स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

September 14, 2012

वो भी एक दौर था ..और ये भी....है !

पिछले बीस-तीस साल में  लगभग हर क्षेत्र में  बहुत अधिक अंतर आ गया है.
 यूँ तो इस बात को बताने के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है .

फिर भी एक बार देखें तो कहाँ और कैसे परिवर्तन बच्चों की दिनचर्या /उनकी पसंद -नापसंद  में हुआ है---एक झलक :-
gola maker golewala
Slush ice gola2
‘अब का ‘फन' तब की मस्ती 
gumballchewchewgum sugar candies
pizza uttappam2parantha
खाना-पीना
potato chips pkd potato-chips ghar mei
noodles jave
अब बाहर का ‘टेस्टी’ लगता है. पहले था पसंद घर का बना…
playing videogms bachpn ke game
अब के खेल तब के खेल
MIDEAST ISRAEL PALESTINIANS RAMADAN childhood games
अब आभासी दुनिया के मीत. तब  खेल के साथी
यह तो है बस एक छोटी सी झलक ………

29 comments:

  1. वास्तव में समय बदल गया है ......सबूत भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं !

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  2. परिवर्तन का सफर, सही कहा बस एक छोटी सी झलक है.

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  3. सच कहा आपने, वह भी क्या दौर था।

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  4. सहज परिवर्तन है अब ये सब .और वी गेम्स को आपने कैसे छोड़ दिया .वैसे चुस्की आज भी कई नाम रूपों में मुंबई दिल्ली जैसे महानगरों में आज भी मौजूद है कहीं काला खट्टा बन कहीं शरबतिया और यहाँ पाप्सिकिल के रूप में छाई है .
    ram ram bhai
    शनिवार, 15 सितम्बर 2012
    सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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    1. Tasveeron mei V-games bhi included hain..
      dhnywaad.

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  5. सही कहा बहुत कुछ बदल रहा है..

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  6. बेहद खूबसूरत वर्णन
    अरुन = www.arunsblog.in

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  7. ये छोटी सी झलक बदलते परिवेश ... बदलते समय की झलक के साथ साथ कितना कुछ रिवाइंड भी करा जाती है ...
    बहुत खूब ...

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  8. Constant change in the world around us is natural. But adapting to it is a challenge takes time.
    These days the cycle of change is very fast and reducing, which creates problems of adaptability, and that leads to an lifestyle problems of adjustability and many lifestyle diseases.

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  9. Sach me ....Bahut Kuchh Badal Gaya hai ....

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  10. लाजवाब ढंग से नियोजित किया है आपने "अब और तब" को...

    ठंडी साँसों से भरी एक आह सी निकल जाती है मुंह से...

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  11. A lovely kaleidoscopic depiction of old and contemporary living!

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  12. तब के दौर और अबके दौर को तस्वीरों के
    माध्यम से खूबसूरती से दर्शाया है आपने.

    पहले बच्चे बंद मुठ्ठी लिए जन्म लेते थे,
    अब देखता हूँ कि खुली मुठ्ठी से ही जन्म
    ले लेते हैं.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,अल्पना जी.

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  13. जो हजारों-लाखों शब्द नही कह पाते उसे एक तस्वीर बखूबी बयां कर देता है...बहुत ही उम्दा संकलन...बचपन के दिन याद आ गए|
    समय के साथ सबका बदलना तय है...यही रीत है |

    सादर नमन |

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  14. उम्दा संकलन |बदलते परिवेश में खान -पान रहन -सहन सब कुछ बदल जाना स्वाभाविक है |

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  15. तस्वीरों के माध्यम से पूरी एक कहानी सामने रख दी आपने. सच में, आपकी बहुमुखी प्रतिभा के हम तो कायल हैं.

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  16. बहुत सु्दर, समय का बदलाव बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है।
    क्या कहने



    मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html

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  17. uf kitna sahi sach kya tulna ki hai yahi ho raha hai
    rachana

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  18. बहुत सुन्दर आज के दिन और गये दिन।

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  19. जिन्दगी तेज़ हो गई इसलिए हर किसी के पास टाइम नहीं है. बदलते
    परिवेश में रहन-सहन ही नहीं खान-पान भी प्रभावित हुआ है .

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  20. सराहनीय संकलन. मैंने पाया है कि "तब" की में अब भी कई बच्चे आनंदित होते हैं. अभी अभी ही जब कोच्ची में था तो मेरे सबसे छोटे भाई के १४ वर्षीय पुत्र को पूछने पर अपनी पसंद पिज्जा बतायी. हमने उसे पिज्जा खिलाने का कार्यक्रम रखा. उसने कहा "मैं अनलिमिटेड" वाला यू एस पिज्जा खाऊंगा. हम भी यही चाहते थे कि वह खा खा के अघा जाए. उसने उस दूकान में ढेर सारी सर्विंग ली. साथ में मुफ्त में ही सूप और आइसक्रीम भी थी. पूरा खा लेने के पंद्रह मिनट बाद सब बाहर आ गया. घर आकर उसने बगैर किसी के कहे ही प्रतिज्ञा की कि अब वह कभी पिज्जा नहीं खायेगा.

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  21. दिन रात का फ़र्क आ गया है. सार रूप में यह भी कहा जा सकता है कि पहले संतोष था अब उसकी जगह असंतोष ने ले ली है. शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  22. हाँ ये तो है!
    पर कोई उपाय है क्या इसे रोकने का ?

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  23. बहुत दिन बीते कोई पोस्ट नहीं - क्या बात है ? आशा है सब ठीक है !

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  24. वाह सब कुछ कह दि‍या.
    कुछ साल बाद दोनों फ़ोटो के शुरू में एक कॉलम और जुड़ जाएगा :)

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  25. दीप पर्व की

    हार्दिक शुभकामनायें
    देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर

    लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  26. A great post showing so much has changed really !!

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना