२०१२-१३ का शैक्षिक सत्र समाप्त होने को है,परीक्षाएँ शुरू हुई हैं या समाप्त होने को हैं या फिर समाप्त हो चुकी हैं।
यहाँ एमिरात में अप्रैल के दूसरे हफ्ते से नया सत्र शुरू होगा। गर्मियों की छुट्टियाँ जुलाई- अगस्त में होती हैं।
इस समय नए दाखिलों का आना ,पुराने छात्रों का जाना लगा रहता है .इसी तरह शिक्षकों को भी अपने नए टाईम टेबल की प्रतीक्षा रहती ही है,वहीँ पुरानी कक्षाएँ खतम होती हैं तो जिन छात्रों को आप पूरे साल पढाते रहे हैं उनसे जुड़ाव हो जाना सामान्य सी बात है।
खासकर जब आप किसी कक्षा के कक्षा-अध्यापक हों तो उस के हरेक छात्र से अपनत्व हो जाता है। मैं जब कक्षा नवीं की छात्राओं से पहली बार मिली तो उनमें से अधिकतर मेरे लिए अपरिचित थीं,लेकिन धीरे -धीरे साल गुज़रते -गुज़रते उन सब का इतना विश्वास मिल पाया कि हर छोटी-बड़ी बातें मुझ से आकर बताया करती थीं। कमज़ोर छात्राओं पर भी मेरा विशेष ध्यान रहा। इस सत्र के आखिरी दिन उन सब ने मिलकर मुझे यह कार्ड दिया जिस में सब ने अपने हस्ताक्षर किये हैं । यह मेरे लिए एक खुशनुमा सरप्राईज़ था ,जिसे आप के साथ यहाँ बाँटना चाह रही हूँ ...
Card by Grade 9 Students |
चाहे शरारती छात्र हों या मेधावी ,साल के आखिर आते-आते सभी से लगाव होना स्वाभाविक है। खासकर जब बात छोटी कक्षाओं की हो,तो आप पायेंगे कि वे बिना लाग लपेट के अपने मन की बात कह देते हैं। शायद उनका निश्चल मन ही इसका उत्तरदायी है।
हर साल के गुज़रते ही आखिरी दिन छात्रों के पत्र मिलने शुरू हो जाते हैं जिस में उनके अपने विचार होते हैं ,शुभकामनाएँ होती हैं ,सादा कागज़ पर लिखे या किसी कार्ड की शक्ल में मिले इन भावों को सहेज कर रखना मुझे बेहद पसंद है।
सब से अधिक मुखर स्नेह मुझे पाँचवी कक्षा के छात्रों से मिलता रहा है,जिन्हें मैंने विज्ञान पढाया . जिनमें अधिकतर शरारती तो बेशक बहुत होते हैं लेकिन उतने ही स्नेह और सम्मान देने वाले भी उन्हें पाया है। मेरे अनुभव के अनुसार ये १०-११ साल के बच्चे मोम की भांति होते हैं जैसे चाहो उन्हें ढाल लो ,सिर्फ सही मार्गदर्शन की ही तो इन्हें आवश्यकता होती है।
इस साल भी बच्चों से मिले इन पत्रों को मैंने अपने खज़ाने में सहेज लिया है।
इनका स्नेह ,इनका दिया मान ..यही तो मेरा सच्चा पुरस्कार है!
आप भी एक झलक देखना चाहेंगे ?...तो देखिए इस खजाने के कुछ मोती ....
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Letters from Grade 5 (2012-13)students |
वाह, अपनत्व ही अपनत्व पोषित करता है।
ReplyDeleteयह मोती कीमती हैं ..
ReplyDeleteशुभकामनायें !
ये हस्ताक्षर युक्त कार्ड आपका बच्चो के प्रति कितना स्नेह है और बच्चों का आपके प्रति कितना लगाव है,,,,,बहुत२ बधाई अल्पना जी,,,
ReplyDeleteबीबी बैठी मायके , होरी नही सुहाय
साजन मोरे है नही,रंग न मोको भाय..
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उपरोक्त शीर्षक पर आप सभी लोगो की रचनाए आमंत्रित है,,,,,
जानकारी हेतु ये लिंक देखे : होरी नही सुहाय,
सहेजने योग्य है यह निश्छल स्नेह .....आपको बधाई , शुभकामनायें
ReplyDeleteएक बच्चा मुझसे संस्कृत में मार्गदर्शन लेने आता है मेरे पास. उसने नए वर्ष के उपलक्ष्य में मुझे हाथ से बना कार्ड दिया, तो मुझे भी बहुत खुशी हुयी :)
ReplyDeleteयकीनन बहुत अच्छा लगता है.
Deleteजानती हूँ कि आपने भी उसे संभाल कर रखा होगा.
bahut baddhiya..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र और कमाल का प्रेम दर्शाता आपका लेख | अद्भुत है |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
:) How Sweet :)
ReplyDeleteअनन्य निधि है यह! सदैव संरक्षण योग्य। और अद्भुत है यह स्नेह-अपनत्व। अध्यापन कितना संतुष्टि प्रदान करने वाला बन जाता है इन सबसे।
ReplyDeleteसच कहा आपने,इन भावपूर्ण शब्दों से संतुष्टि होती है और आगे बढ़ने का हौसला और आत्मविश्वास को बल मिलता है .
DeleteBacchon ka nishchal pyar, buzurgon aur doston ki be-laus mohabbat .. yehi zindgi ke liye sb se bada tonic hai .. is daulat ko zaroor smabhal kar rakhna cahiye .. congrates .. thnx for sharing...
ReplyDeleteवो कीमती पल...
ReplyDeleteबच्चों के साथ बच्चा बन जाने में जो मज़ा है वो कहीं नहीं है ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा इस प्रेम को देख कर ...
आपको अल्प छुट्टियाँ मुबारक ... हम भी छूट गए बच्चों के साथ इन परीक्षाओं से ...
नहीं -नहीं..अल्प छुट्टियाँ नहीं हैं..परीक्षाएँ चल रही हैं ..आज भी एक्साम ड्यूटी कर के अभी आई हूँ.
Deleteहाँ ,पढ़ाने से थोडा ज़रूर अल्प अवकाश मिल गया है...१० तारीख तक.
बधाई आपको -इतना प्यार और सम्मान पाने पर -वह भी मासूम बच्चो से ! आप है ही ऐसी !
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ReplyDeleteअल्पनाजी,
आप का लेख मेरा खजाना /मेरा पुरस्कार पढ़ा।आप ने तो मेरे को बीते दिनों की याद करा दी।निःसन्देह शरारती बच्चे दुनिया में कुछ कर दिखाते हैं।वास्तव में वह प्रखर बुद्धि होते हैं।तभी तो वह नयी-नयी शरारतें कर सकते हैं।इस लेख के लिखे हर शब्द से मैं सहमत हूँ।
सस्नेह-
विन्नी
विनी जी आप के गूगल पेज पर आपकी साईट का लिंक नहीं मिल रहा कृपया दिजीयेगा.
Deleteशिक्षक के रूप में छात्रों से इतना लगाव और उनसे जुडी यादों को यूं सहेजना, भारतीय परिपेक्ष्य में तो एक अजूबा ही लगता है. आपके आलेख से यह पता चलता है कि आप अपने कर्तव्य से किस कदर जुडी हैं. काश हमारे यहां भी चंद शिक्षक ही ऐसे हों तो काफ़ी बदलाव आ सकता है, बहुत ही प्रसंशनीय कार्य. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आप जैसी अध्यापिका का वात्सल्य ही मोम जैसे बच्चों को सही दिशा में अग्रसर कर सकता है। बहुत प्रेरक पंक्तियां।
ReplyDeleteYes it is real treasure to keep it for ever . Liked this post so much .
ReplyDeleteछात्र आते रहते हैं , जाते रहते हैं। लेकिन कुछ समय के लिए ही सही , जो रिश्ता बन जाता है वह जीवन भर याद रहता है।
ReplyDeleteबधाई आपको -इतना प्यार और सम्मान पाने पर -वह भी मासूम बच्चो से ! आप है ही ऐसी !
ReplyDeleteये सुन्दर-सुन्दर कार्ड अनमोल हैं
ReplyDelete-
टीचर अपने स्टूडेंट को भूल जाते हैं लेकिन स्टूडेंट कभी नहीं भूलता !
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बच्चों का यह अपनत्व दर्शाता है कि आप शिक्षक की भूमिका में कितनी सफल रही हैं !
अनन्य शुभ कामनाएं !!!
बच्चों के मुखौटे में खुदा सामने खड़ा ...ये बच्चों का नहीं खुदा का आप पर स्नेह है..खुदा अपनी सेवा की कृपा का अवसर सबको प्रदान नहीं करता है ..आपके पत्रों को पढ़कर अन्य शिक्षकों को भी निश्चित रूप से प्रेरणा मिलेगी..बच्चों के प्रेम में वाकई में निश्चलता होती है ..आपके पास ये निश्छल प्रेम एक धरोहर है ..सादर बधाई के साथ
ReplyDeleteसच्चा स्नेह ही ऊर्जा देता है...इस समय आप ऊर्जा की धनी हैं.....
ReplyDeleteआप खुशनसीब है जो इतने अकूत खजाने की मालिक है आप ,अनमोल और अद्भुत खजाना मिला है ये ऐसे ही बढ़ता रहे ये ही शुभकामना है
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