स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

July 20, 2009

रुदाली,रजनीगंधा और अभिलाषा!


अभिलाषा
------------

गुज़रे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?

तौलते रहते खुशियाँ अपनी,
लगता एक तमाशा सा है

सौदागर सी बातें करते,
जान न पाए माशा क्या है!

चलता जाए जीवन यूँ ही ,
रुकने की यह भाषा क्या है?

खोज रहे हैं रस्ते सारे,
सच मिल जाए आशा क्या है?

मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
जीने की अभिलाषा क्या है?

जिस पल जीना सीख गए फिर,
आशा और निराशा क्या है?

गुजरे पल से पूछते रहते
जीवन की परिभाषा क्या है?
---------अल्पना वर्मा -----------

अब गीतों की ओर --
बहुत दिनों से कोई गीत पोस्ट नहीं किया था...इस लिए वह कमी पूरी करते हुए आज एक नहीं दो गीत प्रस्तुत हैं -
1-
'दिल हूम हूम करे '-फ़िल्म-रुदाली 'मूल गीत' लता जी और भूपेन हज़ारिका जी का गाया हुआ है. यहाँ मैं ने इस गीत को गाने का प्रयास किया है.आप भी सुनिये-:

Download or Play



'दिल हूम हूम करे ,घबराए'-गीतकार-गुलज़ार ,संगीत-भूपेन हजारिका ।'

---------------------------------------------------------------------
२-vocals--Alpana[cover song].


Download Or Play


'रजनीगंधा फूल तुम्हारे' [गीत-योगेश,संगीत-सलील चौधरी]


Click Here to post your views about this post.




----------------------------------------------------------------------------

81 comments:

  1. चलता जाए जीवन यूँ ही ,
    रुकने की यह भाषा क्या है?
    बहुत बढिया. शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  2. मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?

    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    वाह अल्पना जी वाह...बेहद कमाल की रचना पेश की है आपने...इसकी जितनी भी प्रशंशा की जाये कम है...और आपके दो गीतों ने तो समां बाँध दिया...क्या गाती हैं आप....गज़ब...
    नीरज

    ReplyDelete
  3. जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है

    बहूत ही umda ..........aashaa, niraasha और saty के ehsaas से bhari है आपकी रचना ..........
    और आपके gaaye गीत .............. kya kahne, लाजवाब और karioke पर तो और भी jabardast लग रहे हैं..... jadoo है आपकी आवाज़ में

    ReplyDelete
  4. गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    बहुत ही सत्य को अभिव्यक्त करती रचना है. इन गूढ शब्दों का संयोजन बहुत ही मुश्किल काम है. आपने एक सुंदर बेहद खूबसूरत रचना प्रस्तुत की. बहुत शुभकामनाएं.

    रुदाली का कंसोल नही दिखाई दे रहा है. शायद मेरे क्रोम ब्राऊजर की दिक्कत है. दुबारा से लोड करके सुनते हैं. बहुत धन्यवाद आपका.

    रामराम.

    ReplyDelete
  5. जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    सही बात है। सही अर्थों में जीवन जीना सीख गए तो आशा और निराशा का कोई मतलब नहीं रह जाता।

    अच्‍छी कविता और सुंदर गीत।

    ReplyDelete
  6. कविता बहुत अच्छी है.

    ReplyDelete
  7. गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?
    जीवन की परिभाषा -- वो भी गुजरे पल से
    बहुत खूब --

    ReplyDelete
  8. चलता जाए जीवन यूँ ही ,
    रुकने की यह भाषा क्या है?

    बहुत सुन्दर रचना . आभार.

    ReplyDelete
  9. बहुत खूब..कविता शानदार रही.. दोनों ही गीत मुझे भी बहुत प्यारे हैं.. फिलहाल हैडफोंस या स्पीकर नहीं होने की वजह से आपकी आवाज़ में नहीं सुन पाया.. आभार

    ReplyDelete
  10. मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?
    इंसान सब कुछ जानता है फिर भी इस मरीचिका में फंसा रहता है .....दोनों गीत मुझे बेहद पसंद है...मेरे कलेक्शन में है...भूपेन की आवाज इस गीत में जादू सा करती है.....रजनीगंधा तो खैर अपने आप में एक ऐसी फिल्म है जिसमे सब कुछ है एक स्त्री का अन्तर्विरोध ...भावना ...ओर ऐसे गीत....जो बेमिसाल है .....
    कई बार यूँ भी देखा है
    ये जो मन की सीमा रेखा है
    मन तोड़ने लगता है
    अनजानी राह के पीछे ,अनजानी छह के पीछे ......
    मुकेश का गाया इसी फिल्म का गीत.......अद्भुत है....

