चार हाइकु कविताएँ
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अभी हाल ही में हाइकु के बारे में लावण्या जी ने अपने ब्लॉग में जानकारी दी थी.
जैसा कि आप सभी जानते हैं :-
- हिन्दी साहित्य में कविता की यह सब से नयी विधा है.
- जापानी साहित्य में यह कविता की मुख्य विधा है.
- महान भारतीय कवि श्री रविन्द्र नाथ टैगोर जी ने अपनी किताब 'जापान यात्रा 'में कुछ जापानी हाइकु का बंगला अनुवाद भी किया है.
- हाइकु हिन्दी में १७ अक्षरों में लिखी जानेवाली सब से छोटी कविता है.
- तीन पंक्तियों में पहली और तीसरी पंक्ति में ५ अक्षर और दूसरी पंक्ति में ७ अक्षर होने चाहिये.
- संयुक्त अक्षर ex:-प्र. क्र , क्त ,द्ध आदि को एक अक्षर/वर्ण गिना जाता है.
- शर्त यह भी है कि तीनो पंक्तियाँ अपने आप में पूर्ण हों.[न की एक ही पंक्ति को तीन वाक्यों में तोड़ कर लिख दिया.]
- हाइकु कविता ' क्षणिका' नहीं कहलाती क्यूंकि क्षणिका लिखने में ये शर्तें नहीं होतीं.
- और अधिक जानकारी आप यहाँ से [hindi mein]भी ले सकतेहैं.- [english]-http://en.wikipedia.org/wiki/Haiku
- १७ अक्षरों में बहुत कह जाना हाइकु हिन्दी कविता की ख़ास बात है
**चार अलग अलग भाव अभिव्यक्ति लिए हुए अपने लिखे हिन्दी हाइकु यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ आशा है ,आप को पसंद आयेंगे.---------
वो संग दिल,
बहुत है खामोशी,बहते आंसू .
['संग' [उर्दू में ]का अर्थ पत्थर है. ]
प्रेम
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नैनों की बातें,
कंपकंपाता मन ,
हुआ मिलन.स्वागत ---------
महकी हवा,
आँगन कागा बोले
आया पाहुन.['पाहुन' का अर्थ है--मेहमान ]
दुखांत
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गिरता पारा,
अधढका बदन ,
सुबह मौन!['मौन 'शब्द का प्रयोग यहाँ मृत्यु के लिए किया गया है.]
- अल्पना वर्मा द्वारा लिखित,जनवरी २००९.]
अल्पना जी,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है । कम शब्दों में बड़ी प्रखर अभिव्य्क्ति हाइकू के माध्यम से की है ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
आप ने तो गागर मै सागर ही भर दिया, बहुत सुंदर रचनाये.
ReplyDeleteधन्यवाद
नमस्ते -
ReplyDeleteअल्पना जी सारे हाइकु पसँद आये -
जीवन के विभिन्न क्षणोँ की अभिव्यक्ति ही हैँ
और आपके सुझाव से,
"शब्द" को "अक्षर" सुधार कर लिख दिया है -
इसी भाँति
अपनी बात कहती रहीयेगा,
सुँदर स्वर मेँ
तो कभी गीत या हाइकु मेँ भी :)
शुभम्` भवति
- लावण्या
सुन्दर अभिव्यक्ति के सूक्ष्म-चित्र. धन्यवाद
ReplyDeleteसुंदर उर सशक्त भावाभिव्यक्ति के साथ सटीक चित्रांकन भी -सोने में सुगंध !
ReplyDeleteहाइकु तो बड़े सुन्दर ढ़ंग से अपनी सारी बात कह रहे हैं
ReplyDelete---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
बहुत ज्यादा
ReplyDeleteअच्छी हाइकु थी
पसंद आई
बहुत सुन्दर, हाईकू तो पहले भी बहुत पढ़े थे लेकिन इनके लिखने का लॉजिक आज ही पता चला।
ReplyDeleteसुन्दर हायकू और चित्र!
ReplyDeleteअल्पना जी सभी के सभी हाइकु बेहद उम्दा लिखा है आपने ढेरो बधाई स्वीकारें ....
ReplyDeleteअर्श
बहुत सुंदर हैं यह अपनी बात पूर्णता से कहते हुए
ReplyDeleteसुंदरतम भाव के साथ लाजवाब हायकू.
ReplyDeleteआपने काफ़ी समझा दिया है हायकू के बारे मे. यानि ५-७-५ अक्षरों के अंदर अपनी बात पूरी कहना ही हायकू कविता है. क्या मैं ठीक समझा हूं?
रामराम.
