बहुत दिन हुए कोई पोस्ट नहीं लिखी गयी।
सच कहूँ तो जब से ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत जैसे अच्छे अग्रीग्रेटर चले गए हैं तब से ही ब्लॉग्गिंग में मेरी नियमितता का अभाव हो गया है।
अब आप कहें इसे बहाना तो बहाना ही समझ लिजीये,अब किस -किस को सफाई दूँ।
हाँ ,कुछ उठते -उठते सवाल जो यहाँ -वहां से झांकते हैं ,सोचती हूँ कि आज इस पावन मौके पर जवाब दे ही दिए जाएँ।
एक सवाल यह कि मैं आजकल कविताएँ क्यूँ नहीं लिखती ..तो मेरा जवाब यह है कि जब भी कविता लिखने लगती हूँ तो चंद पंक्तियों के बाद सारी पंक्तियाँ एक दम सीधी हो जाती हैं। अच्छे वाक्यों की तरह एक दम क्रमबद्ध !
इसका भी एक कारण है वह यह कि जब से फुरसतिया 'अनूप शुक्ल जी 'की कविताओं के पोस्टमार्टम वाली पोस्ट पढ़ी तब से भाव भी यूँ घबरातें हैं कि कलम से उतरते ही कागज़ पर लेफ्ट -राईट करते हुए टूटी-फूटी पंक्तियाँ /तुकबन्दियाँ /गीत-अगीत सब के सब व्याकरणिक शुद्धता लिए अपने सही क्रम में पूर्ण विराम सहित दिखने लगती हैं।
अच्छा ही हुआ एक तरह से तो कि कवितायेँ लिखना छुट गया है [ या कहूँ तो लिखने से ही डर लगता है !]
अनूप जी आप की उस पोस्ट ने ना जाने कितने उदीयमान/स्थापित होते -होते रह गए कवि -कवयित्रियों के आशाओं के दिए बुझा दिए होंगे!
लेकिन दूसरी ओर ..कवियों की प्रकाशित होती ''लोकप्रियता'' को दिख कर काजल जी जैसे लोकप्रिय कार्टूनिस्ट भी अब कविता लिखने की सोच रहे हैं !
उनकी ज़ुबानी सुनिये--:
''ब्लॉगरों की कविताओं के इतने समूह-संकलन छप रहे हैं कि लगता है कार्टून छोड़ कर कविताई की जाए''
मेरा दावा है अगर काजल जी जिस दिन कविता लिखना शुरू करेंगे यकीनन उस के एक महीने में उनका पहला संग्रह तो बाज़ार में आ ही जायेगा !
अब बाकी सवालों के जवाब बाद में दिए जायेंगे क्योंकि लोग कहते हैं कि आज कल ब्लॉग को कौन पूछता है सब फेसबुक पर हैं,वहीँ लिखते पढ़ते बतियाते /झगड़ते/लड़ते/लड़ाते हैं।
अब फेसबुक वाले 'लायिकों की नींव पर खड़े होने वाले वहाँ हर ओर बिखरे कवियों के बारे में प्रकाश गोविंद जी की राय यह है कि ''वहाँ के [फेसबुक वाले] कवि पाँच मिनट में कविता असेम्बल कर देते हैं. जिस विषय पर कहो उसी पर!'' अंतरजाल पर विचरने वाले लोग सुख-रोग से अधिक पीड़ित हैं .
अरे वाह! प्रकाश जी अगर ऐसा है तो फिर हिंदी साहित्य में यह एक अनूठा काल होगा !
खैर,..फेसबुक पर नया इतिहास रचते रहें लोग....अपने को तो ब्लॉग से ही मोह है सो देर-सवेर आते -जाते रहेंगे।
दीपावली की शुभकामनाएँ आप सभी के लिए ....
खूब धूमधाम से मनाईये।
चलते-चलते : कोई बता सकता है कि 'सुख -रोग' क्या होता है?
दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteहा हा हा :) कुछ कहते नहीं बन रहा
ReplyDeleteलोग ब्लॉग लेखन से निरंतर दूर होते जा रहे हैं लेकिन जो अपनापन ब्लोगिंग में है वो फेसबुक में कहाँ ... इसके बावजूद भी अब जो कुछ है बस फेसबुक ही है ... हर मर्ज का इलाज फेसबुक !
ReplyDelete-
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मौज लेने में अनूप जी तो जग प्रसिद्द हैं ही .. आज आपने भी खूब खिंचाई कर ही दी :)
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वर्तमान में सबसे बड़ा रोग ये सुख रोग ही है .. इसका कोई इलाज नहीं ! :)
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ज्योति पर्व पर अनंत-अशेष शुभ कामनाएं
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
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आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं |
ReplyDeleteआशा
So sweet Alpana , liked this post . Do write
ReplyDeleteoften ! Happy Deepawali !!
