कभी कभी जीवन में बहुत कुछ ऐसा होता है जो आप ने पहले से तय नहीं किया होता. सब कुछ अप्रत्याशित सा ! पिछले दो महीने में भी बहुत कुछ इतनी तेज़ी से घटा ..
जैसे किसी सुस्त निढ़ाल से मन को पंख मिल गए थे !
अगस्त के दिन :
गर्मियों की छुट्टियाँ गुज़र रही थीं.मन अजीब सा था कि ये छुट्टियाँ गुज़र गयी तो फिर अगले साल का इंतज़ार! बस ..एक दिन बाद की बुकिंग की और पहुँच गयी बच्चों के साथ इंडिया!
हाथ में सिर्फ दो हफ्ते का समय..कितने प्रोग्राम बनाये थे ...इतने कम समय में दिल्ली से लखनऊ जाना,विज्ञान कार्यशाला में भाग ले पाना मात्र एक संयोग ही था या कहिये 18 साल बाद लखनऊ की ज़मीन अपनी ओर खींच रही थी.यह भी एक बहाना था तक़दीर का.. वही स्टेशन / रास्ते /सड़कें/विधानसभा मार्ग /आकाशवाणी/गोमती नदी और… ..18 साल में बदला बहुत कुछ लेकिन इतना नहीं कि उस आबो हवा को पहचान न सकूँ!लगभग हर उस जगह ने आवाज़ दी..जहाँ कभी फुर्सत में हाज़िरी लगाया करती थी! हर उस जगह को इशारा करके बताती के देखो वहाँ वो था/ ये था...मेरे इस व्यवहार से शायद बच्चे भी उकता गए होंगे ..लेकिन ..होता है ऐसा जब भी ज़िन्दगी फ्लेशबेक में जाती है तो ऐसा ही होता है शायद ..अपने आस पास वाले हर व्यक्ति को हम अपने साथ सालों पीछे ले जाना चाहते हैं !
लखनऊ में डॉ.अरविन्द मिश्र जी,ज़ाकिर जी,शैलेश भारतवासी ,रविन्द्र प्रभात जी आदि ब्लॉग जगत के कई अन्य सदस्यों से मिलना हुआ.दिल्ली लौट कर रंजना भाटिया जी ओर सीमा जी से भी मिलना हुआ... अविस्मरणीय स्वप्न सरीखा अनुभव रहा.इंडिया प्रवास भी बहुत ही अच्छा गुज़रा.दो हफ्तों में बहुत कुछ दिया समय ने मुझे मेरे बिन मांगे!
देखी कई सालों बाद इतनी सारी बारिश! |
सितम्बर की एक शाम
कभी कभी अपनी दिनचर्या से कुछ पल रोज़ाना चुरा चुरा कर कुछ दिन बना कर एक ब्रेक लेना चाहिये .बस वही किया था और उन्हीं चुराए पलों को खर्च करने का मन बना हुआ था..मगर सितम्बर ने भी मेरे लिए ऐसा कुछ रखा था जो मेरे लिए अप्रत्याशित ही था.
रेडियो से हमेशा से ही लगाव रहा है ,कभी विविधभारती के सारे प्रोग्राम सुना करते थे,'संगम'मुझे खास प्रिय था.जो आकर्षण और मोह रेडियो से रहा वह टी वी से कभी नहीं हो पाया.अलेन शहर में किसी भी रेडियो के सिग्नल नहीं आते इसलिए सालों से रेडियो सुनने से महरूम ही हैं.जब से अंतर्जाल पर सुन सकने की सुविधा हुई है तो अब थोड़ी राहत है!.
एक शाम दुबई के रेडियो 'हम एफएम' के एक विज्ञापन को देख कर अपनी आवाज़ एक प्रोग्राम के लिए भेज दी [क्योंकि दिल में कहीं एक तमन्ना तो थी ही कभी 'आर जे' बन कर प्रोग्राम होस्ट करूँ!]...परन्तु कोई मेरी audition के लिए भेजी क्लिप सुनेगा भी या नहीं इस का भरोसा नहीं था. [ सुना है कि ऐसी जगहों पर सिफारिश/जानपहचान ही अधिक चलती है :)] ..लेकिन अगली शाम को प्रोग्राम के producer 'आफ़ताब का फोन आया कि आप स्टूडियो audition के लिए कब आ सकती हैं?..मैंने घर में तुरंत बात की और अगले दिन रविवार को आने का कह दिया ..और शारजाह स्थित उनके स्टूडियो [जो यहाँ से ढाई घंटे का बस से सफ़र है] ..पहुँच गयी..इत्तेफाक़ से उसी दिन प्रोमो भी रिकॉर्ड हुआ और 30 तारीख को प्रोग्राम करने का निमंत्रण भी मिला..सब कुछ इतनी तेज़ी से हुआ कि यह सब अविश्वसनीय सा लगा . शुक्रिया आफ़ताब ,आप ने रेडियो वालों के प्रति मेरी धारणा को ग़लत साबित किया!
30 सितम्बर की शाम [भारत में शाम 4:30 से 5:30 का समय] ..जिस दिन देश में एक ऐतिहासिक फ़ैसला भी आना था उस दिन उसी समय मेरा कार्यक्रम भी आना था. एक झिझक थी..कि कैसे सब को कहूँ ..पहली बार प्रोग्राम देने जा रही हूँ न जाने कैसा हो पायेगा?..फ़िर भी हिम्मत कर के फेसबुक पर सन्देश छोड़ दिया.शुभकामनाएँ मिलीं ..प्रोग्राम हुआ और जिन्होंने सुना ..अच्छा बताया ..यहाँ तो मुझ से अधिक हमारे पारिवारिक मित्र खुश थे..वीरवार की शाम मतलब अगले दिन से वीकेंड भी था..बस सब दुबई में मेरी मित्र के घर इकट्ठा हो गये और सब ने इस ख़ुशी को सेलिब्रेट किया, सब ने कई बार रेकॉर्डिंग को सुना.अब यह इवेंट हमेशा के लिए यादगार बन गया.
चूँकि अलैन में सिग्नल नहीं आते तो यहाँ ऑनलाइन ही रिकॉर्ड कर सकते थे ..कभी कभी ऑनलाइन भी connect नहीं होता था..दुबई वाले फ्रेंड्स भी केसेट पर ही रिकॉर्ड कर पाते..क्वालिटी अच्छी नहीं होती ..समझ नहीं आ रहा था किसे कहूँ कि प्रोपर रिकॉर्ड हो!
प्रकाश गोविन्द जी को रेडियो प्रोग्राम आदि का भी अनुभव है तो उन्होंने ऑनलाइन प्रोग्राम रिकॉर्ड करके देने का आश्वासन दिया परन्तु यह भी कहा कि रेडियो वालों से भी कह कर देखो क्योंकि उनकी रेकॉर्डिंग बेस्ट होगी.वह सुझाव काम आया और बोलने के लिए जो टिप्स और guidance दी थी उसके लिए भी उनका आभार.
दिगंबर नासवा जी,ताऊ जी और प्रकाश गोविन्द जी जिन्होंने मुझे ऑनलाइन /लाईव सुना अपना क़ीमती समय दिया उनके लिए भी आभार.
उसी कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के यहाँ प्लेयर दिए गए हैं चाहें तो क्लिप को डाउनलोड कर के भी बाद में आराम से सुन सकते हैं. अच्छी बैंडविड्थ है तो इस प्लेयर पर पूरी रेकॉर्डिंग लगातार स्ट्रीम कर के सुन सकते हैं .यह ४२ मिनट की है.इसमें शुरू में प्रोमो भी रखा है जो रविवार से ऑन एयर था .
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और इसी रेकॉर्डिंग को ५ हिस्सों में बाँट कर नीचे दिए गए प्लेयर में पोस्ट किया है ताकि छोटी छोटी फाइल आराम से लोड हो सकें.
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Part 1-Download /play Mp3 or
Ogg
Part 2-Download/play Mp3 or
Ogg
Part 3-Download/play Mp3 or
Ogg
Part 4-Download/play Mp3 or
Ogg
Part 5-
Download/play Mp3 or
Ogg
सुनकर बताईयेगा कि मेरा यह पहला प्रोग्राम कैसा लगा |
बहुत ही सुन्दर लेख . पुराने दिनों का स्मरण सभी के मन को छू जाता है. बचपन बिताई हुई जगह हमें अपने और खीचती ही है.