सफल प्रयास ...... सभी हायकु बेहद पसन्द आये।
ReplyDeleteबडिया हाइकू है बधाई
ReplyDeleteसबसे पहले आपका शुक्रिया कि आपने हाइकु के बारें में बताया थोड़ा विस्तार से बताया। और हाँ चारों हाइकु बहुत ही गहरे भाव लिए हुए हैं। बहुत ही उम्दा।
ReplyDeletekya baat hai alpana ji , choti choti baato men jeevan ka saar hai ,,
ReplyDeletechaaro bahut achai hai ,lekin prem wali aur dukhaant ne dil jeet liya ..
bahut badhai ..
maine kuch nayi nazmen likhi hai , padhiyenga..
vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/
क्षणिकाओं का अपना अलग ही आनन्द है, गागर में सागर।
ReplyDeleteकम शब्दो में गहरी बात.. हाइकू, त्रिवेणी, क्षणिका मुझे हमेशा से प्रिय रही है.. और आपके हाइकू में इन विविध रूपो को देखकर बहुत खुशी हुई है.. सभी अपने आप में पूर्ण है.. बहुत बधाई दिल से..
ReplyDeletekam shabdo men hi gehri baat..bahut sahi....
ReplyDeletehaiko ab news main bhi hai...yahan Dekhe
(http://timesofindia.indiatimes.com/India/Haiku_meets_Gujarati_poetry/articleshow/3954439.cms)
बहुत अच्छी प्रस्तुति जो सामायिक चित्रों के कारण और भी प्रभावशाली हो गई. अगर अन्यथा न ले तो पहले हाइकु में "संग वो दिल" के स्थान पर "वो संगदिल" कर देखें.
ReplyDeleteहाइकु की जानकारी पढ़ कर अच्छा लगा, लगता है कितना कुछ नही जानता अभी लेखन की विधा में.
ReplyDeleteआपकी सभी रचनाएं अच्छी हैं, सूक्ष्म लेखन में बहुत कुछ कह गयीं, चित्रों ने और भी सुन्दरता बढ़ा दी
सुन्दर। पोस्ट पर आना रिफ्रेशिंग लगा! यह काव्य विधा बहुत उकसाती है लिखने को!
ReplyDeleteनैनों की बातें,
ReplyDeleteकंपकंपाता मन ,
हुआ मिलन.
बेहतरीन नज्म
बधाई मिलेगी
बारम्बार
bahut sunder prastotuti
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हाईकु. चित्र संकलन भी हाईकु के अनुरुप हैं. इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति। बधाई
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
क्या बात है सुन्दरम् ,कवि त्रिलोचन याद आए ....,
ReplyDeleteखूबसूरत विचार, सुन्दर अभिव्यक्ति, सफल कतिवा, हार्दिक बधाई।
ReplyDelete1.
ReplyDeleteपूछो आए क्यों
देखने को हायकू
आए थे हम
2.
अच्छा लगा है
हायकू जानकर
धन्यवाद जी
3.
हम भी अब
दस बीस हायकू
लिखेंगे कभी
kam shbdo me gahn arth se bhri kvita bhot dil ko chu gyi......
ReplyDeleteअत्यन्त सुंदर प्रस्तुति धन्यबाद
ReplyDeleteवाह ...फिर से वाह
ReplyDeleteदेखन में छोटन लगे,घाव करे गंभीर वाली बात
choote-choote lekin adbhut dohe. kamal kar rahi hain aap. congrats
ReplyDeleteअपनी बात पूर्णता से कहते हुए!!!!
ReplyDeleteअब हम
लिख रहे
हायकू
में भी बहुत कोशिश करता हूँ किंतु १७ अक्षरों में अपनी बात कह ही नहीं पाता/प्रवीण त्रिवेदी जी ने भी हाइकू में टिप्पणी दीविवेक सिंह जी ने भी हाईकू में ही जवाब दिया /
ReplyDeleteकृपया बताने का कष्ट करें कि इसका सही उच्चारण क्या है ""हाइकू "" या " हाइकु " या ""हायकू"" या ""हायकु"" या ""हाय क्यूं ""/साहित्य के किस काल में इसका जन्म हुआ /बीरगाथा काल ,भक्तिकाल ,रीतिकाल में शायद इसका अस्तित्व नहीं था / हरप्पा या मुहानजुदारो कि खुदाई में इसके अवशेष मिले नहीं है ,खैबर और बोलन के दर्रों से आने का कोई सबूत नहीं है / या फिर यह आधुनिक कविता का कोई अंग है जैसे आधुनिक कविता होती है ""मैं सुनता था नूपुर ध्वनि ,प्रिय यद्यपि बजती थी चप्पल "" या लिखी कविता ,आए कौए और गिद्ध ,हो गई कविता सिद्ध "" इसे कहा जाता है आधुनिक कविता / यह १७ अक्षर का नियम किसने बनाया /आधुनिक कविता एक ओर कहती है कि छंद दोहा मात्रा,अलंकार से आदमी ह्रदय की वास्तविकता नही कह पाता मात्राओं का बंधन उसे जकड लेता है ,दूसरी ओर अपने विचारों को सीमित क्षेत्र में पिरोना क्या यह प्रेसी है रचना का संक्षेपण है /ये आखिर है क्या ?
कवितायें बहुत सुंदर हैं ... हाइकु या नॉन हाइकु...कोई फर्क नहीं पड़ता. १७ शब्दों का जाल न होता तो शायद खलील जिब्रान गद्य का सबसे बड़ा हाइकुबाज़ होता....कार्टून पर आपकी टिपण्णी के लिए विनम्र आभार. आपकी इ मेल के अभाव में यहाँ लिख रहा हूँ, कृपया अन्यथा न लें. सादर,काजल कुमार
ReplyDeleteअल्पना जी सभी के सभी हाइकु बेहद उम्दा लिखा है , इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई.
ReplyDeleteधन्यबाद
kya baat hai,har haiku sundar,kum shabdon meinbahut kuch,aaya pahunwala bahut achha laga.aur udasiwala bhi.
ReplyDeletekalapana ji aapane chitron ke saath bahut khubi ke saath hyku prastut ki hai. bhai maza aa gaya. badhai.
ReplyDeletebahut achchi kavita hai .
ReplyDeleteदेरी के लिए मुआफी....शहर से बाहर था ओर अपने लेप-टॉप से दूर भी...हाइकु ओर त्रिवेणी लिखना काफ़ी मशक्कत का काम है....ओर आखिरी लाइन ही इसका पञ्च होती है ओर इसकी जान भी.....आपका ये हाइकु इसकी एक मिसाल है....
ReplyDeleteवो संग दिल,
बहुत है खामोशी,
बहते आंसू .
यहं चित्र को थोड़ा ओर रोमांटिक होना चाहिए था..हाइकू कमाल है
नैनों की बातें,
कंपकंपाता मन ,
हुआ मिलन.
ये मुझे ख़ास पसंद आया .....शायद पक्का हाइकू ....
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गिरता पारा,
अधढका बदन ,
सुबह मौन!
हायकु के बारे में सुना था मगर प्रथम बार पढा लावण्या जी के ब्लॊग पर. अब यहां फ़िर समझ कर हायकु कवितायें १७ अक्षरों में पढी तो दाद देने को जी चाहा.
ReplyDeleteआपका गाना सुना- तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है.
पहले के बाद अब में काफ़ी बेहतर सुधार है. आपके आवाज़ में अब ठहराव भी अच्छा आया है, और हरकतें भी नियंत्रित हो रहीं है. आगे भी करते रहें यही अपेक्षा है.
वैसे गाने का ट्रॆक भी अच्छा है.
एक लंबे अंतराल के बाद हाइकु कविता पढ़ने का अवसर मिला। सीमित शब्दों या फिर शब्दों की पाबंदी में अपनी बात असरधार ढ़ग से कहना हाइकु कविता की विशेषता है उसी कौशल का पता आपकी हाइकु कविताओं से लगता है। बहुत ही सुंदर हाइकु कविताएं हैं।
ReplyDeletewww.merichoapl.blogspot.com
Very Nice...
ReplyDeleteLoved to read...
कुछ हाइकु
.
1 जिंदगी एक
गमों का है दरिया
बस तैरिये !
.
2 बेटी का जन्म
घर मे है मातम
पराया धन !
.
3 गरीबी पाप
मौत से बदतर
जीना दुश्वार !
.
4 सच की राह
चलना है मुश्किल
कांटो से भरी ।
@लावण्या जी,
ReplyDeleteआप ने मेरी बात पर गौर किया इतना ही मेरे लिए बहुत है.
@अनूप जी आप के कहे अनुसार मैं ने बदलाव कर दिया है.
@ब्रिज जी मैं ने जवाब आप आप के ब्लॉग पोस्ट में को दे दिया है.और जानकारी के लिए लिंक भी पोस्ट में दिए हैं.
जो मैं ने लिखा है--हाइकु-यही वर्तनी सही है.
@ताऊ जी ,विवेक जी,मोहन जी,प्रवीण जी,आप ठीक समझे..लेकिन ध्यान रखना चाहिये की एक ही पंक्ति के टुकडे न हों हर पंक्ति अपने आप में एक वाक्य कह रही हो.विवेक जी आप के हाइकु बढ़िया हैं.
@अनुराग जी कोई बात नहीं ,देर से ही ...आप आए तो सही.और आप के सुझाव से प्रेम 'कविता का चित्र भी बदल दिया है.
@दिलीप जी धन्यवाद.आप की इस ब्लॉग पर यह पहली टिप्पणी है.
@कवि कुलवंत जी..आप के हाइकु बहुत ही भावपूर्ण हैं.यहाँ प्रस्तुत करने हेतु आभार .
- धन्यवाद.
अल्पना जी वास्तव में ये एक बहुत मुश्किल विधा है लेकिन आप के चार हायकू पढ़ कर हैरान रह गया हूँ...कैसे आपने चंद शब्दों में बातें की हैं...कमाल है...आप की इस विलक्षण प्रतिभा को नमन...
ReplyDeleteनीरज
गहरे अर्थों वाले हायकू है . 'अज्ञेय' के द्वारा लिखे हायकू भी पढ़े तथा मुंबई हमले पर लिखे मेरे गीत को भी देखें और कृतार्थ करें. .
ReplyDeleteआपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteहाइकू के वारे में आपके द्वारा आदेशित दोनों ब्लॉग देखे /इस बिधा के वारे में अन्य जानकारियाँ भी प्राप्त की /वाकई बहुत कठिन विधा अपनाई है आपने प्रयास सराहनीय है /आँगन कागा बोले की जगह अंगना भी हो सकता है /दुखांत .,स्वागत ,प्रेम और उदासी सभी अच्छे बन गए हैं
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteमेरे तकनीकि ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं
-----नयी प्रविष्टि
आपके ब्लॉग का अपना SMS चैनल बनायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeletemakrar sankranti ki subkamanayen
ReplyDeletemere blog par aane ke liye dhanyawaad
ReplyDeleteवाह.. अल्पना जी, हाइकू तो बेहतर हैं ही आपकी प्रस्तुति लाजवाब है. बेहतरीन..... बधाई..
ReplyDeleteवाह!! एक सुंदर और सफल प्रयास
ReplyDeleteधन्यवाद
bahut hi badiya
ReplyDeleteblog dekha padha...lekin video nahin play hua...:-( haiku aise hote hai ke humne to paleeta sulga diya hai... ab phatte raro.... (sochte raho ) hai na ???
ReplyDeleteदुखांत
ReplyDelete--------
गिरता पारा,
अधढका बदन ,
सुबह मौन!
हाईकू का बडा ही संजीदा वर्णन और आपकी सारी प्रस्तुती लाजवाब रही.... ये वाली मुझे कुछ ख़ास तौर से पसंद आई म्रत्यु का इससे अच्छा शाब्दिक चित्रण नही हो सकता शायद... (फ़िर वही अफ़सोस की मैंने इन्हे कैसे देखा नही....)
Regards
हाइकु बेहतरीन लिखी हैं आपने कल्पना जी ...पर "पाहुन आया " की जगह "पाहुन आए" होता तो ज्यादा बेहतर लगता क्योंकि पाहुन शब्द हमेशा सम्मान के साथ लिया जाने वाला है ...
ReplyDeleteअगर कुछ गुस्ताखी हो गई तो क्षमा- प्रार्थी हूँ ...
अल्पना जी आपने सुझाव को स्वीकार किया आभार. मैंने भी अनेक हाइकू लिखे है कभी अवसर मिला तो प्रकाशित करूगा. वैसे आपके हाइकू शिल्प की दृष्टि से तो परिपूर्ण है ही भावो और संवेदनाओ की भी गहरी प्रस्तुति है.
ReplyDeleteअल्पना जी क्या बात है। सच में आपकी हाइकु कविताएं पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा और मैंने इसके बारे में अपने बड़े भाई से बात की तो उन्होंने मेरे ज्ञान में और भी वृद्धि की।
ReplyDeleteBahut mushkil kaam hai :-S .... pata naheen log itne bandhano mein likhte kaise hain... thodi 'cosmetic' feeling hoti hai. Mera to dil karta hai ki bas jo mann mein aaye wo page pe utaar do... [ waise maine bahut kam lekhan direct pen-copy par kiya hai ]... seedha seedha likha to direct chat windows par.. ya blog par !
ReplyDelete:) aap jaari rakhiye aapki haiku [ Judo kunfu type naam lagta hai ]... likhti rahiye..badhti rahiye...
Main enjoy kar raha hun aapki sureeeeeeeli awaz... yakeenan bhot sundar hai
..
regards
N
सारे हाइकू बहुत ही सुंदर लगे.......
ReplyDeleteसुंदर शब्द
कोमल भावनाएं
अच्छे हाइकू
बहुत सुन्दरता से इस विधा का प्रयोग किया है
ReplyDeleteवाह .....अदभुत !!!
ReplyDeleteबेहद लाजवाब / उत्कृष्ट हायकू हैं
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आभार
कल 19/06/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
सभी हाइकु बहुत गहन भाव लिए हुये
ReplyDelete