    ReplyDelete
  11. P.N. Subramanian7/20/2009

    P.N. Subramanian has left a new comment on your post "रुदाली,रजनीगंधा और अभिलाषा!":

    गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    यौ तो पूरी रचना ही बेहद खूबसूरत है, हमने अंतिम पंक्ति अपने लिए चुन ली. गीत भी अछे लगे. रात में एक बार और सुनेंगे. आभार.

    ReplyDelete
  12. रुदाली,रजनीगंधा और अभिलाषा ke liye shukriya

    ReplyDelete
  13. दोनों ही गीत बेहद खूबसूरत. विडियो को देखते हुये सुनने मे तो एहसास ही नही होता की मूल गायक/गायिका कोई और है. बहुत शुभकामनाए.

    मौजिल्ला मे दोनो कंसोल और विडियो दिखाई दे रहे हैं और बहुत अच्छे से प्ले हो रहे हैं. क्रोम मे ही कूछ गडबड थी. धन्यवाद.

    रामराम.

    ReplyDelete
  14. मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?

    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    waah sahi jab jeena sikh jao tho aasha,nirasha koi mayane na rakhe hai,jeevan ki talash magar hamesha insaan ke andar jaari hi rehti hai.sunder kavita.

    alpanaji aaj tho dil khushi ke maare 'hum hum' kar raha hai.dono gane fav ar aapki madhur aawaz unhe aur bhi mohak bana rahi hai.rajnigandha bahut hi achha laga.

    ReplyDelete
  15. वाह इतने दिनों के बाद भी शब्दों में वही सुन्दरता, वही गहराई।
    मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?
    गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    सच जीवन की परिभाषा को खोजते खोजते पूरी उम्र बीत जाती है। पर आपने एक बात बहुत खूब कही।
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    सच्ची बात। गाने के बारें में क्या कहें। दोनो ही बहुत ही बेहतरीन।

    ReplyDelete
  16. बेजोड़ शिल्प की भाव प्रवण कविता और मनोरम गान भी !

    ReplyDelete
  17. गुज़रे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?
    bahut hi sundar bhaw

    ReplyDelete
  18. जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    bahut acchhi baat kahi alpna

    ReplyDelete
  19. मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?

    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?
    लाजवाब कलम का जादू सिर चढ्कर बोल रहा है और आपके गीतों ने तो समय बान्ध दिया है बधाई

    ReplyDelete
  20. चलता जाए जीवन यूँ ही ,
    रुकने की यह भाषा क्या है
    खोज रहे हैं रस्ते सारे,
    सच मिल जाए आशा क्या है?
    मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?...
    कितनी खूबसूरत, गहन भाव लिए लाइनों को आपनें लिखा है .उस पर सुमधुर संगीत क्या कहने हैं .बहुत -बहुत धन्यवाद-इसलिए कि आपकी पूरी पोस्ट पढ़ कर मन शांत और प्रसन्न हो गया .

    ReplyDelete
  21. आपका बहु आयामी व्यक्तित्व और आपके सृजन के विभिन्न रंग...

    दिल और दिमाग का सम्तुलित समन्वय...

    दिल से संवेदनशील भीगे भीगे शब्दों को पद्य में पिरोना, और साथ ही भावनाओं का उद्रेक आपके गाये हुए गीतों में आपके स्वरों के माध्यम से..

    और बुद्धि और रचनात्मकता का संगम साईंस और टूरिझ्म के लेखों में.

    यूंहि लिखते रहें ...

    दोनों गीत बढिया , स्निग्धता लिये हुए.
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    ReplyDelete
  22. जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    इन दो पंक्तियों में कितनी गहरी बात कह दी अल्पना जी .....बहुत खूब.....!!

    दोनों गीत सुने ...कमाल का गातीं हैं आप ....न जाने कितनी खूबियाँ समेटे हुए आप ब्लॉग जगत की शान हैं आप .....बधाई ...!!

    ReplyDelete
  23. जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    --बिल्कुल सही...एक उम्दा रचना.

    अब सुनेंगे. आज समय बहुत देर से मिल पाया.