ReplyDeleteआपका एफ़ .म. प्रोग्राम भी सुनकर अच्छा लगा.
धन्यवाद
sundar-sundar
ReplyDeleteAre waah, aap to R.J. ban gayeen. Hamaree bhi badhayi swikaren.
ReplyDeleteवाह दिली मुराद पूरी कर दी तुमने तो अल्पना ..मिलना का नशा तो अभी तकज कायम है और यह रिकार्डिंग बहुत बहुत बढ़िया ....मजा आ गया शुक्रिया बहुत बहुत बधाई ....
ReplyDeleteज़िन्दगी सर्प्राईजेस से सरोबार है..
ReplyDeleteaaj tumahre blog par itna kuchh hai ki soch me pad gayi hoon kis kis ke baare me kahoon ,tumahare gaane sun rahi hoon do sun chuki abhi teesre ko sun rahi hoon -tum aa gaye ho noor aa gaya hai .....tum bolti bahut achchha ho ,main prabhit to hui hi saath me garvit bhi .tumahare lekh ko padhkar aesa laga jaise armaano ko pankh mil gaye aur tum ud chali use poora karne .tumahare khushiyon me hamari bhi khushiyaan shamil hai .jeevan ki is yaatra ne tumare aanchal ko anmol bheto se bhar diya jo jeevan ko hamesha mahkate rahenge .5-6 gaane sun li tippani karte karte ab jab bhi ye dil....ke baad bol rahe papiha re sun rahi hoon .saare gaane meri pasand ke hai ,yahan se uthne hi ka man nahi kar raha .abhi tum bol rahi thi parat dar parat yaade ......phir yaara sili ...pesh ki bahut madhur blog hai .
ReplyDeleteइस तरह अचानक मिलने वाली खुशियों की बात ही और है ...
ReplyDeleteप्रोग्रामे अभी सुन नहीं पाए ...इसकी बधाई स्वीकार करें ..!
जीवन में जब कुछ अप्रत्याशित होता है....तब कई बार सुखद अनुभव दे जाता है
ReplyDeleteबिना सरप्राइज़ के ....जिंदगी नीरस सी लगती है......आपके प्रोगरा को तसल्ली से सुनेगे
ReplyDeleteप्रतिभायें अपना मुकाम हासिल कर ही लेती हैं देर सवेर ....रेडियों जाकी ....वाह ...बहुत मुबारक ,
ReplyDeleteऔर बेहतरीन प्रस्तुति ...
बधाई !
बेहतरीन रेडियो कार्यक्रम. हम उस दिन नहीं सुन पाए थे जब की उत्साहित जरूर रहे. बिजली गुल हो गयी थी. यू पी एस के सहारे "तुम्हारे महफ़िल में आ गये हैं" की चार पंक्तियाँ ही सुन पाए थे. आज पूरी फाइल डाउनलोड कर ली.
ReplyDeleteकई दिनों के बाद आपकी नयी पोस्ट publish हुई है , लेकिन इतनी अच्छी की मै क्या कहूँ.
ReplyDeleteअब मै कोई बड़ा लेखक तो हूँ नहीं कि आपके इस पोस्ट की तारिफ व्यव्स्थित शब्दों मे कर सकूँ. सच तो ये है कि इस समय मुझे कोई शब्द ही नहीं मिल रहा है कि आपके लेखन और आवाज की तारिफ कर सकूँ. फिर भी चलों अपने टुटे हुए लफ्जो से कहुँगा कि-
.................
आसमान में तारे तो बहुत हैं, पर ध्रुव तारा तो एक ही है.
संसार मे कई चिट्ठाकार है, पर अल्पना मैम आप तो वसंत हैं.
एक बार पुनः आपका धन्यवाद और आभार
Alpnaji,
ReplyDeletepost se vivran padha ,gyat hokar ki aap Lucknow ki hai aur aapko Lucknow aakar achcha laga khushi hui.Aapki aawaz sun lengey.
