स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

March 30, 2013

छूटते हाथ...


मैं ढूँढती हूँ तुम्हारे भेजे  पन्नों पर उन शब्दों को जिनसे तुमने मुझे खरीदा था।
हाँ,खरीदा ही तो था तुमने मुझे  उन शब्दों से  ,
किश्त दर किश्त मेरा मन उन शब्दों के बदले बिकता चला  गया था 
हार गयी थी मैं खुद को तुम्हारी  बिछायी शब्दों की बिसात पर




जब भी मैं अकेला पाती थी खुद को, तो उन्हीं शब्दों में तुम को पाया करती थी।
खुद को माला के धागे सा बना कर उन शब्दों को पिरो लिया था ।

सोचा था ,मुझ में पिरोये गए इन मोतियों को मुझ से बेहतर कौन संभाल पायेगा ,कौन सुरक्षित रख पायेगा?
लेकिन आज असहाय मन  ,धागा तो है पर सारे मोती न जाने कहाँ गुम हो गए?
उन पन्नों को सहेज रखा था जिनमें उन  शब्दों का कभी रहना होता था।
वहीं से तो चुने थे मैंने ....वे   भी तो सभी कोरे लग रहे हैं.।
शब्द वहाँ  वापस नहीं लौटे!

याद आता है ,उस सांझ के धुंधलके में ,न जाने कैसे हलकी सी आँख लगी और
 उन कुछ पलों में ही  सारे दृश्य  बदल गए थे ।
बदल गया आकाश ,बदल गयी फिज़ा..
बादलों का रंग भी स्याह हो गया था ,ज्यूँ-ज्यूँ अँधेरा गहरा हुआ , बादल पानी बनते गए।
लगता है शायद उसी बरसात में  वे  मोती पिघल कर  बह  गए हैं ।

34 comments:

  1. गोया कि शब्द भी समय के साथ अपना रूप दिखाते हैं !

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete
  3. अद्भुत! ऐसी रचनाओं को बस महसूस कर पीया जा सकता है..कुछ खोजना, चुनना और कहना बेमतलब की बात है।
    बहुत आभार।

    ReplyDelete
  4. बेहद उम्दा भाव

    ReplyDelete
  5. बहुत ही सुन्दर एहसास,बेहतरीन प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  6. अद्भुत !!

    ReplyDelete
  7. Anonymous3/30/2013

    No words .. too deep to find bottom .. Pani m ghol ker pee lene wali rachna .. suna hai mann ke panne per likhe shabd anmit hote hain .. keep up the good work .. Regards...

    ReplyDelete
  8. खामोश सा अफसाना पानी पे लिखा होगा

    ना तुमने सुना होगा ना हमने कहा होगा

    ReplyDelete
  9. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच 1200 पर भी होगी. सूचनार्थ

    ReplyDelete
  10. बहुत अच्छा लिखा आपने.एक अंतहीन गहराई में जैसे उतर गयी ये पंक्तियाँ खासकर शुरुआत इस कविता की "मैं ढूँढती हूँ तुम्हारे भेजे पन्नों पर उन शब्दों को जिनसे तुमने मुझे खरीदा था।"

    ReplyDelete
  11. so beautifully written a beautiful creation of words ! Words which have deep meaning.

    ReplyDelete
  12. भावों को यूं शब्दों में बांध लेना आसान नही है, बेहद अदभुत शब्द संयोजन, जो पाठक पर सटीक छाप छोडता है, बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  13. गहन अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  14. शब्द, प्रतिशब्द,
    चाप, निष्ताप।

    ReplyDelete
  15. गहन अभिव्यक्ति।बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete
  16. वाह बहुत सही और सार्थक सच को व्यक्त
    करती रचना
    बहुत बहुत बधाई

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
    jyoti-khare.blogspot.in

    ReplyDelete
  17. वाह बहुत सुन्दर |


    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    ReplyDelete
  18. गहन..... शब्दों के रूप अनेक ...

    ReplyDelete
  19. पढ़कर उमादेवी (टुन टुन) का यह गाना यादआगया "अफसाना लिख रही हूँ"

    ReplyDelete
  20. बहुत खूब ... शब्द भी तो जिंदगी की तरह बदलते रहते हाँ आपना रूप ओर अंत में बरस जाते हैं उम्र की तरह ... फिर नहीं मिलते कभी ...
    खयालात की अजनबी रास्तों पे उड़ान ऐसी ही होती है ...

    ReplyDelete
  21. गहन भावमयी अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  22. भावमयी ..निशब्द हूँ

    ReplyDelete
  23. भावपूर्ण..सुंदर प्रस्तुति।।।

    ReplyDelete
  24. मन को गहरे छू लेती अद्भुत शिल्प की गद्य कविता !

    ReplyDelete
  25. शब्दों ने निःशब्द कर दिया
    बहुत खूब, लाजवाब
    साभार!

    ReplyDelete
  26. "मोती पिघल कर बह गए हैं" बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  27. bahut pyara likha hai.... adbhut....

    ReplyDelete
  28. bahut pyara likha hai ....Adbhut...........

    ReplyDelete
  29. touching and beautifully expressed .

    ReplyDelete

आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना