सेल्फ़ी लेते समय तीन लडकियाँ समुद्र में डूबीं और उन्हें बचाने के लिए गया युवक भी लापता !यह कल ही का समाचार था जिसे सुनकर मैं एक बार फिर सोच में पड़ गयी कि आखिर यह लत है या बीमारी? इससे पहले भी आये दिन सेल्फ़ी लेते हुए दुर्घटनाओं की खबरें पढ़ी हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह कुछ ज्यादा ही होने लगी हैं.यकीनन यह चिंता का विषय है.
खुद की तस्वीरें खींचने का शौक तो किसी को इतना बेपरवाह नहीं कर सकता कि उस अपनी जान की परवाह ही न रहे !एक समय वो भी था जब तस्वीरें खिंचवाने स्टूडियो में जाना पड़ता था और फोटो खिंचवाना या खिंची हुई फोटो बनवाना [डेवेलप करवाना] कोई सस्ता काम भी नहीं होता था.फिर इंस्टेंट [पोलोरोइड] कैमरे आये जिनकी उम्र बहुत ज्यादा नहीं थी.खिंची हुई तस्वीर तुरंत देखना रोमांचक हुआ करता था .
बदलते वक़्त ने तकनीकी उन्नति के साथ इतनी बड़ी छलांग लगाई कि आज जिसे देखिये वही फोटोग्राफर हो गया है ..जहाँ इस के फायदे हैं वहीँ नुकसान भी हैं.
खासकर मैं बात कर रही हूँ स्मार्ट फोन में सेल्फ़ी लेने की सुविधा की.
हिंदी में इस शब्द को क्या कहते हैं ?मैं नहीं जानती लेकिन इतना ज़रूर सुना है कि अंग्रेजी की ऑक्सफ़ोर्ड ,मरियम वेबस्टर आदि ने 'सेल्फ़ी' शब्द को अपने शब्दकोश में स्थान दे दिया है.ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोश ने २०१३ में इस शब्द को शामिल किया था.अब इस शब्द का आप स्क्रेब्ल में भी प्रयोग कर सकते हैं.
टाइम्स पत्रिका के अनुसार फिलीपींस का मकाती शहर 'दुनिया की सेल्फ़ी राजधानी ' बताया गया है.
सेल्फी लेने का दीवानापन अधिकतर युवाओं और किशोरों में ही देखा गया ,कारण ये भी हो सकता है कि स्मार्ट फोन,समय और सुविधा इनके पास तुलनात्मक रूप से अधिक है.
इसलिए सेल्फ़ी लेने की इच्छा शक्ति का अभाव तो होगा ही नहीं !
एक दिन में कितनी बार कोई सेल्फ़ी ले सकता होगा ?
एक दिन मैं जब एक कॉलेज के फ़ूड कोर्ट में बैठी थी तो अचानक मैंने कुछ सुना और चौंक कर उस तीनो छात्रों को देखा ...जिनमें से एक औरों को बता रहा था कि बीते दिन उस ने एक हज़ार सेल्फी लीं! एक हज़ार!!!!!!!!! मैंने सोचा शायद ऐसे ही शेखी बघार रहा होगा लेकिन जब इस बारे में अपने अन्य मित्रों के साथचर्चा की तो सभी ने एक स्वर में कह दिया ..क्यों नहीं ..एक दिन में एक फोन में एक हज़ार सेल्फ़ी लेने में क्या दिक्कत है?बिलकुल ली जा सकती हैं ...मुझे आश्चर्य हुआ कि आखिर कितना समय सेल्फ़ी लेने में और कितना समय उसे देखने में ...बर्बाद किया होगा !!
आखिर सेल्फ़ी से हासिल क्या होगा ?
कोई ख़ास क्षण हों जिन्हें आज सुरक्षित रखना चाहते हैं तो बात अलग है ..आप अपनी फोटो लीजिए लेकिन महज समय गुज़ारने को या खुद से अत्यधिक प्रेम के चलते ऐसा करने वाला सामान्य नहीं हो सकता ...
आजकल इस विषय पर शोध भी हो रहे हैं..आगे चलकर शायद सेल्फ़ी की कला पर भी कोई किताब आ जाये ...या इस का भी कोई कोर्स शुरू हो जाए...सेल्फ़ी लेने के बाद उसे एडिट करने के ढ़ेरों सॉफ्टवेर तो पहले से ही मौजूद हैं .खैर जो होगा वो देखेंगे फिलहाल तो अमरीकन सायीकोलोजीकल एसोसिएशन [APA] ने सेल्फ़ी लेने के इस फितूर को एक मानसिक रोग घोषित किया है !
इस रोग को नाम दिया गया है 'सेल्फाईटिस'...यह एक ऐसी इच्छा है जो बार -बार व्यक्ति को मजबूर करती है कि वह अपनी तस्वीरें ले.इसका एक कारण स्वयं में आत्मविश्वास या आत्मसम्मान की कमी होना है.वह अपनी तस्वीरों के ज़रिये लोगों से दोस्ती बढ़ाना चाहते हैं उनसे सम्बन्ध मजबूत करना चाहते हैं.आखिर आपका चेहरा ही तो पहला प्रभाव सामने वाले पर छोड़ता है और फिर यह तो है भी आभासी दुनिया ..जहाँ इन सेल्फियों का चलन सबसे अधिक है.
मज़े की बात यह है इस एसोसिएशन के अनुसार जो व्यक्ति एक दिन में कम से कम तीन बार अपनी तस्वीर खींचता और खुद ही देखकर प्रसन्ना हो लेता है ,किसी के साथ बाँटता नहीं है वह भी इस रोग का शिकार है परन्तु वह 'borderline केस है !
अब इस रोग का दूसरा लेवल है 'एक्यूट सेल्फ़ाईटीस ' जिसमें एक व्यक्ति अपनी तस्वीरें एक दिन में कम से कम तीन तो लेता ही है ,खुद भी देखता है औरों को भी दिखाता है...फेसबुक आदि सोशल मीडिया के ज़रिये अपनी तस्वीरें औरों को दिखा कर लाइक्स या तारीफ़ भरे कमेंट्स को लालायित रहता है.इसी एसोसिएशन ने तीसरा भेद इस रोग का 'क्रोनिक सेल्फ़ाईटीस ' बताया है जिसका शिकार व्यक्ति दिनभर सेल्फ़ी लेता रहता है और कम से 6 बार सोशल मीडिया के ज़रिये औरों को भी दिखाता है.
अब इसका इलाज क्या है ?इसका इलाज सिर्फ व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन करके ही किया जा सकता है ..शायद उसके लिए भी देर-सबेर हस्पतालों में क्लिनिक खुलने लगेंगे तो आश्चर्य नहीं कीजिएगा.क्योंकि यह शौक जब जान पर बन आने लगे तो इस रोग का इलाज भी ज़रूरी करवाना पड़ेगा.
अगर आपके आसपास कोई इस रोग से ग्रसित होने के लक्षण दिखा रहा है तो समय रहते सावधान कर दीजिए मगर प्यार और तरीके से ..वर्ना समझाने वाले को कुछ अनापेक्षित सुनना भी पड़ सकता है आखिर है तो यह व्यक्तिगत मामला...
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वैसे ,आपने आज कितनी सेल्फ़ी लीं?
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[तस्वीर -गूगल इमेज से साभार ]
Really informative article . More people should know it ,it is a social concept to
ReplyDeletebe considered .
सेल्फ़ी भी एक चस्का बन गया है ... एक हद के बाद कोई भी चीज नुक्सानदायक बन जाती हैं ...प्रेरक सामयिक चिंतन प्रस्तुति
ReplyDeleteकिरण आर्य जी ने आज से ब्लॉग बुलेटिन पर अपनी पारी की शुरुआत की है ... पढ़ें उन के द्वारा तैयार की गई ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "मन की बात के साथ नया आगाज" , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Logon ko selfi lete dekha to Kal humane bhi Lee apani ek selfi.
ReplyDeleteकिसी भी कार्य की अति अच्छी नही होती है । सेल्फी एक नशा बन गई है ।
ReplyDeleteबिमारी बन के रह गया अहि यह चाव .... पर एक दिन में हजार सेल्फी ... सोच से परे ...
ReplyDeleteसेल्फ़ी ले ले रे...सच में सेल्फ़ी एक सनक बन गयी है।
ReplyDeleteसेल्फ़ी एक सनक है जो बहुत लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है
Deleteसेल्फ़ी एक सनक है जो बहुत लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है
Deleteसेल्फ़ी एक सनक है जो बहुत लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है
Deleteसेल्फ़ी एक सनक है जो बहुत लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है
Deleteसेल्फ़ी एक सनक है जो बहुत लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है
Deleteसेल्फ़ी एक सनक है जो बहुत लोगों को मौत के घाट उतार चुकी है
DeleteGreat article, Thanks for your great information, the content is quiet interesting. I will be waiting for your next post.
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