स्वदेश वापसी /दुबई से दिल्ली-'वन्दे भारत मिशन' Repatriation Flight from UAE to India

'वन्दे भारत मिशन' के तहत  स्वदेश  वापसी   Covid 19 के कारण असामान्य परिस्थितियाँ/दुबई से दिल्ली-Evacuation Flight Air India मई ,...

May 22, 2009

रेखा--एक कहानी

भारत में आज कल गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही हैं.यहाँ अभी स्कूल चल रहे हैं और पहले सत्र की परिक्षाएं नज़दीक आ रहीहैं.[जून के पहले हफ्ते से परिक्षाएं आरंभ हैं.उस के बाद जुलाई-अगस्त ग्रीष्मावकाश होगा.]
इसी के चलते आजकल मेरी ,समय के साथ रस्साकशी चल रही है.इस लिए नया कुछ लिख नहीं पाई.
हम सभी जानते हैं कि 'जीवन में कभी कभी किसी की कही गयी एक बात जीवन की दिशा ही बदल देती है और बढ़ते बच्चों को माता -पिता का 'क्वालिटी 'समय ,देखभाल और स्नेह बहुत ही जरुरी है.नहीं तो वे दिशाहीन हो जाते हैं.आज एक ऐसी ही बच्ची की कहानी प्रस्तुत कर रही हूँ जिस के माता पिता के पास उस के लिए समय नहीं था लेकिन एक अध्यापिका के सही मार्गदर्शन ने उसे नयी राह दी.

यह कहानी मैंने यहीं अपने अध्यापन काल के दौरान स्कूल की वार्षिक पत्रिका (९८-९९ )के लिए लिखी थी.
. मैं और मेरी छात्राएं.

रेखा
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कक्षा पांच में पढने वाली रेखा अक्सर स्कूल से घर आ कर रोती थी कि उसकी कोई सहेली क्यों नहीं है?घर में उस के सवालों का जवाब देने के लिए मम्मी पापा के पास समय नहीं है.घर में नौकर हैं ढेर सारे खिलौने भी हैं,मगर उसे कुछ अच्छा नहीं लगता.लोग उसे अब जिद्दी भी कहने लगे हैं.

आज स्कूल में संगीत कि नयी टीचर आई हैं.सभी ने उनका स्वागत किया.एक दिन उनकी कक्षा में रेखा सुबक सुबक कर रो पड़ी.
''अरे!रेखा क्या हुआ?तुम्हारी तबियत तो ठीक है न? " नीरा टीचर ने पूछा.
''तुम तो अच्छी लड़की हो फिर रोती क्यूँ हो?उन्होंने फिर पूछा.

अच्छी!...हा !हा !हा!....कक्षा में छात्रों के हंसी ठहाकों कि गूंज भर गयी,मगर टीचर के डाँटते ही कक्षा में सन्नाटा छा गया.तभी घंटी बज गयी.''रेखा तुम मुझ से ब्रेक टाइम में आ कर मिलना.''कहती हुई टीचर चली गयीं.
टीचर का स्नेह पा,रेखा ने उनसे अपनी मनोव्यथा कह डाली.

दूसरे दिन फिर रेखा को नीरा टीचर ने अपने पास बुलाया और उस से कहा ,"रेखा मैं ने तुम्हारी समस्या पर विचार किया ,कई बच्चों से अलग अलग बात भी की.जानना चाहती हो, कि तुम्हें कोई पसंद नहीं करता?"
नीरा टीचर ने उसे समझाते हुए कहा,"देखो रेखा!सब से पहले तुम अपनी आदतें सुधारो,अपनी अमीरी या फिर खिलौनों का रौब कक्षा के दूसरे बच्चों पर जमाना ठीक नहीं है.सब से मिल कर रहना चाहिये.बड़ों का अदब करो.और हाँ अपने आप को भी देखो,तुम्हारे बाल बिखरे रहते हैं,नाखून भी कितने गंदे हैं.सुबह नहा धो कर साफ़ यूनीफोर्म पहन कर आया करो.अगर तुम दूसरे बच्चों से लड़ोगी,उन्हें अपशब्द कहोगी तो कोई तुम्हें पसदं नहीं करेगा.सभी के साथ मधुर,नम्र और समान व्यवहार रखो,किसी का अपमान मत करो.फिर देखो तुम्हें कितनी ख़ुशी मिलती है.हमेशा मुस्कराओ,बात बात पर चिडचिडाओ मत.फिर देखो तुम्हें कैसे कोई पसंद नहीं करता??गलती पता चलते ही उसे सुधार लेने में ही समझदारी है.''

जैसे ही यह सब कह कर टीचर ने उसकी पीठ थपथपाई तो रेखा को एक सुखद सी अनुभूति हुई.उस ने उनकी सभी बातों को ध्यान से सुना था.वह सोचने लगी''पहले ये सभी बातें उसे किसी ने क्यों नहीं बताईं?हो सकता है कहा भी हो पर उस ने कब,किसी की बात सुनी है?

आज सालों बाद रेखा एक आकर्षक व्यक्तित्व वाली सफल व्यवसायी है.उस का अपना एक सफल बुटीक है.कभी कभी वह सोचती है कि उस समय अगर नीरा टीचर ने उसका मार्गदर्शन नहीं किया होता तो क्या होता?उस का वक्तितव कैसा होता?हर किसी को अपनी गलती पता चलते ही सुधार लेनी चाहिये.
कहते हैं न 'सुबह का भूला अगर शाम को घर लौटे तो उसे भूला नहीं कहते.'
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48 comments:

  1. ALPANAA JI BAHOT HI BADHIYA SASMARAN HAI .. JIS KARINE SE AAPNE ISE PRASTUT KIYA HAI WO TO KAABILE DAAD HAI... BHAVNAAWO SE ABIBHUT YE SASMARAN PRERANAA DAAYEE HAI... DHERO BADHAAYEE AAPKO


    ARSH

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  2. अल्पना जी, आपकी यह कहानी दिल को छू गई.. वाकई इंसान की ज़िंदगी में टीचर का भी बड़ा रोल होता है.. मैं अपने कुछ टीचर्स को आज भी मिस करता हूं.. आभार

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  3. नन्हे मन की कल्पना ...अच्छा है आपने अब तक इन यादो को संजो कर रखा है ....कम्पूटर ओर नेट चमत्कार करता है ऐसा मुझे भी अभी पता चला .जब मेरे किसी स्कूली साथी ने मुझे पांचवी क्लास में लिखी मेरी कविता .फेस बुक पर भेजी.

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  4. बाल मनोवि्ज्ञान पर आपकी अच्छी पकड है. बहुत ही सुंदर सीख देती है यह कहानी. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  5. आपका कहना एकदम सही है..
    अध्यापक हमारे मानसपटल पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ते हैं.
    बात बस इतनी सी है कि अध्यापन को नौकरी भर न समझा जाए.

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  6. आपकी कहानी की तरह , आपकी आवाज bhee बहुत मधुर है |आपके ब्लॉग पर आकर मैं मीठे मीठे गाने सुन लेती हूँ |

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  7. alpana ji , kahani ne dil ko choo liya .. mere saare teacher yaad aa gaye.. mera naman hai un sabko ,jinhone mera career banaya aur aapki lekhni ko salaam ,ki aapne itni acchi marmsparshi kahani likhi ..

    meri dil se badhai sweekar kariyenga

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  8. सच ही है.....सही मार्गदर्शन मिलने से बच्चों का विकास सही होता है...........आपकी कहानी प्रेरणा देने वाली है.......और माँ बाप के साथ अगर टीचर भी सही मार्ग दर्शन दे तो बच्चों का विकास सही दिशा में होता है

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  9. बाल मनोविज्ञान के धरातल को छूती हुई प्रेरक कहानी है। बधाई।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  10. बचपन की कहानिया भी कितनी मासूम होती है ना.. मानना पड़ेगा उस वक़्त भी आप कमाल लिखती थी..

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  11. अच्छी प्रेरणा देती है यह कहानी ..कितना अच्छा लगता है न यूँ पुराने लिखे को लिखना पढना मासूम सा एहसास होता है एक :)

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  12. Anonymous5/22/2009

    Really U did a great job.Nice 2 c ur blog page.

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  13. ऐसी कितनी ही रेखाएं बिना नीरा टीचर के अपनी पहचान खो देती हैं...अच्छी किस्मत थी रेखा की उसे समय पर नीरा मिली...बहुत प्रेरक प्रसंग...
    नीरज

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  14. गुरु बिना हमेशा ज्ञान अधुरा होता है...
    गुरु ही तो मार्गदर्शक है...
    सही लिखा
    मीत

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  15. बहुत ही बढ़िया कहानी है, मेरे मित्रों को भी बहुत पसंद आयी है

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  16. आप समय के सागर से
    ये मोती चुन कर लाईँ
    उसे पढकर
    बहुत अच्छा लगा अल्पना जी ..
    - लावण्या

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  17. बहुत ही ह्रदय को भेदने वाली. आपने हमें भी प्रेरित कर दिया.

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  18. kavita5/23/2009

    achchee kahani hai.
    prenadayak,

    ek shikshak student ki life mein bahut hi important role nibhatey hain.
    Neera jaisee teacher har Rekha ko kahan mil paati hain?

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  19. bahut sahi sandesh deti kahani alpana ji,

    agar samay par sahi disha dikhanewala mil jaaye to zindgi badal jaati hai. badhai.

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  20. ... प्रेरणादायक प्रभावशाली अभिव्यक्ति ... शुक्रिया ... बधाई।

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  21. सबको टीचर मिले नीरा टीचर जैसी।

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  22. आदरणीय अल्पना जी

    कहानी के माध्यम से आपने बहुत महत्वपूर्ण व सार्थक बात कही है !

    आज रेखा जैसी बच्चियां तो बहुत हैं लेकिन नीरा जैसी शिक्षिकाएं नजर नहीं आतीं ! मुझे विश्वास
    है जब आप शिक्षिका रही होंगी तो नीरा जैसी ही होंगी !

    स्कूल-कालेज का काम महज किताबी ज्ञान पिलाना ही नहीं होना चाहिए .... पठन-पाठन के अतिरिक्त बच्चों में छुपी सृजनात्मक एवं रचनात्मक प्रतिभा को उभारना भी बेहद आवश्यक है !

    आज की शिक्षा-प्रणाली में शिक्षा के इस व्यापक उद्देश्य को अनदेखा कर दिया गया है !

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  23. आपका 'ब्लॉग हैडर' बहुत 'क्लासिकल' लग रहा है ! बस 'टाईटल' थोडा दब गया है .... उसका 'कलर' बदल कर देखिये !

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  24. धन्यवाद प्रकाश जी,शीर्षक का रंग सफ़ेद कर दिया है.अब थोडा उभर गया है.

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  25. अच्छी कहानी है अल्पना जी...

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  26. " 'जीवन में कभी कभी किसी की कही गयी एक बात जीवन की दिशा ही बदल देती है "
    आपके विचारो से शतप्रतिशत सहमत हूँ . सटीक अभिव्यक्ति के लिए आभार.

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  27. alpnaji,
    yaade sukhad ho to prerna ban jaati he ..jis tarah se aapne apni smartiyo ke sagar se is kahaani ko ukera vo nisandeh pririt karti he//adhyapak aour shishya ka naata gyaan dene aour paane ka setu he// maargdarshan hota rahe ti jovan khil uthataa he/

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  28. Alpana really a very nice blog created by you.. keep it up...!!!

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  29. सबसे पहले कहानी की बात। प्रेरणा देती हुई यह कहानी अच्छी लगी, "गलती पता चलते ही उसे सुधार लेने में ही समझदारी है।" ये बात सही है कि रेखा जैसे छात्र और छात्रायें बहुत है पर नीरा जैसी टीचर बहुत कम है। हर काम में पैसे ने अहमियत ले ली है। खैर जब टीचरों की बात होती है तो मुझे अपने सर ही याद आते है।

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  30. शुक्रिया अल्पना जी इस कहानी के लिये...अकदम चुस्त और कसे शिल्प में कहने का अंदाज़..
    ये नया अवतार बहुत भाया
    रेखा जैसा ही चरित्र अपने स्कूल में भी था...

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  31. पद्य की तरह गद्य में भी आप मानव मन की संवेदनायें बडी ही खूबसूरती से और सुगढता से अभिव्यक्त कर लेती हैं. ये कहानी भी इसी का सबूत है.

    बढिया!!

    गीत, लेख और गायन , आपके बहुमुखी प्रातिभा का परिचायक है.

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  32. kitnee sachee kahaani lagi ye

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  33. sach purane panno ko phir padhna bahut achha lagta hai,behad marmsprashi katha,sahi bhi waqt par mili ek sahi salah jeevan hi badal deti hai.bahut sunder katha.


    kuch likhna hua hi nahi alpana ji,hosp mein aadhe log chutti pe hai,work load badh jata hai.agle kuch dino mein jarur koshish karenge.aap hame yaad karti hai,hame bahut achha lagta hai.aapke liye hazaron khushiyon ki dua ke saath sadar mehek.

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  34. Anonymous5/26/2009

    आपकी पोस्ट पढ़कर मुझे ये बातें समझ में आई:
    १. हर किसी को सच्चे गुरु, सच्चे मार्गदर्शक की जरूरत है.
    २. अपनी गलती पता चलने पर यथाशीघ्र सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए.
    ३. बढ़ते बच्चों को माता -पिता का 'क्वालिटी' समय, देखभाल और स्नेह बहुत ही जरुरी है.

    प्रेरणादायी प्रसंग, लेखनी का भी संग,
    पढ़कर जगती नयी आशा, एक नयी तरंग.

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

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  35. अच्छी कहानी है। काश हर रेखा को नीरा तीचर मिल पाती!

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  36. अच्छी पोस्ट ,एक शिक्षक की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है .

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  37. अल्पना जी,

    कहानी, किसी काल्पनिक कहानी की तरह नही है, आज के इस दौर में भी सनातन सत्य की तरह ही यह बात उभर के आती है कि " माँ के बाद शिक्षक ही श्रेष्ठ गुरू होता है "।

    बात रेखा या नीरा टीचर के प्रतीकोम के माध्यम से व्यक्त होते हुये हमारे अपने आस-पास सिमट जाती है। अगर हम आज सच्चे मन से अपने अंतर झांके तो पायेंगे कि कहीं न कहीं कोई नीरा टीचर ने हमें प्रेरित किया है या किया होगा।

    कहानी आज भी प्रासंगिक है और प्रेरणादायी भी।

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

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  38. सबसे पहले तो अल्‍पना जी देरी के लिए माफी
    आज कई दिनों बाद बलागजगत में ठीक से प्रवेश किया आपकी ये कहानी पढी सच में सीधे दिल में उतर गई बहुत ही अच्‍छी है यह रचना शायद कुछ कुछ मेरे बचपन से मेल खाती लेकिन इसमें रेखा अमीर है मैं अमीर नहीं था और मैं गंदा भी नहीं रहता था लेकिन हमेशा कम बोलने वाला खामोश

    अच्‍छी रचना लगी आपकी दिल से बधाई

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  39. व्योम के पार....
    मिलतें हैं
    भाव
    संगीत
    सन्दर्भ
    और
    यही
    सराहना की वज़ह
    सादर

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  40. अल्पना जी!

    वन्दे मातरम.

    आपकी अनुमति के बिना मैंने कहानी में 'नीरा' के स्थान पर 'अल्पना' कर पढ़ा. साधुवाद आपको...

    अपने चिट्ठे पर हिंदी टंकण यन्त्र लगा दें तो पाठकों को अंगरेजी में टिप्पणी न करना पड़े. कहीं और टंकित कर चिपकाने में ऊब होती है.

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  41. A wonderful message.Thanks for sharing.
    God bless.

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  42. अल्पना जी अगर इस वो बच्ची रेखा अब पढे तो उसे कितनी खुशी होगी, आज बहुत से बच्चे ऎसी ही हालत मै भटक रहे है, मां वाप पेसो ओर ज्यादाद के पीछे भाग रहे है, बहुत ही सुंदर लगी आप की यह कहानी, हम सब की आंखे खोलती.
    धन्यवाद

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  43. बहुत सुन्दर कहानी. प्रेरक प्रसंग

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आप के विचारों का स्वागत है.
~~अल्पना