- 30 सितम्बर 2010 -
ReplyDeleteआपके लिए सचमुच ऐतिहासिक दिन बन गया
अब चाहें आप हजारों प्रोग्राम आगे पेश करें, लेकिन यह दिन कभी नहीं भूल पाएंगी !
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रिकार्डिंग के बाद से ये पूरा प्रोग्राम हमेशा बजता ही रहता है ... कितनी बार सुना ... कहना मुश्किल है ! सारे ही गाने मेरे 'मोस्ट फेवरिट' हैं ! मेरे आकलन के हिसाब से आपकी प्रस्तुति लाजवाब रही ! गानों का चयन .. उनकी थीम .. आपका उच्चारण .. आपके बोलने की स्टाईल .. सभी कुछ बेहतरीन था !
हाँ .. प्रोफेशनल अंदाज नहीं था, लेकिन इस चीज को भी मैं 'प्लस प्वाईंट' के रूप में देखता हूँ, क्योंकि तब श्रोताओं से अपनापन स्थापित नहीं हो पाता !
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-
आपके शानदार 'परफार्मेंस' के लिए
बहुत-बहुत दिली बधाईयाँ
चाहूँगा कि अब आगे भी ऐसे ही बधाईयाँ आपको निरंतर देता रहूँ ...रुकियेगा नहीं !
बहुत सुखद रहा...आनन्द आया सुनकर. बधाई.
ReplyDeleteमैंने बस अभी " अल्पना को सुनना मत भूलियेगा " तक सुना है । आगे सुन रहा हूँ और सुनते हुए यह कमेंट लिख रहा हूँ । बहुत अच्छा लग रहा है ।
ReplyDeleteअति सुन्दर.......
ReplyDeleteयकीन नहीं हो रहा की आपको रेडिओ पर सुन रहे हैं ! आपकी इस विधा का पता ही नहीं था ! कमाल का मधुर संगीत मय प्रोग्राम ! आनंद आ गया अल्पना जी ...हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआह कई दिन बाद आई आपकी पोस्ट...मुझे अपने वह दिन याद आए जब मैं रेडियो से जुड़ा हुआ था. अच्छा लगा.
ReplyDeleteक्या कुछ नहीं दिखाती है जिन्दगी।
ReplyDeleteवाह मज़ा आ गया आपका रेडियो प्रोग्राम सुन के अपने रेडियो के दिन याद आ गये, सच्ची.
ReplyDeleteअल्पना जी
ReplyDeleteलंबे अंतराल के बाद आपकी वापसी का स्वागत !
विस्तार से लिखने कल तक आऊंगा ।
Regaaards …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Aap ka radio program suna.Aftab Sahab ne sahi kaha Aap ki awaaz sach mein bahut hi meethi hai.
ReplyDeletebahut sundar prastuti.
badhayee.
Akhil
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteमध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अरे वाह सबसे अच्छी बात यह भी लगी कि ऑग मानक में भी फाइल अपलोड है।
ReplyDeleteआपके लेखन में जीवन्तता है..अंत तक बांधे रहती हैं. आपका रेडियो प्रोग्राम सुन के अच्छा लगा..बधाई.
ReplyDelete__________________________
"शब्द-शिखर' पर जयंती पर दुर्गा भाभी का पुनीत स्मरण...
ओह ! आप भारत आयीं और मुझे पता ही नहीं चला. आपकी लखनऊ की यादें मुझे लगा कि मेरी जैसी ही हैं... क्योंकि मेरा भी पालन-पोषण वहीं आसपास हुआ है.
ReplyDeleteआपके गीत सुने थे. आज आपका कार्यक्रम सुन रही हूँ. अच्छा लग रहा है.
din bana diyaa aapne to
ReplyDeleteबधाई बधाई अल्पना जी ... बहुत बहुत बधाई .... मैने तो ये कार्यक्र्म लाइव सुना ... बहुत ही मस्त ... एक से बढ़ कर एक अपने ज़माने के गानों के साथ धाराप्रवाह ... नदी सी बहती हुई सी आवाज़ ... बहुत अच्छा लगा ये प्रसारण सुन कर ...