    ReplyDelete
  24. सुन्दर गीत! दोनों गाने सुने। बहुत अच्छे लगे। बड़ी खूबसूरत आवाज है आपकी। खूब सारे गाने गाकर पोस्ट करिये। बहुत अच्छा लगा इनको सुनकर!

    ReplyDelete
  25. आपका ब्लॉग और आपकी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं दीदी.

    ReplyDelete
  26. ये गाना मुझे बहुत पसंद है...

    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    और ये तो कमाल लिखा है आपने..वाकई

    ReplyDelete
  27. वाकई सुन्दर गीत हैं

    ReplyDelete
  28. गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?
    बहुत सुंदर भावः हैं इस कविता में....
    बहुत अच्छी लगी...
    सच में ऐसा ही तो होता है....
    मीत

    ReplyDelete
  29. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  30. वाह......वाह......वाह......

    ReplyDelete
  31. रजनीगंधा.. मेरा सबसे पसंदीदा गाना.. हजारों बार सुना है.. आज फिर से मौका मिला आपकी आवाज में सुनने का.. बहुत अच्छा गाया आपने.. बिल्कुल original जैसा.. बहुत सुन्दर.. अच्छा लगा..

    ReplyDelete
  32. "मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?

    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?"
    ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगी....
    इस सुन्दर रचना और गीत के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...

    ReplyDelete
  33. बहुत सुंदर रचना !!

    ReplyDelete
  34. मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?
    saval aour fir usaka uttar/
    mujhe jeevan bhi kuchh isi tarah ka lagta he// pahle savaal khade hote he fir uttar ki talaash, aour jab uttar milate he to fir ek nai abhilasha.....///
    kher.., bahut achhi lagi aapki rachna..darshan ki baat hoti he to kisi bhi rachna me jaan aa jaati he/
    gaane to ghar pahuch kar hi sun paunga.../

    ReplyDelete
  35. Anonymous7/21/2009

    गुज़रे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    ********************
    खोज रहे हैं रस्ते सारे,
    सच मिल जाए आशा क्या है?

    ********************
    मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?

    ********************
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?


    वाह ... वाह.
    रचना में में समग्र जीवन का सत्य दिखाई पडता है।
    बेहद खूबसूरत शब्द-संयोजन !
    अनुभूति के स्तर पर कई पंक्तियाँ अत्यधिक ह्रदयस्पर्शी हैं !

    रुदाली का गीत :

    गीतकार, संगीतकार, साहित्यकार, पत्रकार, फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, चित्रकार, गायक श्री भूपेन हजारिका जी के जादू से तो खैर कोई अछूता रह ही नहीं सकता ! लाखों लोगों के दिल में भूपेनदा का गीत ‘‘दिल हुम हुम करे'' बहुत गहराई से बसा हुआ है ! इस गीत को गाने के बाद उन्होंने कहा था - अगर एब्सट्रेक्ट पेंटिंग्स हो सकती है, एब्सट्रेक्ट फिल्म हो सकती है
    तो एब्सट्रेक्ट गीत क्यों नहीं हो सकता ?'


    कभी-कभी कुछ गीत हमारे अंतर्मन को इस कदर स्पर्श कर जाते हैं कि उन्हें सुनते ही मन करता है कि बस समय रुक जाए जितनी बार सुनते हैं उतनी बार अनेक यादों में खो जाते है !

    फ़िल्म-'रुदाली' के 'दिल हूम हूम करे घबराए ..' को याद कीजिये..नायिका के चेहरे और भाव के साथ जैसे ही लताजी की आवाज़ थोडी ऊँची पिच पर आकर "तेरी ऊँची अटारी ई ई ई ...मैंने पंख लिए कटवाए " सुनते ही दिल बरबस ही भर आता है ... बस मन करता है जी भर के रोये ..... और रोते ही रहे ! कोई इतना बढ़िया कैसे लिख सकता है ... कोई कैसे इतना डूबकर गा सकता है ?

    आपने इस गाने को को काफी खूबसूरती से निभाया है ! बड़े-बड़े गायक और गायिकाएं भी इसको गाने से कतराते हैं ...... आप वाकई में तालियों और भरपूर सराहना की हकदार हैं !

    रजनीगंधा का गाना अभी सुना नहीं ... इसलिए उसपर प्रतिक्रिया नहीं दे सकता !

    ReplyDelete
  36. गुज़रे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?
    तौलते रहते खुशियाँ अपनी,
    लगता एक तमाशा सा है
    अल्पना जी ,
    जीवन को बहुत बारीकी से देखने की कोशिश की है अपने इस रचना में
    पूनम

    ReplyDelete
  37. प्रिय अनामी जी ,
    आप ने इतनी अच्छी टिप्पणी दी है की मैं आप को कहना धन्यवाद दूँ,समझ नहीं आ रहा...इस लिए यहीं आप का आभार प्रकट करती हूँ.आप ने मेरे लिखी रचना और गाये गीत को सुना और सराहा ..बहुत बड़ी बात है.'रुदाली 'के इस गीत को गाने का साहस प्रकाश गोविन्द जी के सुझाने पर ही कर पाई अन्यथा इतनी variation वाले गीत को शायद में गाने का प्रयास नहीं कर पाती.
    आप ने अनाम रख कर इतनी हौसला हफ्जाई की है.
    आप दोबारा यहाँ आये तो इस शुक्रिया को ज़रूर कबूलें.
    और आईंदा भी अपने विचार बताते रहें ,आप की आलोचनाओं का भी स्वागत है.
    आभार,अल्पना

    ReplyDelete
  38. Anonymous7/21/2009

    अल्पना दी, बेहद उम्दा रचना पढने को मिली आज.

    .... दिल हुम हुम करे..... मेरी फेवरिट गीतों में से एक है, पर इस वक़्त लवी सो रही है और मैं स्पीकर ऑन करने का साहस नहीं कर सकता... सुबह सबसे पहला काम यही करूँगा...

    एक उम्दा रचना के लिए शुक्रिया.

    ReplyDelete
  39. एक अच्छे गीत के लिये बेहद उम्दा टिप्पणी!!

    इस बेनाम साथी को शुभकामनायें...

    ReplyDelete
  40. सौदागर सी बातें करते,
    जान न पाए माशा क्या है!
    चलता जाए जीवन यूँ ही ,
    रुकने की यह भाषा क्या है?
    जीवन के लिए एक अच्छा सन्देश देती पंक्तियाँ .
    हेमंत कुमार

    ReplyDelete
  41. waah aap kaa rajni gandhaa track sunaa achha ga leti hain !! rachanaa bhi laajwaab hai |

    ReplyDelete
  42. किसी भी गायक/गायिका के लिये रूदाली का ये गीत एक चैलेंज की तरह है...और आपने खूब निभाया है इस चैलेंज को मैम....वाह!

    और "अभिलाषा"...एक अनूठी रचना। कुछ गज़ब के काफ़ियों के सामंजस्य में बहुत अच्छी बनी है। बधाई कबूल करें।

    ReplyDelete
  43. Log kisi ek vidha par maharat haasil karne ko sangharsh karte hain par aap to bahumukhi pratibha ki dhani hain.Shubhkamnayen.

    ReplyDelete
  44. जीना सिखाती पोस्ट और सुन्दर गायन!

    ReplyDelete
  45. alpnaji
    bhut sshkt kvita .
    aur geet bhi bhut achhe lge .
    agr aap film parkh ka geet oo sjna barkha bhar aai ,ankhiyo me pyar lai .gaye to aapki aavaj me achha lgega aur hme bhut khushi hogi .kyoki aapki pasnd ko dekhte huye mai frkaish ka sahs kar rhi hoo .kkrpya anytha n le .
    dhnywad.
    shubhkamnaye

    ReplyDelete
  46. yah post nayi raah dikhati ha... lambe samay se aapke blog par najar nahi phair paa raha tha.. ab samaay mila to yah padkar achacha lagaa....

    ReplyDelete
  47. चलता जाए जीवन यूँ ही ,
    रुकने की यह भाषा क्या है?

    खोज रहे हैं रस्ते सारे,
    सच मिल जाए आशा क्या है?

    वाह्! जीवन संदेश देती एक बेहतरीन रचना। बहुत ही बढिया।
    किन्तु पता नहीं हमारे पास ये आडियो, वीडियो क्य़ूँ नहीं काम कर रहा। जब भी चलाने की कौशिश की तो एरर आने लगता है।

    ReplyDelete
  48. मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?

    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    जिंदगी शायद नफे नुकसान की गणना में ही फँस कर रह जाती है, और शायद वह जान बूझ कर जीने की अभिलाषा के सच को स्वीकार नहीं करना चाहती.

