अभिलाषा
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गुज़रे पल से पूछते रहते जीवन की परिभाषा क्या है? तौलते रहते खुशियाँ अपनी, लगता एक तमाशा सा है सौदागर सी बातें करते, जान न पाए माशा क्या है! चलता जाए जीवन यूँ ही , रुकने की यह भाषा क्या है? खोज रहे हैं रस्ते सारे, सच मिल जाए आशा क्या है? मर मर के यूँ रोज़ का जीना , जीने की अभिलाषा क्या है? जिस पल जीना सीख गए फिर, आशा और निराशा क्या है? गुजरे पल से पूछते रहते जीवन की परिभाषा क्या है? ---------अल्पना वर्मा ----------- |
अब गीतों की ओर --
बहुत दिनों से कोई गीत पोस्ट नहीं किया था...इस लिए वह कमी पूरी करते हुए आज एक नहीं दो गीत प्रस्तुत हैं -
1-
'दिल हूम हूम करे '-फ़िल्म-रुदाली 'मूल गीत' लता जी और भूपेन हज़ारिका जी का गाया हुआ है. यहाँ मैं ने इस गीत को गाने का प्रयास किया है.आप भी सुनिये-:
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'दिल हूम हूम करे ,घबराए'-गीतकार-गुलज़ार ,संगीत-भूपेन हजारिका ।'
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२-vocals--Alpana[cover song].
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'रजनीगंधा फूल तुम्हारे' [गीत-योगेश,संगीत-सलील चौधरी]
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चलता जाए जीवन यूँ ही ,
ReplyDeleteरुकने की यह भाषा क्या है?
बहुत बढिया. शुभकामनायें.
मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
वाह अल्पना जी वाह...बेहद कमाल की रचना पेश की है आपने...इसकी जितनी भी प्रशंशा की जाये कम है...और आपके दो गीतों ने तो समां बाँध दिया...क्या गाती हैं आप....गज़ब...
नीरज
जिस पल जीना सीख गए फिर,
ReplyDeleteआशा और निराशा क्या है
बहूत ही umda ..........aashaa, niraasha और saty के ehsaas से bhari है आपकी रचना ..........
और आपके gaaye गीत .............. kya kahne, लाजवाब और karioke पर तो और भी jabardast लग रहे हैं..... jadoo है आपकी आवाज़ में
गुजरे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
बहुत ही सत्य को अभिव्यक्त करती रचना है. इन गूढ शब्दों का संयोजन बहुत ही मुश्किल काम है. आपने एक सुंदर बेहद खूबसूरत रचना प्रस्तुत की. बहुत शुभकामनाएं.
रुदाली का कंसोल नही दिखाई दे रहा है. शायद मेरे क्रोम ब्राऊजर की दिक्कत है. दुबारा से लोड करके सुनते हैं. बहुत धन्यवाद आपका.
रामराम.
जिस पल जीना सीख गए फिर,
ReplyDeleteआशा और निराशा क्या है?
सही बात है। सही अर्थों में जीवन जीना सीख गए तो आशा और निराशा का कोई मतलब नहीं रह जाता।
अच्छी कविता और सुंदर गीत।
कविता बहुत अच्छी है.
ReplyDeleteगुजरे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
जीवन की परिभाषा -- वो भी गुजरे पल से
बहुत खूब --
चलता जाए जीवन यूँ ही ,
ReplyDeleteरुकने की यह भाषा क्या है?
बहुत सुन्दर रचना . आभार.
बहुत खूब..कविता शानदार रही.. दोनों ही गीत मुझे भी बहुत प्यारे हैं.. फिलहाल हैडफोंस या स्पीकर नहीं होने की वजह से आपकी आवाज़ में नहीं सुन पाया.. आभार
ReplyDeleteमर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
इंसान सब कुछ जानता है फिर भी इस मरीचिका में फंसा रहता है .....दोनों गीत मुझे बेहद पसंद है...मेरे कलेक्शन में है...भूपेन की आवाज इस गीत में जादू सा करती है.....रजनीगंधा तो खैर अपने आप में एक ऐसी फिल्म है जिसमे सब कुछ है एक स्त्री का अन्तर्विरोध ...भावना ...ओर ऐसे गीत....जो बेमिसाल है .....
कई बार यूँ भी देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अनजानी राह के पीछे ,अनजानी छह के पीछे ......
मुकेश का गाया इसी फिल्म का गीत.......अद्भुत है....
P.N. Subramanian has left a new comment on your post "रुदाली,रजनीगंधा और अभिलाषा!":
ReplyDeleteगुजरे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?
यौ तो पूरी रचना ही बेहद खूबसूरत है, हमने अंतिम पंक्ति अपने लिए चुन ली. गीत भी अछे लगे. रात में एक बार और सुनेंगे. आभार.
रुदाली,रजनीगंधा और अभिलाषा ke liye shukriya
ReplyDeleteदोनों ही गीत बेहद खूबसूरत. विडियो को देखते हुये सुनने मे तो एहसास ही नही होता की मूल गायक/गायिका कोई और है. बहुत शुभकामनाए.
ReplyDeleteमौजिल्ला मे दोनो कंसोल और विडियो दिखाई दे रहे हैं और बहुत अच्छे से प्ले हो रहे हैं. क्रोम मे ही कूछ गडबड थी. धन्यवाद.
रामराम.
मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
waah sahi jab jeena sikh jao tho aasha,nirasha koi mayane na rakhe hai,jeevan ki talash magar hamesha insaan ke andar jaari hi rehti hai.sunder kavita.
alpanaji aaj tho dil khushi ke maare 'hum hum' kar raha hai.dono gane fav ar aapki madhur aawaz unhe aur bhi mohak bana rahi hai.rajnigandha bahut hi achha laga.
वाह इतने दिनों के बाद भी शब्दों में वही सुन्दरता, वही गहराई।
ReplyDeleteमर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
जीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
गुजरे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?
सच जीवन की परिभाषा को खोजते खोजते पूरी उम्र बीत जाती है। पर आपने एक बात बहुत खूब कही।
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
सच्ची बात। गाने के बारें में क्या कहें। दोनो ही बहुत ही बेहतरीन।
बेजोड़ शिल्प की भाव प्रवण कविता और मनोरम गान भी !
ReplyDeleteगुज़रे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
bahut hi sundar bhaw
जिस पल जीना सीख गए फिर,
ReplyDeleteआशा और निराशा क्या है?
गुजरे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?
bahut acchhi baat kahi alpna
मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
लाजवाब कलम का जादू सिर चढ्कर बोल रहा है और आपके गीतों ने तो समय बान्ध दिया है बधाई
चलता जाए जीवन यूँ ही ,
ReplyDeleteरुकने की यह भाषा क्या है
खोज रहे हैं रस्ते सारे,
सच मिल जाए आशा क्या है?
मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
जीने की अभिलाषा क्या है?...
कितनी खूबसूरत, गहन भाव लिए लाइनों को आपनें लिखा है .उस पर सुमधुर संगीत क्या कहने हैं .बहुत -बहुत धन्यवाद-इसलिए कि आपकी पूरी पोस्ट पढ़ कर मन शांत और प्रसन्न हो गया .
आपका बहु आयामी व्यक्तित्व और आपके सृजन के विभिन्न रंग...
ReplyDeleteदिल और दिमाग का सम्तुलित समन्वय...
दिल से संवेदनशील भीगे भीगे शब्दों को पद्य में पिरोना, और साथ ही भावनाओं का उद्रेक आपके गाये हुए गीतों में आपके स्वरों के माध्यम से..
और बुद्धि और रचनात्मकता का संगम साईंस और टूरिझ्म के लेखों में.
यूंहि लिखते रहें ...
दोनों गीत बढिया , स्निग्धता लिये हुए.
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
ReplyDeleteआशा और निराशा क्या है?
इन दो पंक्तियों में कितनी गहरी बात कह दी अल्पना जी .....बहुत खूब.....!!
दोनों गीत सुने ...कमाल का गातीं हैं आप ....न जाने कितनी खूबियाँ समेटे हुए आप ब्लॉग जगत की शान हैं आप .....बधाई ...!!
जिस पल जीना सीख गए फिर,
ReplyDeleteआशा और निराशा क्या है?
--बिल्कुल सही...एक उम्दा रचना.
अब सुनेंगे. आज समय बहुत देर से मिल पाया.
सुन्दर गीत! दोनों गाने सुने। बहुत अच्छे लगे। बड़ी खूबसूरत आवाज है आपकी। खूब सारे गाने गाकर पोस्ट करिये। बहुत अच्छा लगा इनको सुनकर!
ReplyDeleteआपका ब्लॉग और आपकी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं दीदी.
ReplyDeleteये गाना मुझे बहुत पसंद है...
ReplyDeleteजिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
और ये तो कमाल लिखा है आपने..वाकई
वाकई सुन्दर गीत हैं
ReplyDeleteगुजरे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
बहुत सुंदर भावः हैं इस कविता में....
बहुत अच्छी लगी...
सच में ऐसा ही तो होता है....
मीत
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह......वाह......वाह......
ReplyDeleteरजनीगंधा.. मेरा सबसे पसंदीदा गाना.. हजारों बार सुना है.. आज फिर से मौका मिला आपकी आवाज में सुनने का.. बहुत अच्छा गाया आपने.. बिल्कुल original जैसा.. बहुत सुन्दर.. अच्छा लगा..
ReplyDelete"मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?"
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगी....
इस सुन्दर रचना और गीत के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
बहुत सुंदर रचना !!
ReplyDeleteZindagi ke kareeb le jati hai ye aapki rachna.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
saval aour fir usaka uttar/
mujhe jeevan bhi kuchh isi tarah ka lagta he// pahle savaal khade hote he fir uttar ki talaash, aour jab uttar milate he to fir ek nai abhilasha.....///
kher.., bahut achhi lagi aapki rachna..darshan ki baat hoti he to kisi bhi rachna me jaan aa jaati he/
gaane to ghar pahuch kar hi sun paunga.../
गुज़रे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
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खोज रहे हैं रस्ते सारे,
सच मिल जाए आशा क्या है?
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मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
जीने की अभिलाषा क्या है?
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जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
वाह ... वाह.
रचना में में समग्र जीवन का सत्य दिखाई पडता है।
बेहद खूबसूरत शब्द-संयोजन !
अनुभूति के स्तर पर कई पंक्तियाँ अत्यधिक ह्रदयस्पर्शी हैं !
रुदाली का गीत :
गीतकार, संगीतकार, साहित्यकार, पत्रकार, फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, चित्रकार, गायक श्री भूपेन हजारिका जी के जादू से तो खैर कोई अछूता रह ही नहीं सकता ! लाखों लोगों के दिल में भूपेनदा का गीत ‘‘दिल हुम हुम करे'' बहुत गहराई से बसा हुआ है ! इस गीत को गाने के बाद उन्होंने कहा था - अगर एब्सट्रेक्ट पेंटिंग्स हो सकती है, एब्सट्रेक्ट फिल्म हो सकती है
तो एब्सट्रेक्ट गीत क्यों नहीं हो सकता ?'
कभी-कभी कुछ गीत हमारे अंतर्मन को इस कदर स्पर्श कर जाते हैं कि उन्हें सुनते ही मन करता है कि बस समय रुक जाए जितनी बार सुनते हैं उतनी बार अनेक यादों में खो जाते है !
फ़िल्म-'रुदाली' के 'दिल हूम हूम करे घबराए ..' को याद कीजिये..नायिका के चेहरे और भाव के साथ जैसे ही लताजी की आवाज़ थोडी ऊँची पिच पर आकर "तेरी ऊँची अटारी ई ई ई ...मैंने पंख लिए कटवाए " सुनते ही दिल बरबस ही भर आता है ... बस मन करता है जी भर के रोये ..... और रोते ही रहे ! कोई इतना बढ़िया कैसे लिख सकता है ... कोई कैसे इतना डूबकर गा सकता है ?
आपने इस गाने को को काफी खूबसूरती से निभाया है ! बड़े-बड़े गायक और गायिकाएं भी इसको गाने से कतराते हैं ...... आप वाकई में तालियों और भरपूर सराहना की हकदार हैं !
रजनीगंधा का गाना अभी सुना नहीं ... इसलिए उसपर प्रतिक्रिया नहीं दे सकता !
wah wah....
ReplyDeleteगुज़रे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
तौलते रहते खुशियाँ अपनी,
लगता एक तमाशा सा है
अल्पना जी ,
जीवन को बहुत बारीकी से देखने की कोशिश की है अपने इस रचना में
पूनम
प्रिय अनामी जी ,
ReplyDeleteआप ने इतनी अच्छी टिप्पणी दी है की मैं आप को कहना धन्यवाद दूँ,समझ नहीं आ रहा...इस लिए यहीं आप का आभार प्रकट करती हूँ.आप ने मेरे लिखी रचना और गाये गीत को सुना और सराहा ..बहुत बड़ी बात है.'रुदाली 'के इस गीत को गाने का साहस प्रकाश गोविन्द जी के सुझाने पर ही कर पाई अन्यथा इतनी variation वाले गीत को शायद में गाने का प्रयास नहीं कर पाती.
आप ने अनाम रख कर इतनी हौसला हफ्जाई की है.
आप दोबारा यहाँ आये तो इस शुक्रिया को ज़रूर कबूलें.
और आईंदा भी अपने विचार बताते रहें ,आप की आलोचनाओं का भी स्वागत है.
आभार,अल्पना
अल्पना दी, बेहद उम्दा रचना पढने को मिली आज.
ReplyDelete.... दिल हुम हुम करे..... मेरी फेवरिट गीतों में से एक है, पर इस वक़्त लवी सो रही है और मैं स्पीकर ऑन करने का साहस नहीं कर सकता... सुबह सबसे पहला काम यही करूँगा...
एक उम्दा रचना के लिए शुक्रिया.
एक अच्छे गीत के लिये बेहद उम्दा टिप्पणी!!
ReplyDeleteइस बेनाम साथी को शुभकामनायें...
सौदागर सी बातें करते,
ReplyDeleteजान न पाए माशा क्या है!
चलता जाए जीवन यूँ ही ,
रुकने की यह भाषा क्या है?
जीवन के लिए एक अच्छा सन्देश देती पंक्तियाँ .
हेमंत कुमार
waah aap kaa rajni gandhaa track sunaa achha ga leti hain !! rachanaa bhi laajwaab hai |
ReplyDeleteकिसी भी गायक/गायिका के लिये रूदाली का ये गीत एक चैलेंज की तरह है...और आपने खूब निभाया है इस चैलेंज को मैम....वाह!
ReplyDeleteऔर "अभिलाषा"...एक अनूठी रचना। कुछ गज़ब के काफ़ियों के सामंजस्य में बहुत अच्छी बनी है। बधाई कबूल करें।
Log kisi ek vidha par maharat haasil karne ko sangharsh karte hain par aap to bahumukhi pratibha ki dhani hain.Shubhkamnayen.
ReplyDeleteजीना सिखाती पोस्ट और सुन्दर गायन!
ReplyDeletealpnaji
ReplyDeletebhut sshkt kvita .
aur geet bhi bhut achhe lge .
agr aap film parkh ka geet oo sjna barkha bhar aai ,ankhiyo me pyar lai .gaye to aapki aavaj me achha lgega aur hme bhut khushi hogi .kyoki aapki pasnd ko dekhte huye mai frkaish ka sahs kar rhi hoo .kkrpya anytha n le .
dhnywad.
shubhkamnaye
yah post nayi raah dikhati ha... lambe samay se aapke blog par najar nahi phair paa raha tha.. ab samaay mila to yah padkar achacha lagaa....
ReplyDeleteचलता जाए जीवन यूँ ही ,
ReplyDeleteरुकने की यह भाषा क्या है?
खोज रहे हैं रस्ते सारे,
सच मिल जाए आशा क्या है?
वाह्! जीवन संदेश देती एक बेहतरीन रचना। बहुत ही बढिया।
किन्तु पता नहीं हमारे पास ये आडियो, वीडियो क्य़ूँ नहीं काम कर रहा। जब भी चलाने की कौशिश की तो एरर आने लगता है।
मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
ReplyDeleteजीने की अभिलाषा क्या है?
जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
गुजरे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?
जिंदगी शायद नफे नुकसान की गणना में ही फँस कर रह जाती है, और शायद वह जान बूझ कर जीने की अभिलाषा के सच को स्वीकार नहीं करना चाहती.
आपके सारे प्रश्न जायज हैं, पर स्वार्थी मानव नाजायज़ उत्तर ही प्रायः देते आयें हैं, शायद जो थोड़े- बहुत जायज़ उत्तर मिले भी तो आदमी समझ- समझ कर भी उसे समझना/ स्वीकारना जो नहीं चाहता....
पोस्ट बेहद प्रभावी रही और मशहूर गीतों को आपके आवाज में सुनना और भी अच्छा लगा.
काला टीका ज़रूर लगवा लीजियेगा, कहीं नज़र न लग जाये
एक बार पुनः हार्दिक बधाई.
alpnaji
ReplyDeletedhnywad aapne jo sujhav diya hai mai koshish krugi uspar lod krne ke liye .asl me ye sab meri bahu neha karti hai .
aapne mere sujhav par socha dhnywad
गुजरे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
बहुत सुन्दर लिखी है आपने यह रचना अल्पना ..ज़िन्दगी का सार है यही ..फिर भी हर पल यही सवाल है ..गीत बहुत सुन्दर गाये हैं आपने ...दोनों पसंद आये बहुत ..
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ReplyDeleteगुज़रे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
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खोज रहे हैं रस्ते सारे,
सच मिल जाए आशा क्या है?
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मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
जीने की अभिलाषा क्या है?
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जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
ab ham kahen bhi to kya kahen...aur kahane ko kyaa rah gayaa...!!
alpna ji alpna behad sundar hai, abu dhabi me mere ek mitra hain,bahut bade lekhak hain.....,aap wahan kya kar rahi hain ?
ReplyDeleteसौदागर सी बातें करते,
ReplyDeleteजान न पाए माशा क्या है!
waah !!
ek arse ke baad aisa anootha aur sachcha sher padhne/sun`ne ko mila hai....waah !!!
poori rachna prabhaavshaali hai.
abhivaadan svikaareiN.
---MUFLIS---
गुज़रे पल से पूछते रहते
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा क्या है?
waaqai mein guzre pal yahikahte hain....ki jeevan kya hai?
bahut hi oomda kruti.............
सुंदर रचना!और रुदाली का ये खूबसूरत गाना आपकी आवाज में सुनकर बहुत अच्छा लगा!
ReplyDeleteगीत नहीं सुन सका |कविता ही पढी |गुजरे वक्त से जीवन की परिभाषा पूछना ,अपनी खुशियाँ ही क्या दुःख भी तौलना एक तमाशा ही है ,बिच्छू का मन्त्र याद नहीं और सांप के बिल में हाथ डालते हैं ,जीवन चलता ही रहना चाहिए "जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नजर है ,आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा ""सच मिलने की आशा क्या है ? न के बराबर |मर मर के जीना क्या मतलब ऐसे जीने का |जीना जिसको वास्तव में आगया उसे तो आशा निराशा से क्या मतलब -गीता भी तो यही कहती है सुख दुःख हानि लाभ शीत उष्ण |आशा और निराशा से कौन बचा है ?केवल मृत व्यक्ति
ReplyDeleteअल्पना जी ,आप की यह रचना बहुत ही अच्छी लगी.जीवन की सच्चाई कहते हुई अद्भुत रचना.
ReplyDeleteदोनों गीत भी बहुत ही सुन्दर गाये हैं.
ऐसे ही लिखती रहीये.
mere blog par bhi aaiye........
ReplyDeleteYEH MERA PASANDIDA GAANAA HAI, THODAA SAA MUSHKIL GAANAA HAI, SUNKEY BAHUT "ANAND" AAYAA - AISEY HI GAATI RAHO, LOGO KE DIL KO KHUSH KAR DO, MERI SHUBH KAAMNAAYE TUMHAAREY SAATH HAI
ReplyDeleteYOUR SINGING IS GREAT
-RAJ K.
Dear Alpana Ji
ReplyDeleteDil hoom hoom kare......
By listening to this song it does not appear at all that you had been off this work for so long...it has a maturity, feel, touch and originality which is typical of a singer who is continuously in business for long...very nicely sung....you have this extraordinary taste of good songs and your choices are by chance always my favourites....congratulations...my only GUZAARISH is that kindly do sing more frequently...
and yes.....I am waiting for 'Mera sunder sapna beet gaya....'
Thanx for sharing...best regards
Dr Sridhar Saxena
खोज रहे हैं रस्ते सारे,
ReplyDeleteसच मिल जाए आशा क्या है?
Bahut khub
अभिलाषा बेहद सुन्दर है
ReplyDeleteगीत मस्त लगे कभी मूड हो तो समय ओ धीरे चलो भी पहुंचा दीजिये आपकी आवाज़ में.
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ReplyDeletekavita bahut achhi lagi
ReplyDeletekavita ke bhaavon ne bahut prabhaavit kiya....
humko bhi milagi manjil
humari bhi puri hogi abhilasha..
ye hi hai dua humari...
बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार-साधुवाद
ReplyDelete@ OKay Alka ...main ne aap ki baat maan li...ab theek hai.??
ReplyDeleteaap nakali nahin hain..main maan gayee.
aap jawab dekhne yahin aaogi ,mujhe maluum hai.is liye yahin jawab de rahi hun.
pahle bhi ek sawaal aap ne poochha tha..main uska kahaan jawab deti?na aap ka blog hai..na email..us ka jawab nahin diya to aap ne mujhe proudy kahlawa diya..koi bat nahin..
yahan bahut se bachchon ne blog khole hue hain ..aap bhi ek blog khol lijeeye ya apna common sa email address banalijeeye.
jis se aap se communication me suvidha hogi.
aap ke school kaise chal rahe hain?
aur haan--main online sirf jewel khelti hun..wh solo hota hai.
thnx for invitation.take care.
Bahut khubsurat hai "Abhilasha"
ReplyDeleteor aapki aawaz bhi ..bahut achcha laga aapke blog par aakar.
VANDANA JI BAHUT HI PYARI, KHOOBSURAT RACHNA, EK EK SHABD SALEEKE SE GUNTHA HUA.
ReplyDeleteजिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?
गुजरे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?
BAHUT KHOOB , BADHAI SWEEKAREN. GEET SUNTA HUN.
... khoobasoorat rachanaa, behatreen abhivyakti !!!
ReplyDeletePak Karamu reading your blog
ReplyDeleteवाह वाह वाह !!!!! क्या बात कही.......
ReplyDeleteकितनी सुन्दर बात कही आपने अपनी इस कविता के माध्यम से......यदि जीवन जीने की वास्तविक कला का पता लग जाय तो फिर आशा और निराशा महत्वहीन हो जायेगी...
माता ने आपको कितना सुन्दर स्वर दिया है,उन्हें नमन...
Jiwan ke sach ko sarthak shabdon men bandhti adbhut bhavon se bhari khubsurat kavita..badhai.
ReplyDeleteफ्रेण्डशिप-डे की शुभकामनायें. "शब्द-शिखर" पर देखें- ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे !!
जिए जा रहे जिन्दगी को गमे-अहसास से दूर,
ReplyDeleteपूछते भी हैं खुदी से, बता इसकी दवा क्या है???
अबू धाबी में रहकर भी लिखती अच्छा हैं.
alpana ji , kavita ki tareef karun ya aapki aawaz ki , samajh nahi aa raha hai , aapne mera priy geet , rajni gandha phool tumhare jo ga diya ..
ReplyDeletekavita bahut sundar ban padhi hai .. shabd ji uhte hai ..
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
वाह बहुत ही सुन्दर रचना निकली है आपकी कलम से.........
ReplyDeleteAdbhut...lajwab prastuti.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
स्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!
कृपया इस कारवां को आगे बढाएं।
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
मैम, बहुत दिन हो गये...नयी पोस्ट कोई?
ReplyDelete