर
आज,वक़्त डराता  है ,गिराता है ,बिखेर देने की धमकियाँ देता है !
 

सोचती हूँ , हम संभले ही कब थे जो लड़खड़ाने का डर  हो ,
बँधे  ही कब थे जो बिखर जाने का डर हो !
फिर भी मुस्कुराहटें ओढ़े रहते हैं जैसे  कुछ हुआ ही नहीं
इन   खुशफहमियों में यूँ  ही दिन और निकल जाएँगे
 

कराहने  की मनाही
चुप्पी ओढ़े रहना की विवशता है
टूटती साँसों में इतना सामर्थ्य कहाँ
जो चीख बन सके  !
जलती चिताओं में इतनी आग कहाँ जो मशाल बन सके!
भय ,नीरवता और कठिनाई का दौर

कई चराग़ बुझे और कई  बुझने  को हैं
देखना है कितने इस तूफान से लड़ पाएँगे
मंज़िल बहुत है दूर , रास्ता मिलेगा कभी ?
 और कितने इस चक्रव्यूह से निकल पाएँगे ?

छूट रहे साथ ,टूट रही आस
भटक रहा मन ,चटका विश्वास
ओढ़ लीजिए मुखौटे अपने ,असलियत देखी  नहीं जाती
 

आत्मा पर वक़्त के  अनदेखे  घाव
रिसने लगते हैं यथार्थ की कटुता जान
समय की  वधशाला में कब किस की बारी !
मगर इतना तय है
मौत का फ्रेम लिए नियति खड़ी है
 

निर्मम कालखंड लेगा बलि  बारी -बारी
इससे भागकर ठौर कहाँ पाएँगे
हम आज हैं ,कल खबर बन जाएँगे
=========================
(कवयित्री : अल्पना वर्मा , 20 मई 2021 )

4 comments:

  1. एक डर का माहौल , महामारी ने सोच को कुंद कर दिया , अव्यवस्था के साथ पढ़े लिखों की अज्ञानता भी हावी हो रही .....सभी कुछ समेट लिया है इस रचना में । अल्पना जी बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना हुआ है । अच्छा लग रहा है ।
    बेहतरीन रचना ।

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 04 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर रचना अल्पना जी👏👏

    ReplyDelete

आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना