मदन मोहन जी एक महान संगीतकार थे.उनके संगीतबद्ध गीत मुझे बहुत अच्छे लगते हैं.आज उन्हीं का एक गीत ले कर आई हूँ.लेकिन उस से पहले प्रस्तुत है यह कविता..जिस में है कुछ विवशता,कुछ बेचैनी -यह कविता आहत मन की वेदना को व्यक्त करते हुए है..-
'आत्मदाह'
--------------
वक़्त की एक चाल और - बंध गया , हाथों की उन लकीरों में , जिन से कभी खेलता था 'वो' ! अधरों पर -
संबोधनहीन संवाद
और - संज्ञा रहित पहचान लिए- मृत कल्पना की सूचना से
'आहत '-
सूखे पत्ते सा, शाख से टूट जब गिरता है तब - चला आता है, देह की अटारी पर , 'मन' आत्मदाह के लिए!
----अल्पना वर्मा -----
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'सुनिए फिल्म-'वो कौन थी' का यह गीत.[Cover version by Alpana]
विवशता और बेचैनी को आपने सुखे पत्तों सदृष्य शब्द संयोजन से मार्मिक अभिव्य्क्ति दी है. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteगीत बहुत ही सुंदर है. सर्वकालिक पसंद है. सुनने का मौका शाम को घर पर मिलेगा. तब तक हम भी गुनगुना लेते हैं.
रामराम.
अल्पना जी आपके शब्दों की तारीफ भी मैं कैसे करूं मुझे ये भी समझ नहीं लग रहा कि आपके लिखे की पहले तारीफ करूं या फिर शब्दों की सच में बहुत ही कहर लिखा है आपने दर्द झलकरहा है आपकी इस रचना में
ReplyDeleteसूखे पत्ते सा,
शाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
ये लाईनें तो कम्माल की हैं
ये गीत
'लग जा गले से फिर ये हसीं रात हो न हो..
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो'
बहुत ही प्यारा है मैं अक्सर इसे सुनता हूं लेकिन जो आपकी आवाज में है क्या ये अभी इसे सुन नहीं पाया हूं क्योंकि मेरे नेट में थोडी प्राब्लम है इस करके इसे डाउनलोड करके मोबाइल से सुनुंगा
बहुत बेहतरीन रचना एक एक शब्द और गीत तो बेहतरीन होगा ही
धन्यवाद
संबोधनहीन संवाद
ReplyDeleteऔर -
संज्ञा रहित पहचान लिए-
मृत कल्पना की सूचना से
'आहत '-
सूखे पत्ते सा,
शाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
बहुत सुंदर कविता और खूबसूरत गीत की डबलडोज के लिए शुक्रिया..
"Deh kee ataaree", itnaahee kaafee hai aapki srujansheelta ko prakashmaan karneke liye...mai behad adna-si wyakti hun...aur zyada kuchh nahi keh sakti..
ReplyDeleteKuchh hacking tatha galatfehimiyon ke karan, kuchh bloggers, khaskar mahilayen, merese kaafee aahat huee..mai tahe dilse maafee chahtee hun...aap sabhiki...phirse aaplogon se wahee maargdarshan aur pyarki tamanna hai...
bahut khoob alpna ji "wo" "ahat" "man", bahut sunder abhivyakti , geet maine pichhli post men bhi suna tha bahut bhaya, ye bh sunta hun pahle tippni. sunder rachna ke liye badhai.
ReplyDeleteगहरे भव है आपकी कविता में.....
ReplyDelete२-३ बार पढ़ी और फिर समझ आया तो कई बार पढ़ी.......हाताश मन की मनोदशा को खूब मासूमी से उतारा है अपने अपनी रचना में.
शाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
मदन मोहन जी का ये गीत.............बहूत ही मीठा, दिल को बहा ले जाता है अपने साथ. शुक्रिया इतने सुन्दर गीत के लिए
अल्पना जी बहुत सुन्दर गीत ।
ReplyDeleteCHUKI ABHI TAK OFFICE ME HUN TO YE SONG SUN NAI PAAYA HUN....MAGAR AAPNE JO YE LIKHAA HAI KAMAAL KI BAAT HAI ISME...SHABDBODH AUR SANYOJANATA DONO HI KAMAAL KE HAI... DHERO BADHAAEE ALPANA JI...
ReplyDeleteARSH
अल्पना जी आपके जालघर की सजावट रँग और पन्ना बहुत मनभावन लगा और आत्मदाह भी सार्थक लगी ०उउपर से लग जा गले से यादगार गीत भी सुनवाया -
ReplyDeleteक्या कहेँ ?
यही कि बहुत अच्छा अनुभव रहा :)
-लावण्या
वक़्त की एक चाल
ReplyDeleteऔर -
बंध गया ,
हाथों की उन लकीरों में ,
जिन से कभी खेलता था
'वो' !
जिंदगी की नियति...या यूँ कहे मुक्कदर ?
अधरों पर -
संबोधनहीन संवाद
और -
संज्ञा रहित पहचान लिए-
मृत कल्पना की सूचना से
'आहत '-
जिजीविषा ख़त्म,हालात के आगे समर्पण .परिस्थितियों से हारा हुआ इंसान
सूखे पत्ते सा,
शाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
अजीब बात है की मैं पिछले दो दिनों से पेशे की वजह से कुछ अनुभव से गुजरा हूँ ओर शायद एक विषय पर पोस्ट लिखना चाह रहा था .लगा जैसे आपने उसे महज़ चंद शब्दों में कह दिया....पर इन शब्दों को समझना .पकड़ना ....
गीत और नज़्म...दोनों लाजवाब
ReplyDeleteनीरज
तब -
ReplyDeleteचला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
kuch aisa hi man mehsus kar raha tha shayad aur aapki kalamse nikal gaya,sach bahut gehre bhav liye sunder rachana,aur geet to ek lay mein mann mein sama gaya,ye kashish tere aawaz ki,kho gaye hum yahan.
'लग जा गले से फिर ये हसीं रात हो न हो ..अभी लेपटोप दिमाग दुरुस्त करवा कर लौटा और पहला ही गीत सुना.
ReplyDeleteहमेशा की तरह शानदार और सुमुधर आवाज. बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं.
रामराम.
मन'आत्मदाह के लिए!
ReplyDeleteऔर
गीत
लग जा गले से फिर ये हसीं रात हो न हो..
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो'.. ...
दोनों के दोनों अतीव सुंदर .आपकी सृजन और पसंद दा जबाब नहीं .
नारी की मूक वेदना को गहरे भावों से संवारा है.....
ReplyDeleteऔर गीत,मधुर.......
सुन्दर और सुमधुर!
ReplyDeleteअल्पना जी!
ReplyDeleteआपके पास सुर भी हैं और सम्वेदना भी।
यदि आपकी तुलना सुरैया से करूँ तो कोई अतिशयोक्ति न होगी।
वह भी अपने समय की गुलूकारा,
अदाकारा और कवियित्री रही हैं।
आप स्वर तथा शब्दों को अपना
शौक नही बल्कि जुनून समझें
तो हितकर होगा।
शुभकामनाओं के साथ।
यह संबोधन हीन संवाद
ReplyDeleteबहुत गहराई में संबोधित की
तलाश में दिख रहा है मुझे.
ऐसी बेकली किस्मत वालों
के हिस्से आती है....और उसे
पहचाने की नज़र भी मामूली
बात नहीं....आपने वही कर दिखाया.
==========================
श्रेष्ठ प्रस्तुति.....बधाई.
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
हमें तो बड़ी कसमसाहट हुई आपकी कविता को पढ़ कर. इसे कोम्प्लिमेंट्स ही समझा जावे. गीत तो प्यारी थी ही
ReplyDelete"वक़्त की एक चाल
ReplyDeleteऔर -
बंध गया ,
हाथों की उन लकीरों में ,
जिन से कभी खेलता था
'वो' !"
वाह वाह कर उठा मन.. इतनी सुन्दर रचना देख के..
अति सुन्दर.
~जयंत
"संज्ञा रहित पहचान लिए-/मृत कल्पना की सूचना से / 'आहत ' " और फिर "सूखे पत्ते सा,
ReplyDeleteशाख से टूट जब गिरता है तब - चला आता है,
देह की अटारी पर ,'मन' आत्मदाह के लिए"
लगा कुछ कहीं अपने मन की बात आपके शब्दों से ढ़ल निकली हो.....
सुंदर कविता..
BEAUTIFUL EXPRESSIONS. !
ReplyDeleteKEEP IT UP .
KEEP YOUR CONTRY IN YOUR HEART.
WITH MY BEST WISHES
...AJIT PAL SINGH DAIA
सूखे पत्ते सा,
ReplyDeleteशाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
अल्पना जी बहुत ही भाव भरी आप की यह कविता. ओर बहुत ही सुंदर आवाज के संग सुंदर सा गीत, हमारी बीबी को आप की आवाज बहुत पसंद आई, उन का कहना है कि आप थोडा ओर अभ्यास कर लो तो पहचान पाना मुश्किल होगा कि यह गीत किसी ओर ने गाया है, यानि बहुत मीठी आवाज की मालिक है आप.
हम दोनो की तरफ़ से आप का धन्यवाद
हृदय स्पर्शी!
ReplyDeleteकविता भी और गीत भी दोनों ही बढ़िया हैं....
ReplyDeletebahut sundar.
ReplyDeletemain ab kya to kahun.....??main to aksar avaak ho jata hun....lazawaab hokar....sach....!!
ReplyDeleteकविता तो बहुत ही सूक्ष्म और मार्मिक अभिवयक्ति दे रही है -वाह भी और आह भी !
ReplyDeleteअल्पना जी,
ReplyDeleteकविता बहुत अच्छी लगी और आपकी आवाज़ में गीत सुनना तो हमेशा ही सुखद अनुभूति होती है। आज काफी दिनों बाद आपकी आवाज़ सुनी। सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई।
बहुत सुंदर कविता। आभार।
ReplyDeleteतब -
ReplyDeleteचला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
इस पंक्तियों ने दिल को छू लिया .बहुत ही पसंद आई आपकी यह रचना अल्पना ..आवाज़ तो वैसे ही मुझे आपकी बहुत पसंद है .इस गाने को बखूबी निभाया आपने ..
bahut badhiya, maarmik chitran
ReplyDeleteसूखे पत्ते सा,
ReplyDeleteशाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
अल्पना जी, मन की पीडा को शब्दों के माध्यम से कितनी गहन वं मार्मिक अभिव्यक्ति प्रदान की है आपने....
dard ko pranaam. aapki jai ho.
ReplyDeletekshama prarthi hoon.
ReplyDeletechunaavon ko lekar vyast hoon.
jald shikayat door karane ka pryaas kroongaa.
khali panne
सुन्दर शब्द भी, स्वर भी।
ReplyDeleteparat-dar-parat amurtata. itna durav-chhipav kyon. saf kahen, sukhi rahen,alpanaji!
ReplyDeleteसुमधुर आवाज़ में एक सुन्दर गीत सुनाने के लिए साधुवाद.
ReplyDeleteशाख से टूट जब गिरता है
ReplyDeleteतब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए......
अल्पना जी ,
कम शब्दों में गहरी अभिव्यक्ति.
पूनम
Your rendering of emotive words in your poem is as good as your expressive surmayee singing.
ReplyDeleteFeelings from the depth of heart, and selfrealisationn can only produce such BHAAV in KAVITA. More commendable, if expressed in so many less words as done here.
Great Job indeed!!
sukhe patte sa shakh se girta hai......boht sunder....
ReplyDeleteसबसे पहले देरी के लिए माफी जी। जिदंगी के झमेले....। खैर आज तो बहुत गहरी गहरी बातें लिख दी। और जो बात गहरी कही गई होती वहाँ मेरी जुबान चुप सी हो जाती है। बस बार बार पढने का मन करता है। जिदंगी के हालत,बेबसी और दर्द को बेहतरीन शब्द से लिख डाला।
ReplyDeleteऔर गीत के मामले में तो आपकी पसंद गजब की है। जिन गानों को कभी सुना करते थे पर अब नही सुन नही पाते पर यहाँ आकर सुनने को मिल जाते है।
Dear Alpana Ji
ReplyDeleteAapki marmasparshi kavita "Aaatmadaah" padh kar bahut prabhaavit hua hoon..is tarah ka chitrikaran aapke bas ki hi baat hai....aap ne is vidha mein apni ek pehchaan bana li hai jo ki bahut saare comments se pradarshit hota hai..bahut bahut badhayye
Aapka geet bhi suna " Lag ja gale....." kya baat hai ..
aap to jis cheez ko haath laga dein sona ho jaati hai....bahut achha gaya hai...maza aa gaya...mera bahut purana fav geet hai...phir se badhayee...
Aap meri request "Mera sunder sapna beet gaya.(Geeta Dutt ji)." ke baare mein bhi vichaar kariyega..aapki awaaz mein bahut achha lagega...
phir se dhanyavaad
best regards
Dr Sridhar Saxena
सूखे पत्ते सा,
ReplyDeleteशाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है
देह की अटारी पर ,
'मन'
अत्मदाह के लिए!
" कितनी बार पढा अभी इन पंक्तियों को ....मन आहत .....जब जब हुआ होगा तब तब ये ख्याल आया ही होगा....कितनी विवशता लिए ......मगर कितनी सहजता से इन भावो को शब्द दे दिए आपने .......पढ़ कर सच मे मन जैसे शून्य हो गया .......कितना कठिन है आत्मदाह की कल्पना करना ......मगर बेबस मन जब तब आहात होकर इस छोर तक आने को लालियत हो जाता है...."
और गीत " लग जा गले .." मेरा मनपसंद गीत अभी डाउनलोड कर सुनूंगी.....
Regards
hi, warm greeting!
ReplyDeleteGEET ARTH HEEN GO GAYE
ReplyDeleteJAB SE TUM ZAHEEN HO GAYE
SHABD JAAL FAILTA GAYA
HAASHIYE MAHEEN HO GAYE
MAIN PADI RAHI JAWAAB SI
TUM SAWAAL HI BANE RAHE
DAUD DAUD MAIN NADI BANI
TUM PAHAAD HI BANE RAHE
SWAPNJAAL MAINE THAY BUNEY
ANT MEIN VILEEN HO GAYE
शाख से टूट जब गिरता है
ReplyDeleteतब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
कितनी सहजता से इन भावो को शब्द दे दिए आपने
आत्मदाह जैसे विषय पर इतनी सार्थक कविता लिखी जा सकती है, यह देखकर आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई।
ReplyDelete----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
Dear Alpana ji
ReplyDeleteKavita "Geet arth heen ho gaye..." maine hi post ki thi...kripaya "Go gaye" ki jagah "Ho gaye" padhein.....Mujhe prasannata hai ki main post karne mein safal hua..aap ne jo bataya tha kaam aa gaya...best wishes and best regards...
Dr Sridhar Saxena
शाख से टूट जब गिरता है
ReplyDeleteतब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
बार बार पढने का मन करता है,बहुत सुंदर कविता,सुमधुर आवाज़.
sunder kavitaa kahi hai alpnaa ji,
ReplyDeletegahre ahsaaas ,,,,,
bhaawon ka khoobsoorti se prayog kiya hai aapne,,,
saaath hi madhur geet bhi,,,,,
majaa aa gayaa,,,,
alpana ji bhaav bade ghahare hai yah post achchi lagi aapko shukria
ReplyDeleteबेहद नपे तुले शब्द गहरे भावः बहुत सुन्दर धन्यबाद
ReplyDeleteविगत एक माह से ब्लॉग जगत से अपनी अनुपस्तिथि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ
क्या कहूँ........निशब्द कर दिया आपने.......कोई शब्द नहीं मिल रहा....केवल वाह वाह और वाह!!!!!!