ReplyDeleteआपसे प्रेरणा लेकर मैं भी सोचता हूँ अपनी क्लीपिंग भेज़ दूं ... नही नही मज़ाक कर रहा हूँ ... इतनी अच्छी आवाज़ नही मेरी ....
ऐसा भी होता है नहीं ऐसा ही होता है कहिये। हालांकि हमारे लिये जो अप्रत्याक्षित घटता है तो लगता है कि ऐसा भी होता है मगर प्रतिदिन जो होता है वो नया ही होता है। आपकी लखनऊ सैर, दिल्ली भ्रमण और 'दुबई हम' स्टेशन तक का यह सुखद सफर अनुभवों के नये पन्ने जोडता है। यानी हर वक्त नया और नया ही जुडना है, क्योंकि पुराना कुछ नहीं होता। आपके उस रोमांच को मैं अनुभव कर सकता हूं जो रेडियो में प्राप्त किया, मुम्बई आकाशवाणी के एक कार्यक्रम को होस्ट करता आया हूं, तो जानता हूं इसका पहला रोमांच। बधाई आपको, और शुभकामनायें भी कि आपकी उडान सदैव सफलतम रहे।
ReplyDeleteजब तक सरप्राईजेस मौजूद हैं तब तक जिंदगी रस से सराबोर है. अगर सब कुछ निश्चित हो तो सब नीरस बेमानी सा लगेगा.
ReplyDeleteसिगनल नही होने से प्रोग्राम का शुरूआती हिस्सा नही सुन पाये थे जो अभी कमेंट करते हुये सुन रहे हैं. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
@ नासवा जी, आप भी भेज ही दिजिये, फ़ोन पर तो आपकी आवाज लो पिच है, ट्राई किजिये आप भी, आपको अग्रिम शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
आपकी मधुर आवाज में सुन्दर गीत कुछ समय पहले तो लगभग हर पोस्ट के साथ मिल जाया करते थे | मैं आपके गायन के प्रशंसको में हूँ |
ReplyDeleteis khankhanaati hansi ke liye shukriya ji .... :)
ReplyDeletearsh
Alpana ji,
ReplyDeleteItane dino bad blog par vapasi---vah bhi itani khushiyon ke samachar ke sath hardik badhai---abhi to apka karyakram bhi download karke sunungi hi----han is bat ka afsos jarur hua ki ap lakhnau aai aur apse mulakat nahin huyi---kam se kam apke karyakram ke ayojkon ne hi koi suchna di hoti-----khair --apko punah hardik badhai.
Poonam
होता है ऐसा जब भी ज़िन्दगी फ्लेशबेक में जाती है तो ऐसा ही होता है शायद ..अपने आस पास वाले हर व्यक्ति को हम अपने साथ सालों पीछे ले जाना चाहते हैं ! बहुत अच्छा संस्मरण अगली बार दिल्ली आयें तो मुलाकात की इच्छा है ।
ReplyDeleteप्रोग्राम अभी थोडा ही सुना है पूरा सुनूंगी जरूर । आपकी इस कामयाबी पर अभिनन्दन और अनेक शुभ कामनाएं ।
बहुत अच्छा लगा इस पोस्ट को पढ़कर और रेडियो जाकी के रूप में आपको सुनकर! बीच -बीच में कवितायें सुनना भी अच्छा लगा।
ReplyDeleteआप अपना रेडियो स्टेशन चलाइये ने जो शौकिया लोग चलाते हैं।
दिगम्बर जी अपनी आवाज भी भेजिये न! रेडियो स्टेशन वाले पसंद करेंगे।
bahut sundar prastuti...
ReplyDeleteaur aapki aawaj to kya bolu...shakkar ki tarah mithi hai..
अल्पना ! आप लखनऊ आकर और बिना मिले चलीं गईं ... मुझे बाद मे जाकिर जी ने बताया ,... ये आपने ठीक नहीं किया ........मै दुखी !!!
ReplyDelete09451174529
सबसे पहले तो बहुत बहुत बधाई...बहुत किस्मत वाले होते हैं वो लोग जिनकी तमन्नाएँ यूँ पूरी होती हैं...सपने देखो तभी तो वो पूरे होंगे...आपकी रेकार्डिंग पूरी तो नहीं सुनी वो आराम से सुनूंगा लेकिन जितनी सुनी उतने में ही आनंद आ गया...भविष्य के लिए अग्रिम शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनीरज
प्रतिभा देर सवेर रंग लाती ही है...ये सब आपकी अपनी प्रतिभा, आपके गुणों का ही सुफल है... जीवन में जब कभी अप्रत्याशित रूप से कुछ मिलता है तो उसकी खुशी, उसका आनन्द ही कुछ ओर होता है.....आप इससे आगे के मुकाम भी हासिल करें...शुभकामनाऎँ!!
ReplyDeleteपूरा डाऊनलोड हो जाए...फिर आराम से सुनते हैं...
वाह ! आपको इस तरह सुनना एक अलग ही एक्सपीरियंस है... बहुत शानदार..
ReplyDeleteअल्पनाजी
ReplyDeleteअगस्त के दिन और सितम्बर की शाम बहुत सुहानी लगी | खुशबू कही भी रहे सबको महका ही देती है |
गीत तो सुने ही थे रेडियो पर सुनना अच्छा लगा अभी आधा ही सुना है नवरात्रि में व्यस्तता बढ़ जाती है |
आभार
aapki mehnat,, lagan ka jazbaa,,
ReplyDeleteaapki kalaa,, aapka hunar...
sb kuchh qaabil-e-taareef
programme prastut karte hue
aapki shaaeri...to la-jawaab !!
bahut bahut badhaaee .
Life is full of beautiful surprises !---Lovely recording !
ReplyDeleteलख लख बधाइयां...
ReplyDeleteअल्पना जी, इतने दिनों बाद आपको ब्लाग पर वापस पढ़ कर सुखद अनुभूति हुयी। लेकिन इतनी अच्छी सूचनाओं के साथ आप आयी हैं---हार्दिक बधाई। इस बात का अफ़सोस जरूर है कि आप लखनऊ आईं और आपसे मुलाकात नहीं हो सकी।----आपकी यह पोस्ट तो पढ़ ली है----रिकार्डिंग अभी सुनूंगा।
ReplyDeleteपहला ही प्रोग्राम....लाजवाब..बधाई.
ReplyDeleteरेडियो का शौकीन तब से हूं जब अमीन साहब रेडियो सीलोन से बिनाका गीतमाला प्रसारित करते थे । विविध भारती से प्रातः शास्त्रीय संगीत पर आधारित फिल्मी गाने आया करते थे । अपने किसी का प्रोग्राम हो तो बडा अच्छा लगता है । आपने जो गाने सुनवाये उस वक्त दो दो गाने एक साथ चल रहे हों । जब आपसे पूछा गया कि ’’रेडियों पर क्यों जाया जाय’’ आपने जो उत्तर दिया वह आपकी महानता का घ्योतक है कि ’’हम जैसे शौकिया लोगों को एक मंच दे रहा है। तुम आगये हो नूर आगया है तथा सलाम करने की आरजू सुने । ’’मोहब्बत को कितने नाम दिये गये है यह आपका वाक्य भी बहुत सुन्दर लगा । साथ रुह से महसूस करने का गाना भी सुना बहुत बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeletemujhe bhi achcha laga
ReplyDeleteप्यारी सखी :) हम समझ सकते हैं कि अपनों के बीच आपको आकर कैसा लगा होगा? नेट स्पीड कम होने की वजह से हम आपकी recording ठीक से सुन नहीं पाए पर मौका मिलते ही हम इसे जरूर सुनेंगे. आप और आपका परिवार सभी बधाई के पात्र हैं क्योंकि बगैर उनके सहयोग के चाहे वह अप्रत्यक्ष ही क्यों न हो एक औरत के लिए इस मुकाम पर पहुँचना मुमकिन नहीं.
ReplyDeleteऔर हाँ सखी जी आप सभी को आने वाले सभी त्यौहार की अग्रिम हार्दिक शुभकामनायें :)
रोशनी
वाह अल्पना जी सिर्फ थोड़ी दूर साथ चलो... हम तो ताउम्र चलने को तैयार हैं.फिर जब अपने लखनऊ वाले हो तो सोचना कैसा. बहुत अच्छा लगा आपका प्रोग्राम. अपने बच्चों को भी सुना दिया उन्हें तो आश्चर्य हुआ कह रहे हैं वाह दुबई में हिंदी प्रोग्राम.
ReplyDeleteआपकी आवाज़ कित्ती प्यारी है...स्वीट.
ReplyDeleteकभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .
aapki khushi dekhkar mujhe bhi bahut khushi hui.sab kuch prabhawit kar gaya.
ReplyDeleteअरे वाह .....!!!!!!!
ReplyDeleteअल्पना जी मिठाई किधर है .....????
ढेरों बधाई आपको .....
जरा विस्तार से बताती कौन कौन से गीत कैसे पसंद किये ....
अभी सुन नहीं पाई ...
फिर कोशिश करुँगी ....
वाकई बडी़ नाजुक है ये मंज़िल ....
ReplyDeleteअल्पनाजी , यकीं नहीं होता कि आप इतने अच्छे तरीके से, स्पष्टता और Lucidity से radio Jockey का भी किरदार बखूबी निभा गयी ...
आपके बहु आयामी व्यक्तित्व में एक और नायाब रत्न जुड गया.हमें तो ये मेहसूस ही नही हुआ कि आप के शौकिया RJ हैं.
लाख लाख बधाईयां. दुर्भाग्य से उसी दिन कैरो की रातभर की फ़्लाईट से इंदौर आया और आपका मेल पढा़ तब जब समय निकल चुका था.
इसिलिये आपने यहां जब पूरा सुनवय तो आज शनिवर को ही समय निकाल कर सुन पय.
सभी गाने लाजवाब...
अल्पना जी आज मन हुआ कि ताऊ और आपकी पहेली तक पहुंचे देखा तो अरे ... सारनाथ का धमेक स्तूप ..लेकिन समय समाप्त हुए दो घंटे हो चुके है आईन्दा से ख्याल रखेंगे ..वैसे भी किसी ने सही उत्तर नही दिया है ..सो निवेदन कि हमारा जवाब शामिल कर लें ।
ReplyDeleteदेर से ही.... पर हमेशा कि तरह एक और अच्छी रचना से रु-ब-रु करा गयीं.........
ReplyDeleteहार्दिक बधाई...........
चन्द्र मोहन गुप्त
वाह....
ReplyDeleteअभी तो आधी सुनी है,लेकिन इसे पूरी सुनती हूँ..सुनना ही है,क्योंकि एक तो आपकी आवाज़,अंदाज और आपकी पसंद...इस लाजवाब कोम्बिनेशन को मिस नहीं किया जा सकता..जितना सुना उतने में ही आनंद से मन भर गया..
सच कहा आपने जो बात रेडियो की होती है,वह टी वी की कहाँ...
सबसे बड़ी बात कि सपने तो सभी देखते हैं,आकांक्षाएं लाखों भी पलते हैं,पर पूरी कितनी होती हैं...आप सौभाग्यशालिनी हैं..
ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी सभी आकांक्षाएं पूरी करें...
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ReplyDeletesabase pahle badhyi ...jindagee me khushee vah bhee aprtyasit roop se,bahut kam hee miltee hai.aapke blog par pahlee bar aaya ..aur ek sath itnee cheeje...maza aa gaya
ReplyDeleteआपके ब्लॉग भर आज पहली बार आया था।
ReplyDeleteअच्छा लगा।
भविष्य में आते रहेंगे।
रेडियो की दुनिया में प्रवेश करने पर बधाई।
आपके रेकॉर्डिंग इस शनिवार/रविवार को सुनूँगा।
इस समय व्यस्त हूँ।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
बड़े दिनो बाद अापके घर ब्लोग तक पाहुंचा. एक बड़ा तोहफा दिया अापने हमे. बहुत बहुत बधाई!! अभी सुन रहा हुं. पुरी सुनने के बाद लौटता हुं...
ReplyDeleteअल्पना जी, आशा है अब जल्दी ही आपकी नई पोस्ट पढने को मिलेगी।
ReplyDelete---------
सुनामी: प्रलय का दूसरा नाम।
चमत्कार दिखाऍं, एक लाख का इनाम पाऍं।
अलपनाजी,
ReplyDeleteआज शनिवार शाम को आपका पूरा प्रोग्राम सुना।
आप की आवाज़ बहुत ही मीठी है।
हम तो सुनते रहे। सोचता हूँ आप क्यों RJ for a day ही रहें?
क्यों न permanent RJ ?
बहुत साल पहले, जब हम कालेज में पढते थे, मुझे याद है हम जयमाला कार्यक्रम सुनते थे। हफ़्ते में एक बार, किसी celebrity को निमंत्रण देते थे प्रोग्राम को host करने के लिए।
आप इन में से किसी से कम नहीं।
आशा करता हूँ कि आपको और भी अवसर मिलेगा, भविष्य में।
क्या आप podcast तैयार कर सकती हैं? अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने podcast का प्रचार भी कर सकते हैं। किसी रेडियो स्टेशन पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं रहेगी।
क्या आप कमला भट्टजी के podcast सुनी हैं। कमला भट्ट को मैं अच्छी तरह जान्ता हूँ और उनसे मिला भी हूँ । वह कई साल से podcast तैयार करती रही हैं जिसे मैं सुनता था। आप भी सोचिए इसके बारे में।
मुम्बई में दो और नौजवान हैं जो The Indicast नाम का podcast तैयार करते हैं।
उन लोगों के podcast भी मैंने सुना है।
जब कभी आप की आवाज़ अंतरजाल पर record होता है तो हमें अवश्य सूचना दें।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
bahut khushnuma aur yaadgar safar raha aur recordingshi bahut sunder.
ReplyDeleteAAPKO AUR PARIVAR KO DIPAWALI KI HARDIK BADHAI.sadar mehek.
न जाने कैसे ये पोस्ट रह गयी, आज ही देखि, दिल से ढेरो शुभकामनाये और बधाई. समय निकाल कर सारी कलिप्स सुनुगीं.
ReplyDeleteregards
Namaste AlpanaJi,
ReplyDeleteRJ for a day on FM 106.2 Delhi suna aur bohut enjoy kiya. Ab toh radio sunay zamana hogaya hai laikin bhoole bhatke kabhi sun he laita hoon. Radio stationsmein bhi kiya badlao aaya hai sub kuch he badal sa gaya hai. Intro itna loud aur ear catchy banaya jaata hai taa ke listener ki tawajah haasil ki jaa sake. Laikin aapka introduction hone ke baad kuch andaz maddhum hua aur main apne osaan mein aaya. Yaadgar geet sunaye aapne aur geeton ke darmiyan sweet shayeri bhi. Kahin kahin toh bilkul aisa laga jaise Hema Malini ki awaz sun raha hoon...bohut sundar awaz hai aapki mazeed aur programs karti rahein toh seasoned bhi ho jayengi.
Bohut khushi huee aapki Hindi/Urdu se jaankari par aur bohut shukriya ye program share karneka. Kabhi apni shayeri bhi post karein.
Best Regards
Muzaffar Naqvi
Aap ki yeh post bhi bahut achchee lagi.aap ke recording aaram se sunungi.
ReplyDeletekayee dino bad chakkar laga pa rahi hun,iske liye sorry.
keep writing ,all the best.
alpana didi you are great.
ReplyDeletepura program itna sundar laga ki tareef men kya kahun. hamko yakeen nahi ho raha ki aap hi bol rahi thi.
really lovely voice
saare gaane bahut hi ache hain
aap bahut tailented ho.
sir ji ne bahut pahle hi hamko ye recording de di thi lekin aadhi. puri aaj hi suni
ham pahle comment nahi kar paye the.
kyunki hamare system pe koyi bhi blog open hi nahi ho raha tha. na jaane kyon. 30 december ko jabse new window ismen aayi tab sahi hai.
aap aise program aur bhi kariye.
bye
जीवन का अप्रत्याशित होना उसे चुनौतिपूर्ण बनाता है... और जिस जीवन में चुनौति ही न हो वह जीवन कैसे होगा...
ReplyDeleteझिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना
ReplyDeleteआस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!
naturecarewellbeing.weebly.com