७ जुलाई को स्कूल के पहले सत्र का आखिरी दिन था.शाम को ओपन हाउस और उसके बाद से बच्चों की गरमी की छुट्टियाँ शुरू हो गयीं,पूरे दो महीने की छुट्टियाँ हैं यानी सितम्बर में ईद के बाद ही स्कूल खुलेंगे.बच्चों की मौज लेकिन जाएँ कहाँ ?गरमी इतनी है बाहर खेल नहीं सकते सब इनडोर गेम्स /activities पर ही निर्भर रहेंगे.
गरमी की बात क्या कहें?हर साल की तरह अपने रंग में है..वही कहानी नल में दिन में इतना गरम पानी आता है कि हाथ नहीं लगा सकते ,सुबह आठ के बाद नहाना हो तो पानी भर कर ठंडा कर के इस्तमाल करना होता है और तो और रात के १ बजे भी पानी ठंडा नहीं होता है.अब आप कहेंगे पानी तो होता है न..हाँ ये भी सही है ,पानी तो २४ घंटे होता है.लेकिन नगरपालिका का पानी घर की टंकी में भरता है न कि भारत की तरह सीधा घर के पाईपों में आता है और आम तौर पर पीने का पानी बोतल वाला ही इस्तमाल किया जाता है.
कई दिनों से यहाँ भी पानी बचाने की मुहीम चल रही है.अखबार में पढ़ा कि २०१२ से पानी की किल्लत इस देश में होने की सम्भावना है इसलिए सरकार नए प्रयास कर रही है.अबू धाबी के हर घर,इमारत,स्कूल आदि जहाँ भी पानी का इस्तमाल होता है ,जहाँ भी नल लगे हैं हर नल के मुंह पर [मुफ्त]एक ख़ास डिवाईस लगाई जा रही है जिससे पानी की ३०% तक बचत होगी.
[The water-saving devices consist of an O-ring and mesh gauze and work by mixing air with water, reducing the flow of water from the tap by as much as 60 per cent without noticeable effect to the person consuming the water.--Source of information - Environment Agency Abu Dhabi,www.watersavers.ae]
सरकारी आंकड़ों के अनुसार यू ऐ ई दुनिया के सबसे अधिक पानी खर्च करने वाले देशों में एक है.यहाँ हर दिन प्रति निवासी औसतन ५५० लीटर पानी खर्च होता है जिसमें से २५० लीटर पानी बर्बाद होता है.
कुछ टिप्स भी जारी की गयी हैं -
-अगर शेविंग और ब्रश करते समय,बर्तन धोते समय बेवजह चलता पानी बंद किया जाये तो ३४ लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी बचता है.
-५ मिनट फव्वारे के नीचे नहाने की बजाये अगर बाल्टी और मग के इस्तमाल से नहाया जाये तो ३८ लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी की बचत होती है.
-कार धोने के लिए बाल्टी में पानी भर कर इस्तमाल किया जाये न कि होज़ पाईप से ..इससे १८० लीटर पानी की प्रति धुलाई बचत होगी.
-५ मिनट फव्वारे के नीचे नहाने की बजाये अगर बाल्टी और मग के इस्तमाल से नहाया जाये तो ३८ लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी की बचत होती है.
-कार धोने के लिए बाल्टी में पानी भर कर इस्तमाल किया जाये न कि होज़ पाईप से ..इससे १८० लीटर पानी की प्रति धुलाई बचत होगी.
ज्ञात हो कि यू ऐ ई में अरबियन गल्फ के पानी से नमक निकाल कर वह प्रोसेस किया पानी घरों तक पहुँचाया जाता है और इस प्रक्रिया के लिए काफी धन और ऊर्जा खर्च होती है .पानी की खपत कम होने से ऊर्जा और पैसे की भी बचत होगी.
समाचारों की बात चली है तो पिछले कुछ दिनों की भारत की ख़बरों में पढ़ा और गर्व महसूस किया कि विज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत भारतीय अपने कार्य में बहुत आगे बढ़ रहे हैं.
