एक फौजी जो बना महान संगीतकार-श्री मदन मोहन कोहली
-------------------------------------------------------
पहले जब कभी मैं गाने सुनती थी तब कभी गीतकार और संगीतकार के नामों पर गौर नहीं किया करती थी.
सिर्फ याद रहता था गाने वाले और फिल्म का नाम.इत्तिफाक से एक दिन म्यूजिक सी डी की दुकान पर अपने पसंदीदा गीतों को 'लता सिंग्स फॉर मदन मोहन 'नाम की सी डी में देख कर मालूम हुआ कि इन गीतों के संगीतकार मदन मोहन जी हैं.इन्टरनेट के आ जाने से जानकारी लेना देना इतना आसान हो गया है तो यहीं उन के बारे में बहुत कुछ जाना.आज आप को भी मिलवाती हूँ अपने पसंदीदा संगीतकार श्री मदन मोहन जी से..
श्री मदन मोहन कोहली -[संगीत निर्देशक]
----------------------
जन्म-जून २५,१९२४ ,जन्म स्थान-बगदाद,[इराक]
उनके पिता राय बहादुर चुन्नी लाल फिल्म व्यवसाय से जुड़े थे जो पहले बाम्बे टाकीज और बाद में फिल्मीस्तान जैसे बडे फिल्म स्टूडियो में साझीदार थे.घर का माहोल फ़िल्मी था और वह फिल्मों में बड़ा नाम कमाना चाहते थे.
अनके पिता जी फ़िल्मी दुनिया के स्वभाव को समझते थे इस लिए उन्होंने मदन जी को सेना में भर्ती होने देहरादून भेज दिया.मदन जी ने १९४३ में सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य करना शुरू भी कर दिया.दिल्ली बदली होने के बाद उनका मन संगीत की तरफ खींचता गया और वहां उन्होंने यह नौकरी छोड़ कर लखनऊ आकाशवाणी में काम शुरू किया.लखनऊ में आकाशवाणी में ही उन्हें संगीत जगत से जुडे़ उस्ताद फैयाज खान, उस्ताद अली अकबर खान, बेगम अख्तर और तलतमहमूद जैसी मानी हुई हस्तियों से मुलाकात का मौका मिला.लखनऊ से मुम्बई आने के बाद उन्होंने एस.डी.बर्मन, श्याम सुंदर और सी.रामचंद्र जैसे प्रसिद्व संगीतकारों के सहायक के रूप में कुछ समय काम किया.स्वतंत्र रूप से जिस फिल्म के लिए उन्होंने संगीत दिया वह थी-'आँखें '[१९५०].
अपने लगभग ढाई दशक के सिने कैरियर में 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत दिया[अफ़सोस यही है की उनमें ज्यातर फिल्में बी ग्रेड की थीं.]मदन मोहन जी के २० साल के संगीत के सफ़र में उनके साथ आशा भोंसले ने १९० और लता मंगेशकर ने २१० फ़िल्मी गीत गाये .
उनके महान संगीत की उत्तमत्ता इसी बात से आंकी जा सकती है कि हर वो गीत जो उनके संगीत में बस गया है..वो अपने आप में एक मिसाल बन गया और आज भी ताज़ा और दिल गहराईयों में उतर जाने वाला लगता है.
वह जहाँ संगीत के स्तर पर ध्यान देते थे वहीँ गीत के बोलों पर भी उतनी ही तवज्जोह!
अगर गीत के बोल अच्छे नहीं तो वह संगीत नहीं बनाते और अगर बोल बहुत अच्छे हुए तो वह बहुत खुश हो जाते थे .फिल्म -चिराग ' के 'तेरी आँखों के सिवा 'गीत के बोल जब लिखे गए..तब क्या हुआ..आप खुद ही लता जी की ज़ुबानी सुनिये
उनके बारे में कुछ और बातें-
१-गीतकारों में राजा मेहन्दी अली खान, राजेन्द्र कृष्ण ,साहिर लुधिआनवी ,मजरूह और कैफी आजमी को मदन जी ख़ास पसंद करते थे.
२-गायिकाओं में लता जी उनकी सब से चहेती गायिका थीं-लता जी के लिए कभी रिकॉर्डिंग के समय-मन्त्र मुग्ध मदन जी कह जाते थे --तुम कभी बेसुरी क्यूँ नहीं होती?कैसे जान लेती हो कि मुझे गीत में क्या चाहिये?कैसे हर शब्द को उसके सही सुर में बाँध लेती हो?
यह भी सच है कि नए आये इस संगीतकार के लिए शुरू में लता जी ने गाने के लिए मना कर दिया था.तब उन्होंने मीना कपूर से अपना पहला गाना गवाया था.उस के बाद तो लता जी और मदन जी ने खैर इतिहास ही बना दिया.
३-दिल के साफ़ मदन जी सीधी बात कहते थे..शायद इस लिए भी उन्हें बहुत सी आलोचनाएँ मिलीं.
आशा जी भी उनके संगीत से प्रभावित थीं और एक बार जब उन्होंने पूछा कि आप मुझ से क्यों नहीं गवाते..तब उन्होंने बेबाक कहा जब तक लता है मेरे गाने वही गाएगी.'
लेकिन इसी बात नहीं है की आशा जी से उन्हें कोई दुश्मनी थी...वह आशा जी की ख़ास गायकी जानते थे..उन्होंने उन्हें वैसे गाने दिए भी.उनके लिए आशा जी ने १९० गाने गाये हैं .फ़िल्म "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" में तो मदनजी के सारे गीत आशाजी ने गाये .
आशा जी की तारीफ़ में मदन जी ने क्या कहा ,आप खुद ही सुनिये
४-समझोता अपने गीतों के साथ वह कभी नहीं करते थे.उनके लिए संगीत सब से ऊपर था..पैसे के लिए उन्होंने कभी संगीत को ज़रिया नहीं बनाया.उनका कोई ख़ास एक पसंदीदा राग नहीं था.न ही उन्होंने कोई ओपचारिक शिक्षा संगीत में ली थी.फिर भी उन्होंने शास्त्री संगीत पर आधारित इतने ऊँचे स्तर के गीत बनाये हैं उदाहरन के लिए फिल्म-देख कबीरा रोया,
५-लता के अलावा उन्होंने और भी गायकों को यादगार गीत दिए जैसे-,तुम से कहूँ एक बात परों से हलकी,[दस्तक-रफी],तुम जो मिल गए हो[हीर-राँझा-रफी]में ये सोच कर[हकीकत],तेरी आँख के आंसू पी जाऊं [तलत-जहानारा] बल्कि-मन्ना डे-से देख कबीरा रोया फिल्म में बेहतरीन गीत गवाए-हिंदुस्तान की कसम में गाया मन्ना डे का गीत -'हर तरफ अब ये ही अफ़साने हैं 'मेरा पसंदीदा गीत है.
किशोर की आवाज़ में सिमटी सी शर्मायी सी [परवाना ]कर्णप्रिय है.आशा जी का 'झुमका गिरा रे [फिल्म मेरा साया]आज भी लोकप्रिय है.
६-उन के जीते जी उन्हें वह सम्मान और पहचान नहीं मिल पाई जिस के वह हकदार थे.आज हम उन्हें याद करते हैं और बहुत पसंद करते हैं और उनके संगीत को ज़िन्दा रखने का अपने अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं.उनकी रूह को जरुर तसल्ली मिल रही होगी.
उस ज़माने में भी पुरस्कारों में चीटिंग होती थीं,फिल्म फेयर पुरस्कार में 'वो कौन थी 'के लिए उनका नामांकन हुआ मगर कहते हैं वहां manipulations के कारण पुरस्कार उनके हाथ से निकल गया.जब उन्हें दस्तक फिल्म के लिए राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा हुई तब वह अकेले नहीं गए,संजीव कुमार और रेहाना के साथ ही इस अवार्ड को लेने पहुंचे.
७-उन्हें क्रिकेट,badminton ,टेनिस खेलों की भी उतनी ही बढ़िया जानकारी थी जितनी संगीत की.
८-वह खाना भी बहुत अच्छा पकाते थे.उनको भिन्डी मसाला पसंद थी और लता जी को भी..जब भी लता जी उनके घर आतीं वह यह सब्जी उनके लिए खुद बनाते थे.
९-बेहद संवेदनशील थे इस लिए फ़िल्मी दुनिया के स्वार्थी पहलु ने उन्हें बेहद दुखी और निराश भी किया जिस से वह बहुत अधिक शराब पीने लगे और लीवर के cirrohosis के कारण ५१ की आयु में ही उनकी मृत्यु हो गयी.[14 July 1975]
१०-उनकी बेहतरीन फिल्में थीं-अदालत,अनपढ़,मेरा साया,दुल्हन एक रात की,हकीकत,हिंदुस्तान की कसम,जहानारा,हीर राँझा,मौसम,लैला मजनू,महाराजा,वो कौन थी आदि.
उनकी मृत्यु के बाद उनके संगीत निर्देशन वाली मौसम और लैला मजनू फिल्में आयीं और वीर-जारा[२००४] फिल्म के लिए यश चोपडा ने उनके बेटे के बताने पर उनकी अप्रयुक्त धुनों को फिल्म में इस्तमाल किया जो धीमा संगीत होने के बावजूद बेहद हिट हुआ.
आईये जानते हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कुछ महान हस्तियों ने मदन जी या उनके संगीत के बारे में क्या कहा-
1-संजीव कोहली जो उनके बेटे हैं , जो HMV में काम करते थे फिर यश चोपडा के साथ जुडे ,[more than 30 yrs in film industry]filmfare पत्रिका में एक लेख में कहते हैं-मैं हमेशा उन्हें संगीतकार नहीं एक पिता के रूप में ही याद करता हूँ .उनके पिता भी यही कहा करते थे की फिल्म इंडस्ट्री ने उनको वांछित मान नहीं दिया..जो सच है.राज कपूर और देव आनंद उनके अच्छे मित्र थे मगर उन्हें बडे बैनर की फिल्में कभी नहीं मिलीं.'सत्यम शिवम् सुन्दरम 'फिल्म उनके पिता को ऑफर की गयी थी मगर कोई बात पूरी होने से पहले मदन जी की मृत्यु हो गयी.
-मदन जी और सुरैय्या आकाशवाणी में साथ गाते थे.
-यह उनका दुर्भाग्य था कि उनके संगीत निर्देशन वाली फिल्में अक्सर बॉक्स ऑफिस पर पिट गयीं,जिसका उन्हें हमेशा अफ़सोस रहा.
-उनके समय में भी फिल्म निर्देशकों और संगीतकारों में गुटबाजी और खेमे बाज़ी थी,जिसका नुक्सान मदन जी को हुआ.यूँ तो उनको चेतन आनंद ने काफी सहारा दिया.
-मदन जी की अति संवेदनशीलता का परिचय इस घटना से मिलता है कि एक बार राईस खान [सितारवादक] जो कि उनके गीतों में सितार बजाते थे,]ने उन्हें अपने दोस्त के घर दावत में गाने को कहा और साथ ही यह भी पूछ लिया कि महफ़िल में गाने के कितने पैसे लोगे? मदन जी को बहुत चोट पहुंची,१९७२ के उस दिन के बाद से उनकी मृत्यु तक उन्होंने कभी फिर अपने गीतों में सितार इस्तमाल नहीं किया.
--गीतों की रिकॉर्डिंग के बारे में कुछ यादें बाँटते हुए संजीव जी कहते हैं-
१-फिल्म-'वो कौन थी'के गीत नैना बरसें 'को शूट करना था मगर लता जी की तबियत ठीक नहीं थी.तब मदन जी ने स्वयं अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड किया और बाद में डब करके लता जी का गाना फिल्म में जोड़ा गया.इस गीत की धुन उन्होंने १८ साल पहले बनाई थी-आप मदन जी की आवाज़ में सुनिए यह गीत और उनकी ज़ुबानी गीत की कहानी
२-'नैनो में बदरा छाये' गीत मेरा साया फिल्म में जोड़ा जाना था..लता जी के पास तारीखें नहीं थीं.इधर राज खोसला जल्दी कर रहे थे.मदन जी ने लता जी से निवेदन किया..अगले दिन की बात तय हुई.अगले दिन लता जी नहीं पहुंची उनकी तबियत नासाज़ थी.
मदन जी खुद गाड़ी ले कर लता जी को ले कर आये...रिकॉर्डिंग के दोरान एक साज़िन्दा बार बार सुर गलत लगा रहा था..सभी दवाब में थे..गुस्से में मदन जी ने रिकॉर्डिंग स्टूडियो की खिड़की का कांच ही तोड़ डाला..मगर इन सब के बावजूद गाना बना और बेहद हिट हुआ.
३-मदन जी अपने कलाकारों को समझते थे,'हंसते ज़ख्म 'के गीत 'आज सोचा तो आंसू भर आये'..को रिकॉर्ड करते समय लता जी रो पड़ीं ..तब मदन जी ने उन्हें घर भेज दिया और दूसरे दिन आने को कहा.
४-चिराग फिल्म के बेहद मुश्किल गीत' छाई बरखा बहार 'की रिकॉर्डिंग के समय साजिंदों के बार बार गलतियाँ करने के कारण लता जी को १५ बार टेक देना पड़ा..पहले रिकॉर्डिंग के लिए सिंगल टेक में ही गाने गाये जाते थे.[आज की तरह टुकडों में नहीं]
५-फिल्म-अनपढ़ के 'आप की नज़रों ने समझा गीत की धुन उन्होंने 2 मिनटों में बनायी ही थी.लिफ्ट में ग्राउंड से पांचवीं मंजिल तक पहुंचते हुए.
६-संजीव जी मानते हैं कि उनके पिता की कमर्शियल हिट भाई -भाई [१९५६]फिल्म थी.जिसमें गीता दत्त का गाया गीत 'ऐ दिल मुझे बता दे 'काफी लोकप्रिय हुआ था.
७-लता जी और मदन जी का रिश्ता भाई बहन का था.संजीव कहते हैं मदन जी की मृत्यु के बाद लता जी उनके परिवार के और निकट आ गयी थीं.
[मैं ने कहीं पढ़ा था -लता जी और मदन जी दोनों ने एक फिल्म के लिए भाई बहन पर फिल्माए जाने वाला एक गीत भी रिकॉर्ड किया था.जो फिल्म किसी कारन वश नहीं आ सकी]
2-- खुद लता जी से सुनिए जिन्होंने उन्हें ग़ज़ल ka shazada की उपाधि दी है
3-संगीतकार एस .डी.बर्मन ने 'हीर राँझा' के संगीत की तारीफ करते हुए यह कहा कि जैसा मदन जी ने फिल्म में संगीत दिया है मैं इसका आधा भी संगीत नहीं दे पाता.
४-संगीतकार नौशाद ने उनके गीतों -आप की नज़रों ने समझा[अनपढ़] और है इसी में प्यार की आबरू ' फिल्म-]के बदले अपनी सारी धुनें देने को तक कह दिया.
५-अब सुनिए मदन जी के बारे में जयदेव जी की ज़ुबानी-जो कह रहे हैं कि मदन जी जैसा महान संगीतकार दोबारा नहीं हो सकता
6-एक और फ़िल्मी हस्ती कहती हैं-[क्या Yash chopra ji हैं]
7-एक और फ़िल्मी हस्ती कहती हैं-[क्या आप पहचाने यह कौन हैं?]
8-संगीतकर ओ .पी .नैय्यर [जिन्होंने कभी लता ji को नहीं गवाया.] के अनुसार -जिस तरह लता जी जैसे गायिका दोबारा होना मुश्किल है वैसे ही मदन जी जैसा संगीतकार का भी दोबारा होना मुश्किल है.
-------------------------------------------------------------
[Scroll to read entire content in Box.]
-------------------------------------------------------
पहले जब कभी मैं गाने सुनती थी तब कभी गीतकार और संगीतकार के नामों पर गौर नहीं किया करती थी.
सिर्फ याद रहता था गाने वाले और फिल्म का नाम.इत्तिफाक से एक दिन म्यूजिक सी डी की दुकान पर अपने पसंदीदा गीतों को 'लता सिंग्स फॉर मदन मोहन 'नाम की सी डी में देख कर मालूम हुआ कि इन गीतों के संगीतकार मदन मोहन जी हैं.इन्टरनेट के आ जाने से जानकारी लेना देना इतना आसान हो गया है तो यहीं उन के बारे में बहुत कुछ जाना.आज आप को भी मिलवाती हूँ अपने पसंदीदा संगीतकार श्री मदन मोहन जी से..
श्री मदन मोहन कोहली -[संगीत निर्देशक]
----------------------
जन्म-जून २५,१९२४ ,जन्म स्थान-बगदाद,[इराक]
उनके पिता राय बहादुर चुन्नी लाल फिल्म व्यवसाय से जुड़े थे जो पहले बाम्बे टाकीज और बाद में फिल्मीस्तान जैसे बडे फिल्म स्टूडियो में साझीदार थे.घर का माहोल फ़िल्मी था और वह फिल्मों में बड़ा नाम कमाना चाहते थे.
अनके पिता जी फ़िल्मी दुनिया के स्वभाव को समझते थे इस लिए उन्होंने मदन जी को सेना में भर्ती होने देहरादून भेज दिया.मदन जी ने १९४३ में सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य करना शुरू भी कर दिया.दिल्ली बदली होने के बाद उनका मन संगीत की तरफ खींचता गया और वहां उन्होंने यह नौकरी छोड़ कर लखनऊ आकाशवाणी में काम शुरू किया.लखनऊ में आकाशवाणी में ही उन्हें संगीत जगत से जुडे़ उस्ताद फैयाज खान, उस्ताद अली अकबर खान, बेगम अख्तर और तलतमहमूद जैसी मानी हुई हस्तियों से मुलाकात का मौका मिला.लखनऊ से मुम्बई आने के बाद उन्होंने एस.डी.बर्मन, श्याम सुंदर और सी.रामचंद्र जैसे प्रसिद्व संगीतकारों के सहायक के रूप में कुछ समय काम किया.स्वतंत्र रूप से जिस फिल्म के लिए उन्होंने संगीत दिया वह थी-'आँखें '[१९५०].
अपने लगभग ढाई दशक के सिने कैरियर में 100 से अधिक फिल्मों के लिए संगीत दिया[अफ़सोस यही है की उनमें ज्यातर फिल्में बी ग्रेड की थीं.]मदन मोहन जी के २० साल के संगीत के सफ़र में उनके साथ आशा भोंसले ने १९० और लता मंगेशकर ने २१० फ़िल्मी गीत गाये .
उनके महान संगीत की उत्तमत्ता इसी बात से आंकी जा सकती है कि हर वो गीत जो उनके संगीत में बस गया है..वो अपने आप में एक मिसाल बन गया और आज भी ताज़ा और दिल गहराईयों में उतर जाने वाला लगता है.
वह जहाँ संगीत के स्तर पर ध्यान देते थे वहीँ गीत के बोलों पर भी उतनी ही तवज्जोह!
अगर गीत के बोल अच्छे नहीं तो वह संगीत नहीं बनाते और अगर बोल बहुत अच्छे हुए तो वह बहुत खुश हो जाते थे .फिल्म -चिराग ' के 'तेरी आँखों के सिवा 'गीत के बोल जब लिखे गए..तब क्या हुआ..आप खुद ही लता जी की ज़ुबानी सुनिये
उनके बारे में कुछ और बातें-
१-गीतकारों में राजा मेहन्दी अली खान, राजेन्द्र कृष्ण ,साहिर लुधिआनवी ,मजरूह और कैफी आजमी को मदन जी ख़ास पसंद करते थे.
२-गायिकाओं में लता जी उनकी सब से चहेती गायिका थीं-लता जी के लिए कभी रिकॉर्डिंग के समय-मन्त्र मुग्ध मदन जी कह जाते थे --तुम कभी बेसुरी क्यूँ नहीं होती?कैसे जान लेती हो कि मुझे गीत में क्या चाहिये?कैसे हर शब्द को उसके सही सुर में बाँध लेती हो?
यह भी सच है कि नए आये इस संगीतकार के लिए शुरू में लता जी ने गाने के लिए मना कर दिया था.तब उन्होंने मीना कपूर से अपना पहला गाना गवाया था.उस के बाद तो लता जी और मदन जी ने खैर इतिहास ही बना दिया.
३-दिल के साफ़ मदन जी सीधी बात कहते थे..शायद इस लिए भी उन्हें बहुत सी आलोचनाएँ मिलीं.
आशा जी भी उनके संगीत से प्रभावित थीं और एक बार जब उन्होंने पूछा कि आप मुझ से क्यों नहीं गवाते..तब उन्होंने बेबाक कहा जब तक लता है मेरे गाने वही गाएगी.'
लेकिन इसी बात नहीं है की आशा जी से उन्हें कोई दुश्मनी थी...वह आशा जी की ख़ास गायकी जानते थे..उन्होंने उन्हें वैसे गाने दिए भी.उनके लिए आशा जी ने १९० गाने गाये हैं .फ़िल्म "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" में तो मदनजी के सारे गीत आशाजी ने गाये .
आशा जी की तारीफ़ में मदन जी ने क्या कहा ,आप खुद ही सुनिये
४-समझोता अपने गीतों के साथ वह कभी नहीं करते थे.उनके लिए संगीत सब से ऊपर था..पैसे के लिए उन्होंने कभी संगीत को ज़रिया नहीं बनाया.उनका कोई ख़ास एक पसंदीदा राग नहीं था.न ही उन्होंने कोई ओपचारिक शिक्षा संगीत में ली थी.फिर भी उन्होंने शास्त्री संगीत पर आधारित इतने ऊँचे स्तर के गीत बनाये हैं उदाहरन के लिए फिल्म-देख कबीरा रोया,
५-लता के अलावा उन्होंने और भी गायकों को यादगार गीत दिए जैसे-,तुम से कहूँ एक बात परों से हलकी,[दस्तक-रफी],तुम जो मिल गए हो[हीर-राँझा-रफी]में ये सोच कर[हकीकत],तेरी आँख के आंसू पी जाऊं [तलत-जहानारा] बल्कि-मन्ना डे-से देख कबीरा रोया फिल्म में बेहतरीन गीत गवाए-हिंदुस्तान की कसम में गाया मन्ना डे का गीत -'हर तरफ अब ये ही अफ़साने हैं 'मेरा पसंदीदा गीत है.
किशोर की आवाज़ में सिमटी सी शर्मायी सी [परवाना ]कर्णप्रिय है.आशा जी का 'झुमका गिरा रे [फिल्म मेरा साया]आज भी लोकप्रिय है.
६-उन के जीते जी उन्हें वह सम्मान और पहचान नहीं मिल पाई जिस के वह हकदार थे.आज हम उन्हें याद करते हैं और बहुत पसंद करते हैं और उनके संगीत को ज़िन्दा रखने का अपने अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं.उनकी रूह को जरुर तसल्ली मिल रही होगी.
उस ज़माने में भी पुरस्कारों में चीटिंग होती थीं,फिल्म फेयर पुरस्कार में 'वो कौन थी 'के लिए उनका नामांकन हुआ मगर कहते हैं वहां manipulations के कारण पुरस्कार उनके हाथ से निकल गया.जब उन्हें दस्तक फिल्म के लिए राष्ट्रीय सम्मान की घोषणा हुई तब वह अकेले नहीं गए,संजीव कुमार और रेहाना के साथ ही इस अवार्ड को लेने पहुंचे.
७-उन्हें क्रिकेट,badminton ,टेनिस खेलों की भी उतनी ही बढ़िया जानकारी थी जितनी संगीत की.
८-वह खाना भी बहुत अच्छा पकाते थे.उनको भिन्डी मसाला पसंद थी और लता जी को भी..जब भी लता जी उनके घर आतीं वह यह सब्जी उनके लिए खुद बनाते थे.
९-बेहद संवेदनशील थे इस लिए फ़िल्मी दुनिया के स्वार्थी पहलु ने उन्हें बेहद दुखी और निराश भी किया जिस से वह बहुत अधिक शराब पीने लगे और लीवर के cirrohosis के कारण ५१ की आयु में ही उनकी मृत्यु हो गयी.[14 July 1975]
१०-उनकी बेहतरीन फिल्में थीं-अदालत,अनपढ़,मेरा साया,दुल्हन एक रात की,हकीकत,हिंदुस्तान की कसम,जहानारा,हीर राँझा,मौसम,लैला मजनू,महाराजा,वो कौन थी आदि.
उनकी मृत्यु के बाद उनके संगीत निर्देशन वाली मौसम और लैला मजनू फिल्में आयीं और वीर-जारा[२००४] फिल्म के लिए यश चोपडा ने उनके बेटे के बताने पर उनकी अप्रयुक्त धुनों को फिल्म में इस्तमाल किया जो धीमा संगीत होने के बावजूद बेहद हिट हुआ.
आईये जानते हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कुछ महान हस्तियों ने मदन जी या उनके संगीत के बारे में क्या कहा-
1-संजीव कोहली जो उनके बेटे हैं , जो HMV में काम करते थे फिर यश चोपडा के साथ जुडे ,[more than 30 yrs in film industry]filmfare पत्रिका में एक लेख में कहते हैं-मैं हमेशा उन्हें संगीतकार नहीं एक पिता के रूप में ही याद करता हूँ .उनके पिता भी यही कहा करते थे की फिल्म इंडस्ट्री ने उनको वांछित मान नहीं दिया..जो सच है.राज कपूर और देव आनंद उनके अच्छे मित्र थे मगर उन्हें बडे बैनर की फिल्में कभी नहीं मिलीं.'सत्यम शिवम् सुन्दरम 'फिल्म उनके पिता को ऑफर की गयी थी मगर कोई बात पूरी होने से पहले मदन जी की मृत्यु हो गयी.
-मदन जी और सुरैय्या आकाशवाणी में साथ गाते थे.
-यह उनका दुर्भाग्य था कि उनके संगीत निर्देशन वाली फिल्में अक्सर बॉक्स ऑफिस पर पिट गयीं,जिसका उन्हें हमेशा अफ़सोस रहा.
-उनके समय में भी फिल्म निर्देशकों और संगीतकारों में गुटबाजी और खेमे बाज़ी थी,जिसका नुक्सान मदन जी को हुआ.यूँ तो उनको चेतन आनंद ने काफी सहारा दिया.
-मदन जी की अति संवेदनशीलता का परिचय इस घटना से मिलता है कि एक बार राईस खान [सितारवादक] जो कि उनके गीतों में सितार बजाते थे,]ने उन्हें अपने दोस्त के घर दावत में गाने को कहा और साथ ही यह भी पूछ लिया कि महफ़िल में गाने के कितने पैसे लोगे? मदन जी को बहुत चोट पहुंची,१९७२ के उस दिन के बाद से उनकी मृत्यु तक उन्होंने कभी फिर अपने गीतों में सितार इस्तमाल नहीं किया.
--गीतों की रिकॉर्डिंग के बारे में कुछ यादें बाँटते हुए संजीव जी कहते हैं-
१-फिल्म-'वो कौन थी'के गीत नैना बरसें 'को शूट करना था मगर लता जी की तबियत ठीक नहीं थी.तब मदन जी ने स्वयं अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड किया और बाद में डब करके लता जी का गाना फिल्म में जोड़ा गया.इस गीत की धुन उन्होंने १८ साल पहले बनाई थी-आप मदन जी की आवाज़ में सुनिए यह गीत और उनकी ज़ुबानी गीत की कहानी
२-'नैनो में बदरा छाये' गीत मेरा साया फिल्म में जोड़ा जाना था..लता जी के पास तारीखें नहीं थीं.इधर राज खोसला जल्दी कर रहे थे.मदन जी ने लता जी से निवेदन किया..अगले दिन की बात तय हुई.अगले दिन लता जी नहीं पहुंची उनकी तबियत नासाज़ थी.
मदन जी खुद गाड़ी ले कर लता जी को ले कर आये...रिकॉर्डिंग के दोरान एक साज़िन्दा बार बार सुर गलत लगा रहा था..सभी दवाब में थे..गुस्से में मदन जी ने रिकॉर्डिंग स्टूडियो की खिड़की का कांच ही तोड़ डाला..मगर इन सब के बावजूद गाना बना और बेहद हिट हुआ.
३-मदन जी अपने कलाकारों को समझते थे,'हंसते ज़ख्म 'के गीत 'आज सोचा तो आंसू भर आये'..को रिकॉर्ड करते समय लता जी रो पड़ीं ..तब मदन जी ने उन्हें घर भेज दिया और दूसरे दिन आने को कहा.
४-चिराग फिल्म के बेहद मुश्किल गीत' छाई बरखा बहार 'की रिकॉर्डिंग के समय साजिंदों के बार बार गलतियाँ करने के कारण लता जी को १५ बार टेक देना पड़ा..पहले रिकॉर्डिंग के लिए सिंगल टेक में ही गाने गाये जाते थे.[आज की तरह टुकडों में नहीं]
५-फिल्म-अनपढ़ के 'आप की नज़रों ने समझा गीत की धुन उन्होंने 2 मिनटों में बनायी ही थी.लिफ्ट में ग्राउंड से पांचवीं मंजिल तक पहुंचते हुए.
६-संजीव जी मानते हैं कि उनके पिता की कमर्शियल हिट भाई -भाई [१९५६]फिल्म थी.जिसमें गीता दत्त का गाया गीत 'ऐ दिल मुझे बता दे 'काफी लोकप्रिय हुआ था.
७-लता जी और मदन जी का रिश्ता भाई बहन का था.संजीव कहते हैं मदन जी की मृत्यु के बाद लता जी उनके परिवार के और निकट आ गयी थीं.
[मैं ने कहीं पढ़ा था -लता जी और मदन जी दोनों ने एक फिल्म के लिए भाई बहन पर फिल्माए जाने वाला एक गीत भी रिकॉर्ड किया था.जो फिल्म किसी कारन वश नहीं आ सकी]
2-- खुद लता जी से सुनिए जिन्होंने उन्हें ग़ज़ल ka shazada की उपाधि दी है
3-संगीतकार एस .डी.बर्मन ने 'हीर राँझा' के संगीत की तारीफ करते हुए यह कहा कि जैसा मदन जी ने फिल्म में संगीत दिया है मैं इसका आधा भी संगीत नहीं दे पाता.
४-संगीतकार नौशाद ने उनके गीतों -आप की नज़रों ने समझा[अनपढ़] और है इसी में प्यार की आबरू ' फिल्म-]के बदले अपनी सारी धुनें देने को तक कह दिया.
५-अब सुनिए मदन जी के बारे में जयदेव जी की ज़ुबानी-जो कह रहे हैं कि मदन जी जैसा महान संगीतकार दोबारा नहीं हो सकता
6-एक और फ़िल्मी हस्ती कहती हैं-[क्या Yash chopra ji हैं]
7-एक और फ़िल्मी हस्ती कहती हैं-[क्या आप पहचाने यह कौन हैं?]
8-संगीतकर ओ .पी .नैय्यर [जिन्होंने कभी लता ji को नहीं गवाया.] के अनुसार -जिस तरह लता जी जैसे गायिका दोबारा होना मुश्किल है वैसे ही मदन जी जैसा संगीतकार का भी दोबारा होना मुश्किल है.
-------------------------------------------------------------
[Scroll to read entire content in Box.]
सुनिये-'माई री मैं कासे कहूँ अपने जिया की'फिल्म-दस्तक.
यह गीत जो लता जी और मदन जी दोनों की आवाज में आप को मिल जायेगा.यहाँ मदन जी का गाया गीत दे रही हूँ.यह मुझे भी बहुत पसंद है.इस गीत में जिस तरह से हर शब्द को सुरों के ज़रिये स्त्री के गहन मनोभावों को ढाला गया है वह अद्भुत है.
मदन जी द्वारा निर्देशित दो दुर्लभ गीत सुनिए,जो कभी रिलीज़ ही नहीं हो पाए -:
1-पहलेवाला प्लेयर बदल दिया है अब यह गीत ठीक सुनाई देगा -पहले मदन जी सिर्फ तबला और हारमोनियम पर यह ग़ज़ल गा रहे हैं और बाद में लता जी की रिकॉर्डिंग है..
'मेरे अश्कों का ग़म न कर ऐ दिल..अपनी बरबादियों से डर ऐ दिल'
सिलसिला रोक बीती बातों का ,वरना तडपेगा रात भर ऐ दिल!
[शायर - राजा मेहंदी अली खान]
'मेरे अश्कों का ग़म न कर ऐ दिल'
2-यह गीत रफी साहब की आवाज़ में है..'कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बगैर...'-:
-----------------------------------------------------------------------
अंत में 'आप की नज़रों ने समझा 'गीत मेरी आवाज़ में--
मदन जी के बारे में जितना भी लिखा जाये कम ही है.आशा है ,मदन जी के चाहने वालों को यह पोस्ट जरुर पसंद आएगी.
-अल्पना वर्मा [May,2009]
Few more Cover songs you can listen here which are composed by Madan ji
----------------------------------------------------------------------
[अगर प्लेयर दिखाई नहीं दे रहा है तो हाइपरलिंक शब्दों पर क्लिक करीए जो आप को उस साईट पर ले जायेगा जहाँ यह फाइल है. ]
All Songs and pictures are posted here for non-commercial and non-profit purpose.
--------------------
[Updating on -April 21,2013---Few of the players are not working on this post,I am sorry for that.I will try to put new players soon]
यह गीत जो लता जी और मदन जी दोनों की आवाज में आप को मिल जायेगा.यहाँ मदन जी का गाया गीत दे रही हूँ.यह मुझे भी बहुत पसंद है.इस गीत में जिस तरह से हर शब्द को सुरों के ज़रिये स्त्री के गहन मनोभावों को ढाला गया है वह अद्भुत है.
मदन जी द्वारा निर्देशित दो दुर्लभ गीत सुनिए,जो कभी रिलीज़ ही नहीं हो पाए -:
1-पहलेवाला प्लेयर बदल दिया है अब यह गीत ठीक सुनाई देगा -पहले मदन जी सिर्फ तबला और हारमोनियम पर यह ग़ज़ल गा रहे हैं और बाद में लता जी की रिकॉर्डिंग है..
'मेरे अश्कों का ग़म न कर ऐ दिल..अपनी बरबादियों से डर ऐ दिल'
सिलसिला रोक बीती बातों का ,वरना तडपेगा रात भर ऐ दिल!
[शायर - राजा मेहंदी अली खान]
'मेरे अश्कों का ग़म न कर ऐ दिल'
2-यह गीत रफी साहब की आवाज़ में है..'कैसे कटेगी ज़िन्दगी तेरे बगैर...'-:
-----------------------------------------------------------------------
अंत में 'आप की नज़रों ने समझा 'गीत मेरी आवाज़ में--
मदन जी के बारे में जितना भी लिखा जाये कम ही है.आशा है ,मदन जी के चाहने वालों को यह पोस्ट जरुर पसंद आएगी.
-अल्पना वर्मा [May,2009]
Few more Cover songs you can listen here which are composed by Madan ji
----------------------------------------------------------------------
[अगर प्लेयर दिखाई नहीं दे रहा है तो हाइपरलिंक शब्दों पर क्लिक करीए जो आप को उस साईट पर ले जायेगा जहाँ यह फाइल है. ]
All Songs and pictures are posted here for non-commercial and non-profit purpose.
--------------------
[Updating on -April 21,2013---Few of the players are not working on this post,I am sorry for that.I will try to put new players soon]
मदन जी के बारे मैं इतनी विस्तृत जानकारी मुहैया करने का आभार.
ReplyDeleteकलाकार का दिल कभी भी अपनी पसंद के क्षेत्र के आलावा और कही लग भी नहीं सकता और उसी क्षेत्र में परचम भी लहराता है, यहबात मदन जी ने सिद्ध भी की.
आपने लिखा कि
"वे बेहद संवेदनशील थे इस लिए फ़िल्मी दुनिया के स्वार्थी पहलु ने उन्हें बेहद दुखी और निराश भी किया जिस से वह बहुत अधिक शराब पीने लगे और लीवर के cirrohosis के कारण ५१ की आयु में ही उनकी मृत्यु हो गयी."
यह जान कर अत्यंत दुःख हुआ कि स्वार्थियों ने एक बार फिर समर्पित कालाकर को अल्पायु में ही दुनिया से विदा करने में कोई कसर न छोडी.
चन्द्र मोहन गुप्त.
संगीतकार श्री मदन जी के बारे में मुझे पहले पता न था ,अच्छी जानकारी और मधुर संगीत सुनाने के लिए शुक्रिया .
ReplyDeleteबेहतर प्रस्तुति अल्पना जी, बहुत बहुत बेहतर प्रस्तुति, मदन मोहन जी की आवाज में नैना बरसे तो मैंने पहली बार ही सुना है
ReplyDeleteकौन होगा जो हिन्दी जाने और मदन जी को न चाहे..
ReplyDeleteबहुत जबरदस्त पोस्ट..आभार अल्पना जी!!
ये तो अद्भुत जानकारियाँ हैं मदन मोहन जी के बारे में। वो मेरे भी प्रिय संगीतकार हैं।...और उनका सेना में होना, सचमुच बहुत कम लोगों को मालूम होगा।
ReplyDeleteइन आडियो लिंक को सुनना तो अभी मुश्किल है मेरे लिये...
और उस टंकण-गलती के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ।
मदन मोहन संगीतकार तो थे ही..
ReplyDelete"माही री...' उनकी आवाज़ में अमर गीत है.
अच्छा लगता है जब पाता हूँ कि मेरे पास उनके गाये कुछ और गीत भी हैं.
आपने बहुत सारी जानकारी दी है...बहुत बहुत धन्यवाद.
मदनमोहन जी की फ़िल्में भले ही बी क्लास की फ़िल्मे कहलाती हो पर मेरी समझ मे इस तरह का वर्गीकरण एक कमर्शियल सोच से ज्यादा कुछ नही होता.
ReplyDeleteमदनमोहनजी एक उंचे दर्जे के संगीतकार थे जिनकी हर कृति कालजयी और अमर है.
उनके बारे में इतनी सामग्री हिंदी मे आज पहली बार पढने मे आई है. आपको बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं.
गीत भी आपने बडे ही सुंदर लगाये हैं.
रामराम.
"मदन मोहन जी के संगीत और जीवनी पर प्रकाश डालने का आभार..."
ReplyDeleteregards
ALPANA JI,
ReplyDeleteYE POST TO KAMAAL KA HAI... BAHOT HI KHUBSURATI SE AAPM MADADN MOHAN JI KO LIKHAA HAI IS MAHAAN GEETKAAR KE BAARE ME SACH ME JITNI LIKHI YA KAHI JAAYE KAM HAI.... BAHOT HI SHAANDAAR TARIKE SE PRASTUTI... DO EK GEET HI SUN PAAYA HUN SHAAM KO AUR BHI SUNTA HUN ITMINAAN SE....
BAHOT BAHOT BADHAAYEE AUR AABHAAR AAPKA
ARSH
Wah..बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई
ReplyDeleteसंगीतकार श्री मदन मोहन जी से मिलवाने का बहुत बहुत शुक्रिया ....सेना ,संगीत, आकाशवाणी ......,अगर गीत के बोल अच्छे नहीं तो वह संगीत नहीं बनाते .......,कभी बेसुरी क्यूँ नहीं होती....उनकी बेहतरीन फिल्में थीं-अदालत,अनपढ़,मेरा साया,दुल्हन एक रात की,हकीकत,हिंदुस्तान की कसम,जहानारा,हीर राँझा,मौसम,लैला मजनू,महाराजा,वो कौन थी .....आदि उनके बारे में बहुत सी जानकारी मिली .....!!
ReplyDelete"माई री कासे कहूँ "......गीत सुनवाने के लिए भी शुक्रिया.....!!
इतनी जानकारी के लिए बहित शुक्रिया...
ReplyDeleteनिश्चित ही बहुत ही सुंदर गीत हैं...
मीत
निसंदेह आपने उनके नए पहलू को उजागर किया है .....परदे की दुनिया असल में कितनी निष्ठुर है ...ये सभी को पता है ...पर फिर भी वे उन लोगो में से है जो अपना नाम अमर कर गये है ....
ReplyDeleteएक बहुत गूढ़ जानकारी आपने दी,मन खुश हो गया आपको पढ़कर और सुनकर...
ReplyDeleteआपकी पोस्ट से यह नयी बात जानी .मदन मोहन जी के गीत तो दिल में बसते हैं ..शुक्रिया इस नयी जानकारी के लिए
ReplyDeleteसंगीतकार मदन मोहन के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी सचमुच संदर्भनीय बन गयी है !
ReplyDeletemadan ji ke baare mein itani vistrut jankari deneke liye shukran,pata hi nahi tha kabhi ,ek mahan sangeetkar ekfauji bhi ho sakta hai.saath hi kuch madhurtam geeton ke swar leheron ke liye bhi shukran,shandar post,ye silsila aage bhi jaari rakhe.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी और मधुर संगीत सुनाने के लिए शुक्रिया...
ReplyDelete....अल्पना दी, आप ये पुराने सदाबहार गाने कहाँ से ढूंढ लाती हैं. .... लाजवाब !!
alpana ji, umda jaankari ke liye dhanyawaad, geet sunta hun.
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteसंगीतकार मदन मोहन जी के बारे में हिंदी में इतनी विस्तृत जानकारी कहीं और उपलब्ध नहीं है.साथ ही आप ने लता जी की और other musicians की voices में मदन जी के बारे में audio clip attach की हैं गज़ब की हैं.बहुत श्रम से लिखा हुआ लेख है.
ReplyDeleteअंत में आप जो unreleased [Madan-Lata] दुर्लभ गीत सुनवा रही हैं वह साफ़ सुनायी नहीं दे रहा.हो सकता है उस की क्वालिटी ऐसी हो.please उसका download लिंक भी दें.सराहनीय प्रयास .लाजवाब लेख हेतु धन्यवाद.
मदनमोहन के संगीत संसार की खासियत है वेदनामय गीतों को स्वरबद्ध करने में उनकी महारत । ऐसा लगता है कि मदनमोहन
ReplyDeleteके मन में कहीं एक एकाकी व्यक्ति छिपा हुआ था ।
जिनकी धुनों का मैं सदा से दीवाना रहा हूँ ..... उनके बारे में चर्चा हो तो चुप रहना असाध्य सा है !
जो वार्तालाप आपने सुनवाई है वो आवाज संगीतकार जतिन-ललित जोड़ी के जतिन जी की है !
दुसरे में आवाज यश चोपडा जी की ही है ... हालांकि शुरू में एकबारगी लगा कि आवाज जगजीत जी की है !
मदन मोहन जैसे महान संगीत सर्जक को याद करते हुए मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि चित्रपट संगीत की दुनिया के इस करिश्माई कलाकार ने जो कुछ इस संसार को दिया है वह कालातीत है ! उनके संगीत में लता मंगेशकर की गायकी को सुनना जैसे इस मायावी संसार से गुम हो जाना है ! आज हम मदनमोहन की जितनी पूजा करते हैं और उनके नग़मों की जितनी प्रशंसा करते हैं, उतनी उन्हें जीते जी नहीं मिली । और इस बात का उन्हें मरते दम तक अफ़सोस रहा ।
[नामवर जी के शब्दों में कहें तो सच्चे और अच्छे लोगों के चाहने वाले उनके मरणोपरांत ही जन्म लेते हैं ]
-P.G.
शायद इसे ही कहते हैं प्रतिभा का प्रस्फुटन। अच्छा लगा मदन जी के बारे में जानकर।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अच्छी लगी जानकारी। संगीत भी काफी मधुर।
ReplyDeleteपोस्ट लिखने का अंदाज पसन्द आया। धन्यवाद।
ReplyDeleteमदन जी के बारे में क्या कहूँ...जो कहूँगा कम ही पड़ेगा...ऐसे विलक्षण इंसान के लिए कुछ नहीं कहा जा सकता सिर्फ सुन कर नमन ही किया जा सकता है...
ReplyDeleteमुझे बहुत ख़ुशी हुई आपने मेरा उनका उनकी ही आवाज़ में गया सर्वप्रिय गीत "माई री ..." फिल्म :दस्तक, सुनवा दिया....आपका बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत...शुक्रिया...
नीरज
मदन जी के बारें इतनी सारी जानकारी पढकर अच्छा लगा। पता नहीं क्यों गाने के पीछे लगे लोगो के बारें में हम ज्यादा नही जानते, खासकर मैं। बस गाना सुना और पसंद आया तो ज्यादा बार सुन लिया। ज्यादा से ज्यादा फिल्म का नाम याद रह जाता है। वैसे ये ठीक नही होता है। आज ये गलती महसूस होती है। लिंक में दिये गाने बाद में ही सुनेगे जी। और हाँ आज की पोस्ट में एक विशेषता है कि पोस्ट बडी है पर महसूस नही हुई। ये कैसे किया जाता है। लिंक दे जिससे हम भी इतनी बडी पोस्ट कर सके।
ReplyDeleteआपका दावा उचित है. मदन मोहन जी हमारे भी प्रिय संगीतकार हैं. माई ऋ को उन्होंने भी गया है. दुर्लभ गीत बज नहीं रहा इसलिए डाउनलोड कर रहे हैं. अपने सिस्टम से बजायेंगे. आभार..
ReplyDeleteमदन जी के बारे मैं ढेर सारी जानकारी ............लगता है आप भी दीवानी हैं उनके संगीत की.......... मुझे तो उनका हर गीत ही लाजवाब लगता है........आपने आज फिर से उनका गीत "माही रे में कासे कहू, अपने पीया की..............माही रे........." सुन कर दिल उनकी आवाज़ में डूब गया....गुनगुनाने को मन हो आया ........ख़ास कर उनकी आवाज़ में ये बोल........"बीच सफ़र में बैठे............रोज मिले पीया बाँवरे"................इन लाइनों में उन्होंने संगीत कार और गायक दोनों को बाखूबी जिया है........
ReplyDeleteआपका बहूत बहूत शुक्रिया ऐसे महान शक्शियत से मिलवाने का
अल्पना जी ,
ReplyDeleteआपने कितनी मेहनत से ये सच्ची श्रध्धाँजलि दी है उसे पधकर मन प्रसन्न है और ये अमर सँगीतकार को याद कर चढाये श्रध्धा के पावन फूल हैँ
बहुत सुँदर सँगीत और बातेँ भी - शुक्रिया !
एक बात और जोड लीजिये, अँजू महेन्द्रू
( जो कई टी वी धारावाहिकोँ मेँ आज भी दीखतीँ हैँ )
के मदन जी मामा जी हैँ -
मेरे पास सँजीव कोहली ,
मेरे पापा जी और लतादी की
१ फोटो भी है )
- लावण्या
इस पोस्ट को पढ़ते समय मुझे इतने आनंद की अनुभूति हो रही है तो सोच रहा हूँ कि आपने आलेख की बुनाई के समय कितना सुख पाया होगा हर बार नयी बात जान के. मदन मोहन के संगीत निर्देशन में सुनिए राजेंद्र कृष्ण के बोल आवाज़ मोहम्मद रफी की है..... पिछले सत्रह सालों के दौरान फिल्म संगीत प्ले करते समय जाने कितनी ही बार बोला होगा याद आते ही आँखें चमक उठती हैं.
ReplyDeleteआप बहुत मेहनत से लिखती हैं जो भी लिखती हैं... टाईम मेनेजमेंट का कोई कोर्स आरम्भ कीजिए हम भी शागिर्द हो जाते हैं आपके.
alpana ji ,
ReplyDeletemadan mohan ji ke baare me itni acchi jaankari dene ke liye shukriya ...
main unki compose ki hui gazalo ko bahut pasand karta hoon ..
aapko badhai
are waah, itani jaankari....vakai..padhh kar achcha laga//aap sangeet aour sangeetkaaro me rachi basai he aour ye hamara soubhagya he ki aapke madhyam se hame bhi iski thodi jaankariya prapt ho rahi he//dhnyavaad to doonga hi///
ReplyDelete-aapki tippani mere liye utsaahvardhak hoti he//mera likhna sarthak ho jata he//
अल्पना जी ,
ReplyDeleteसंगीतकार मदन मोहन जी के बारे में इतनी अच्छी जानकारियाँ पेश करने के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं.
पूनम
इतनी सारी..
ReplyDeleteअच्छी जानकारी...
जो लाये आप..
हम दें धन्यवाद..
बहुत सुन्दर.
~जयंत
आपने सही लिखा है. मदन मोहन पर इतना सारा कहीं एक जगह पर नहीं आया अभी तक. आपको बधाई.
ReplyDeleteमदन जी की आवाज़ में नैना बरसे सुना तो दिल बाग बाग हो गया, क्योंकि ये गीत मेरी स्व. मां हमेशा गाती थी, तो मैं यही गीत सुनकर बडा हुआ. लेकिन मेरे पिताजी भी यही गीत गाते थे, तो अभी पुरुष स्वर में ये गीत सुना तो यादें ताज़ा कर दी आपने, और आंखें सजल.
मैं यहां आगे आपकी मधुर आवाज़ में कोई गीत सुनने की अपेक्षा कर रहा था.काश!
मदन जी की आवाज में 'माई री' कभी 'विविध भारती' में सुना था. आज पुनः सुन काफी अच्छा लगा. मदन मोहन जी पर अच्छी जानकारी उपलब्ध कराई आपने. धन्यवाद.
ReplyDeleteDear Alpana,
ReplyDeleteIt is a very well written post on a great music director.
No doubts,It is humble tribute.
Thanks for these unheard [rare ]songs of Madan ji,also your song is sung well.
All the best.
बाद के गीत पहले सुनाई नही दे रहे थे. फ़िर से आया प्यास बुझाने, और इस ग्रीष्म ऋतु में भी तपुत हो गया. ्धन्यवाद.
ReplyDeletemadan mohanji ke bare me vistrat jankari ke liye dhnywad .mai apki har post pdhti hu bhut kuch janne ko milta hai .
ReplyDeletepunh dhnywad
बहुत ही ज्यादा पसंद आई ये पोस्ट....वाह.....बहुत बहुत धन्यवाद आपको अल्पना जी....मुझे कुछ गीतों का कराओके कब भेज रहीं हैं?
ReplyDeleteआप नें हम सब की चाहत पूर्ण की धन्यवाद.
ReplyDeleteवाकई में सुरीलेपन की बानगी लेकर आया है ये गीत, आपकी सुरमयी स्वर में ...
Aapki pasand bahut achhi lagi
ReplyDeleteaapki surili post bahut pasand aayi
अल्पना जी मदन मोहन जी को इतनी भावमयी श्रधांजलि आप जैसे गुणी कलाकार ही दे सकते है ,जानकारी परक आलेख के लिए साधुवाद .
ReplyDeleteसंगीतकार मदनमोहन जी के बारे में आपके माध्यम से न केवल महत्वपूर्ण जानकारी मिली अपितु उनकी आवाज़ में दुर्लभ गीत भी सुना. आभार.
ReplyDeleteअल्पना जी,
ReplyDeleteवैसे तो आप्की सभी प्रस्तुतियं बेमिसाल होती हैन पर इस बार के क्या कहने . बस एक पूर दस्तावेज़ ही है मदन मोहन जी पर .
आप्को इस पोस्ट के लिये बहुत धन्यवाद और मेरी बधायी भी !
इतना आनन्द आया अल्पना जी कि क्या कहूँ...........आपका बहुत बहुत बहुत बहुत आभार इतने विस्तृत रूप से इस महान व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मुहैया करवाने और इतने सुरीले गीत सुनवाने के लिए... ....
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़ने और उससे अधिक सुनने से तो आज की शाम खुशगवार हो गयी। सचमुच आपकी प्रस्तुति अनमोल है। शुक्रिया।
ReplyDeleteacchi jankari ...
ReplyDeletebehatarin geet...
आप वतन से दूर हो कर भी किस तरह.. इतनी गतिविधियों से जुडी है...!मदन मोहन जी के बारे में कई नयी जानकारियां मिली!गीत भी अच्छे गा लेती है आप...धन्यवाद....
ReplyDeleteदुर्लभ जान कारी और उत्तम प्रस्तुति के लिए आभार.
ReplyDeleteरोचक ,सुरूचिपूर्ण और जानकारी से भरा हुआ
ReplyDeletepblik maaregi mujhe, yadi ye sch bta diya ki lata ji ki aawaj se jyada mujhe 'mai ri main kase...'aur
ReplyDeletenaina barse gane madan mohanja ki aawaz me jyada achchhelagte hai . bchpan me m.m. ki aawaj me redio par jane kese sunne me aa gaya tha
unki aawaz ke gane aam taur par redio par bjaye hi nahi jate the .
par ek baar suna to barson tk kano me goonjta raha.'net' par ''mai ri'' mil gaya kintu ''naina barse '' nahi mila
soch lijie aaj kaisa mahsoos kar rhi hun .
jo mahsoos kar rhi hun wo sb likha na to kahengi......MASKAA....
THANX N
BLESSES
Dear Alpana Ji
ReplyDeleteSwargiya Madan Mohan ji ke baare mein aap ki prastuti adbhut aur sagrahneeya hai...bahut mehnat ki hai aapne..jitni bhi tareef ki jaaye kum hogi..maine copy kar ke save kar liya hai..aapko saadhuvaad is praamaanik jaankaari ke liye....shubhkaamnaon sahit....
Dr Sridhar Saxena
Wow, Alpana!
ReplyDeleteCongratulations for an excellent compilation of very interesting things about my favourite Madanji. I am spellbound by such a scholarly commentary that made me read the complete article twice….did not want to miss anything.
samajh mein nahi aataa ki aap kaa shukriyaa kaise adaa karein :)
Regards,
Adwait
Adwait Ranade
अद्भुत जानकारियाँ मदन मोहन जी के बारे में। वो मेरे भी प्रिय संगीतकार हैं।.
ReplyDeleteमदन मोहन जी का संगीत हमेशा 'ए' ग्रेड रहा... अत्यंत महत्त्वपूर्ण संग्रहनीय पोस्ट....
ReplyDeleteसादर आभार.
काश मदनमोहन जी का इतना जल्दी जाना न होता तो हिन्दी फ़िल्म जगत का स्वर्णिम काल और लंबा होता और उनके सैकड़ों-हज़ारों मधुर संगीत से सजे गीत हमें सुनने को मिलते!
ReplyDelete