आप सबको सपरिवार दीपावली शुभ एवं मंगलमय हो। अंग्रेजी कहावत है -A healthy mind in a healthy body लेकिन मेरा मानना है कि "Only the healthy mind will keep the body healthy ."मेरे विचार की पुष्टि यजुर्वेद क़े अध्याय ३४ क़े (मन्त्र १ से ६) इन छः वैदिक मन्त्रों से भी होती है .
ReplyDeletehttp://krantiswar.blogspot.in/2012/11/2-2010-6-x-4-t-d-s-healthy-mind-in.html
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। मेरा नया पोस्ट प्रेम सरोवर..।
ReplyDeleteअरे वाह। क्या बात है।
ReplyDeleteसबसे पहले तो यह कहना चाहते हैं कि ये अनूप शुक्ल बहुत खुराफ़ाती हैं। नवोदित कवियों से जलते हैं इसलिये उनकी कविताओं की खिंचाई करते हैं जिससे कुछ नवोदित कवि सहमकर कविता लिखना बंद कर देते हैं वहीं कुछ घबराकर अपना संकलन छपवा कर विमोचित करवा लेते हैं। :)
सच बात यह है कि अनूप शुक्ल खुद कविता लिखकर नवोदित कवि बनने का प्रयास करते हैं लेकिन लेख लिखकर रह जाते हैं। जब कविता बन नहीं पाती तो उसकी आलोचना करने लगते हैं।
इसलिये इनकी बात का ध्यान न रखते हुये धड़ल्ले से कवितागीरी की जानी चाहिये।
जहां तक फ़ेसबुक का सवाल है तो अपन फ़ेसबुक को सिर्फ़ और सिर्फ़ नोटिस बोर्ड की तरह प्रयोग करते हैं। ब्लॉग की सूचना चपका कर फ़ूट लेते हैं। कभी-कभी कोई बेवकूफ़ी की बात समझ में आयी तो उसको स्टेटस कहकर सटा देते हैं। बस्स।
आपको दीपावली की मंगलकामनायें। आपको इस बात की शुभकामनायें कि आपका भी कविता संकलन भी फ़टाफ़ट बने। :)
आदरणीया अल्पना जी
गंभीर लोगों के लिए ब्लॉगिंग ही सही है …
फेसबुक पर रचनाओं के चोर भी ब्लॉग्स की अपेक्षा अधिक पाए जाते हैं
…और बदतमीज छोकरे-छोकरियां भी ।
फिर भी कई बहुत अच्छे रचनाकार वहां क्यों हैं समझ नहीं आता ।
मैं भी कुछ महीनों से वहां हूं ज़रूर …
लेकिन मन ब्लॉगिंग से ही जुड़ा है …
:)
अच्छा विमर्श हुआ है …
# प्रकाश गोविंद जी आप स्वयं अपने ब्लॉग पर लंबे अरसे से क्यों नई पोस्ट नहीं लगा रहे ?
सभी मित्रों को दीवाली की मंगलकामनाएं !
मन कविता बन बोल रहा, तो कह लेने दो,
ReplyDeleteअन्तर रह रह डोल रहा, तो कह लेने दो,
मन की शब्दों से दूरी है, भ्रम की तैयारी पूरी है,
फिर भी हृद तो खोल रहा, तो कह लेने दो।
शुभ दीपावली ।
ReplyDeleteलिखते रहिये पढते रहिये
मनवा को मनाते रहिये
भावों को उतारते रहिये
लेख हो या कविताई करिये ।
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं आभार अल्लेख के लिए कृपया लिखते रहिएगा....शुभ कामनाएं
ReplyDeleteबहुत दिन बाद पढ़ा आपको , दीपावली की शुभकामनायें !
ReplyDeleteएक अनुरोध और कृपया लिखना कम न करें ..आशा है ध्यान रखेंगी !
सादर
बहाने बनाने तो कोई आपसे सीखे :-(
ReplyDeleteअनूप जी का काम यही है -आखिर तक बस अकेले ही बने रह जाना लंकाधिराज की तरह !
बाकी यह बात बिलकुल दुरुस्त है कि कविताई में सचमुच फेसबुकिया समाज इतना सिद्धहस्त हो गया है
दनादन लम्बी कवितायें अपडेट कर रहा है ......
आपको भी मौसमी शुभकामनाएं!
देर से ही सही आपको पढना अच्छा लगता है |
ReplyDelete
ReplyDeleteबढ़िया है- चटपटा और मज़ेदार!