परन्तु जब सीमापार से मुठभेड़ ,नकसलियों का सुरक्षा बल /सेना / पुलिस के जवानों या आम जनता पर कहर की खबर पढ़ती या सुनती हूँ तो सोचने पर विवश हो जाती हूँ कि ईश्वर ने जहाँ हमारे देश को हर तरह के मौसम ,खूबसूरत और लाभकारी वन संपदा ,नदी ,सागर ,जीव जंतु ,खनिज आदि न जाने कितने ही अनमोल उपहारों से नवाज़ा है वहाँ सुख और शांति क्यों नहीं दी?देश का ऐसा क्या दुर्भाग्य है जो सालों से देश में उत्तर पूर्व हो या मध्य भारत या सीमावर्ती इलाके..वहाँ की हरी भरी धरती आये दिन खून के रंग में रंगी जाती है.अलगाववादी तत्व कहें या देश के दुश्मन या आतंकवादी ,क्यों इतनी कलाओं से सम्पन्न देश में विनाश का तांडव कहीं न कहीं होता रहता है .
कभी कभी तो दिमाग में यह भी आता है ,इतने अधिक धर्म हैं यहाँ ,कितने खुशनसीब हैं कि इतने गुरुओं का आशीर्वाद यहाँ की हवाओं में है.इतनी तरह की प्रार्थनाएं रोज़ गूंजा करती हैं फ़िर भी शांति और समृद्धि उस स्तर पर क्यूँ नहीं हो रही जिस पर होनी चाहिये?कोई व्यक्तिगत तकलीफ दुःख हो तो हम दुनिया भर के उपायों की बात करते हैं,लेकिन क्या किसी धर्म में कोई ऐसा उपाय ,विधि विधान नहीं है जिससे देश में सुखहाली बढ़े? कम से कम प्राकृतिक दुर्घटनाएं हों,सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बेहतर हो ताकि आपसी वैमनस्य घटे.
टी वी के एक समाचार में एक मंत्री पर हुए हमले में एक बेकसूर की मौत हो गयी उस के घर का हाल दिखाया गया ,घर की गरीबी देख कर दिल दहल गया!उस खबर के असर से दिल उबर भी नहीं पाया था कि अखबार के इस समाचार पर नज़र पड़ी..इसमें लिखा है कि भारत के ८ राज्य में गरीबों की संख्या ,२६ अफ्रीकी देशों के कुल गरीबों की संख्या से बहुत अधिक है!
किसी नेता की शिक्षा देखें तो भारत का सब से क़ाबिल व्यक्ति अर्थशास्त्र का कुशल ज्ञाता हमारा प्रधानमंत्री है.उन के राज में यह स्थिति कल्पना में भी भयावह है क्योंकि इस का प्रभाव देर सबेर सभी पर पड़ेगा.गरीबी के साथ साथ बेरोज़गारी ,कुंठाएं,अपराध ,असुरक्षा आदि सभी बढ़ेंगे.
इस स्थिति के लिए किस को दोष दें?कुव्यवस्था को?डेमोक्रेसी के नाम पर राज कर रहे अयोग्य/ भ्रष्ट नेताओं को या देश के बुरे भाग्य को?
हमारे हाथ में क्या है ?हम क्या कर सकते हैं?वोट?हाँ ,अप्रवासी भारतियों को मतदान के अधिकार सबन्धित यह भी एक खुशखबरी है,अगर ये अवसर हमें मिलता है तो शायद हमारा एक वोट कुछ परिवर्तन कर सके?कहते तो हैं कि हर वोट कीमती होता है और सत्ता बदल सकता है !क्या कभी सोने की चिड़िया कहलाये जाने वाले हमारे देश में सम्पूर्ण सुख शांति बहाल हो सकेगी?
पानी बचाने के बारे में सुन्दर जानकारियाँ। अन्य कतरनों का सुन्दर कोलाज़।
ReplyDeleteपानी बचाना जरुरी है
ReplyDeleteकहते हैं तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा।
अच्छी पोस्ट
पानी है तो जिन्दगानी है
ReplyDelete"डेमोक्रेसी के नाम पर राज कर रहे अयोग्य/ भ्रष्ट नेताओं को या देश के बुरे भाग्य को?"
शायद दोनों को
यहाँ भी पानी बचाने और बिजली बचाने वाले बल्ब फ्री में घर घर सप्लाई किये जाते हैं..फोटो समेत पोस्ट तैयार ही है मगर अब आपकी आ गई. :) तो रुक कर डालेंगे (एक गैप जरुरी है न एक सी जानकारी के लिए)
ReplyDeleteबढ़िया लगा पढ़कर.
अल्पना जी, बहुत ज्ञानवर्द्धक पोस्ट
ReplyDeleteजिस दिन देश का हर नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी समझ लेगा ,और दूसरों पर दोषारोपण किए जाने से मुक्ति पा लेगा उस दिन समस्याओं का हल भी निकल आएगा ,ज़रूरत है स्वयं को जगाने की
कई मुद्दों के विमर्श साथ लिए चलती पोस्ट। इसे पढ़ना बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteभारत में तो ऐसी डिवाइस लगे नल बहुत पहले से बाज़ार में उपलब्ध हैं।
विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालती ज्ञान वर्धक आलेख के लिए आभार
ReplyDeleteregards
गरमी की बात क्या कहें?हर साल की तरह अपने रंग में है..वही कहानी नल में दिन में इतना गरम पानी आता है कि हाथ नहीं लगा सकते ,सुबह आठ के बाद नहाना हो तो पानी भर कर ठंडा कर के इस्तमाल करना होता है और तो और रात के १ बजे भी पानी ठंडा नहीं होता है.अब आप कहेंगे पानी तो होता है न..हाँ ये भी सही है ,पानी तो २४ घंटे होता है.लेकिन नगरपालिका का पानी घर की टंकी में भरता है न कि भारत की तरह सीधा घर के पाईपों में आता है और आम तौर पर पीने का पानी बोतल वाला ही इस्तमाल किया जाता है.
ReplyDeleteभारत के मध्य में जहां से यह पोस्ट डाल रहा हूं , वह इस इलाके का सबसे पानीदार इलाका ओ सूबा माना जाता है । यहां से पानी दूसरे बेपानी इलाकों में रेल के टैंकरो से भेजे जाने का इतिहास प्रसिद्ध गर्व मौजूद है , मगर इस गर्मी में हालात यहां भी अल्ला अल्ला थे..त्राहीमाम त्राहीमाम मचा था..गरीबों ने दूसरी बोतलों से काम चलाया और अमीरों ने मारे दुख के बीयर की कीमतें बढ़ा दी..मध्यमवर्ग कोल्ड ड्रिंक इसलिए नहीं पी रहा था कि उनसे डायरिया हो रहा था...भारत वर्जनाओं का देश है ,कुदरत भी इसका ख्याल रखती है।
काश हम भी ऐसा सोच पाते जैसा आपने लिखा है कि 'कई दिनों से यहाँ भी पानी बचाने की मुहीम चल रही है.अखबार में पढ़ा कि २०१२ से पानी की किल्लत इस देश में होने की सम्भावना है इसलिए सरकार नए प्रयास कर रही है..'
पानी है तो जीवन है बहुत अच्छे से यह बात आपने अपनी इस पोस्ट में समझाई ...वहां अभी से पानी बचाने की मुहीम शुरू हो गयी है पर यहाँ किल्लत होते भी भी पानी यूँ ही बेकार कर दिया जाता है ...समझना तो सबको होगा अपनी जिम्मेवारी को तभी कोई रास्ता निकलेगा ..अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट अल्पना जी शुक्रिया
ReplyDeleteयू ए ई में पानी को ले कर चिंता होना वाजिब है क्योंकि यहा कोई बहुत ज़्यादा स्त्रोत नही है पानी के ... मुझे लगता है पानी के साथ साथ इनको बिजली की बचत का भी ध्यान देना चाहिए जो ये नही देते ... बहुत से मुद्दों पर ओपेरा की तरह विचार करती आपकी पोस्ट .... उन्नति के साथ साथ लोगों की ख़त्म होती संवेदनशीलता भी चिंता वाली बात है .... बहुत से विषयों को छूती आपकी पोस्ट बहुत सामयिक है ....
ReplyDeleteआपका अंदाज़ निराला होता है हर बार... ये कतरनों का कोलाज बहुत अच्छा लगा... पानी की समस्या ससर्वव्यापी है और यहाँ दिल्ली वाली भी बहुत पानी का अपव्यय करते हैं. मुझे बहुत कोफ़्त होती है ये देखकर. आपने जो पानी बचाने के उपाय बताए हैं, मैं सभी का उपयोग करती हूँ हमेशा... मुझे लगता है कि यदि व्यक्तिगत स्तर पर हम सभी थोड़े जागरूक हो जाएँ तो सरकार कोशिश करे या ना करे आधी समस्या तो आप ही हल हो जायेगी.
ReplyDeletebadi pate ki baat kahi hai ji!!
ReplyDeleteaalekh sujhbujhwali hai ....
ReplyDeletepani ka mol pahchanna .. achchi aur rochak jaankari......
ReplyDeleteपानी के लिये जो डिवाईस की बात बताई है, यह वाकई बढिया है. क्या आपके पास इसके बारे में अधिक जानकारी है?
ReplyDeleteकैरो (इजिप्ट) के बाहर वैसे तो हरियाली नही के बराबर है, मगर नाईल नदी के कारण कैरो में चमन है. मगर पानी के बरबादी भी बहुत दिखती है.
अल्पना जी
ReplyDeleteसच में अब जल ही जीवन है का अर्थ समझ आने लगा है ।अगर आसार यही रहे तो भविष्य संकटमय है .............
@Dilip ji-
ReplyDelete-is official website par detailed jaankari hai-
www.watersavers.ae
Thanks
कतरनों का यह कोलाज वाकई ज्ञानवर्धक है.....पानी से लेकर मताधिकार के महत्त्व को समेटती यह पोस्ट बहुत ही प्रभावी दिखती है.
ReplyDeleteकही डायलोग सुना था .के यदि हवन से शांति होनी होती तो हिन्दुस्तान के सारे घर शांत ओर सुखी होते.......पिछले तीस सालो में जीवन अधिक भाग दौड़ भरा ओर फास्ट हो गया है ..दूसरे शब्दों में कहे तो तात्कालिक .हर चीज़ अभी चाहिए .....इससे जीवन की क्वालिटी नीचे आ रही है .भले ही सुविधाए बढ़ रही हो .आदमी के नैसर्गिक गुण ख़त्म होते जा रहे है ........ इंसान कुदरत को इस्तेमाल कर रहा है ...ओर दोहन भी...सम्मान नहीं कर रहा ....
ReplyDeleteबहुत साल पहले हमने कुछ अनाज के साथ अशांति भी साधनों के साथ आयात कर ली थी उसके बीज अब फल दे रहे है |
ReplyDeleteपानी के दुरूपयोग को कैसा रोका जाय? सम्बन्धित आलेख अच्छा लगा |
सुबह आठ के बाद नहाना हो तो पानी भर कर ठंडा कर के इस्तमाल करना होता है और तो और रात के १ बजे भी पानी ठंडा नहीं होता है.अब आप कहेंगे पानी तो होता है न..हाँ ये भी सही है ,पानी तो २४ घंटे होता है.लेकिन नगरपालिका का पानी घर की टंकी में भरता है न कि भारत की तरह सीधा घर के पाईपों में आता है और आम तौर पर पीने का पानी बोतल वाला ही इस्तमाल किया जाता है.
ReplyDeleteकमाल है ...इतनी गर्मी ....?
बहुत सी जानकारी मिली आपकी पोस्ट से ...डिवाईस के इस्तेमाल से निश्चित रूप पानी की बचत होगी ...भारत में भी ये विधि अपनानी चाहिए ....!!
इस बार त्रिवेणी की कमी खली ......
तथ्यों पर आधारित जानकारी दी है आपने...
ReplyDeleteआज नहीं तो कल...जल का महत्व समझना ही होगा
तो आज ही क्यों नहीं.
हज़ारों कमियां ही सही.. भारत का यह संक्रमण काल है.
ReplyDeleteत्रिवेणी और काव्य रचना की प्यास पूरी नहीं हुई
ReplyDeleteतो आपके गाये कुछ गीत सुन कर संतुष्टि प्राप्त की ।
वैसे कतरनें बहुत उपयोगी हैं ,
रोचक भी ,
ज्ञानवर्द्धक भी।
अभिनव प्रयोग के लिए बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
कभी-कभी छोटी बातों में भी कुछ बडी बातें हो जाती हैं। आपकी पोस्ट भी कुछ वैसी ही है।
ReplyDelete................
नाग बाबा का कारनामा।
महिला खिलाड़ियों का ही क्यों होता है लिंग परीक्षण?
jal hi jeevan hai ,phir bhi laaprwaahi hai ,hum apni bhool nahi sudhar sakte ,bhale kitne kasht utha le ,aapki katran me aham baate hai magar anusaran ho to aur behtar .......
ReplyDeleteबहुत सराहनीय और विचारणीय पोस्ट. अच्छे लगे आपके विचार मैं भी सहमत हूँ बहुत ज्ञान भी मिला
ReplyDeleteAlpana ji aapne to hame hamare Kuwait prawas ke din yad dila diye . Pani arab deshon men desalination plant se hi hota hai aur tanker se aapke ghr ke tanki me bhara jata hai. par bachat to sab ko karna jaroori hai. Jab desh kee adhikansh janta shikshit aur jagrook ho jayegi tabhee surate hal badlega.
ReplyDelete@-कभी कभी तो दिमाग में यह भी आता है ,इतने अधिक धर्म हैं यहाँ ,कितने खुशनसीब हैं कि इतने गुरुओं का आशीर्वाद यहाँ की हवाओं में है.इतनी तरह की प्रार्थनाएं रोज़ गूंजा करती हैं फ़िर भी शांति और समृद्धि उस स्तर पर क्यूँ नहीं हो रही जिस पर होनी चाहिये?..
ReplyDeleteजब तक निस्वार्थ होकर नहीं सोचना शुरू करेंगे , कुछ नहीं बदलेगा। अफ़सोस तो ये है की हम संवेदनाओं से रहित हो गए हैं...सबको अपनी पड़ी है, दूसरों की कोई नहीं सोचता। फिर भी दुनिया अच्छे लोगों से भरी है, तभी तो चल रही है। सार्थक प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जायेंगे।
Hi..
ReplyDeleteJane kya technical fault hai ki aapka blog cell par khul nahi pata.. khair...aaj bazar main net par aa kar aapki agli pichhli saari post padhin...
Katranon main aapne apne hruday ke dard ko ukera hai...Pratyek sanvedansheel Bharteeya ke hruday main ye dard to hoga hi ki uske desh main sab kuchh hone ke bavajood kisi na kisi karan se pratyek din kitne hi log hinsa ki bhent chadhte hain aur hum chah kar bhi kuchh nahi kar paate..
Sundar aur gyanvardhak aalkekh..
Khaskar paani ke vishay main bataayi gayi nayee khoj ke baare main...aaj se shower band...hahaha...
Thanks a lot..
Deepak
सुन्दर लेखन...बधाई.
ReplyDelete********************
'बाल-दुनिया' हेतु बच्चों से जुडी रचनाएँ, चित्र और बच्चों के बारे में जानकारियां आमंत्रित हैं. आप इसे hindi.literature@yahoo.com पर भेज सकते हैं.
आपकी चिंता जायज़ है...देश में समस्याएं इतनी हैं के समाधान ही नहीं मिल रहा...फिर भी सोचते हैं...गम की अँधेरी रात में दिल को न बेकरार कर सुबह जरूर आएगी...सुबह का इंतज़ार कर..
ReplyDeleteनीरज
पानी की कमी यहाँ भी भयावह रूप ले रही है -बाकी तो आशांति बढ़ ही रही है आप बहार से देख रही हैं इसलिए जायदा क्लांत हैं -अब तो यह हमारे जीवन का हिस्सा बनता गया है -हम आत्मसात से कर रहे हैं !
ReplyDeleteitani dher saari jaankariyan mili is bar aapkipost ko padhkar .bahut hi samsayik vishay uthaya hai aapne.
ReplyDeleteiske liye dhanyvaad.
poonam
छोटी छोटी यादें, मीठी मीठी बातें।
ReplyDelete………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
Bahut achcha likha hain. kabhi samay mile to http://1minuteplease.blogspot.com bhi padna.
ReplyDeleteAlpna ji bahut bahut hi acchi post lagai hai aapne.aapke sahsik kadam ki jitni bhi prashansa ki jaye kam hai. aapka shridy Aabhar
ReplyDeleteRoshani
भारत में हर व्यक्ति इसकी जड़ें काटने पर लगा है...
ReplyDeleteअल्पना जी आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। आपने पानी की बात कही। भारत में भी हाल कुछ ऐसा ही है। हां यहां बचाने की बात तो होती है पर प्रयास नहीं होते।
ReplyDeleteपानी पर मेरी एक कविता कुछ अन्य कविताओं के साथ साखी ब्लाग पर पढ़ें।
अल्पना....बरसों-बरस से मैं ऐसा ही सोचता रहा हूँ....और हर जगह इस तरह की ही बाते किया करता हूँ....मगर शायद बहुत कम ही लोगों को ही ये बातें/ऐसी बातें समझ में आती हैं,बल्कि इस तरह की बातों को मेरा दिमागी-फितूर ही कहते हैं....शायद मन-ही-मन हँसते भी हैं....और सबसे पहले तो खुद के ही घर वाले....हा-हा-हा-हा- हम अजीब फितरत के हैं है अल्पना...जिन बातों को अच्छा समझते हैं....उन्हें करते नहीं...और कोई करता है तो उसे पागल समझते हैं...और फिर भी एक "अच्छापन" चाहते हैं हम अपने चारों तरफ....यहाँ तक की हम खुद के बारे में भी कोई उचित बात नहीं सुन सकते और चाहते हैं....कि हमारी बात सामने वाला उचित समझे... इसलिए ओ अल्पना यह उचित-अनुचित का खेल हर समय हमारे चारों और चलता है....क्यूंकि हम सब अपने सामने वाले को ढक्कन समझते हैं...और सामने वाला हमें.....हा...हा...हा...हा....सब कुछ ऐसा ही चलता रहेगा ओ अल्पना....ना किसी के कहने से हम सुधरेंगे....ना हमारे कहने से कोई और.....यही तो "मनुष्यता" है..!!
ReplyDeleteपता नहीं "वक़्त ने किया क्या हसीं सितम" पोस्ट डिलीट कर दी गई है या मेरा ब्राउज़र इसे खोल नहीं पा रहा ...
ReplyDeleteकाश यहाँ (भारत) मे भी नलों मे डिवाइस लग पाता ,पानी कि जानलेवा समस्या के प्रति सचेत होने की बहुत जरूरत है ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी और ज़रूरी पोस्ट, ऐसे समय में, जब पूरा देश पानी के भीषण संकट से जूझ रहा है.
ReplyDeleteयह कितना कटु सत्य है कि हम अपने पैरों पर ही कुल्हाडी मार रहे हैं। इंसान आज अपनी मूलभूत जीवनावश्यक चीजों से मोहताज़ होने को है और इतना मूर्ख भी कि सब जानते बूझते वो उसी डाली को काट रहा है जिस पर आसीन है।
ReplyDeleteकतरनों के जरिये जानकारी और सच..,
Bahut sunder......aur sach bhi.
ReplyDeletewww.ravirajbhar.blogspot.com
aasha hai apki ye katran jal k katre katre ka mahatwa samjhaane me safal hogi............mahatwapurna aalekh...!!!
ReplyDeleteसुन्दर जानकारियाँ...
ReplyDeleteपिछले साल यहाँ भोपालमें बड़े तालाब के गहरीकरण का कार्य जनसहयोग से किया गया ,सो इस वर्ष गर्मी में पानी की तंगी कुछ कम रही . कुदरत के अनमोल उपहारों को सहेजना हर देश ,हर नागरिक की जिम्मेदारी है . दूर रहकर भी आपका अपने देश के प्रति चिंता का भाव बहुत भला लगता है, अल्पना जी .
ReplyDelete’तस्लीम’ द्वारा आयोजित चित्र पहेली-86 को बूझने की हार्दिक बधाई।
ReplyDelete----------------
सावन आया, तरह-तरह के साँप ही नहीं पाँच फन वाला नाग भी लाया।
अच्छी पोस्ट.सुन्दर जानकारियाँ.पढ़ना अच्छा लगा। अच्छे लगे आपके विचार.
ReplyDeleteउम्दा...
ReplyDeleteवोट उपाय नहीं दीखता मुझे....क्योंकि समस्या है वोट दें तो किसे???? कोई उन्नीस है कोई बीस...राजनीति पर आज भ्रष्टाचारियों का कब्ज़ा है...इक्के दुक्के कुछेक लोग हैं भी ठीक ठाक तो अकेला चना कितना भांड फोड़ेगा...
ReplyDeleteसुव्यवस्था के लिए सभी स्तर पर समग्र क्रांति की आवश्यकता है...यहाँ तक की हमें अपने आचरण में भी आमूल चूल परिवर्तन करना पड़ेगा..
और पहल हर छोटी छोटी चीजों से करना होगा..
आपने जो यह कही है पानी की समस्या...पहली शुरुआत तो यहीं से करनी होगी...
प्रकृति ने हमें जो कुछ भी अनमोल प्राणरक्षक दिया है,उसकी क़द्र स्वाभाविक ही नहीं करने लगेंगे,तबतक यह अपेक्षा नहीं पालना चाहिए हमें की वृहत्तर स्तर पर जिसके हाथों सत्ता और शक्ति आ जायेगी,वह उसका दुरूपयोग नहीं करेगा...
जो भ्रष्ट नेता देश का अहित कर रहा है,उससे कम कुसूरवार हम नहीं,जो छोटे स्तर पर गलत करने में संकोच नहीं करते...
खूबसूरत कतरन कोलाज!
ReplyDeleteइसके पहले वाली पोस्ट जिस पर आपने टिप्पणी विकल्प नहीं रखा था भी बहुत अच्छी लगी। उसको लिखने के लिए बधाई!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut hi accha gyan banta apne
ReplyDeleteabhar
ekdam sahi kaha apne,pani hai tho zindagi hai,bahut hi behtarin collection raha katrano ka,vaise bhi hamare yaha abhi se paniaane time mein kamtarta kar di gayi hai.ek ghante se sidha aadhe ghante par.bahut sambhal kar istemal karna padta hai.
ReplyDeleteiske pehle wala lekh bhi bahut pasand aaya.
इतनी साड़ी जानकारी समेटे यह पोस्ट पर हमारी नज़र नहीं पड़ी. पानी के नालों में एक छोटे उपकरण के जरिये पानी की बचत वाली बात समझ में आ रही है. यहाँ कुछ महंगे नलों की टोटियों में ऐसा ही कुछ बना रहता है जिससे झागदार पानी निकलता है. यहाँ के पानी में केल्शियम की अधिकता से छिद्र बंद हो जाते हैं. बीच बीच में खोल कर सफाई करनी होती है.
ReplyDeletebahut acha post...
ReplyDeleteMeri Nai Kavita padne ke liye jaroor aaye..
aapke comments ke intzaar mein...
A Silent Silence : Khaamosh si ik Pyaas
कुछ दिनों के बाद या कहे फुर्सत में आज आप तक पहुंचा, तो कुछ बहुत उपयोगी पोस्टें पढने को मिली.
ReplyDeleteपानी को महत्व हर हाल में देना होगा.
भारत की समस्याएं पर कुछ कहना-सुनना बेमानी सा लगता है... असल में यहाँ कोई हमारा "जन-प्रतिनिधि" होता ही नहीं. वैसे हमलोग किसी बहाने जन-जागरण करते रहते हैं. मगर व्यापक स्तर पर बहुत कुछ करना बाकी है.
फ़िर पढ़ा। फ़िर अच्छा लगा।
ReplyDeleteaap atchha likhti hai, i like ur writing and aap ki soch, if u free so visit my blog one time.. www.onlylove-love.blogspot.com
ReplyDeletei m ashok from rajkot- gujarat
""कभी कभी तो दिमाग में यह भी आता है ,इतने अधिक धर्म हैं यहाँ ,कितने खुशनसीब हैं कि इतने गुरुओं का आशीर्वाद यहाँ की हवाओं में है.इतनी तरह की प्रार्थनाएं रोज़ गूंजा करती हैं""
ReplyDeleteitney sare dharma, itne sare dharm hona hamare liye khusnaseebi nahi badnaseebi hai.. kyonki dher sare bartan eksath honey to takrayengey hi ..