एक बार किसी की आत्म कथा पढ़ रही थी ,उस में उसने अपने अनुभव लिखे थे। ये अनुभव सामान्य नहीं थे ,ये अनुभव थे जो कुछ उसने देखा -सुना था।देखा- सुना था ??मगर कब और कहाँ ?
उसने देखा था बेहद खूबसूरत बाग़ -बगीचे!इतनी तरह के रंग जितने इस धरती पर उसने कभी नहीं देखे थे। इतना मोहक संगीत जो पहले कभी नहीं सुना था!हर तरफ मधुर संगीत लहरी बहती सुनायी देती थी!
कवियों की कल्पना में पेड़ -पौधे ,फूल-कलियाँ नदी -झरने सब गाते हैं लेकिन उस ने ऐसा स्वयं महसूस किया !
ये सभी अनुभव उस स्त्री के हैं जो कोमा में वेंटिलेटर पर 13 दिन रहने के बाद फिर से पूरी तरह स्वस्थ हो गयी थी।कोमा की अवस्था में ,उसके अनुसार उसने मृत्यु के बाद जिस लोक में जाते हैं उस लोक की सैर की थी !मैं नहीं जानती कि उस स्त्री के ये अनुभव कितने सच हैं ?
आज से कई साल [सन 1900 में ] पहले डॉ जगदीश चंद्र बोस ने भी अपने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया था कि पेड़ -पौधों में भी संवेदनाएँ होती हैं।
इटली के उत्तर में दामान्हुर एक जगह है .-Damanhur Eco- society -http://www.damanhur.org/
जहाँ कुछ शोधकर्ता 1976 से इस 'विषय' पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध किया है की पौधे संगीत रचना कर सकते हैं और करते हैं। वे भी गाते हैं गुनगुनाते हैं!
वे अपना संगीत खुद बनाते हैं !आश्चर्य में अगर हैं तो ये विडियो देखें और सुने ....पौधों को अपनी धुन गाते हुए !
Video-1
तीसरी क्लिप में एक शोधकर्ता इस विषय पर विस्तार से समझा रही हैं कि उनका यह प्रयोग क्या है और कैसे वे इस संगीत को सुन और सुना पा रहे हैं?
Video-3
अगर उत्सुक हैं और अधिक जानकारी के लिए तो उनकी आधिकारिक साईट पर भी जा कर जानकारी ले सकते हैं।
नीचे दिए गए लिंक पर विस्तार से जानकारी भी है -
http://www.damanhur.org/philosophy-a-research/research/1429-the-music-of-the-plants
सच में यह पौधों का संगीत है या नहीं लेकिन है वाकई बहुत ही मधुर और मन को मोहने वाला !
अगर उत्सुक हैं और अधिक जानकारी के लिए तो उनकी आधिकारिक साईट पर भी जा कर जानकारी ले सकते हैं।
नीचे दिए गए लिंक पर विस्तार से जानकारी भी है -
http://www.damanhur.org/philosophy-a-research/research/1429-the-music-of-the-plants
सच में यह पौधों का संगीत है या नहीं लेकिन है वाकई बहुत ही मधुर और मन को मोहने वाला !
पौधों में जीवन है यह जगदीश चन्द्र बसु ने वैज्ञानिकों के समक्ष सिद्ध किया था और मान्यता प्राप्त हुई !
ReplyDeleteपौधों में मानवीय संवेदना और गुण अवगुण, जैसे स्नेहशीलता, क्रूरता आदि सब कुछ पाया जाता है !
होमियोपैथी का सिद्धांत यही है कि अगर अल्पना के मानवीय व्यवहार और आदतों के अनुरूप ऐसा पौधा खोज लिया जाए जो हूबहू हो तो उसी पौधे से बनायी होमियोपैथी औषधि, अल्पना के लिए, संजीवनी बूटी सिद्ध होगी , फिर चाहे उनके शरीर में बीमारी कोई भी क्यों न हो !
होमेओपैथी में खतरनाक और असाध्य बीमारियों का इलाज़ ऐसे ही होता है !
जी सतीश जी ,हो सकता है ऐसा भी होगा .
Deleteअद्भुत, आश्चर्यजनक जानकारी के लिए आभार
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति आदरेया |
ReplyDeleteशुभकामनायें-
बहुत उत्कृष्ट जानकारी दी आपने, पृकृति में हर वो चीज मौजूद है जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं सिर्फ़ खोजे जाने और महसूस करने की दूरी भर है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteरोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी साझा करने लिए साधुवाद ,शुभकामनाये
ReplyDeleteरोचक जानकारी ... जगदीश बोस ओर आम लोग भी जो घरों में पेड़ पौधे रखते हैं वो तो कहते हैं पेड़ की संवेदनशीलता के बारे में ... विज्ञानिक तरीके से इसको प्रमाणित करने का प्रयास भी अध्बुध है ...
ReplyDeleteसच में अद्भुत, यदि ये आरोह और अवरोह निकाल सकते हैं तो इनका जीवन हमसे अधिक सुखकर होगा।
ReplyDeleteरोचक,अद्भुत,जानकारी,,,,
ReplyDeleteRECENT POST... नवगीत,
very good information about plants and their sound . sound of birds and rain is so wonderful as well . those who wander in nature are poets and very adventurous people . Thanks for sharing .
ReplyDeleteबहुत ही रोचक और आश्चर्यचकित करने वाली जानकारी | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बेहतरीन
ReplyDeleteआनन्ददायक जानकारी ।
आभार ।
मन हर्षित हुआ. यह ब्रह्म ज्ञान के सदृश है.आभार.
ReplyDeleteएक विस्मय भरे सन्सार में ले जाने के लिए आभार
ReplyDeleteNice sharing.
ReplyDeleteबहुत ही आश्चर्यजनक एवं अद्भूत-विस्मयकारी जानकारी के लिए,आभार।
ReplyDeleteबहुत ही आश्चर्यजनक एवं अद्भूत-विस्मयकारी जानकारी के लिए,आभार।
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