    आपके सारे प्रश्न जायज हैं, पर स्वार्थी मानव नाजायज़ उत्तर ही प्रायः देते आयें हैं, शायद जो थोड़े- बहुत जायज़ उत्तर मिले भी तो आदमी समझ- समझ कर भी उसे समझना/ स्वीकारना जो नहीं चाहता....

    पोस्ट बेहद प्रभावी रही और मशहूर गीतों को आपके आवाज में सुनना और भी अच्छा लगा.
    काला टीका ज़रूर लगवा लीजियेगा, कहीं नज़र न लग जाये

    एक बार पुनः हार्दिक बधाई.

    ReplyDelete
  49. alpnaji
    dhnywad aapne jo sujhav diya hai mai koshish krugi uspar lod krne ke liye .asl me ye sab meri bahu neha karti hai .
    aapne mere sujhav par socha dhnywad

    ReplyDelete
  50. गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    बहुत सुन्दर लिखी है आपने यह रचना अल्पना ..ज़िन्दगी का सार है यही ..फिर भी हर पल यही सवाल है ..गीत बहुत सुन्दर गाये हैं आपने ...दोनों पसंद आये बहुत ..

    ReplyDelete
  51. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  52. गुज़रे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?
    ********************
    खोज रहे हैं रस्ते सारे,
    सच मिल जाए आशा क्या है?
    ********************
    मर मर के यूँ रोज़ का जीना ,
    जीने की अभिलाषा क्या है?
    ********************
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?
    ab ham kahen bhi to kya kahen...aur kahane ko kyaa rah gayaa...!!

    ReplyDelete
  53. alpna ji alpna behad sundar hai, abu dhabi me mere ek mitra hain,bahut bade lekhak hain.....,aap wahan kya kar rahi hain ?

    ReplyDelete
  54. सौदागर सी बातें करते,
    जान न पाए माशा क्या है!

    waah !!
    ek arse ke baad aisa anootha aur sachcha sher padhne/sun`ne ko mila hai....waah !!!
    poori rachna prabhaavshaali hai.
    abhivaadan svikaareiN.
    ---MUFLIS---

    ReplyDelete
  55. गुज़रे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?




    waaqai mein guzre pal yahikahte hain....ki jeevan kya hai?


    bahut hi oomda kruti.............

    ReplyDelete
  56. सुंदर रचना!और रुदाली का ये खूबसूरत गाना आपकी आवाज में सुनकर बहुत अच्छा लगा!

    ReplyDelete
  57. गीत नहीं सुन सका |कविता ही पढी |गुजरे वक्त से जीवन की परिभाषा पूछना ,अपनी खुशियाँ ही क्या दुःख भी तौलना एक तमाशा ही है ,बिच्छू का मन्त्र याद नहीं और सांप के बिल में हाथ डालते हैं ,जीवन चलता ही रहना चाहिए "जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नजर है ,आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा ""सच मिलने की आशा क्या है ? न के बराबर |मर मर के जीना क्या मतलब ऐसे जीने का |जीना जिसको वास्तव में आगया उसे तो आशा निराशा से क्या मतलब -गीता भी तो यही कहती है सुख दुःख हानि लाभ शीत उष्ण |आशा और निराशा से कौन बचा है ?केवल मृत व्यक्ति

    ReplyDelete
  58. kavita7/26/2009

    अल्पना जी ,आप की यह रचना बहुत ही अच्छी लगी.जीवन की सच्चाई कहते हुई अद्भुत रचना.
    दोनों गीत भी बहुत ही सुन्दर गाये हैं.
    ऐसे ही लिखती रहीये.

    ReplyDelete
  59. Anonymous7/27/2009

    YEH MERA PASANDIDA GAANAA HAI, THODAA SAA MUSHKIL GAANAA HAI, SUNKEY BAHUT "ANAND" AAYAA - AISEY HI GAATI RAHO, LOGO KE DIL KO KHUSH KAR DO, MERI SHUBH KAAMNAAYE TUMHAAREY SAATH HAI
    YOUR SINGING IS GREAT

    -RAJ K.

    ReplyDelete
  60. Anonymous7/27/2009

    Dear Alpana Ji

    Dil hoom hoom kare......

    By listening to this song it does not appear at all that you had been off this work for so long...it has a maturity, feel, touch and originality which is typical of a singer who is continuously in business for long...very nicely sung....you have this extraordinary taste of good songs and your choices are by chance always my favourites....congratulations...my only GUZAARISH is that kindly do sing more frequently...
    and yes.....I am waiting for 'Mera sunder sapna beet gaya....'