ReplyDeleteबहुत ख़ूब अल्पना जी । सच में रूह तक पहुंची आपकी रचना।
ReplyDeleteतब -
ReplyDeleteचला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
अल्पना जी , कविता में भाव अभिव्यक्ति बहुत ही सुन्दर ढंग से की गयी है.
इतने कम शब्दोंमें मन की मूक संवेदना को व्यक्त कर पाना इस कविता की बड़ी सफलता है.
आप का गाया गीत भी पसंद आया.
bahut hi khubsurat rachana
ReplyDeleteAlpana ji,
ReplyDeleteAap ki kavita such me dil me utar jati hai, seema ji sahi kaha hai ki esako bar bar padhane ka man karta hai...aur geet "lag ja gale " mera pasndeda deet hai...
Regards
*VYOM KE PAAR BHI KUCHH TO HOGA
ReplyDelete*BAHUT SOCHTA HOON
*KALPANAON MEIN CHITRIT KARTA HOON
*PAKEIN MOOND KAR SRIJIT KARTA HOON
*LEKIN ISAY MOORTIROOP DENE MEIN
ASAFAL REHTA HOON
*MAANSIK ATIREK BHARI PAD JATA HAI
*VAASTAVIKTA SE PUNAH DO CHAAR HOTA
HOON
*SWEEKAAR KARNA PADTA HAI KI VYOM KE PAAR ALPANA JI JAISON KI HI BISAAT HAI....
DR SRIDHAR SAXENA
Tum bahut gahra aur antarman ki vyatha ko bahut vyathit kar dene wala likhti ho..
ReplyDeleteऔर -
ReplyDeleteसंज्ञा रहित पहचान लिए-
मृत कल्पना की सूचना से
'आहत '-
सूखे पत्ते सा,
शाख से टूट जब गिरता है
तब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
वाह....वाह.....!! कितनी खूबसूरती से आपने शब्दों को देह की अटारी पर परोसा है ...देखियेगा कोई चोर यहाँ न आ जाये......!!
शुक्र है की कोई आवाज़ नहीं चुरा सकता....ये गीत....लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो.......मुझे भी बहुत पसंद है ...सुनकर मज़ा आ गया.....!!
ji bahut hi sundar rachna
ReplyDeleteसुंदर कविता के लिए बधाई...
ReplyDeleteमीत
ab taareef kese karoo..
ReplyDeleteitani achchi rachna ko bas padhte rahna hi chahiye tarreef kar padhna samaapt nahi karna chahta..
dhnyavaad
शाख से टूट जब गिरता है
ReplyDeleteतब -
चला आता है,
देह की अटारी पर ,
'मन'
आत्मदाह के लिए!
अल्पना जी ,
बहुत ही गहन और भावपूर्ण शब्दों में लिखी गयी कविता ...
शब्द कम हैं लेकिन भावः बहुत गहरे ..
हेमंत कुमार
bahut hii acha likha hai .....
ReplyDeleteअधरों पर -
ReplyDeleteसंबोधनहीन संवाद
और -
संज्ञा रहित पहचान लिए-
jeevan-darshan ke adhyaay ko
sampoorantaa se darshaati hui
shaandaar kriti....
badhaaee .
---MUFLIS---
कितनी सहजता से आपने ये बात कही हैं । शायद कोई आम आदमी क्या सोचता है आत्मदाह के पहले ये कोई नही जनता । आपने इन कम शब्दों की कविता में सब कुछ कह दिया है । आप की कविता के लिए आप को बधाई । कितनी सहजता से आपने ये बात कही हैं । शायद कोई आम आदमी क्या सोचता है आत्मदाह के पहले ये कोई नही जनता । आपने इन कम शब्दों की कविता में सब कुछ कह दिया है । आप की कविता के लिए आप को बधाई ।
ReplyDeletesundar likha hai aapne alpanajee
ReplyDeleteThanks 4 visiting my blog & sorry i cudnt mek up 2 ur blog 4 a long time now as sme prof work kept me occupied.....hope to catch ur beautiful compo soon
regards
ALPANA JEE ,
ReplyDeleteDEH KEE ATAREE PAR MAN ........AATM DAH KE LIYE , GAJAB KEE KALPANASHEELTA LIYE HUYE ABHIVYANJANA HAI .JAHIR HAI KI SABHEE NE TAREEF KEE.
PAHLE BHEE LIKH CHUKA HOON .....KAVYA AUR GEET SANGEET DONO KI VIVIDHTA KA ANOOTHA BLOG HAI AAPKA .
JIN GEETON ME PEEDA JHALAKTEE HAI VAHAN AAPKA SWAR, SUR KO BADEE HEE GAHRAYEE AUR SANJEEDGEE SE CHOOTA HAI AUR AAROH AVROH ME BHAVON KEE MAJBOOTEE NIKHAR KE AATEE HAI .GO KI KARAOKE ME SIMIT AAYAM HOTA HAI FIR BHEE.
EK DARKHWAST ; AGAR 'YE SHAM KEE TANHAYIYAN ...........' KO GAYEN TO AAPKEE RANGE MUKAMMAL UNCHAYEE PAYEGEE, AISA MERA KHAYAL HAI.
MAIN KOYEE HASTEE TO NAHEEN PAR SANGEET ME KUCH VINAMRA PRAYAS KAR RAHA HOON .GEET LEKHAN AUR SANGEET SANYOJAN MERA BHEE ABHISHTHA HAI.
MAIN HINDI-ENGLISH ME EK FILM NIRMAN ME VYAST HOON .KATHA PATKATHA SANVAD GEET AUR SANGEET MERE HEE HAIN. NIRMITI AUR DIKDARSHAN BHEE . PANCH GEET RECORD KAR CHUKA HOON AUR OCTOBER SE LOCATION SHOOT HOGA .
. FILM HAI 'KALAM KA SALAM' JO AAJ KEE BHARTIYA RAJNITI AUR SAMAJ PAR EK GAMBHEER SATAIRE AUR HHASY VYANG KEE VIDHA ME DR. APJ ABDUL KALAM KEE 'INDIA-VISION 2020 ' KEE AVDHARNA KO SAFAL BANANE KA UDDESH PRATIPADIT KARTEE HAI .
SANSDEEYA PRANALEE KEE BAJAY RASHTRAPATEEY LOKTANTRA KA ANUMODAN KARTEE HAI.
ISKE TEEN GEET AAP 'HIND YUGM' PAR SUN SAKTEE HAIN .
1- NAMAMI RAMAM
2-MATA TEREE JAI HO
3-HANSI HANSI PANWAN
AUR CHALATE CHALATE .........
MERE BLOG 'TADKA' PAR AAPKEE EK TIPPANEE MILEE . AAPKEE ......JIGYANSA THEE KI HEADER KEE PICTURE ME CHITRA KISKA HAI ? EK TO MAIN HEE HOON.....PAR LAGTA HAI KI LOGON KEE NIGAH SE TO MAIN CHUPA GAYA THA PAR AAPNE DAYEEN TARAF SARKA KE DEKH HEE LIYA ! KAHA BHEE KI JANA PAHCHANA CHEHRA HAI........SAHEE KAHA AAPNE .
VAH ANJANA DOBSON HAIN .HINDEE ,BHOJPUREE AUR TELUGU KEE KAYEE FILMON ME AA CHUKEE HAIN AUR MEREE FILM 'KALAM KA SALAM' TATHA 'MERA SHAUHAR MERA YAAR ' (MERA HEE PRODUCTION, JO KI MAAN SAKTEE HAIN KI SHAYAD 'PATI PATNEE AUR VAH '..... KA ULTA HAI ) ME BHEE MAHATVAPOORN ROLE KAR RAHEE HAIN.( YAH YEK BOLD COMEDY FILM HAI )
IN FILMON KA NIRMAN BHEE MAI HEE KAR RAHA HOON.
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