    Thanx for sharing...best regards

    Dr Sridhar Saxena

    ReplyDelete
  61. खोज रहे हैं रस्ते सारे,
    सच मिल जाए आशा क्या है?


    Bahut khub

    ReplyDelete
  62. अभिलाषा बेहद सुन्दर है

    गीत मस्त लगे कभी मूड हो तो समय ओ धीरे चलो भी पहुंचा दीजिये आपकी आवाज़ में.

    ReplyDelete
  63. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  64. Anonymous7/28/2009

    kavita bahut achhi lagi
    kavita ke bhaavon ne bahut prabhaavit kiya....
    humko bhi milagi manjil
    humari bhi puri hogi abhilasha..
    ye hi hai dua humari...

    ReplyDelete
  65. बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आभार-साधुवाद

    ReplyDelete
  66. @ OKay Alka ...main ne aap ki baat maan li...ab theek hai.??

    aap nakali nahin hain..main maan gayee.
    aap jawab dekhne yahin aaogi ,mujhe maluum hai.is liye yahin jawab de rahi hun.
    pahle bhi ek sawaal aap ne poochha tha..main uska kahaan jawab deti?na aap ka blog hai..na email..us ka jawab nahin diya to aap ne mujhe proudy kahlawa diya..koi bat nahin..
    yahan bahut se bachchon ne blog khole hue hain ..aap bhi ek blog khol lijeeye ya apna common sa email address banalijeeye.
    jis se aap se communication me suvidha hogi.

    aap ke school kaise chal rahe hain?
    aur haan--main online sirf jewel khelti hun..wh solo hota hai.
    thnx for invitation.take care.

    ReplyDelete
  67. Bahut khubsurat hai "Abhilasha"
    or aapki aawaz bhi ..bahut achcha laga aapke blog par aakar.

    ReplyDelete
  68. VANDANA JI BAHUT HI PYARI, KHOOBSURAT RACHNA, EK EK SHABD SALEEKE SE GUNTHA HUA.
    जिस पल जीना सीख गए फिर,
    आशा और निराशा क्या है?

    गुजरे पल से पूछते रहते
    जीवन की परिभाषा क्या है?

    BAHUT KHOOB , BADHAI SWEEKAREN. GEET SUNTA HUN.

    ReplyDelete
  69. ... khoobasoorat rachanaa, behatreen abhivyakti !!!

    ReplyDelete
  70. Pak Karamu reading your blog

    ReplyDelete
  71. वाह वाह वाह !!!!! क्या बात कही.......

    कितनी सुन्दर बात कही आपने अपनी इस कविता के माध्यम से......यदि जीवन जीने की वास्तविक कला का पता लग जाय तो फिर आशा और निराशा महत्वहीन हो जायेगी...

    माता ने आपको कितना सुन्दर स्वर दिया है,उन्हें नमन...

    ReplyDelete
  72. Jiwan ke sach ko sarthak shabdon men bandhti adbhut bhavon se bhari khubsurat kavita..badhai.

    फ्रेण्डशिप-डे की शुभकामनायें. "शब्द-शिखर" पर देखें- ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे !!

    ReplyDelete
  73. जिए जा रहे जिन्दगी को गमे-अहसास से दूर,
    पूछते भी हैं खुदी से, बता इसकी दवा क्या है???

    अबू धाबी में रहकर भी लिखती अच्छा हैं.

    ReplyDelete
  74. alpana ji , kavita ki tareef karun ya aapki aawaz ki , samajh nahi aa raha hai , aapne mera priy geet , rajni gandha phool tumhare jo ga diya ..

    kavita bahut sundar ban padhi hai .. shabd ji uhte hai ..


    regards

    vijay
    please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com

    ReplyDelete
  75. वाह बहुत ही सुन्दर रचना निकली है आपकी कलम से.........

    ReplyDelete
  76. Adbhut...lajwab prastuti.

    स्‍वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

    स्वतंत्रता रूपी हमारी क्रान्ति करवटें लेती हुयी लोकचेतना की उत्ताल तरंगों से आप्लावित है।....देखें "शब्द-शिखर" पर !!

    ReplyDelete
  77. कृपया इस कारवां को आगे बढाएं।
    ( Treasurer-S. T. )

    ReplyDelete
  78. मैम, बहुत दिन हो गये...नयी पोस्ट कोई?

    ReplyDelete

आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना